Teachers often provide Class 4 Hindi Notes Veena Chapter 6 जयपुर से पत्र Summary in Hindi Explanation to simplify complex chapters.
जयपुर से पत्र Class 4 Summary in Hindi
जयपुर से पत्र Class 4 Hindi Summary
जयपुर से पत्र का सारांश – जयपुर से पत्र Class 4 Summary in Hindi
किसी भी स्थान पर भ्रमण करने से अनेक प्रकार के लाभ होते हैं। इससे हम वहाँ की लोककला, संस्कृति एवं इतिहास से परिचित होते हैं। यात्राएँ हमारे ज्ञान को बढ़ाती हैं। प्रस्तुत पाठ पत्र विधा में लिखा गया है। इस पत्र में अमर ने अपने पिता जी को अपने विद्यालय की ओर से आयोजित जयपुर यात्रा के विषय में लिखा है।
अमर ने बताया कि जयपुर में जलपान करने के बाद उन लोगों ने सबसे पहले हवामहल देखा। इसके बाद जंतर-मंतर देखा, जिसका निर्माण राजा सवाई जयसिंह ने करवाया था। जयपुर में रामनिवास बाग में एक कला-संग्रहालय है, जहाँ राजा-महाराजाओं के कपड़े, अस्त्र-शस्त्र और चित्र रखे हुए हैं। उसके बाद वे लोग आमेर का दुर्ग देखने गए।
वे लोग शीशमहल तथा शिलादेवी के मंदिर भी गए। उन लोगों ने राजस्थान के लोकनृत्य का आनंद भी लिया। इसके साथ ही अमर ने वहाँ का विशेष व्यंजन दाल-बाटी चूरमा भी खाया। इसके बाद वे लोग झीलों के शहर उदयपुर जाएँगे। उदयपुर से वह अगला पत्र लिखेगा। यह कहकर उसने पत्र समाप्त कर दिया ।
जयपुर से पत्र शब्दार्थ
सकुशल – अच्छे से,
जलपान – नाश्ता,
दर्शनीय – देखने योग्य,
लोकनृत्य – किसी स्थान विशेष की संस्कृति से जुड़ा विशेष नृत्य ।
Class 4 Hindi Chapter 6 Summary जयपुर से पत्र
पूज्य पिताजी,
सादर प्रणाम! परसों रात को हम सकुशल जयपुर पहुँच गए। हमारी यात्रा बहुत अच्छी रही। अध्यापकों ने हमारा बहुत ध्यान रखा। यहाँ मौसम अच्छा है।
कल सुबह जलपान करके हम सब लोग जयपुर की सैर के लिए निकले। सबसे पहले हमने हवामहल देखा। हवामहल के पास ही जंतर-मंतर है। इस वेधशाला का निर्माण राजा सवाई जयसिंह ने किया था। हमने घूम- घूमकर जंतर-मंतर देखा। इसके बाद हम रामनिवास बाग गए। यहाँ एक अच्छा कला-संग्रहालय है। यह दर्शनीय है। संग्रहालय में जयपुर के राजा-महाराजाओं के कपड़े, अस्त्र-शस्त्र और उनके चित्र रखे हुए हैं।
जयपुर से लगभग चौदह किलोमीटर की दूरी पर आमेर का दुर्ग है। यह बहुत पुराना और बड़ा है। आमेर में शीशमहल देखने योग्य है। शीशमहल के पास ही शिला देवी का मंदिर है। मंदिर में दर्शन करने के बाद हम नगर वापस आए। रात को हमने राजस्थान के लोकनृत्य देखे। फिर राजस्थान का विशेष व्यंजन दाल-बाटी चूरमा खाया। आज दोपहर पश्चात् हम झीलों के नगर उदयपुर जाएँगे। अगला पत्र उदयपुर से लिखूँगा।
माताजी को मेरा प्रणाम और लता बहन को बहुत प्यार ।
आपका पुत्र
अमर
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