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NCERT Solutions for Class 12 Hindi Aroh Chapter 11 भक्तिन
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
पाठ के साथ
प्रश्न 1.
भक्तिन अपना वास्तविक नाम लोगों से क्यों छुपाती थी? भक्तिन को यह नाम किसने और क्यों दिया होगा? (CBSE-2008)
उत्तर:
भक्तिन का वास्तविक नाम लछमिन अर्थात् लक्ष्मी था जिसका अर्थ है धन की देवी। लेकिन लक्ष्मी के पास धन बिलकुल नहीं था। वह बहुत गरीब थी। इसलिए वह अपना वास्तविक नाम छुपाती थी। उसे यह नाम उसके घरवालों ने दिया होगा। भारतीय समाज में लड़की का पैदा होना वास्तव में लक्ष्मी का घर आना माना जाता है। इसलिए उसके जन्म लेने पर उसका यह नाम रख दिया।
प्रश्न 2.
दो कन्या रत्न पैदा करने पर भक्तिन पुत्र-महिमा में अंधी अपनी जेठानियों द्वारा घृणा व उपेक्षा का शिकार बनी। ऐसी घटनाओं से ही अकसर यह धारणा चलती है कि स्त्री ही स्त्री की दुश्मन होती है? क्यों इससे आप सहमत हैं? (CBSE-2011)
उत्तर:
हाँ मैं इस बात से बिलकुल सहमत हूँ। जब भक्तिन अर्थात् लछिमन ने दो पुत्रियों को जन्म दिया तो उसके ससुराल वालों ने उस पर घोर अत्याचार किए। उसकी जेठानियों ने उस पर बहुत जुल्म ढाए। इसी कारण उसकी बेटियों को दिन भर काम करना पड़ता था। इन सभी बातों से सिद्ध होता है कि स्त्री ही स्त्री की दुश्मन है। उसकी जेठानियों ने तो जमीन हथियाने के लिए लछमिन की विधवा बेटी से अपने भाई का विवाह करने की योजना बनाई, जब यह योजना नहीं सफल हुई तो लछमिन पर अत्याचार बढ़ते गए।
प्रश्न 3.
भक्तिन की बेटी पर पंचायत द्वारा जबरन पति थोपा जाना एक दुर्घटना भर नहीं, बल्कि विवाह के संदर्भ में स्त्री के मानवाधिकार (विवाह करें या न करें अथवा किससे करें) इसकी स्वतंत्रता को कुचलते रहने की सदियों से चली आ रही सामाजिक परंपरा का प्रतीक है। कैसे? (CBSE-2011)
उत्तर:
नारी पर अनादिकाल से हर फैसला थोपा जाता रहा है। विवाह के बारे में वह निर्णय नहीं ले सकती। माता-पिता जिसे चाहे वही उसका पति बन जाता है। लड़की की इच्छा इसमें बिलकुल शामिल नहीं होता। लड़की यदि मान जाती है, तो ठीक वरना उसकी शादी जबरदस्ती करवा दी जाती है। उसे इस बात का कोई अधिकार नहीं है कि वह किससे विवाह करे या किससे न करे। उसके इस मानवाधिकार को तो माता-पिता सदियों से कुचलते रहे हैं।
प्रश्न 4.
भक्तिन अच्छी है, यह कहना कठिन होगा, क्योंकि उसमें दुर्गुणों का अभाव नहीं। लेखिका ने ऐसा क्यों कहा होगा? (CBSE-2009)
उत्तर:
जब भक्तिन लेखिका के घर काम करने आई तो वह सीधी-सादी, भोली-भाली लगती थी लेकिन ज्यों-ज्यों लेखिका के साथ उसका संबंध और संपर्क बढ़ता गया त्यों-त्यों वह उसके बारे में जानती गई। लेखिका को उसकी बुराइयों के बारे में पता चलता गया। इसी कारण लेखिका को यह लगा कि भक्तिन अच्छी नहीं है। उसमें कई दुर्गुण हैं अतः उसे अच्छी कहना और समझना लेखिका के लिए कठिन है।
प्रश्न 5.
भक्तिन द्वारा शास्त्र के प्रश्न को सुविधा से सुलझा लेने का क्या उदाहरण लेखिका ने दिया है?
उत्तर:
जब लेखिका चोरी हुए पैसों के बारे में लछमिन से पूछती है तो वह कहती है कि पैसे मैंने सँभालकर रख लिए हैं। क्या अपने ही घर में पैसे सँभालकर रखना चोरी है। वह कहती है कि चोरी और झूठ तो धर्मराज युधिष्ठिर में भी होगा। नहीं तो वे श्रीकृष्ण को कैसे खुश रख सकते थे और संसार (अपने राज्य को कैसे) चला सकते थे। चोरी करने की घटनाओं और महाराज युधिष्ठिर के उदाहरणों के माध्यम से लेखिका ने शास्त्र प्रश्न को सुविधा से सुलझा लेने का वर्णन किया है।
प्रश्न 6.
भक्तिन के आ जाने से महादेवी अधिक देहाती कैसे हो गई? (CBSE-2014)
उत्तर:
भक्तिन के आ जाने से महादेवी ने लगभग उन सभी संस्कारों को, क्रियाकलापों को अपना लिया जो देहातों में अपनाए जाते हैं। देहाती की हर वस्तु, घटना और वातावरण का प्रभाव महादेवी पर पड़ने लगा। वह भक्तिन से सब कुछ जान लेती थी ताकि किसी बात की जानकारी अधूरी न रह जाए। धोती साफ़ करना, सामान बांधना आदि बातें भक्तिन ने ही सिखाई थी। वैसे देहाती भाषा भी भक्तिन के आने के बाद ही महादेवी बोलने लगी। इन्हीं कारणों से महादेवी देहाती हो गई।
पाठ के आसपास
प्रश्न 1.
‘आलो आँधारि’ की नायिका और लेखिका बेबी हालदार और भक्तिन के व्यक्तित्व में आप क्या समानता देखते हैं?
उत्तर:
बेबी हालदार का जीवन भी संघर्षशील रहा है। वह भी भक्तिने की तरह लोगों के घरों में काम करती है। लोगों के चौका बर्तन साफ़ कर अपना पेट पालती है। यही स्थिति भक्तिन की है। यद्यपि उसके पास सबकुछ था लेकिन जेठ-जेठानियों और दामाद ने उसे कंगाल बना दिया। वह काम की तलाश में शहर आ गई। बेबी हालदार और भक्तिन दोनों ही शोषण का शिकार रहीं।
प्रश्न 2.
भक्तिन की बेटी के मामले में जिस तरह फैसला पंचायत ने सुनाया, वह आज भी कोई हैरतअंगेज़ बात नहीं है। अखबारों या टी०वी० समाचारों में आने वाली किसी ऐसी ही घटना को भक्तिन के उस प्रसंग के साथ रखकर उस पर चर्चा करें।
उत्तर:
पिछले दिनों अखबारों में पढ़ा और टी०वी० पर देखा कि राजस्थान के एक गाँव में केवल दो साल की बच्ची के साथ एक 20 वर्षीय युवक ने बलात्कार किया। आरोपी को बाद में लोगों ने पकड़ भी लिया। पंचायत हुई। इस पंचायत में फैसला सुनाया गया कि आरोपी को दस जूते लगाए जाएँ। दस जूते लगाकर उसे छोड़ दिया गया। यह निर्णय हैरतअंगेज़ करने वाला था क्योंकि पंच लोग केवल दबंग लोगों का साथ देते हैं। चाहे वे कितना ही गलत कार्य क्यों न करें।
प्रश्न 3.
पाँच वर्ष की वय में ब्याही जानेवाली लड़कियों में सिर्फ भक्तिन नहीं है, बल्कि आज भी हज़ारों अभागिनियाँ हैं। बाल-विवाह और उम्र के अनमेलपन वाले विवाह की अपने आस-पास हो रही घटनाओं पर दोस्तों के साथ परिचर्चा करें।
उत्तर:
हमारे देश में नारी पर आज भी अत्याचार हो रहे हैं। अनपढ़ जनता पुरानी लीक पर चल रही है। पाँच वर्ष तो क्या दुधमुँही बच्ची की शादी की जा रही है। पश्चिमी राजस्थान, मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश के देहातों में एक महीने की बच्चियों का विवाह (गौना) किया जा रहा है। आए दिन अखबारों में पढ़ते हैं कि दो दिन की बच्ची की शादी कर दी। कई बार तो दस वर्ष की बच्ची की शादी तीस वर्ष के युवक के साथ कर दी जाती है।
प्रश्न 4.
महादेवी जी इस पाठ में हिरनी सोना, कुत्ता वसंत, बिल्ली गोधूलि आदि के माध्यम से पशु-पक्षी को मानवीय संवेदना से उकेरने वाली लेखिका के रूप में उभरती हैं। उन्होंने अपने घर में और भी कई-पशु-पक्षी पाल रखे थे तथा उन पर रेखाचित्र भी लिखे हैं। शिक्षक की सहायता से उन्हें ढूँढ़कर पढ़े। जो ‘मेरा परिवार’ नाम से प्रकाशित है।
उत्तर:
यह बात बिलकुल सत्य है कि महादेवी जी पशु-पक्षी के प्रति अधिक संवेदनशील थीं। उन्होंने कई प्रकार के पशु पक्षी पाल रखे थे। महादेवीजी ने अपने घर में हिरनी सोना, कुत्ता वसंत, बिल्ली गोधूलि के अतिरिक्त लक्का कबूतर, चित्रा बिल्ली, नीलकंठ मोर, कजली कुतिया, गिल्लू कौवा, दुर्मुख खरगोश, गौरा गऊ, रोजी कुतिया, निक्की नेवला और रानी घोड़ी आदि पशु पक्षी पाल रखे थे।
भाषा की बात
प्रश्न 1.
नीचे दिए गए विशिष्ट भाषा-प्रयोगों के उदाहरणों को ध्यान से पढ़िए और इनकी अर्थ-छवि स्पष्ट कीजिए
(क) पहली कन्या के दो संस्करण और कर डाले
(ख) खोटे सिक्कों की टकसाल जैसी पत्नी
(ग) अस्पष्ट पुनरावृत्तियाँ और स्पष्ट सहानुभूतिपूर्ण
उत्तर:
(क) इसका अर्थ है कि भक्तिन (लछमिन) ने एक कन्या को जन्म देने के बाद दो कन्याएँ और पैदा कीं। अब वह तीन कन्याओं की माँ बन चुकी थी। कन्या के संस्करण से आशय है कि उसी कन्या जैसी दो और कन्याएँ पैदा हुईं।
(ख) खोटा सिक्का कमियों से भरपूर होता है। उसमें बहुत कमियाँ होती हैं। पत्नी भी यदि खोटे सिक्कों की टकसाल हो तो वह कमियों की खान हैं अर्थात् उसमें बहुत से अवगुण हैं।
(ग) अस्पष्ट पुनरावृत्तियों से आशय है कि कि वही बातें बार-बार हो रही हैं जो पहले (अतीत) में होती रही हैं। स्पष्ट सहानुभूति से आशय है कि लोगों का दूसरों (अन्य लोगों) के प्रति झूठ-मूठ की सहानुभूति जताना अर्थात् संवेदनाहीन सहानुभूति प्रदर्शित करना। केवल औपचारिकता निभाने के लिए मेल-जोल रखना।
प्रश्न 2.
‘बहनोई’-शब्द ‘बहन (स्त्री) + ओई’ से बना है। इस शब्द में हिंदी भाषा की एक अनन्य विशेषता प्रकट हुई है। पुल्लिंग शब्दों में कुछ स्त्री-प्रत्यय जोड़ने से स्त्रीलिंग शब्द बनने की एक समान प्रक्रिया कई भाषाओं में दिखती है, परे स्त्रीलिंग शब्द में कुछ पुं. प्रत्यय जोड़कर पुल्लिंग शब्द बनाने की घटना प्रायः अन्य भाषाओं में दिखलाई नहीं पड़ती। यहाँ पुं. प्रत्यय ‘ओई’ हिंदी की अपनी विशेषता है। ऐसे कुछ और शब्द और उनमें लगे पुं. प्रत्ययों की हिंदी
तथा और भाषाओं की खोज करें।
उत्तर:
ननद + आई = ननदोई।
प्रश्न 3.
पाठ में आए लोकभाषा के इन संवादों को समझकर इन्हें खड़ी बोली हिंदी में ढालकर प्रस्तुत कीजिए।
(क) ई कउन बड़ी बात आय। रोटी बनाय जानित है, दाल रांध लेइत है, साग-भाजी बँउक सकित है, अउर बाकी का रहा।
(ख) हमारे मलकिन तौ रात-दिन कितबियन माँ गड़ी रहती हैं। अब हमहूँ पढ़ लागब तो घर-गिरिस्ती कउन देखी-सुनी।
(ग) ऊ बिचरिअउ तौ रात-दिन काम माँ झुकी रहती हैं, अउर तुम पचै घूमती-फिरती हौ चलौ तनिक हाथ बटाय लेउ।
(घ) तब ऊ कुच्छौ करिहैं-धरिहैं ना-बस गली-गली गाउत-बजाउत फिरिहैं।
(ङ) तुम पचै का का बताई-यहै पचास बरिस से संग रहित है।
(च) हम कुकुरी बिलारी न होयँ, हमार मन पुसाई तौ हम दूसरा के जाब नाहिं त तुम्हार पचै की छाती पै होरहा पूँजब और राज करब, समुझे रहो।
उत्तर:
(क) यह कौन – सी बड़ी बात है। रोटी बनाना जानती हूँ। दाल राँधना (पकाना) जानती हूँ। साग-सब्जी छौंक सकती हूँ। इतने काम कर लेती हूँ तो और बाकी क्या रहा।
(ख) हमारी मालकिन (अर्थात् महादेवी) तो दिन रात किताबों में गड़ी रहती हैं अर्थात् किताबें पढ़ती रहती हैं। यदि अब मैं भी पढ़ने लगी तो घर गृहस्थी कौन देखेगा।
(ग) वह बेचारी तो रात दिन काम में झुकी (डूबी) रहती है और तुम इधर-उधर घूमती रहती हो। चलो थोड़ा-सा काम में हाथ बटा लो।
(घ) तब वह कुछ भी करेगी – धरेगी नहीं। केवल गली-गली में गाती-बजाती फिरेगी अर्थात् बेकार में ही गलियों में घूमती रहेगी।
(ङ) तुम्हें लिखा – पढ़ी के बारे में क्या बताएँ। यह तो पचास वर्ष से मेरे साथ रहती है।
(च) हम कोई कुतिया या बिल्ली नहीं है। हमारे मन आया है तो यहीं रहेगी किसी दूसरे मर्द के घर नहीं जाएगी। हम तो तुम्हारी छाती पर बैठकर दलिया बनाएगी और राज करेंगी समझे।
प्रश्न 4.
भक्तिन पाठ में पहली कन्या के दो संस्करण जैसे प्रयोग लेखिका के खास भाषाई संस्कार की पहचान कराता है, साथ ही वे प्रयोग कथ्य को संप्रेषणीय बनाने में भी मददगार हैं। वर्तमान हिंदी में भी कुछ अन्य प्रकार की शब्दावली समाहित हुई है। नीचे कुछ वाक्य दिए जा रहे हैं जिससे वक्ता की खास पसंद का पता चलता है। आप वाक्य पढ़कर बताएँ कि इनमें किन तीन विशेष प्रकार की शब्दावली का प्रयोग हुआ, है? इन शब्दावलियों या इनके अतिरिक्त अन्य किन्हीं विशेष शब्दावलियों का प्रयोग करते हुए आप भी कुछ वाक्य बनाएँ और कक्षा में चर्चा करें कि ऐसे प्रयोग भाषा की समृद्धि में कहाँ तक सहायक हैं?
– अरे ! उससे सावधान रहना! वह नीचे से ऊपर तक वायरस से भरा हुआ है। जिस सिस्टम में जाता है उसे हैंग कर देता है।
– घबरा मत ! मेरी इनस्वींगर के सामने उसके सारे वायरस घुटने टेकेंगे। अगर ज्यादा फ़ाउल मारा तो रेड कार्ड दिखा के हमेशा के लिए पवेलियन भेज दूंगा।
– जॉनी टेंसन नयी लेने का वो जिस स्कूल में पढ़ता है अपुन उसका हैडमास्टर है।
उत्तर:
इस प्रकार की शब्दावलियों का प्रयोग पिछले कुछ समय से बढ़ गया है। यह टपोरी शब्दावली है। वास्तव में यह हिंग्लिश शब्दावली के नाम से जानी जाती है। पहले वाक्य में कंप्यूटर शब्दावली का प्रयोग हुआ। दूसरे वाक्य में खेलात्मक शब्दावली का प्रयोग किया है। अंतिम वाक्य में मुंबईया शब्दावली का प्रयोग हुआ है। इन प्रयोगों से भाषा का मूल स्वरूप बिगड़ जाता है। ऐसी शब्दावली भाषा को समृद्धि नहीं बल्कि कंगाली देती है अर्थात् भाषा की अपनी सार्थकता खत्म हो जाती है। कुछ और उदाहरणों को देखें
- तुम अपन को जानताई छ नहीं है।
- तेरा रामू के साथ टांका भिड्रेला है भेडू।
- जो तुम कहते हो वह कंप्यूटर की तरह मेरे दिमाग में फीड हो जाता है।
- इस बार दलजीत ने कुछ कहा तो उसे स्टेडियम की फुटबाल की तरह बाहर भेज दूंगा।
- तेरे नखरे भी शेयर बाजार जैसे चढ़ते जा रहे हैं।
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
भक्तिन की शारीरिक बनावट कैसी थी?
उत्तर:
भक्तिन का कद छोटा था। उसका शरीर दुबला-पतला था। वह गरीब लगती थी। उसके होंठ पतले थे एवं आँखें छोटी थीं। इन सारी बातों से पता चलता है कि उसकी शारीरिक बनावट कुल मिलाकर 50 वर्षीया स्त्री की थी लेकिन वह बूढ़ी नहीं लगती थी।
प्रश्न 2.
महादेवी जी ने भक्तिन के बारे में क्या लिखा है?
उत्तर:
महादेवी वर्मा भक्तिन के बारे में लिखती हैं-सेवक धर्म में हनुमान जी से स्पर्धा करने वाली भक्तिन किसी अंजना की पुत्री न होकर एक अनामधन्या गोपालिका की कन्या है। नाम है लछमिन अर्थात् लक्ष्मी। पर जैसे मेरे नाम की विशालता मेरे लिए दुर्वह है, वैसे ही लक्ष्मी की समृधि भक्ति के कपाल की कैंचित रेखाओं में नहीं बँध सकी।
प्रश्न 3.
भक्तिन की कितनी संतानें थीं? उनका जीवन कैसा था?
उत्तर:
भक्तिन ने तीन बेटियों को जन्म दिया। इन तीनों बेटियों के कारण भक्तिने को जीवन भर दुख उठाने पड़े। सास और जेठानियाँ सभी उसे तंग करती रहती। उनकी बेटी को हर वक्त काम में लगाएं रखती। कोई भी नहीं चाहता था कि भक्तिन की बेटियाँ सुखी रहें।
प्रश्न 4.
भक्तिन दुर्भाग्यशाली क्यों थी?
उत्तर:
भक्तिन का पति उस समय मरा जब वह केवल 36 वर्ष की थी। वह तीन बेटियों को जन्म देकर चला गया। इस कारण भक्तिन को बहु कष्ट उठाने पड़े। भक्तिन की बेटी विवाह के कुछ वर्ष बाद विधवा हो गई। उसके जेठ जेठानियाँ सभी उसकी संपत्ति हड़पने की योजना बनाने लगे।
प्रश्न 5.
भक्तिन का स्वभाव कैसा था?
उत्तर:
यद्यपि भक्तिन मेहनती स्त्री थी लेकिन उसमें चोरी करने की आदत थी। जब वह महादेवी वर्मा के घर का कार्य करने आई तो वह घर में रखे खुले पैसे रुपये उठा लेती। उसने कभी सच नहीं बोला। वास्तव में उसमें कई दुर्गुण थे।
प्रश्न 6.
पाठ के आधार पर भक्तिन की तीन विशेषताएँ बताइए। (CBSE-2012, 2017)
उत्तर:
भक्तिन की तीन विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
(क) जुझारू – भक्तिन जुझारू महिला थी। उसने कठिन परिस्थितियों का डटकर सामना किया। शादी के बाद ससुराल में मेहनत से खेतीबाड़ी की। पति की मृत्यु के बाद बेटियों की शादी की। समाज के भेदभावपूर्ण व्यवहार का कड़ा विरोध किया।
(ख) भाग्य से पीड़ित – भक्तिन मेहनती थी, परंतु भाग्य उसके सदैव विपरीत रहा। बचपन में माँ की मृत्यु हो गई थी। विमाता का देश उसे हमेशा झालता रहा। ससुराल में तीन पुत्रियों का जन्म देने के कारण उपेक्षा मिली। पति की अकाल मृत्यु हुई। फिर दामाद की मृत्यु व परिवार के षड्यंत्र ने उसे तोड़कर रख दिया।
(ग) सेवाभाव – भक्तिन महादेवी की सेविका थी। वह छाया के समान हर समय महादेवी के साथ रहती थी। महादेवी के कार्य को खुशी से करती थी।
प्रश्न 7.
भक्तिन व लेखिका के बीच कैसा संबंध था।
अथवा
‘महादेवी वर्मा और भक्तिन के संबंधों की तीन विशिष्टताओं का उल्लेख कीजिए। (CBSE-2015)
उत्तर:
भक्तिन व लेखिका के बीच नौकरानी या स्वामिनी का संबंध नहीं था। वे आत्मीय जन की तरह थे। स्वामी अपनी इच्छा होने पर भी उसे हटा नहीं सकती थी( स्वामी अपनी इच्छा होने पर भी उसे हटा नहीं सकती। सेवक भी स्वामी के चले जाने के आश पाकर अवज्ञा से हँस दे। भक्तिन को नौकर कहना उतना ही असंगत है, जितना अपने घर में बारी-बारी से आने-जाने वाले अँधेरे-उजाले और आँगन में फूलो वाले गुलाब और आम को सेवक मानना। जिस प्रकार एक अस्तित्व रखते है जिसे सार्थकता देने के लिए ही हमें सुख-दुख देते हैं, उसी प्रकार भक्तिन का स्वतंत्र व्यक्तित्व अपने विकास के लिए लेखिका के जीवन को घेरे है।
प्रश्न 8.
‘भक्तिन’ अनेक अवगुणों के होते हुए भी महादेवी जी के लिए अनमोल क्यों थी?
उत्तर:
भक्तिन उनके अवगुणों के होते हुए भी महादेवी के लिए अनमोल थी क्योंकि
- वह लेखिका के हर कष्ट को लेने को तैयार थी।
- वह लेखिका की सेवा करती थी।
- लेखिका के पास पैसे की कमी की बात सुनकर वह जीवन भर की अपनी कमाई उसे देना चाहती थी।
प्रश्न 9.
‘भक्तिन’ और ‘महादेवी’ के नामों में क्या विरोधाभास था?
उत्तर:
‘भक्तिन’ का असली नाम लक्ष्मी था। वह अपना नाम छिपाती थी क्योंकि उसे कभी समृद्ध नहीं मिली। उसके भक्ति भाव को देखकर लेखिका ने उसे ‘भक्तिन’ कहना शुरू कर दिया। लेखिका को अपना नाम महादेवी था। वह किसी भी दृष्टि से । देवी के समकक्ष नहीं थी। दोनों के नामों वे उसके गुणों में कोई तारतम्य नहीं था।
प्रश्न 10.
भक्तिन का अतीत परिवार और समाज की किन समस्याओं से जूझते हुए बीता है? पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए। (CBSE-2013)
उत्तर:
भक्तिन का जीवन सदैव परेशानी भरा रहा। बचपन में माँ की मृत्यु हो गई थी। विमाता ने उससे भेदभाव किया। विवाह के बाद उसकी तीन लड़कियाँ हुई जिसके कारण सास व जेठानियों ने उसके व लड़कियों के साथ भेदभाव किया। 36 वर्ष की आयु में पति की मृत्यु हो गई। ससुराल वालों ने संपत्ति हड़पने के तमाम प्रयास किए, परंतु उसने बेटियों की शादी की। एक घरजमाई बनाया, परंतु दुर्भाग्य से वह शीघ्र मृत्यु को प्राप्त हो गया। इसके बाद ससुराल वालों ने मिलकर उसकी विधवा पुत्री का बलात्कार कराने की कोशिश की। पंचायत ने बलात्कारी के साथ ही लड़की का विवाह जबरन कर दिया। इसके बाद भक्तिन की संपत्ति का विनाश हो गया
प्रश्न 11.
भक्तिन की बेटी के मानवाधिकारों का हनन पंचायत ने किस प्रकार किया? स्पष्ट कीजिए। (CBSE-2011)
उत्तर:
भक्तिन ने घरजमाई रखा। वह अकालमृत्यु को प्राप्त हो गया। उसके जेठ के परिवार वाले संपत्ति हडपना चाहते थे. परंतु सारी जायदाद लड़की के नाम थी, लड़की के ताऊ के लड़के के तीतरबाज़ साले ने उससे जबरदस्ती करने की कोशिश की। लक्ष्मी ने उसकी खूब पिटाई की। जेठ ने पंचायत में अपील की। वहाँ भी भ्रष्टतंत्र था। उन्होंने लड़की की न सुनकर अपीलहीन फैसले में उसे तीतरबाज युवक के साथ रहने का फैसला सुनाया। यह मानवाधिकारों का हनन था। दोषी को सजा न देकर उसे इनाम मिला।
प्रश्न 12.
भक्तिन नाम किसने और क्यों दिया? पाठ के आधार पर उत्तर दीजिए।
उत्तर:
भक्तिन को यह नाम लेखिका ने दिया। भक्तिन का असली नाम लक्ष्मी था। वह अपने नाम को छिपाना चाहती थी क्योंकि उसके पास धन नहीं था। लेखिका ने उसके गले में कॅठीमाला देखकर यह नामकरण कर दिया। वह इस कवित्वहीन नाम को पाकर गदगद हो उठी थी।
प्रश्न 13.
‘भक्तिन वाक्पटुता में बहुत आगे थी’, पाठ के आधार पर उदाहरण देकर पुष्टि कीजिए। (CBSE-2014)
उत्तर:
यह कथन सही है कि भक्तिन वाक्पटुता में बहुत आगे थी। उसके पास हर बात का सटीक उत्तर तैयार रहता था। लेखिका ने जब उसको सिर घुटाने से रोका तो उसका उत्तर था – तीरथ गए मुंडाए सिद्ध’ इसी तरह उसके बनाएँ खाने पर कटाक्ष करने पर उसने उत्तर दिया – वह कुछ अनाड़िन या फूछड़ नहीं। ससुर, पितिया ससुर, अजिया सास आदि ने उसकी पाक कुशलता के लिए न जाने कितने मौखिक प्रमाणपत्र दे डाले थे।
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