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Solved CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi B Set 4

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Download Solved CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi B Set 4 2019 PDF to understand the pattern of questions asks in the board exam. Know about the important topics and questions to be prepared for CBSE Class 9 Hindi B board exam and Score More marks. Here we have given Hindi B Sample Paper for Class 9 Solved Set 4.
Board – Central Board of Secondary Education, cbse.nic.in
Subject – CBSE Class 9 Hindi B
Year of Examination – 2019.

Solved CBSE Sample Papers for Class 9 Hindi B Set 4

हल सहित
सामान्य निर्देश :

  • इस प्रश्न-पत्र में चार खण्ड है – क, ख, ग, घ ।
  • चारों खण्डों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य है।
  • यथासंभव प्रत्येक खण्ड के क्रमशः उत्तर दीजिए |

खण्ड ‘क’ : अपठित बोध
1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
देना ही देवता की वास्तविक विशेषता है। असहाय व्यक्ति का शोषण करने वाला किसी को केवल दुःख दे सकता है। देने का काम वही कर सकता है जो स्वयं भी परिपूर्ण होता है। देवता स्वयं को भी देता है और दूसरों को भी। जिसने स्वयं को न दिया, वह दूसरों को क्या देगा ? हम लोग अक्सर कहते हैं कजूस किसी को कुछ नहीं देता। यह बात ठीक नहीं है कि कृपण। दूसरे को नहीं देता, पर कृपण स्वयं को भी । कहाँ देता है? वह दीन-हीन की तरह रहता है और उसी तरह मर भी जाता है। देने से किसी व्यक्ति की सम्पन्नता सार्थक होती है। धन की तीन गतियाँ होती हैं-उपभोग, दान और नाश। जिसने धन का उपभोग नहीं किया, दान नहीं किया, उसके धन के लिए एक ही गति बचती है-नाश। घूस और अनैतिक ढंग से हड़पकर दूसरों के धन से घर भरने वालों का यही अन्त होता है। सत्ता, व्यापार, राजनीति में इस प्रकार के सफेदपोश लुटेरे छुपे हुए हैं। जो हम अर्जित करते हैं, वह हमारा जीवन है। धन हमारे जीवन का केन्द्र नहीं है। धन एक संसाधन है, जिससे हम अपनी जिम्मेदारियों को निभाते हैं। धन एक सहायक-सामग्री है, जिससे हम जीवन के उद्देश्यों की पूर्ति करते हैं। धन का काम है कि वह हमें सुख दे। यह सुख हमें तीन क्रियाओं से मिलता हैधन के अर्जन से, धन के उपभोग से और धन के दान से । इन तीन क्रियाओं से धन हमारी सेवा करता है। बाकी क्रियाओं से हम धन की सेवा करते हैं। कजूस धन को बचा लेते हैं। अपव्ययी उसे उड़ा देते हैं, लाला उसे उधार देते हैं। चोर उसे चुरा लेते हैं, धनी उसे बढ़ा देते हैं, जुआरी उसे गाँवा देते हैं और मरने वाले उसे पीछे छोड़ जाते हैं।
(क) देवता की वास्तविक विशेषता क्या है?
(ख) कजूस का जीवन कैसा होता है?
(ग) धन की कितनी गतियाँ होती हैं?
(घ) किस धन का नाश होता है?
(ड) हमें सुख कैसे मिलता है?
उत्तर-
(क) देवता की वास्तविक विशेषता देना है। वह स्वयं को भी देता है और दूसरों को भी।
(ख) कंजूस किसी को कुछ नहीं देता और स्वयं को भी कुछ नहीं देता है।
(ग) धन की तीन गतियाँ होती हैं-उपभोग, दान और नाश।
(घ) जिस धन का उपभोग नहीं होता और न ही दान दिया जाता है उस धन का नाश होता है।
(ड) हमें सुख तीन क्रियाओं से मिलता है- धन के अर्जन से, धन के उपभोग से और धन के दान से।

2. निम्नलिखित काव्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
तुम नव-नव रूप धरे आओ प्राणों में।
मृदु गंध-वर्ण में, आओ तुम गानों में।
आओ अंगों में पुलकित परस सरस भर,
आनंद सुधा-सिंचन से भर उर-अंतर,
आओ दो हर्ष विमुग्ध मुँदे नैनों में।
आओ हे कांत विमल उज्ज्वलतर आओ,
आओ प्रशांत तुम हे चिर सुन्दर आओ,
आओ विधान के बहु विचित्र दानों में।
(क) ‘मुँदे नैनों को क्या कहा गया है? और क्यों?
(ख) ‘उर-अंतर’ शब्द का अर्थ क्या है? कवि अपने ‘उर-अंतर’ में क्या भरना चाहता है?
(ग) परमात्मा के लिए क्या विशेषण प्रयुक्त हुए हैं?
उत्तर-
(क) मुँदे नैनों को ‘हर्ष विमुग्ध’ कहा गया है क्योंकि वे परमात्मा के दर्शन हेतु आनंद से सराबोर हैं।
(ख) ‘उर-अंतर’ शब्द का अर्थ है-हृदय के भीतर। कवि अपने ‘उर-अंतर’ में आनन्द रूपी
अमृत भरना चाहता है। (ग) परमात्मा के लिए प्रशांत, चिरसुन्दर तथा उज्ज्वलतर विशेषण प्रयुक्त हुए हैं ।

खण्ड ‘ख’ : व्याकरण
3. (क) निम्नलिखित शब्दों का वर्ण-विच्छेद कीजिए-
(i) कृत्रिम
(ii) विद्यालय

(ख) निम्नलिखित शब्दों में से अनुस्वार के उचित प्रयोग वाले शब्द छाँटकर लिखिए-
(i) संतुलन
(ii) मंहगाई
(iii) पत्रिकाएँ
(iv) संकलित

(ग) निम्नलिखित शब्दों में उचित स्थानों पर लगे अनुनासिक वाले शब्द छाँटिए-
(i) रँगीला
(ii) हिंसा
(iii) मुँह
(iv) उत्तरांचल

(घ) निम्न शब्दों में उचित स्थान पर लगे नुक्तों के प्रयोग वाले शब्द लिखिए-
(i) दरवाजा
(ii) लिफ़ाफे
(iii) नुक्ते
(iv) पाजी
उत्तर-
(क) (i) क + ऋ + + र् + इ + म् + अ ।
(ii) व् + इ + + य् + आ + ल् + अ + य् + अ
(ख) संतुलन, संकलित
(ग) हँगीला, मुंह।
(घ) दरवाज़ा, लिफ़ाफे।

4. (क) निम्नलिखित शब्दों में से मूल शब्दों एवं उपसर्गों को अलग-अलग करके लिखिए-
(i) प्रवचन
(ii) विक्रेता
(ख) निम्नलिखित शब्द में मूल शब्द व प्रत्यय को अलग-अलग करके लिखिए-
रसीला
उत्तर-

(क) (i) उपसर्ग + मूलशब्द (ii) उपसर्ग + मूलशब्द
प्र + वचन वि + क्रेता
(ख) (i) उपसर्ग + मूलशब्द
रस + लीला

5. (क) निम्नलिखित शब्दों का संधि-विच्छेद कीजिए-
(i) तथैव
(ii) सम्भाषण
(ख) निम्नलिखित शब्दों में संधि कीजिए-
(i) स्व + इच्छा
(ii) पूर्वं + उक्त
(ग) निम्नलिखित में विरामचिहन लगाइए
(i) वह लड़की जो कल यहाँ थी भाग गई।
(ii) कभी कभी ऊपरवाले को भी याद कर लिया करो
(iii) क्या आप पढ़ने नहीं गए।
उत्तर-
(क) (i) तथा + एव
(ii) सम् + भाषण
(ख) (i) स्वेच्छा
(ii) पूर्वोक्त
(ग) (i) वह लड़की, जो कल यहाँ थी, भाग गई।
(ii) कभी-कभी ऊपर वाले को भी याद कर लिया करो।
(iii) क्या आप पढ़ने नहीं गए?

खण्ड ‘ग’ : पाठ्यपुस्तक व पूरक पाठ्यपुस्तक
6. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
(क) रामन् के प्रारम्भिक शोधकार्य को आधुनिक हठयोग क्यों कहा गया है?
(ख) अतिथि के दूसरे दिन भी ठहर जाने के उपरान्त लेखक ने किस आशा के साथ अतिथि का सत्कार किया? और, किस रूप में? ।
(ग) खम्भात के पास किस नदी के आगे कीचड़-ही-कीचड़ दिखाई देती है? ‘कीचड़ का काव्य’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर-
(क) हठयोग का अर्थ-ऐसा योग जिसमें ऐसी ज़िद्द हो जिसे किसी तरह से भी गिराया न जा सके, शोधकार्य के लिए परिस्थितियाँ का विरोध करते हुए सरकारी नौकरी करते हुए सीमित संसाधनों के बावजूद शोध जारी व्याख्यात्मक हल :
रामन् प्रारम्भिक शोधकार्य को आधुनिक हठयोग इसलिए कहा गया है, क्योंकि वे दफ्तर में काम करने के पश्चात् बहू बाजार में स्थित ‘इण्डियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस’ की प्रयोगशाला में जाते थे। वहाँ जाकर गहरी लगन, तीव्र इच्छा शक्ति से काम चलाऊ उपकरणों से भी शीघ्र काम करते थे, जो कि अपने आप में आधुनिक हठयोग ही था।
(ख) अगर विदा होते तो हम तुम्हें स्टेशन तक छोड़ने जाते।
व्याख्यात्मक हल :
अतिथि के दूसरे दिन भी ठहर जाने के उपरान्त लेखक ने दोपहर के भोजन को लंच की गरिमा प्रदान की और रात्रि में सिनेमा दिखाया। लेखक ने सोचा कि इसके बाद तुरंत भावभीनी विदाई होगी। वह अतिथि को विदा करने स्टेशन तक जाएँगे। इसी आशा के साथ लेखक ने दूसरे दिन भी अतिथि का सत्कार किया।
(ग) महानदी।
व्याख्यात्मक हल :
खम्भात के पास महा नदी के आगे कीचड़-ही-कीचड़ दिखाई देती है।

7. हिमपात किस तरह होता है और उससे क्या-क्या परिवर्तन आते हैं?
उत्तर-
हिमपात में बर्फ गिरती है। कभी-कभी बर्फ के भारी टुकड़े भी गिरते हैं। हिमपात अनिश्चित और अनियमित होता है। इससे अनेक प्रकार के परिवर्तन आते रहते हैं। ग्लेशियर के बहने से अक्सर बर्फ में हलचल हो जाती है जिससे बर्फ की चट्टानें तत्काल गिर जाती हैं। इससे धरातल पर दरारें पड़ जाती हैं और यह दरारें-चौड़े हिमविदर में बदल जाती हैं। यह स्थिति कभी-कभी खतरनाक रूप धारण कर लेती है।

अथवा

गोधूलि का गाँव से क्या सम्बन्ध है?
उत्तर-
अथवा गाँव की अपनी संपत्ति है। यह शहरों के हिस्सों नहीं आई। गाँवों के कच्चे रास्तों पर संध्या समय जब ग्वाले अपनी गायों को चराकर लौटते हैं तो अपने तथा गायों के पैरों से उड़ने वाली धूल अस्त होते हुए सूर्य की सुनहरी किरणों में रंगकर स्वर्णमयी हो जाती है। यह हाथी-घोड़ों के पग संचालन से उत्पन्न होने वाली धूल नहीं है। यह गो-गोपालों के पगों की धूलि है।
व्याख्यात्मक हल :
गोधूलि गाँव की अपनी संपत्ति है यह शहरों के हिस्से नहीं आई है, क्योंकि गोधूलि वास्तविक अर्थ में सिर्फ गाँव में ही मौजूद रहती है। गोधूलि का अर्थ है गायों व गोपालकों के पैरों की धूल। गाँव के कच्चे रास्तों पर संध्या समय जब ग्वाले अपनी गायों को चराकर लौटते हैं तो उनके तथा गायों के पैरों से उड़ने वाली धूल अस्त होते हुए सूर्य की सुनहरी किरणों में रंगकर स्वर्णमयी हो जाती है। यह हाथी, घोड़ों के चलने से उड़ने वाली धूल नहीं है। गो-गोपालकों के पदों की धूलि गाँव की कच्ची मिट्टी की सड़कों पर ही उड़ सकती है। शहरों में न तो गायें गाँव की तरह समूह में चलती हैं व न ही गोपालक। अत: गोधूलि से गाँव का अटूट सम्बन्ध है।

8. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(क) कौन-सा डर सच्चाई में बदल गया और कैसे? ‘एक फूल की चाह’ कविता के आधार पर लिखिए।
(ख) “गीत-अगीत” कविता के आधार पर बताइए कि प्रेमिका स्वयं गीत की कड़ी क्यों बन जाना चाहती है?
(ग) ‘जूही की डाल-से खुशबूदार हाथ’ पंक्ति में किन लोगों के हाथों का वर्णन है?
उत्तर-
(क) सुखिया ज्वर से तपने लगी और वह महामारी की चपेट में आ गई।
व्याख्यात्मक हल :
सुखिया के घर के आस-पास महामारी बहुत फैल गयी थी जिसकी चपेट में आकर कई बच्चों की मृत्यु हो चुकी थी। सुखिया के पिता के मन में यही डर था कि कहीं उसकी बेटी सुखिया भी इस महामारी की चपेट में न आ जाये इसलिये वे सुखिया को बाहर जाकर खेलने से मना करते थे उनका यही डर सच्चाई में बदल गया। सुखिया को तेज बुखार आ गया और उसका शरीर गर्म हो उठा ।
(ख) प्रेमिका गीत की कड़ी बनकर अपने प्रेमी की तरह अपने भावों को अभिव्यक्त करना चाहती है। अपने प्रेमी के प्रति अपनी भावनाओं को स्वर देना चाहती है। अपने अगीत को गीत बनाना चाहती है। (ग) ‘जूही की डाल से खुशबूदार हाथ’ नव युवतियों के नाजुक और कोमल हाथों का वर्णन किया है।

9. ‘एक फूल की चाह’ कविता का प्रतिपाद्य लिखिए।
उत्तर-
एक मरणासन्न अछूत कन्या के मन में यह चाह उठी कि काश ! कोई उसे देवी के चरणों में अर्पित किया हुआ एक फूल लाकर दे दे । कन्या के पिता ने बेटी की मनोकामना पूर्ण करने का बीड़ा उठाया। वह देवी के मंदिर में जा पहुँचा। देवी की आराधना भी की पर उसके बाद वह देवी के भक्तों को खटकने लगा। मानव मात्र को एकता का सन्देश देने वाली देवी के सवर्ण भक्तों ने उस विवश लाचार आकांक्षी अछूत पिता के साथ बदसलूकी की और उसे मंदिर में प्रविष्ट होने के अपराध में सात दिन के कारावास का दंड दिया। इन सात दिनों में उसकी बेटी का देहांत हो गया।

अथवा

‘अग्निपथ’ कविता में ‘अश्रु-स्वेद-रक्त से लथपथ’ मनुष्य के जीवन को एक महान दृश्य बताकर हमें क्या सन्देश दिया गया है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
जीवन-पथ अनुकूल और प्रतिकूल परिस्थितियों से भरा। लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए परिश्रम आवश्यक है। राह में विभिन्न घटनाओं का सामना करना पड़ेगा। जीवन में आँसू, पसीना और रक्त भी बहाना पड़ सकता है। पर हमें आगे ही बढ़ते जाना है। 38
व्याख्यात्मक हल :
कवि कहता है कि जीवन पथ अनुकूल और प्रतिकूल दोनों प्रकार की परिस्थितियों से भरा हुआ है। यह संसार अग्नि से पूर्ण मार्ग के समान कठिन है और इस कठिन मार्ग का सबसे सुन्दर दृश्य कवि के अनुसार कठिनाइयों का सामना करते हुए आगे बढ़ना है। संघर्ष-पथ पर चलने पर उसकी (मनुष्य की) आँखों से आँसू बहते हैं, शरीर से पसीना निकलता है और खून बहता है, फिर भी वह इन सब की परवाह किए बिना निरन्तर परिश्रम करते हुए संघर्ष-पथ पर बढ़ता जाता है।

10. टीलियापुरा कस्बे में लेखक का परिचय किन दो प्रमुख हस्तियों से हुआ? समाज कल्याण के कार्यों में उनका क्या योगदान था?
उत्तर-
टीलियापुरा कस्बे में लेखक का परिचय सबसे पहले वहाँ के प्रसिद्ध लोकगायक हेमन्त कुमार जमातिया से हुआ। वे संगीत नाटक अकादमी द्वारा पुरस्कृत भी हो चुके थे। वे त्रिपुरा के एक कबीले से सम्बन्धित थे। जवानी के समय वे पीपुल्स लिबरेशन
ऑर्गनाइजेशन में कार्य करते थे। लेखक जब उनसे मिला था उस समय उन्होंने हथियारों से संघर्ष का रास्ता छोड़ दिया था और जिला परिषद् के सदस्य के रूप में लोगों की सेवा में लगे हुए थे। लेखक वहाँ एक और हस्ती से मिला। मंजु ऋषिदास जो एक गायिका थीं। वह अनपढ़ थीं। वह रेडियो कलाकार होने के साथ नगर पंचायत में अपने वार्ड का प्रतिनिधित्व करती थीं। उन्होंने अपने वार्ड में स्वच्छ पेयजल और गलियों में ईट बिछाने का कार्य करवाया।

अथवा

‘स्मृति’ कहानी बाल मनोविज्ञान को किस प्रकार प्रकट करती है? बच्चों के स्वभाव, उनके विचारों के विषय में हमें इससे क्या जानकारी मिलती है?
उत्तर-
(i) बच्चे मार से, डाँट से बहुत डरते हैं।
(ii) शरारतें करना उनका स्वभाव है।
(iii) खतरे उठाना, जोखिम लेना उन्हें अच्छा लगता है।
(iv) बच्चे अपनी माँ को मुसीबत में बहुत याद करते हैं।
(v) अधिकतर बच्चे ईमानदार व जिम्मेदार होते हैं।
व्याख्यात्मक हल :
बाल मस्तिष्क हर समय सूझ-बूझ से कार्य करने में सक्षम नहीं होता। बच्चे शरारतों का ध्यान आते ही अपने चंचल मन को रोक नहीं पाते। खतरे उठाने, जोखिम लेने, साहस का प्रदर्शन करने में उन्हें आनन्द आता है। वे अपनी जान को खतरे में डालने से भी नहीं चूकते। लेकिन बच्चों का हृदय बहुत कोमल होता है। बच्चे मार व डॉट से बहुत डरते हैं। जिस तरह लेखक बड़े भाई की डाँट व मार के डर से तथा चिट्ठियों को समय पर पहुँचाने की जिम्मेदारी की भावना के कारण जहरीले साँप तक से भिड गया। बच्चे अधिकतर ईमानदार होते हैं, वे बड़ों की भाँति न होकर छल व कपट से दूर होते हैं। मुसीबत के समय बच्चों को सबसे अधिक अपनी माँ की याद आती है। माँ के आँचल में वे स्वयं को सबसे अधिक सुरक्षित महसूस करते हैं।

अथवा

सत्यार्थ प्रकाश की रचना किसने की थी और इसे पढ़कर लेखक रोमांचित क्यों हो जाता था?
उत्तर-
स्वामी दयानन्द सरस्वती ने। पुस्तक की रोचक शैली, चित्रों से सुसज्जित, पाखण्डों का विरोध, चूहे द्वारा भोग खाना, प्रतिमा को भगवान न मानना, घर छोड़ तीर्थों-जंगलों, गुफाओं-हिमशिखरों पर साधुओं संग घूमना, ईश्वर-सत्य की तलाश। समाज-मानव विरोधी रूढ़ियों का खण्डन अपने से हारे को क्षमादान। (प्रेरणा छात्र-रुचि अनुसार लेखन)
व्याख्यात्मक हल :
सत्यार्थ प्रकाश की रचना स्वामी दयानन्द सरस्वती ने की थी। सत्यार्थ प्रकाश की भाषा-शैली अत्यन्त रोचक है। इसमें दयानन्द जी के द्वारा पाखंडों का घोर विरोध किया गया है। लेखक स्वामी दयानन्द के जीवन की दो घटनाओं को पढ़कर सर्वाधिक रोमांचित हुआ; जैसे-चूहे को भगवान का भोग खाते देखकर मान लेना कि मूर्तियाँ भगवान नहीं होतीं, घर छोड़कर तीर्थों, जगलों, गुफाओं और हिमशखरों पर साधुओं के साथ घूमना, उनकी संगत करना और ईश्वर की तलाश करना। उनके द्वारा समाजमनाव विरोधी रूढ़ियों (रीति-रिवाजों) का भारी विरोध और खण्डन किया गया। उन्होंने अपने से हारने वाले को दण्ड के स्थान पर क्षमादान देने का सन्देश भी दिया है।

खण्ड “घ’ : लेखन
11. दिए गए संकेत बिन्दुओं के आधार पर किसी एक विषय पर लगभग 80 से 100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए-
(क) मेरा देश महान अथवा राष्ट्र हमारा हमको प्यारा
(i) भारत की सभ्यता
(ii) हमारी माँ भारती
(iii) भारत-विश्व गुरु, सोने की चिड़िया
(iv) विभिन्नता में एकता
(v) राष्ट्र-प्रेम

(ख) नर हो, न निराश करो मन को
(i) विपरीत परिस्थितियों में निराश न होना
(ii) मानव के गुण
(iii) कर्मशील मानव
(iv) हताश न होकर गलतियों से सबक लेना
(ग) आजादी अभी अधूरी है।
(i) आजादी का महत्व
(ii) पूर्ण आजादी से तात्पर्य
(iii) आजादी की सुरक्षा कैसे ।।
उत्तर-
(क)                                                                                  मेरा देश महान्

अथवा

                                                                                     राष्ट्र हमारा हमको प्यारा
भारत की सभ्यता और संस्कृति संसार की प्राचीनतम सभ्यताओं में गिनी जाती है। मानव-संस्कृति के आदि ग्रन्थ ऋग्वेद की रचना का श्रेय इसी देश को प्राप्त है। जिस समय संसार का एक बड़ा भाग घुमंतू जीवन बिता रहा था, हमारा देश भारत उच्चकोटि की नागरिक सभ्यता का विकास कर चुका था। भारत संसार के देशों का सिरमौर है। यह प्रकृति की पुण्य लीलास्थली है। माँ भारती के सिर पर हिमालय मुकुट के समान शोभायमान है। गंगा तथा यमुना इसके गले का हार हैं। दक्षिण में हिन्द महासागर भारतमाता के चरणों को निरन्तर धोता रहता है। इस देश की उर्वरा धरती अन्न के रूप में सोना उगलती है। संसार में केवल यही एक देश है जहाँ षड्ऋतुओं का आगमन होता है। हमारा प्यारा देश ‘विश्व गुरु’ रहा है। यहाँ की कला, ज्ञान-विज्ञान, ज्योतिष, आयुर्वेद संसार के प्रकाशदाता रहे हैं। यह देश ऋषि-मुनियों, धर्म-प्रवर्तकों तथा महान् कवियों ने बनाया है। भारत पर प्रकृति की विशेष कृपा है। यहाँ पर खनिज पदार्थों का पर्याप्त भण्डार है। अपनी अपार सम्पदा के कारण ही इसे ‘सोने की चिड़िया’ की संज्ञा दी गई है। भारत की धरती को धर्म भूमि कहा जाता है। कारण यह है कि यहाँ विश्व के महानतम धर्मों ने जन्म लिया। यहाँ के लोगों ने धर्मों को। सम्मान दिया, सबको फलने-फूलने का अवसर दिया। सचमुच मेरा देश सबसे अनोखा है। भारत की संस्कृति में विभिन्नता में एकता है। सभी धर्मों, पूजा पद्धतियों, सम्प्रदायों को यहाँ सम्मान मिला है। हमने बाहर से आने वाले लोगों को प्रेम से गले लगाया। हम अपने राष्ट्र से इतना प्रेम करते हैं कि इसके सम्मान की रक्षा के लिए अपना सब कुछ बलिदान दे सकते हैं।

(ख)                                                                        नर हो, न निराश करो मन को
‘नर हो, न निराश करो मन को’ पंक्ति मानव को यही प्रेरणा देती है कि तुम मनुष्य हो, केवल तुम ही कर्मशील, बुद्धिमान तथा चिन्तनशील प्राणी हो। यदि कभी परिस्थितियों ने तुम्हें अपना लक्ष्य प्राप्त करने में बाधा पहुँचाई तथा कठिनाइयों ने तुम्हारा मार्ग अवरुद्ध कर दिया, तो इसमें निराशा की कौन-सी बात है? जीवन में सफलता-असफलता, हानि-लाभ, जय-पराजय, आशा-निराशा तो धूप-छाँव की तरह आतीजाती रहती हैं। यदि एक बार लक्ष्य-प्राप्ति में असमर्थ हो गए, तो इसमें थककर बैठने से काम थोड़े ही चलेगा। निराशा, मानव का गुण नहीं है। मानव का गुण है-उत्साह एवं आत्मविश्वास। अरे, तुम में भी परमात्मा का अंश है। अपने बुद्धि-बल के सहारे तुम क्या कुछ प्राप्त नहीं कर सकते। कालान्तर में भी प्राकृतिक प्रकोपों, महामारियों तथा विरोधी शक्तियों ने मानव-प्रगति का मार्ग अवरुद्ध करने का प्रयास किया है, तो क्या वह हार मानकर बैठा रहा? क्या उसने अपनी दृढ़ता और साहस का परिचय देकर सफलता प्राप्त नहीं की। मनुष्य का निराश या हताश होकर बैठ जाना उसकी क्षमताओं, योग्यताओं तथा आत्मविश्वास का अपमान है। अत: मानव की चाहिए कि निराशा और उदासी को अपने पास न फटकने दे और कर्मशील बनकर ‘मानव’ नाम को सार्थक बनाए। आज मानव जाति ने वैज्ञानिक क्षेत्र में आशातीत प्रगति की है, किन्तु ये सफलताएँ अनायास नहीं मिल गई। कई बार उसके राकेट समुद्र में गिर गए तब उसने अपनी गलतियों से सबक लिया और अन्तत: सफलता अर्जित की। ‘गिरते है शहसवार ही मैदाने जंग में। ‘उड़ान ताकत से नहीं हौसले से होती है अत: व्यक्ति को कभी निराश नहीं होना चाहिए। कामायनी में कहा गया है।

पराजय का बढ़ता व्यापार
हँसाता रहे उसे सविलास ।।

पराजय मिलने पर भी यदि हम हँस सकते हैं तो अन्ततः हमें सफलता अवश्य मिलेगी। हमें हर हाल में आशा बनाए रखनी चाहिए क्योंकि कहा गया है-‘मन के हारे हार है मन के जीते जीत’।

(ग)                                                                         आज़ादी अभी अधूरी है
स्वतंत्रता मनुष्य की स्वाभाविक वृत्ति है। स्वतंत्रता मनुष्य को ही नहीं बल्कि जीवजंतुओं तथा पक्षियों को भी प्रिय है। कहा भी गया है- पराधीन सपनेहुँ सुख नाहिं। अंग्रेजों की गुलामी को भारतवासी कैसे सहन कर सकते थे! वे इस गुलामी की जंजीरों को काटने का अनवरत प्रयास करते रहे और अंततः 15 अगस्त, 1947 को शताब्दियों से खोई स्वतंत्रता हमें पुन: प्राप्त हो गई। इस दिन को हम ‘स्वतंत्रता दिवस’ के रूप में मनाने लगे। हमें यह आजादी अनेक बलिदानों के पश्चात् प्राप्त हुई है, परन्तु यह अभी पूर्ण आजादी नहीं है। हम आज भी मानसिक तौर पर गुलाम हैं। हमें इस स्वतंत्रता की रक्षा के लिए सदैव सजग रहना चाहिए। स्वार्थवश कोई ऐसा कार्य न करें, जिससे भारत कलंकित हो अथवा इसकी स्वतंत्रता को कोई हानि पहुँचाए। इसके लिए भारतीयों को न सिर्फ बाहरी ताकतों से अपितु देश के भीतर छिपे गद्दारों से भी सावधान रहने की आवश्यकता है। इसके लिए हम सभी को देशभक्ति की भावना को जाग्रत करना होगा। अपने अधिकारों के साथ अपने कर्तव्यों का भी पालन करना होगा। अपनी कानून व्यवस्था को दुरुस्त करना होगा, तभी हम अपनी आजादी को सुरक्षित रख पायेंगे।

12. मकान नं. 12, गली फूलवती, आदर्श नगर, दिल्ली में रहने वाली राधा की ओर से मकान मालिक को घर की मरम्मत करवाने का अनुरोध करते हुए पत्र लिखिए।
उत्तर-

मकान मालिक को पत्र

12, गली फूलवाली
आदर्श नगर, दिल्ली।
दिनांक : 14 मई, 20..
सेवा में,
श्री रामअवतार जी,
सदर, अलीगढ़
महोदय ।
मुझे यह सूचित करते हुए बहुत खेद हो रहा है, कि तेज वर्षा के कारण आपका मकान काफी मात्रा में क्षतिग्रस्त हो गया है। यमुना का पानी मकान में काफी भर गया था। सामने वाली दीवार तो कुछ दिन बाद ही गिर गयी थी तथा दो कमरों की छतों से भी पानी टपकने लगा था। मुझे यह भय बना हुआ है कि मकान किसी हादसे का सबब न बन जाए।

मेरा काफी सामान भी पानी से भीग जाने के कारण खराब हो गया है अत: कमरों के बाहर ही सामान रखना पड़ रहा है। आपसे अनुरोध है कि मकान की स्थिति का निरीक्षण कर इसकी मरम्मत कराने का प्रबन्ध करें।
आशा है आप मेरी कठिनाइयों को ध्यान में रखते हुए शीघ्र ही मकान की मरम्मत कराने की कृपा करेंगे।
धन्यवाद
भवदीय
राधा

अथवा

अपने छोटे भाई को कुसंगति की हानियाँ बताते हुए एक पत्र लिखिए।
उत्तर-

छोटे भाई को पत्र

प्रिय रोहित,
सदा प्रसन्न रहो।
यहाँ सभी कुशलपूर्वक हैं। आशा है तुम स्वस्थ और प्रसन्न होंगे। कल ही तुम्हारे छात्रावास के अधीक्षक का एक पत्र पिताजी को प्राप्त हुआ, जिसे पढ़कर उन्हें बहुत चिन्ता हुई। पत्र में उन्होंने लिखा है कि आपका बेटा आजकल कुसंगति में पड़ गया है। यदि उसे नहीं रोका गया तो छात्रावास से निष्कासित कर दिया जाएगा। भाई, ध्यान रखो कि कुसंगति से मनुष्य पतन की ओर चला जाता है और अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में असफल हो जाता है। विद्यार्थी जीवन तो भविष्य की तैयारी हेतु होता है। मेरी सलाह है कि तुम ऐसे लड़कों की संगति का त्याग शीघ्र कर दो और अपनी पढ़ाई की ओर ध्यान दो। मुझे विश्वास है कि तुम सही मार्ग पर अग्रसर होगे तथा परिवारीजनों को निराश नहीं करोगे। अपनी कुशलता का समाचार देना।
तुम्हारा बड़ा भाई
मोहित अग्रवाल
B-189, मानस नगर
शाहगंज, आगरा।

13. दिए गए चित्र को ध्यान से देखकर अपने मन में उभरे विचारों को अपनी भाषा में लगभग 20-30 शब्दों में प्रस्तुत कीजिए। विचारों का वर्णन स्पष्ट रूप में चित्र से होना चाहिए।
Solved CBSE Sample Papers for Class 9 Hini B Paper 4 13
उत्तर-
(i) यह चित्र एक वन्य जीव अभयारण क्षेत्र का है।
(ii) इसमें एक शेर छोटी पहाड़ी पर खड़ा हुआ है।
(iii) उसके पीछे ढलता हुआ सूरज दिखाई दे रहा है।
(iv) ऐसा प्रतीत हो रहा है, जैसे शेर हमसे कह रहा हो कि हमारे ही कारण उसका जीवन संकट में फस गया है।
(v) जंगल समाप्त होने के कारण ही आज उसे संरक्षण की आवश्यकता पड़ रही है।
(vi) हमसे अनुरोध कर रहा हो कि जंगल मत काटो, उसका शिकार मत करो।

14. समाज में लड़कियों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठ रहे हैं। आत्मसुरक्षा की सीख देते हुए एक माँ और बेटी का संवाद 50 शब्दों में लिखिए।
उत्तर-

माँ और बेटी का संवाद

माँ – लड़कियों को अपनी सुरक्षा के प्रति खुद ही जागरुक रहना चाहिए।
बेटी – हाँ माँ! आप ठीक कह रही हैं। आजकल हमारे कॉलेज में आत्मरक्षा करने के सम्बन्ध में शिविर लगाकर जानकारी दी जा रही है।
माँ – कैसी जानकारी ?
बेटी – शारीरिक हिंसा से बचाव के दाँव-पेंच व शरीर को चुस्त व दुरुस्त रखने के व्यायाम सिखाते हैं – अचानक हुए आक्रमण से बचाव व स्वयं आक्रमण करने के तरीके बताते हैं।
माँ – अच्छा, तो यह सब लड़कियों को अवश्य सिखाना चाहिए।
बेटी – हमारे कॉलेज की अधिकतर लड़कियाँ अपनी आत्मरक्षा के तरीके सीख चुकी
माँ – लेकिन इसके अलावा लड़कियों का पहनावा भी मर्यादित रखना चाहिए। किसी की भी बातों पर सहज विश्वास नहीं करना चाहिए। सुनसान एवं बिना जानी-पहचानी जगह पर सुरक्षा के साथ ही जाना चाहिए। किसी भी समस्या या ‘ परेशानी के सम्बन्ध में घर के लोगों को तुरन्त बताकर सलाह-मशविरा कर लेना चाहिए। खास व विश्वास के मित्रों को ही फोन नम्बर आदि देना चाहिए।

15. आपने अपने शहर में डिजाइनर बुटिक खोला है। उसके प्रचार के लिए 20-50 शब्दों में एक विज्ञापन तैयार कीजिए। 5
उत्तर-
Solved CBSE Sample Papers for Class 9 Hini B Paper 4 15

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