Download Solved CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi B Set 2 2019 PDF to understand the pattern of questions asks in the board exam. Know about the important topics and questions to be prepared for CBSE Class 9 Hindi B board exam and Score More marks. Here we have given Hindi B Sample Paper for Class 9 Solved Set 2.
Board – Central Board of Secondary Education, cbse.nic.in
Subject – CBSE Class 9 Hindi B
Year of Examination – 2019.
Solved CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi B Set 2
हल सहित
सामान्य निर्देश :
- इस प्रश्न-पत्र में चार खण्ड है – क, ख, ग, घ ।
- चारों खण्डों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
- यथासंभव प्रत्येक खण्ड के क्रमशः उत्तर दीजिए |
खण्ड ‘क’ : अपठित बोध
1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिएप्रात:काल सूर्योदय से पूर्व शय्या त्यागकर खुली हवा में भ्रमण करने से शरीर का अंगअंग खुलता है। इस समय उपवन, वन, खेत या नदी तट की सैर मन को अपार आनंद प्रदान करती है। शीतल ताज़ी हवा के शरीर में प्रवेश करने वाली ऑक्सीजन साँसों को ताज़गी देती है। प्रात:काल सूर्य की सुनहरी किरणें मानो स्वर्गीय संदेश लेकर धरती पर आती हैं। उनसे समस्त सृष्टि में नई चेतना का संचार होता है। इस समय वन-उपवन में पुष्प विकसित होते हैं, तड़ागों में कमल मुसकाते हैं, पेड़ों पर पक्षी चहचहाते हैं। धीमी-धीमी, शीतल, सुगंधमय पवन के झोंके हृदय में हिलोर उठाते हैं। ऐसी मोहक प्रकृति से दूर सोए रहने वाले अभागे हैं। उनका भाग्य भी उन्हीं की तरह सोया रहता है, ऐसे व्यक्ति के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
(क) समस्त सृष्टि में नई चेतना का संचार किस प्रकार होता है?
(ख) ‘शय्या’ शब्द का क्या अर्थ है?
(ग) प्रात:काल के समय किन स्थानों की सैर मन को अपार आनंद प्रदान करती है?
(घ) मोहक प्रकृति से आप क्या अभिप्राय निकालते हैं?
(ड) ‘अभागा’ किसे कहा गया है?
उत्तर-
(क) समस्त सृष्टि में नई चेतना का संचार सूर्य की सुनहरी किरणों से होता है।
(ख) चारपाई।
(ग) प्रात:काल के समय वन, खेत, उपवन या नदी तट की सैर मन को अपार आनंद प्रदान करती है।
(घ) जब पुष्प विकसित होते हैं, कमल मुसकाते हैं, पेड़ों पर पक्षी चहचहाते हैं और पवन शीतल और सुगंधमय होती है, तब हमें मोहक प्रकृति का अनुभव होता है।
(ड) मोहक प्रकृति से दूर सोए रहने वालों को अभागा कहा गया है।
2. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
माँ है वह इसी से हम बने हैं,
कितु हम हैं द्वीप ! हम धारा नहीं हैं,
स्थिर समर्पण है हमारा, हम सदा से द्वीप हैं स्रोतस्विनी के।
कितु हम बहते नहीं हैं।
क्योंकि बहना रेत होना है।
हम बहेंगे, तो रहेंगे ही नहीं।
पैर उखड़ेंगे, प्लवन होगा, ढहेंगे, सहेंगे, बह जाएँगे,
और फिर हम पूर्ण होकर भी कभी क्या धार बन सकते ?
रेत बनकर हम सलिल को तनिक गाँदला ही करेंगे।
अनुपयोगी ही बनाएँगे।
(क) द्वीप का समर्पण कैसा है? वे क्या नहीं हैं?
(ख) काव्यांश के अनुसार ‘बहना’ किसके समान है?
(ग) रेत बन जाने का परिणाम क्या होता है?
उत्तर-
(क) द्वीप का समर्पण स्थिर समर्पण है। वे धारा नहीं है।
(ख) काव्यांश के अनुसार ‘बहना’ रेत हो जाने के समान है।
(ग) रेत बन जाने से द्वीप पानी को गंदा बनाते हैं।
खण्ड ‘ख’ : व्याकरण
3. (क) निम्नलिखित शब्दों का वर्ण-विच्छेद कीजिए-
(i) अष्टाध्यायी
(ii) ग्रामीण
(ख) निम्नलिखित शब्दों में से अनुस्वार के उचित प्रयोग वाले शब्द छाँटकर लिखिए-
(i) हस
(ii) कठं
(ii) अलकनंदा
(iv) आंनद
(ग) निम्नलिखित शब्दों में उचित स्थान पर लगे अनुनासिक चिह्नों के प्रयोग वाले शब्द छाँटिए-
(i) माँसपेशियाँ
(ii) पूंजीपति
(iii) आर्वे देखा न तावें
(घ) निम्नलिखित शब्दों में से उचित स्थान पर लगे नुक्तों के प्रयोग वाले शब्द लिखिए
(i) ख्वाजा
(ii) तकलीफ
(iii) जरा
(iv) मुफ़लिस
उत्तर-
(क) (i) अ + ष् + ट् + आ + ध्+य्+ आ + य + ई
(ii) ग् + र् + आ + म् + ई + ण् + अ
(ख) हंस, अलकनंदा।
(ग) माँसपेशियाँ, पूँजीपति
(घ) ज़रा, मुफ़लिस।
4. (क) निम्नलिखित शब्दों में से उपसर्ग व मूलशब्द को अलग-अलग कीजिए-
(i) अतिरिक्त
(ii) दुर्गति
(ख) निम्नलिखित शब्दों में प्रयुक्त प्रत्यय व मूलशब्द को अलग-अलग कीजिए-
(i) आंतरिक
(ii) समता
उत्तर-
(क) (1) अति + रिक्त
(ii) दुर् + गति
(ख)
(i) मूल शब्द-अंतर प्रत्यय इक
(ii) मूल शब्द-सम प्रत्यय-ता
5. (क) निम्नलिखित शब्दों में सन्धि कीजिए-
(i) अतिशय + उक्ति
(ii) छत्र + आवास
(ख) निम्नलिखित शब्दों में संधिविच्छेद कीजिए-
(i) हर्षातिरेक
(ii) वक्रोक्ति
(ग) निम्नलिखित वाक्यों में उचित विराम चिह्न लगाकर लिखिए-
(i) जिन्दा आदमी नंगा भी रह सकता है परंतु मुर्दे को नंगा कैसे विदा किया जाए।
(ii) फुटपाथ पर उसके समीप बैठ सकने में मेरी पोशाक ही व्यवधान बन खड़ी हो गई
(iii) क्या तुम दिल्ली जा रहे ही
उत्तर-
(क) (i) अतिशयोक्ति
(ii) छत्रावास
(ख) (i) हर्ष + अतिरेक
(ii) वक्र + उक्ति
(ग) (i) जिन्दा आदमी नंगा भी रह सकता है, परन्तु मुर्दे को नंगा कैसे विदा किया जाए।
(ii) फुटपाथ पर उसके समीप बैठ सकने में मेरी पोशाक ही व्यवधान बन खड़ी हो गई।
(iii) क्या तुम दिल्ली जा रहे हो?
खण्ड ‘ग’ : पाठ्यपुस्तक व पूरक पाठ्यपुस्तक
6. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(क) एवरेस्ट शिखर पर पहुँचकर बछेन्द्री पाल ने स्वयं को किस प्रकार सुरक्षित रूप से स्थिर किया?
(ख) ‘हीरा वही घन चोट न टूटे-का सन्दर्भ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
(ग) अहमदाबाद से कौन से दो साप्ताहिक पत्र निकलते थे?
उत्तर-
(क) सँकरा व नुकीला होने के कारण। बर्फ के फावड़े से बर्फ की खुदाई की। घुटनों के बल बैठकर ‘सागरमाथे’ के शिखर का चुंबन किया।
व्याख्यात्मक हल :
एवरेस्ट शिखर सँकरा व नुकीला था। अत: वहाँ पहुँचकर स्वयं को सुरक्षित रूप से स्थिर करने के लिए बछेन्द्री पाल ने बर्फ के फावड़े से खुदाई की और उसके उपरान्त घुटनों के बल बैठकर ‘सागरमाथे’ के शिखर का चुंबन किया।
(ख) इस उक्ति का अर्थ है-हीरा वही है जो घन की चोट खाकर भी न टूटे। आशय यह है कि असली हीरा सुदृढ़ होता है। पाठ के सन्दर्भ में इसका अर्थ है-ग्रामीण लोग हीरे की भाँति सुदृढ़ होते हैं। वे संकटों की मार से हारते नहीं हैं। जिन्हें इस देश की धूलमिट्टी से प्यार है, वे हर संकट में और अधिक मजबूत होकर उभरते हैं।
7. लेखक की दृष्टि में धर्म की भावना कैसी होनी चाहिए?
उत्तर-
लेखक के अनुसार, धर्म के विषय में मानव स्वतन्त्र होना चाहिए। हर व्यक्ति आजाद हो। वह जो धर्म अपनाना चाहे, अपनाए। कोई किसी की स्वतन्त्रता में बाधा न खड़ी करे। धर्म का सम्बन्ध हमारे मन से, ईमान से, ईश्वर और आत्मा से होना चाहिए। वह मन को शुद्ध करने का मार्ग होना चाहिए, अपने जीवन को ऊँचा उठाने का साधन होना चाहिए, दूसरे को कुचलने का नहीं।
अथवा
रामन् के किन चारित्रिक गुणों ने उन्हें महान् वैज्ञानिक बनाया था? ‘वैज्ञानिक चेतना के वाहक’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
जिज्ञासु प्रवृत्ति, सफल वैज्ञानिक, भारतीय संस्कृति से लगाव रखने वाले, राष्ट्रीय चेतना व देश में वैज्ञानिक दृष्टि और चिंतन के विकास के प्रति समर्पित। उन्नत प्रयोगशाला और शोध संस्थान की स्थापना की। अनेक शोध छात्रों का मार्गदर्शन किया। अनेक विज्ञान पत्रिकाओं का सम्पादन किया।
व्याख्यात्मक हल :
चन्द्रशेखर वेंकट रामन् को भारतीय संस्कृति से गहरा लगाव था। वे जिज्ञासु प्रवृत्ति के एक सफल वैज्ञानिक थे। रामन् सदैव ही राष्ट्रीय चेतना व देश में वैज्ञानिक दृष्टि और चिन्तन के विकास के प्रति समर्पित थे। देश को वैज्ञानिक दृष्टि और चिंतन प्रदान करने के लिए सर चन्द्रशेखर वेंकट रामन् ने बंगलुरू में अत्यन्त उन्नत प्रयोगशाला व शोध संस्थान ‘रामन् रिसर्च इंस्टीट्यूट’ की स्थापना की। उन्होंने अनेक शोध छात्रों का मार्गदर्शन किया। साथ ही भौतिकशास्त्र को बढ़ावा देने के लिए ‘इण्डियन जनरल ऑफ फिजिक्स’ नामक शोध पत्रिका निकाली। विज्ञान को बढ़ावा देने के लिए ‘करेंट साइंस’ नामक पत्रिका का सम्पादन भी किया।
8. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(क) भक्तों ने सुखिया के पिता का अपमान किस प्रकार किया? ‘एक फूल की चाह कविता के आधार पर लिखिए।
(ख) “गीत-अगीत’ कविता के आधार पर बताइए कि प्रेमी हृदय किस बात की आशा करता है?
(ग) ‘गंदे मुहल्लों में खुशबुओं वाली अगरबत्तियाँ बनती हैं, इस कथन में क्या विरोध है?
उत्तर
(क) अछूत कहकर उसका अपमान किया। उसके आने से मंदिर की चिरकालिक पवित्रता नष्ट हो गई।
व्याख्यात्मक हल :
भक्तों ने सुखिया के पिता का अपमान करते हुए कहा कि उसने मंदिर में प्रवेश करके मंदिर की पवित्रता को नष्ट कर दिया है, क्योंकि वह एक अछूत है। उन्होंने सुखिया के पिता को घेर लिया और बहुत मारपीट की।
(ख) प्रेमी हृदय अपने प्रेम की सुखद परिणति की आशा करता है, वह यह आशा करता है कि संसार उनके प्रेम को स्वीकार कर ले।
(ग) श्रमिक स्वयं दुख झेलकर दूसरों को सुखी करता है।
व्याख्यात्मक हल :
सारे संसार को खुशबू से महका देने वाली खुशबूदार अगरबत्तियों को बनाने वाले श्रमिकों की गरीबी के कारण कई नालियों के पार क्ड़े-करकट के ढेरों के बाद बदबूदार इलाकों में रहना पड़ता है। ये लोग स्वयं भी गन्दे होते हैं। वहाँ के गंदे माहौल में रहना इनकी मजबूरी होती है। वे स्वयं दुःख सहते हैं और संसार को खुशबू से महकाकर सुखी करते हैं।
9. आदमीनामा कविता का कौन-सा अंश आपको अच्छा लगा और क्यों?
उत्तर-
यां आदमी पै जान को वारे है आदमी
और आदमी पै तैग को मारे है आदमी
पगड़ी भी आदमी की उतारे है आदमी।
चिल्ला के आदमी को पुकारे है आदमी।
, और सुनके दौड़ता है सो है वो भी आदमी।
मुझे ये पंक्तियाँ इसलिये अच्छी लगीं क्योंकि इसमें दूसरे के लिए अपनी जान । न्यौछावर करने वाली भावना है तो वही तलवारी चलाकर दूसरे की जान ले लेने वाला भी आदमी है। इन पंक्तियों में एक आदमी के मुसीबत में पड़ने पर दूसरे आदमी को सहायता के लिये पुकारने पर आदमी परोपकार की भावना से भर दूसरे आदमी की सहायता करने के लिये दौड़ पड़ता है।
अथवा
रैदास के प्रभु में वे कौन-सी विशेषताएँ हैं जो उन्हें अन्य देवताओं से श्रेष्ठ सिद्ध करती हैं?
उत्तर-
(i) वे केवल झूठी प्रशंसा या स्तुति नहीं चाहते।
(ii) वे जाति प्रथा या छूआछूत को महत्व नहीं देते। वे समदर्शी हैं।
(iii) उनके लिए भावना प्रधान है। वे भक्त वत्सल हैं।
(iv) दीन-दुखियों व शोषितों की विशेष रूप से सहायता करते हैं। वे गरीब नवाज हैं।
(v) वे किसी से डरते नहीं हैं, निडर हैं।
10. महि सागर नदी के दोनों किनारों पर कैसा दृश्य उपस्थित था?
उत्तर-
- महि सागर नदी के किनारे मेला-सा लगा हुआ।
- भजन मंडलियों और दरबारों का दांडिया रास गाना।
- गांधी, पटेल, नेहरू की जयकार
- दोनों किनारों पर हजारों लोगों का दिए लेकर खड़े रहना
व्याख्यात्मक हल :
महि सागर नदी के दोनों किनारे पर मेला-सा लगा था। आधी रात को, सत्याग्रहियों को, घुप्प औधेरी रात में, ग्रामीणों के हाथों में जलते हुए दिए राह दिखाने के लिए जगमगा रहे थे। एक तरफ भजन मण्डलियाँ गा रही थीं, दूसरी तरफ दांडिया रास में निपुण दरबारों के बोल पूँज रहे थे। गाँधी, नेहरू और सरदार पटेल की जय-जयकार के नारे लग रहे थे। सभी में देश के प्रति प्रेम एवं त्याग की भावना थी।
अथवा
सिनेमा की घोर विरोधी माँ ने तो लेखक को पिक्चर देखने की आज्ञा दे दी, फिर भी लेखक बिना पिक्चर देखे क्यों लौट आया? इस घटना में निहित धर्मवीर भारती की विशेषता से आपने क्या शिक्षा प्राप्त की है? ‘मेरा छोटा सा निजी पुस्तकालय’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर-
पिक्चर का गीत उन दिनों आर्थिक-मानसिक कष्टों का प्रतिबिंब था लेकिन पिक्चर से अधिक पठन में रुचि। देवदास उपन्यास देखकर खरीदने की इच्छा, पुराना ग्राहक होने के कारण विक्रेता द्वारा रियायत देने का प्रस्ताव। सिनेमा का टिकट डेढ़ रुपये का, ।। देवदास उपन्यास दस आने का, जमा-घटा जोड़-भाग करने पर पाया कि सिनेमा देखना घाटे का सौदा, उपन्यास खरीदकर बार-बार | पढ़ने की सुविधा।
व्याख्यात्मक हल :
लेखक को देवदास पिक्चर का गीत गुनगुनाता देख सिनेमा की घोर विरोधी माँ ने लेखक को पिक्चर देखने की अनुमति दे दी। लेखक पुस्तकें बेचने से बचे दो रुपये से फिल्म देखने पहँचा। शो छूटने में देरी थी, अतः सिनेमा के पास की पुस्तकों की दुकान पर चला गया वहाँ उसकी देवदास उपन्यास पर नजर गयी, तो उसे खरीदने का विचार आने लगा। पुस्तक विक्रेता ने लेखक के पुराना ग्राहक होने के कारण बिना कमीशन लिए दस आने में पुस्तक देने की बात कही। लेखक को पढ़ने में बहुत रुचि थी सोचा डेढ़ रुपये का सिनेमा का टिकट खरीदने की जगह दस आने की पुस्तक खरीद लें तो उसे बार-बार पढ़ भी सक्गा और पैसे भी बचेंगे। अत: वह बिना पिक्चर देखे किताब लेकर लौट आया। इस घटना से यह शिक्षा मिलती है कि हमें धन का सदुपयोग। करना चाहिए तथा पुस्तकें मनुष्य की सच्ची साथी होती हैं, ज्ञान का भंडार होती हैं। अतः हमें भी उनसे मित्रता कर लेनी चाहिए।
अथवा
तक्षशिला में आगजनी की खबर पढ़कर लेखक के मन में कौन-सा विचार कौंधा ? इससे लेखक के स्वभाव की किस विशेषता का परिचय मिलता है?
उत्तर-
आगजनी की खबर पढ़कर हामिद की हिफाजत की प्रार्थना
हामिद का स्नेह, आदर सत्कार की स्मृति
हिंदू-मुस्लिम एकता का पक्षधर
प्रेमपूर्वक भोजन करवाना
भोजन के दिए गए पैसों का लौटाना
व्याख्यात्मक हल :
तक्षशिला में आगजनी की खबर पढ़कर लेखक को हामिद खाँ की याद आ गई। उसके यहाँ उसने खाना खाया था। उसे हामिद खाँ की आवाज, उसके साथ बिताए क्षणों की यादें आज भी ताजा हैं। उसकी मुस्कान उसके दिल में बसी है। लेखक की यही कामना है कि तक्षशिला के साम्प्रदायिक दंगों की चिंगारियों की आग से हामिद और उसकी वह दुकान जिसने मुझ भूखे को दोपहर में छाया और खाना देकर मेरी क्षुधा को तृप्त किया था, बचे रहें। इनसे लेखक की धर्म निरपेक्ष मानवीय भावनाओं का पता चलता है।
खण्ड ‘घ’ : लेखन
11. दिए गए संकेत बिन्दुओं के आधार पर किसी एक विषय पर लगभग 80 से 100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए-
(क) बाल दिवस
(i) बच्चों के प्यारे चाचा नेहरू का जन्म-दिन
(ii) विद्यालयों में कार्यक्रम
(iii) सरकार तथा अनेक संस्थानों की ओर से कार्यक्रम
(iv) बाल दिवस का महत्व
(ख) अबला नहीं, सबला है नारी
(i) नारी के अनेक रूप
(ii) समाज में नारी के स्थिति
(iii) अब नारी अबला नहीं सबला
(ग) बढ़ते उद्योग कटते वन
(i) भूमिका
(ii) वृक्षों से लाभ
(iii) वृक्षों की कटाई और उसके दुष्परिणाम
(iv) वृक्षारोपण
(v) उपसंहार
उत्तर-
(क) बाल दिवस
• विषयवस्तु
• प्रस्तुति
• शुद्धभाषा
व्याख्यात्मक हल :
बाल-दिवस प्रतिवर्ष 14 नवम्बर को मनाया जाता है। स्व. पंडित जवाहरलाल नेहरू को बच्चों से बहुत प्यार था। बच्चे भी इन्हें प्यार से चाचा नेहरू कहकर पुकारते थे। बच्चों के प्रति अपने प्यार को अमर बनाने के विचार से उन्होंने अपना जन्म दिवस बच्चों को समर्पित कर दिया था। तभी से आज तक प्रतिवर्ष इस दिन विद्यालयों में विशेष समारोह होते हैं। किसी-किसी विद्यालय में छात्र-छात्राओं को मिठाई बाँटी जाती हैं। इस दिन बाल-कल्याणकारी कार्यक्रमों की घोषणा होती है या उन्हें शुरू किया जाता हैं।
सरकार तथा अनेक संस्थानों की ओर से भी स्कूली बच्चों के मनोरंजन एवं ज्ञानवर्धन के लिए अनेक कार्यक्रम होते हैं। सफदरजंग हवाई अड़े पर बच्चों को नि:शुल्क हवाई सैर कराई जाती है। राष्ट्रीय संग्रहालय, चिड़ियाघर, कुतुबमीनार में बच्चों के लिए नि:शुल्क प्रवेश की अनुमति होती है। इसके अतिरिक्त नेहरू संग्रहालय में अनेक आयोजन होते हैं। आकाशवाणी तथा दूरदर्शन भी बच्चों के लिए विशेष कार्यक्रमों का प्रसारण करते हैं। समाचार-पत्रों, पत्रिकाओं में बच्चों की रुचि तथा लाभ के लिए उपयोगी सामग्री का प्रकाशन होता है। बाल दिवस के त्योहार का सबसे बड़ा महत्व बच्चों में आत्म-सम्मान, आत्म-गौरव, स्वयं को पहचानने, जीवन में कुछ कर दिखाने की चाह जैसे विचार उत्पन्न करने में हैं। इससे वे उन्नति के पथ पर अग्रसर होते हैं।
(ख) अबला नहीं, सबला है नारी
• विषयवस्तु
• प्रस्तुति
• शुद्धभाषा
व्याख्यात्मक हल :
समाज में, नारी के माँ, प्रेयसी, पुत्री, पत्नी अनेक रूप हैं। सम परिस्थितियों में वह देवी है तो विषम परिस्थितियों में दुर्गा-भवानी। नाना रूपों में मानव जीवन को प्रभावित । करने वाली नारी समाज रूपी गाड़ी का एक पहिया है जिसके बिना समग्र समाज पंगु है।
मानव जाति के इतिहास पर विचार करें तो ज्ञात होगा कि सामाजिक, राजनीतिक, आर्थिक, साहित्यिक, धार्मिक आदि सभी क्षेत्रों में प्रारम्भ से ही नारी की अपेक्षा पुरुष का आधिपत्य रहा है। उसने नारी की स्वतन्त्रता छीनकर उसे पराधीन बना दिया। पुरुष प्रधान समाज ने नारी के मन मस्तिष्क में यह बात अच्छी तरह जमा दी कि वह असहाय, हीन और अबला है, किन्तु वर्तमान समय में नारी ने स्वयं को जगाया, ऊपर उठाया, संघर्ष का संबल प्राप्त किया। स्वयं को शिक्षित करके अपने जीवन को प्रत्येक परिस्थिति का सामना करने के योग्य बनाया। आज की नारी अबला न रहकर सबला बन चुकी है। वह पूरी तरह आत्मनिर्भर रहकर परिवार, समाज तथा राष्ट्र की प्रगति में योगदान दे रही है। वर्तमान युग में नारी शिक्षा, प्रशासन, चिकित्सा सुरक्षा, राजनीति, विज्ञान, खेलकूद हर दिशा में आगे आ रही है। नारी-जीवन के विकास पर । आज समाज गर्व करता है। समाज के हर कार्य, हर क्षेत्र में आज पुरुष के समान नारी के महत्व को स्वीकार किया जा रहा है।
(ग) बढ़ते उद्योग कटते वन
ईश्वरीय सृष्टि की अद्भुत, अलौकिक रचना प्रकृति है। मनुष्य ने प्रकृति की गोद में । आँखें खोली हैं एवं प्रकृति ने ही मनुष्य का पालन-पोषण किया है, दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। उद्योगों के बढ़ने से वनों की कटाई बढ़ती जा रही है।
मनुष्य का सम्पूर्ण जीवन पेड़-पौधों पर आश्रित रहता है। पेड़-पौधों की लकड़ी विभिन्न रूपों में मनुष्य के काम आती है। वृक्षों से हमें फल-फूल, जड़ी-बूटियाँ आदि प्राप्त होती हैं। शुद्ध वायु एवं तपती दोपहर में छाया वृक्षों से ही प्राप्त होती है। वृक्ष वर्षा में सहायक होते हैं एवं भूमि को उर्वरक बनाते हैं। प्रदूषण को समाप्त कर हमें ऑक्सीजन प्रदान करते हैं। वन्य प्राणियों का अस्तित्व पेड़-पौधों पर ही निर्भर है। वृक्ष सूखा, बाढ़ एवं मिट्टी के कटाव आदि प्राकृतिक आपदाओं से हमारी रक्षा करते हैं।
जनसंख्या के दबाव, शहरों का विस्तार, फैक्ट्रयों के लिए भूमि की कमी को दूर करने के लिए वृक्षों की व्यापक पैमाने पर कटाई मनुष्य के द्वारा की जा रही है, जिसके परिणामस्वरूप प्रदूषण का बढ़ना एवं प्राकृतिक आपदाओं से विनाश का खतरा बढ़ता जा रहा है। वन्य-प्राणियों की अनेक दुर्लभ प्रजातियाँ विलुप्त होने के कगार पर हैं। रोगों में वृद्धि हो रही है। पर्यावरण प्रदूषण, पर्वत स्खलन, मौसमी वर्षा एवं सूखे की स्थिति वनों की कटाई के मुख्य दुष्परिणाम हैं।
देर से सही, मनुष्य ने वृक्षों के महत्व को स्वीकारा तो है। वृक्षों की कटाई के विरोध में व्यक्ति जागरूक हुए हैं, कई समाज सेवी संस्थाएँ और सरकारी विभागों द्वारा सकारात्मक कदम उठाए जा रहे हैं, जिनमें चिपको आन्दोलन की प्रमुख भूमिका रही है। सरकार द्वारा हरे वृक्षों को काटने से रोकने के लिए कानून बनाया गया है। वन विभाग द्वारा नये वृक्षों का रोपण किया जा रहा है एवं पुराने वृक्षों का संरक्षण किया जा रहा है। लोगों को जागरूक करने के लिए वन महोत्सव प्रारम्भ किया गया है जो जुलाई मास में मनाया जाता है जिसमें व्यापक रूप से वृक्षारोपण कार्यक्रम चलाया। जाता है। आज आवश्यकता इस बात की है कि मनुष्य प्रकृति से जुड़े। यह समझे कि कुल्हाड़ी वृक्षों पर नहीं वरन् उसी पर चल रही है। हमारी संस्कृति में वृक्षों पर देवताओं का वास बताया गया है एवं वृक्ष काटना भयंकर पाप बताया है। वृक्षारोपण करने को महान् पुण्य बताया है। यदि हम पर्यावरण प्रदूषण को रोकना चाहते हैं तो कटते वृक्षों पर अंकुश लगाना होगा और नये वृक्षो भी लगाने होंगे।
12. आपकी सखी की माता जी की अचानक मृत्यु की सूचना मिली है; इस विषय में उसको सांत्वना पत्र लिखिए। |
उत्तर-
सखी की सांत्वना पत्र
• विषयवस्तु
• प्रस्तुति
• शुद्धभाषा
व्याख्यात्मक हल :
4/73 इन्दिरा नगर
कानपुर
दिनांक………..
प्रिय शालिनी
आज ही तुम्हारे पत्र से मालूम हुआ कि तुम्हारी पूज्य माता जी का स्वर्गवास हो गया है। मेरा मन शोक से व्याकुल हो गया। मुझे अब भी वे दिन याद हैं, जब हम दोनों के परिवार लखनऊ में पास-पास रहते थे। एक ही गली में रहने के कारण हर समय का साथ था। तुम्हारी माताजी मुझे पुत्री के समान मानती थीं। मैं जब पिछले वर्ष उनसे मिली थी तो वे काफी दुबली हो गई थीं और आँखों से साफ देख भी नहीं पाती थीं। उनकी आत्मा उस दुबली देह में कष्ट का अनुभव कर रही थी। प्रत्येक शरीर अन्त में समाप्त होता है। ईश्वर के इस नियम पर किसी का वश नहीं चलता। इस दुखद अवसर पर मैं स्वयं उपस्थित होना चाहती थी, किन्तु कई दिन से बीमार चल रही हूँ। डॉक्टर ने दस दिन के लिए पूर्ण विश्राम की सलाह दी है। ईश्वर से यही प्रार्थना करती हूँ कि माताजी की आत्मा को अपने चरणों में स्थान दें और परिवार को इस असहनीय दुःख को सहन करने की शक्ति दें। स्वस्थ होकर मैं शीघ्र ही तुमसे मिलने आऊँगी। शोकाकुल हृदय क, ख, ग
अथवा
आपने पिताजी की आज्ञा के बिना अपने कुछ मित्रों के साथ विद्यालय से अनुपस्थित होकर आईपीएल मैच देखा जिसकी सूचना आपके पिताजी को किसी अन्य व्यक्ति से मिली है। अब आप अपने पिताजी से माफी माँगते हुए एक क्षमा याचना का पत्र लिखिए।
उत्तर-
पिताजी को पत्र
• विषय-वस्तु
• प्रस्तुति
• शुद्धभाषा
व्याख्यात्मक हल :
श्रद्धानंद छात्रावास
राजकीय उच्चतम माध्यमिक विद्यालय
बसन्त विहार
नई दिल्ली।
परम पूज्य पिताजी,
सादर प्रणाम । आशा है घर में सभी सकुशल होंगे। आपके पत्र से पता चला कि आपकी अनुमति के बिना अपने कुछ मित्रों के साथ विद्यालय से अनुपस्थित होकर मेरे आईपीएल मैच देखने से आप नाराज हैं।
मैं अपनी गलती स्वीकार करता हूँ। लड़कों के कहने में आकर मैं उनके साथ मैच देखने चला गया था। मैंने पढ़ाई को भी गम्भीरता से नहीं लिया। मैं समझ गया कि जब यह सूचना आपको किसी अन्य व्यक्ति से मिली होगी तो आपको कैसा लगा होगा? पिताजी, अब आप कभी मेरी शिकायत नहीं सुनेंगे। मैं नियमित विद्यालय में उपस्थित रहूँगा तथा छात्रावास में रहकर अध्ययन में रुचि लूगा। ऐसे गलत मित्रों की संगति भी छोड़ दूंगा।
मैं पुन: आपको विश्वास दिलाता हूँ कि मैं अब सही मार्ग पर चलेगा। पिछली गलतियों के लिए मैं आपसे क्षमा माँगता हूँ। घर में माताजी को प्रणाम। छोटों तथा बड़ों को यथोचित अभिवादन आपका आज्ञाकारी पुत्र विवेक
13. नीचे बने चित्र को देखकर अपने मन में उभरे विचारों का वर्णन 20-30 शब्दों में कीजिए। विचारों का वर्णन स्पष्ट रूप से चित्र से सम्बद्ध होना चाहिए।
उत्तर-
(i) इस चित्र में एक महिला थाली हाथों में लेकर खड़ी है।
(ii) उसके हाथों में लड्डू से भरी थाली है।
(iii) उसके चेहरे से मालूम पड़ रहा है कि वह बेहद खुश है।
(iv) मिठाइयाँ त्योहारों पर बनाई जाती हैं। लोग त्योहार का आनन्द लेते हैं, और आपस में मिठाई खिलाते हैं।
(v) किसी महत्वपूर्ण कार्य के होने पर यह महिला खुश होकर लड्डू की थाली लेकर अपनी प्रसन्नता व्यक्त कर रही है।
14. “विकास के मॉडल-हाईवे, मॉल, मल्टीप्लेक्स” विषय पर शिक्षक और छात्र के बीच परस्पर संवाद को 50 शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
शिक्षक व छात्र की बीच बातचीत
शिक्षक : मोहन! आज का अखबार पढ़ा तुमने।
मोहन : जी श्रीमान! किन्तु उसमें ऐसी क्या खबर थी?
शिक्षक : यानी तुमने ठीक से नहीं पढ़ा। उसमें आज हमारे शहर के विकास मॉडल को मंजूरी मिल गई है।
मोहन : जी श्रीमान! मैंने पढ़ा! ये तो बहुत प्रसन्नता का विषय है अब हमारा शहर भी विकास के पथ पर अग्रसर होता हुआ दिखाई देगा। यहाँ भी चारों ओर हाइवे, मॉल और मल्टीप्लेक्स होंगे।
शिक्षक : ठीक कहा मोहन, बताओगे इससे हमारे शहर को क्या-क्या लाभ होंगे?
मोहन : शहर की सड़कों पर वाहनों का भार कम होगा, हमारी आर्थिक स्थिति सुदृढ़ होगी साथ ही शहरवासियों को मनोरंजन के साधन व अपनी आवश्यकताओं की सभी वस्तुएँ एक ही छत के नीचे आसानी से उपलब्ध होंगी। शिक्षक : बिल्कुल ठीक मोहन, शाबास।
15. मंडी हाऊस नई दिल्ली में उभरते चित्रकारों की चित्र प्रदर्शनी के लिए दर्शकों का ध्यान आकर्षित करते हुए 25-50 शब्दों में एक विज्ञापन तैयार कीजिए।
उत्तर-
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