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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitiz Chapter 4 साँवले सपनों की याद

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitiz Chapter 4 साँवले सपनों की याद is part of NCERT Solutions for Class 9 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitiz Chapter 4 साँवले सपनों की याद.

BoardCBSE
TextbookNCERT
ClassClass 9
SubjectHindi Kshitiz
ChapterChapter 4
Chapter Nameसाँवले सपनों की याद
Number of Questions Solved24
CategoryNCERT Solutions

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kshitiz Chapter 4 साँवले सपनों की याद

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
किस घटना ने सालिम अली के जीवन की दिशा को बदल दिया और उन्हें पक्षी प्रेमी बना दिया?
उत्तर-
एक बार सालिम अली के बचपन में उनकी एअरगन से घायल होकर एक गौरैया गिर पड़ी। सालिम अली ने इस पक्षी की देखभाल, सुरक्षा और इसके बारे में नाना प्रकार की जानकारियाँ एकत्र करनी शुरू कर दी। इससे उनके मन में पक्षियों के प्रति रुचि उत्पन्न हुई। इस घटना और पक्षियों के बारे में बढ़ती रुचि और जिज्ञासा ने उन्हें पक्षी-प्रेमी बना दिया।

प्रश्न 2.
सालिम अली ने पूर्व प्रधानमंत्री के सामने पर्यावरण से संबंधित किन संभावित खतरों का चित्र खींचा होगा कि जिससे उनकी आँखें नम हो गई थीं?
उत्तर-
सालिम अली ने पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के सामने रेगिस्तानी हवा के गरम झोकों और उसके दुष्प्रभावों का उल्लेख किया। यदि इस हवा से केरल की साइलेंट वैली को न बचाया गया तो उसके नष्ट होने का खतरा उत्पन्न हो जाएगा। प्रकृति के प्रति ऐसा प्रेम और चिंता देख उनकी आँखें नम हो गईं।

प्रश्न 3.
लॉरेंस की पत्नी फ्रीडा ने ऐसा क्यों कहा होगा कि ‘‘मेरी छत पर बैठने वाली गौरैया लॉरेंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती है?”
उत्तर-
लॉरेंस की पत्नी फ्रीडा ने ऐसा इसलिए कहा होगा क्योंकि फ्रीडा जानती थी कि लॉरेंस प्रकृति और पक्षियों से असीम प्रेम करते थे। वे अपने घर की छत पर बैठने वाली गौरैया को बहुत प्रेम करते थे। वे घंटों उसके साथ समय बिताते थे। गौरैया और लॉरेंस एक-दूसरे से घुल-मिल गए थे। पक्षियों के प्रति लॉरेंस के इसी प्रेम को वह बताना चाहती थी।

प्रश्न 4.
आशय स्पष्ट कीजिए-
(क) वो लॉरेंस की तरह, नैसर्गिक जिंदगी का प्रतिरूप बन गए थे।
(ख) कोई अपने जिस्म की हरारत और दिल की धड़कन देकर भी उसे लौटाना चाहे तो वह पक्षी अपने सपनों के गीत दोबारा कैसे गा सकेगा!
(ग) सालिम अली प्रकृति की दुनिया में एक टापू बनने की बजाए अथाह सागर बनकर उभरे थे।
उत्तर-
(क) लॉरेंस बनावट से दूर रहकर प्राकृतिक जीवन जीते थे। वे प्रकृति से प्रेम करते हुए उसकी रक्षा के लिए चिंतित रहते थे। इसी तरह सालिम अली ने भी प्रकृति की सुरक्षा, देखभाल के लिए प्रयास करते हुए सीधा एवं सरल जीवन जीते थे।

(ख) मृत्यु ऐसा सत्य है जिसके प्रभाव स्वरूप मनुष्य सांसारिकता से दूर होकर चिर निद्रा और विश्राम प्राप्त कर लेता है। उसका हँसना-गाना, चलना-फिरना सब बंद हो जाता है। मौत की गोद में विश्राम कर रहे सालिम अली की भी यही स्थिति थी। अब उन्हें किसी तरह से पहले जैसी अवस्था में नहीं लाया जा सकता था।

(ग) टापू समुद्र में उभरा हुआ छोटा भू-भाग होता है जबकि सागर अत्यंत विशाल और विस्तृत होता है। सालिम अली भी प्रकृति और पक्षियों के बारे में थोड़ी-सी जानकारी से संतुष्ट होने वाले नहीं थे। वे इनके बारे में असीमित ज्ञान प्राप्त करके अथाह सागर-सा बन जाना चाहते थे।

प्रश्न 5.
इस पाठ के आधार पर लेखक की भाषा-शैली की चार विशेषताएँ बताइए।
उत्तर-
‘साँवले सपनों की याद’ पाठ के आधार लेखक जाबिर हुसैन की भाषाशैली में निम्नलिखित विशेषताएँ दिखती हैं-

  1. बिंबात्मकता – लेखक द्वारा इस पाठ में जगह-जगह पर इस तरह शब्द चित्र प्रस्तुत किया है कि उसका दृश्य हमारी आँखों के सामने साकार हो उठता है; जैसे-
    • इस हुजूम में आगे-आगे चल रहे हैं, सालिम अली।
    • भीड़-भाड़ की जिंदगी और तनाव के माहौल से सालिम अली का यह आखिरी पलायन है।
    • मुझे नहीं लगता, कोई इस सोए पक्षी को जगाना चाहेगा।
  2. शब्दावली की विविधता – लेखक ने इस पाठ में मिली-जुली शब्दावली अर्थात् तत्सम्, तद्भव, देशज और विदेशी शब्दों का भरपूर प्रयोग किया है; जैसे-
    • यह सफ़र पिछले तमाम सफ़रों से भिन्न है।
    • जंगलों और पहाड़ों, झरनों और आबशारों को वे प्रकृति की नज़र से नहीं, आदमी की नज़र से देखने को उत्सुक रहते हैं।
    • कब माखन के भाँड़े फोड़े थे और दूध-छाली से अपने मुँह भरे थे।
    • इन जैसा बर्ड-वाचर’ शायद ही कोई हुआ हो।
    • जब वाटिका का माली सैलानियों को हिदायत देगा।
  3. मुहावरेदार भाषा – लेखक ने जगह-जगह मुहावरों का प्रयोग कर भाषा को सरस, रोचक एवं सजीव बना दिया है जैसे-
    • अब हिमालय और लद्दाख की बरफ़ीली जमीनों पर जीने वाले पक्षियों की वकालत कौन करेगा?
    • पर्यावरण के संभावित खतरों का जो चित्र सालिम अली ने उनके सामने रखा, उसने उनकी आँखें नम कर दी थीं।
    • यह दुनिया उन्होंने बड़ी मेहनत से अपने लिए गढ़ी थी।
  4. संवाद-शैली का प्रयोग – लेखक ने अपने इस संस्मरण में संवाद शैली द्वारा ऐसा प्रभाव उत्पन्न कर दिया है मानो दो व्यक्ति बातें कर रहे हों; जैसे-
    • मुझे नहीं लगता, कोई इस सोए हुए पक्षी को जगाना चाहेगा।
    • मेरी छत पर बैठने वाली गौरैया लॉरेंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती है।

प्रश्न 6.
इस पाठ में लेखक ने सालिम अली के व्यक्तित्व का जो चित्र खींचा है उसे अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
लेखक ने सालिम अली का जो चित्र खींचा है, वह इस प्रकार है-
सालिम अली प्रसिद्ध पक्षी-विज्ञानी होने के साथ-साथ प्रकृति-प्रेमी थे। एक बार बचपन में उनकी एअरगन से घायल होकर नीले कंठवाली गौरैया गिरी थी। उसकी हिफाजत और उससे संबंधित जानकारी पाने के लिए उन्होंने जो प्रयास किया, उससे पक्षियों के बारे में उठी जिज्ञासा ने उन्हें पक्षी-प्रेमी बना दिया। वे दूर-दराज घूम-घूमकर पक्षियों के बारे में जानकारी एकत्र रहे हैं और उनकी सुरक्षा के लिए चिंतित रहे। वे केरल की साइलेंट वैली को रेगिस्तानी हवा के झोकों से बचाने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह से भी मिले। वे प्रकृति की दुनिया के अथाह सागर बन गए थे।

प्रश्न 7.
‘साँवले सपनों की याद’ शीर्षक की सार्थकता पर टिप्पणी कीजिए।
उत्तर-
‘साँवले सपनों की याद’ नामक पाठ में प्रसिद्ध पक्षी-विज्ञानी सालिम अली के उन सपनों का चित्रण है जो वे खुली आँखों से देखते रहे और उन्हें अनुभव करते रहे। लेखक जाबिर हुसैन ने उन्हीं सपनों की यादों का शब्द चित्र इस संस्मरण में प्रस्तुत किया है। इसके अलावा पाठ में यमुना के साँवले पानी और वृंदावन से जुड़ी यादों का संगम है। इस तरह यह शीर्षक पूरी तरह सार्थक है।

रचना और अभिव्यक्ति

प्रश्न 8.
प्रस्तुत पाठ सालिम अली की पर्यावरण के प्रति चिंता को भी व्यक्त करता है। पर्यावरण को बचाने के लिए आप कैसे योगदान दे सकते हैं?
उत्तर-
‘साँवले सपनों की याद’ सालिम अली ने पर्यावरण के प्रति अपनी चिंता प्रकट की है। उन्होंने केरल की साइलेंट वादी को रेगिस्तानी हवा के झोंको से बचाने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री से मुलाकात की और उसे बचाने का अनुरोध किया। इस तरह अपने पर्यावरण को बचाने के लिए हम भी विभिन्न रूपों में अपना योगदान दे सकते हैं; जैसे-

  • अपने आस-पास पड़ी खाली भूमि पर अधिकाधिक पेड़-पौधे लगाएँ।
  • पेड़-पौधों को कटने से बचाने के लिए लोगों में जागरूकता पैदा करें।
  • लोगों को पेड़-पौधों की महत्ता बताएँ।।
  • हम जल स्रोतों को न दूषित करें और न लोगों को दूषित करने दें।
  • फैक्ट्रियों से निकले अपशिष्ट पदार्थों एवं विषैले जल को जलस्रोतों में न मिलने दें।
  • प्लास्टिक से बनी वस्तुओं का प्रयोग कम से कम करें।
  • इधर-उधर कूड़ा-करकट न फेंकें तथा ऐसा करने से दूसरों को भी मना करें।
  • विभिन्न रूपों में बार-बार प्रयोग की जा सकने वाली वस्तुओं का प्रयोग करें।
  • सूखी पत्तियों और कूड़े को जलाने से बचें तथा दूसरों को भी इस बारे में जागरूक करें।

अन्य पाठेतर हल प्रश्न

लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.
साँवले सपनों का हुजूम कहाँ जा रहा है? उसे रोकना संभव क्यों नहीं है?
उत्तर-
साँवले सपनों का हुजूम मौत की खामोश वादी की ओर जा रहा है। इसे रोकना इसलिए संभव नहीं है क्योंकि इस वादी ‘ में जाने वाले वे होते हैं जो मौत की गोद में चिर विश्राम कर रहे होते हैं। ये अपना जीवन जी चुके होते हैं।

प्रश्न 2.
‘मौत की खामोश वादी’ किसे कहा गया है? इसे घाटी की ओर किसे ले जाया जा रहा है?
उत्तर-
‘मौत की खामोश वादी’ कब्रिस्तान को कहा गया है। इस घाटी की ओर प्रसिद्ध पक्षी प्रेमी सालिम अली को ले जाया जा रहा है जो लगभग सौ वर्ष की उम्र में कैंसर नामक बीमारी का शिकार हो गए और मृत्यु की गोद में सो गए हैं।

प्रश्न 3.
सालिम अली के इस सफ़र को अंतहीन क्यों कहा गया है?
उत्तर-
सालिम अली के इस सफ़र को इसलिए अंतहीन कहा गया है क्योंकि इससे पहले वाले सफ़रों में सालिम अली जब पक्षियों की खोज में निकलते थे तो वे पक्षियों को देखते ही उनसे जुड़ी दुर्लभ जानकारियाँ लेकर लौट आते थे परंतु इस सफ़र का कोई अंत न होने से सालिम अली लौट न सकेंगे।

प्रश्न 4.
मृत्यु की गोद में सोए सालिम अली की तुलना किससे की गई है और क्यों?
उत्तर-
मृत्यु की गोद में सोए सालिम अली की तुलना उस वन-पक्षी से की गई है जो जिंदगी का आखिरी गीत गाने के बाद मौत की गोद में जा बसा हो। ऐसा इसलिए कहा गया है क्योंकि सालिम अली भी अपनी जिंदगी के सौ वर्ष जीकर मृत्यु को प्राप्त कर चुके हैं। अब वे पक्षियों के बारे में जानकारी एकत्र करने नहीं जा सकेंगे।

प्रश्न 5.
सालिम अली की दृष्टि में मनुष्य क्या भूल करते हैं? उन्होंने इसे भूल क्यों कहा?
उत्तर-
सालिम अली की दृष्टि में मनुष्य यह भूल करते हैं कि लोग पक्षियों जंगलों-पहाड़ों, झरने-आवशारों आदि को आदमी की निगाह से देखते हैं। उन्होंने इसे भूल इसलिए कहा क्योंकि मनुष्य पक्षियों, नदी-झरनों आदि को इस दृष्टि से देखता है कि इससे उसका कितना स्वार्थ पूरा हो सकता है।

प्रश्न 6.
वृंदावन में यमुना का साँवला पानी किन-किन घटनाओं की याद दिलाता है?
उत्तर-
वृंदावन में यमुना का साँवला पानी कृष्ण से जुड़ी विभिन्न घटनाओं की याद दिलाता है, जैसे-

  • कृष्ण द्वारा वृंदावन में रासलीला रचाना। चंचल गोपियों को अपनी शरारतों का निशाना बनाना।
  • माखन भरे बर्तन फोड़ना और दूध-छाली खाना।
  • वाटिका में घने पेड़ों की छाँव में बंशी बजाना और ब्रज की गलियों को संगीतमय कर देना जिसे सुनते ही लोगों के कदम ठहर जाना।

प्रश्न 7.
वृंदावन में सुबह-शाम सैलानियों को होने वाली अनुभूति अन्य स्थानों की अनुभूति से किस तरह भिन्न है?
उत्तर-
वृंदावन में सुबह-शाम सैलानियों को सुखद अनुभूति होती है। वहाँ सूर्योदय पूर्व जब उत्साहित भीड़ यमुना की सँकरी गलियों से गुजरती है तो लगता है कि अचानक कृष्ण बंशी बजाते हुए कहीं से आ जाएँगे। कुछ ऐसी ही अनुभूति शाम को भी होती है। ऐसी अनुभूति अन्य स्थानों पर नहीं होती है।

प्रश्न 8.
पक्षियों के प्रति सालिम अली की दृष्टि अन्य लोगों की दृष्टि में क्या अंतर है? ‘साँवले सपनों की याद’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर-
सालिम अली दूर-दूर तक पक्षियों की खोज में यात्रा करते थे। वे अत्यंत उत्साह से दुर्गम स्थानों पर भी पक्षियों की खोज करते, उनकी सुरक्षा के बारे में सोचते और उनसे जुड़ी दुर्लभ जानकारी हासिल करते थे परंतु अन्य लोग पक्षियों को अपने स्वार्थ और मनोरंजन की दृष्टि से देखते हैं।

प्रश्न 9.
‘बर्ड-वाचर’ किसे कहा गया है और क्यों?
उत्तर-
‘बर्ड-वाचर’ प्रसिद्ध पक्षी-प्रेमी सालिम अली को कहा गया है क्योंकि सालिम अली जीवनभर पक्षियों की खोज करते रहे। और उनकी सुरक्षा के लिए पूरी तरह समर्पित रहे। वे अपने सुख-दुख की चिंता किए बिना आँखों पर दूरबीन लगाए पक्षियों से जुड़ी जानकारी एकत्र करते रहे।

प्रश्न 10.
सालिम अली पक्षी-प्रेमी होने के साथ-साथ प्रकृति प्रेमी भी थे। साँवले सपनों की याद पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
सालिम अली पक्षियों से जितना लगाव रखते हुए उनकी सुरक्षा के लिए चिंतित रहते थे उतना ही वे प्रकृति और पर्यावरण की सुरक्षा के लिए भी चिंतित रहते थे। वे केरल की साइलेंट वैली को बचाने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह से मिले और वैली को बचाने का अनुरोध किया।

प्रश्न 11.
तहमीना कौन थीं? उन्होंने सालिम अली की किस तरह मदद की?
उत्तर-
तहमीना सालिम अली की सहपाठिनी थी जो बाद में उनकी जीवनसंगिनी बनी। उन्होंने सालिम अली के पक्षी-प्रेम के मार्ग में कोई बाधा नहीं खड़ी की। उन्होंने सालिम अली का साथ दिया और प्रकृति से जुड़ने में उनकी मदद की।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर

प्रश्न 1.
‘अब हिमालय और लद्दाख की बरफ़ीली जमीनों पर रहने वाले पक्षियों की वकालत कौन करेगा’? ऐसा लेखक ने क्यों कहा होगा? ‘सावले सपनों की याद’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
सालिम अली की मृत्यु पर लेखक के मस्तिष्क में उनसे जुड़ी हर यादें चलचित्र की भाँति घूम गईं। लेखक ने महसूस किया कि सालिम अली आजीवन पक्षियों की तलाश में पहाड़ जैसे दुर्गम स्थानों पर घूमते रहे। वे आँखों पर दूरबीन लगाए नदी के किनारों पर जंगलों में और पहाड़ जैसे दुर्गम स्थानों पर भी पक्षियों की खोज करते रहे और उनकी सुरक्षा के प्रति प्रयत्नशील रहे। वे पक्षियों को बचाने का उपाय करते रहे। इसके विपरीत आज मनुष्य पक्षियों की उपस्थिति में अपना स्वार्थ देखता है। सालिम अली के पक्षी-प्रेम को याद कर लेखक ने ऐसा कहा होगा।

प्रश्न 2.
फ्रीडा कौन थी? उसने लॉरेंस के बारे में क्या-क्या बताया?
उत्तर-
फ्रीडा डी.एच.लॉरेंस की पत्नी थीं। लॉरेंस के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया था कि मेरे लिए लॉरेंस के बारे में कुछ कह पाना असंभव-सा है। मुझे लगता है कि मेरे छत पर बैठने वाली गौरैया लॉरेंस के बारे में ढेर सारी बातें जानती है। वह मुझसे भी ज्यादा जानती है। वह सचमुच ही इतना खुला-खुला और सादा दिल आदमी थे। संभव है कि लॉरेंस मेरी रगों में, मेरी हड्डियों में समाया हो।

प्रश्न 3.
‘साँवले-सपनों की याद’ पाठ के आधार पर बताइए कि सालिम अली को नैसर्गिक जिंदगी का प्रतिरूप क्यों कहा गया है?
उत्तर-
सालिम अली महान पक्षी-प्रेमी थे। इसके अलावा वे प्रकृति से असीम लगाव रखते थे। वे प्रकृति के इतना निकट आ गए थे कि ऐसा लगता था कि उनका जीवन प्रकृतिमय हो गया था। सालिम अली प्रकृति के प्रभाव में आने के कायल नहीं थे। वे प्रकृति को अपने प्रभाव में लाना चाहते थे। पक्षी-प्रेम के कारण वे पक्षियों की खोज करते हुए प्रकृति के और निकट आ गए। नदी-पहाड़, झरने विशाल मैदान और अन्य दुर्गम स्थानों से उनका गहरा नाता जुड़ गया था। जिंदगी में अद्भुत सफलता पाने के बाद भी वे प्रकृति से जुड़े रहे। इस तरह उनका जीवन नैसर्गिक जिंदगी का प्रतिरूप बन गया था।

प्रश्न 4.
‘साँवले सपनों की याद’ पाठ के आधार पर सालिम अली के व्यक्तित्व की विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
सालिम अली दुबली-पतली काया वाले व्यक्ति थे, जिनकी आयु लगभग एक सौ वर्ष होने को थी। पक्षियों की खोज में की गई लंबी-लंबी यात्राओं की थकान से उनका शरीर कमजोर हो गया था। वे अपनी आँखों पर प्रायः दूरबीन चढ़ाए रखते थे। पक्षियों की खोज के लिए वे दूर-दूर तक तथा दुर्गम स्थानों की यात्राएँ करते थे। उनकी एअर गन से घायल होकर गिरी नीले कंठवाली गौरैया ने उनके जीवन की दिशा बदले दी। वे पक्षी प्रेमी होने के अलावा प्रकृति प्रेमी भी थे। वे प्रकृतिमय जीवन जीते थे और उसकी सुरक्षा के लिए प्रयासरत रहते थे। वे नदी पहाड़-झरनों आदि को प्रकृति की दृष्टि से देखते थे।

प्रश्न 5.
‘साँवले सपनों की याद’ पाठ के आधार पर बताइए कि सामान्य लोग पर्यावरण की रक्षा में अपना योगदान किस तरह दे सकते हैं?
उत्तर
‘साँवले सपनों की याद’ पाठ से ज्ञात होता है कि सालिम अली प्रकृति और उससे जुड़े विभिन्न अंगों-नदी, पहाड़, झरने, आबशारों आदि को प्रकृति की निगाह से देखते थे और उन्हें बचाने के लिए प्रयत्नशील रहते थे। उन्होंने केरल साइलेंट वैली को बचाने का अनुरोध किया। इसी तरह सामान्य लोग भी अपने पर्यावरण की रक्षा के लिए विभिन्न रूपों में अपना योगदान दे सकते हैं; जैसे-

  • अधिकाधिक पेड़ लगाकर धरती की हरियाली बढ़ाकर।
  • पेड़ों को कटने से बचाकर।
  • प्लास्टिक से बनी वस्तुओं का प्रयोग न करके।
  • अपने आसपास साफ़-सफ़ाई करके।
  • जल-स्रोतों को दूषित होने से बचाकर।
  • वन्य जीवों तथा पक्षियों की रक्षा करके मनुष्य पर्यावरण की सुरक्षा कर सकता है।

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