Chivvy Summary In Hindi and English
Soul of the Poem (कविता का सारांश )
The poem ‘Chivvy’ is a catalogues of various do’s and don’ts that the grown-ups dictate to young children. The adults constantly give a list of instructions to the children about how to sit, how to talk, how to eat and so on.
The poem, however, indicates a passage of time when the young child has grown up and is incapable of taking a decision on his own. The same adults, then, chide the grown up child for not being able to think independently.
‘चिवी’ एक ऐसी कविता है, जिसमें उन चीजों का समावेश है, जो एक वयस्क छोटे-छोटे बच्चों को क्या करना चाहिए तथा क्या नहीं करना चाहिए. के रूप में अक्सर बताते रहते हैं? वयस्क लोग छोटे बच्चों को निर्देशों की एक लंबी फेहरिस्त देते हैं कि उन्हें कैसे बैठना चाहिए, कैसे खाना चाहिए तथा कैसे बात करनी चाहिए इत्यादि?
कविता में इसका वर्णन भी है कि एक वक्त ऐसा भी आता है, जब छोटे बच्चे बड़े हो जाते हैं, पर यह तय नहीं कर पाते कि उन्हें क्या करना चाहिए? तब वही वयस्क उसे डाँटते हैं कि वह खुद से कुछ भी सोच पाने में सक्षम नहीं है।
Stanza wise Explanation of The Poem
Stanza 1
Grown-ups say things like:
Speak up
Don’t talk with your mouth full
Don’t stare; Don’t point
Don’t pick your nose
Reference The above lines have been taken from Michael Rosen’s poem, ‘Chivvy.’
Context The poet points out to a series of instructions given by the grown-ups.
Explanation The poem opens with a long list of instructions. In all likelihood, these instructions are being issued by the adults to their young ones. Speak, up, don’t talk while your mouth is full of food and so on are just a few examples.
संदर्भ प्रस्तुत पंक्तियाँ माइकल रोसेन की कविता ‘चिवी’ से ली गई हैं।
प्रसंग कवि उन दिशा-निर्देशों की लंबी फेहरिस्त बताते हैं, जो वयस्क छोटे-छोटे बच्चों को देते हैं।
व्याख्या कविता की शुरूआत दिशा-निर्देशों की लंबी फेहरिस्त से होती है। ये सारे निर्देश वयस्क अपने छोटे-छोटे बच्चों को देते हैं। ऐसे बोलो, ऐसे बैठो तथा ऐसे खाओ इत्यादि वे कुछ निर्देश हैं, जो बच्चों को निर्देशित होते हैं।
Stanza 2
Sit up; Say please; Less noise
Shut the door behind you
Don’t drag your feet
Haven’t you got a hankie? Take
your hands out of your pockets
Reference Same as in Stanza 1
Context The poet continues to put an emphasis on how the young children are directed to act in accordance to the instructions issued by the adults.
Explanation The second stanza of the poem continues with yet another set of instructions. Each and every activity of the young child is administered and put under the surveillance of the grown-ups.
संदर्भ पूर्ववत्
प्रसंग कवि उन स्थितियों का वर्णन करते हैं, जिनमें वयस्क छोटे बच्चों को उनके निर्देशों का पालन करने का निर्देश देते हैं।
व्याख्या कविता का दूसरा पद्यांश भी उन निर्देशों से शुरू होता है, जोकि वयस्क छोटे बच्चों को निर्देशित करते हैं। छोटे बच्चों की सारी गतिविधियों को वयस्क निर्देशित करते हैं और लगातार इस पर अपनी निगरानी बनाए रखते हैं।
Stanza 3
Pull your socks up;
Stand up straight Say thank you;
Don’t interrupt
No one thinks you’re funny
Take your elbows off the table
Can’t you make your own
mind up about anything
Reference Same as in Stanza 1
Context The poet showcases how the child is still being reprimanded by the adult, though the child has grown up.
Explanation The final couplet of the poem shows that perhaps the young child has grown up. However, the adults around him continue to reprimand him. But, this time for a different reason. The child is unable to decide anything for himself. He is not certain about anything. It’s quite ironical as the entire childhood of this child was spent blindly following the instructions.
संदर्भ पूर्ववत्
प्रसंग कवि इस बात का वर्णन करते हैं कि कैसे छोटे बच्चे आज भी वयस्कों की डॉट खा रहे हैं? जब वे बड़े हो गए हैं।
व्याख्या अंतिम पंक्तियों से यह पता चलता है कि बच्चा अब बड़ा हो चुका है। फिर भी जो वयस्क उसके चारों ओर हैं, वे आज भी उसे डाँट रहे हैं। इस बार डाँटने का कारण अलग है। बच्चा खुद के लिए कुछ भी तय नहीं कर पा रहा है। वह किसी भी चीज के बारे में निश्चित नहीं है। यह पूर्ण रूप से व्यंग्यात्मक है कि इस बच्चे का पूरा बचपन ही दूसरों के निर्देश के अनुसार काम करने में बीत गया था।
Word Meaning
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