NCERT Solutions for Class 12 Hindi Vitan Chapter 4 डायरी के पन्ने are part of NCERT Solutions for Class 12 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 12 Hindi Vitan Chapter 4 डायरी के पन्ने.
NCERT Solutions for Class 12 Hindi Vitan Chapter 4 डायरी के पन्ने
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
प्रश्न 1.
“यह साठ लाख लोगों की तरफ से बोलनेवाली एक आवाज़ है। एक ऐसी आवाज़, जो किसी संत या कवि की नहीं, बल्कि एक साधारण लड़की की है।” इल्या इहरनबुर्ग की इस टिप्पणी के संदर्भ में ऐन फ्रैंक की डायरी के पठित अंशों पर विचार करें।
उत्तर:
इल्या इहरनबुर्ग ने जो कहा वह बिलकुल सही कहा। यहूदियों की संख्या 60 लाख थी। सभी जुल्म सहने को मजबूर थे। किसी में विरोध करने का साहस नहीं था। लेकिन 13 वर्ष की लड़की ऐन फ्रैंक ने यह साहस किया। नाजियों द्वारा किए जाने वाले अत्याचारों को लिपिबद्ध किया। यह डायरी नाजियों की क्रूर मानसिकता का परिचय देती है। अकेली लड़की ने कुछ पृष्ठों के द्वारा 60 लाख यहूदियों का प्रतिनिधित्व किया। एक ऐसी आवाज़ यहूदियों के पक्ष में बोली जो इस सारे यंत्रणाओं की खुद स्वीकार थी। ऐन फ्रैंक की आवाज़ किसी भी संत या कवि की आवाज़ से कहीं अधिक सशक्त है।
प्रश्न 2.
“काश, कोई तो होता जो मेरी भावनाओं को गंभीरता से समझ पाता। अफ़सोस, ऐसा व्यक्ति मुझे अब तक नहीं मिला…।” क्या आपको लगता है कि ऐन के इस कथन में उसके डायरी लेखन का कारण छिपा है? (CBSE-2008)
उत्तर:
हमें लगता है कि अकेलापन ही ऐन फ्रैंक के डायरी लेखन का कारण बना। यद्यपि वह अपने परिवार और वॉन दंपत्ति के साथ अज्ञातवास में दो वर्षों तक रही लेकिन इस दौरान किसी ने उसकी भावनाओं को समझने का प्रयास नहीं किया। पीटर यद्यपि उससे प्यार करता है लेकिन केवल दोस्त की तरह। जबकि हर किसी की शारीरिक जरूरतें होती हैं लेकिन पीटर उसकी इस ज़रूरत को नहीं समझ सका। माता-पिता और बहन ने भी कभी उसकी भावनाओं को गंभीरता से नहीं। समझी शायद इसी कारण वह डायरी लिखने लगी।
प्रश्न 3.
“प्रकृति-प्रदत्त प्रजनन-शक्ति के उपयोग का अधिकार बच्चे पैदा करें या न करें अथवा कितने बच्चे पैदा करें-इसकी स्वतंत्रता स्त्री से छीन कर हमारी विश्व-व्यवस्था ने न सिर्फ स्त्री को व्यक्तित्व-विकास के अनेक अवसरों से वंचित किया है बल्कि जनांधिक्य की समस्या भी पैदा की है।” ऐन की डायरी के 13 जून, 1944 के अंश में व्यक्त विचारों के संदर्भ में इस कथन का औचित्य हूँढ़ें। (CBSE-2009)
उत्तर:
पूरे विश्व में पुरुषों का वर्चस्व रहा है। पुरुषों ने सदा ही औरतों पर अधिकार किया है। उन्होंने औरतों पर इस आधार पर शासन करना शुरू किया कि औरतें उनसे कमज़ोर हैं। पुरुष का काम कमाई करना है जबकि स्त्री का कार्य बच्चे पैदा करना और उन्हें पाल-पोसकर बड़ा करना है। पुरुष औरत से शारीरिक संतुष्टि की अपेक्षा रखता है। इस शारीरिक आनंद में। यदि औरत गर्भवती हो जाए तो पुरुष कहता है कि बच्चा पैदा कर लो। केवल अपने स्वार्थ के लिए पुरुषों ने औरतों पर अन्याय किया है। जो अधिकार प्रकृति ने औरत को दिया उसका अनुचित लाभ पुरुष ने उठाया है। इस कारण पूरे विश्व में जनसंख्या की समस्या बढ़ी है।
प्रश्न 4.
“ऐन की डायरी अगर एक ऐतिहासिक दौर का जीवंत दस्तावेज़ है, तो साथ ही उसके निजी सुख-दुख और भावनात्मक उथल-पुथल का भी। इन पृष्ठों में दोनों का फ़र्क मिट गया है।” इस कथन पर विचार करते हुए अपनी सहमति या असहमति तर्कपूर्वक व्यक्त करें। (CBSE-2008, 2015)
उत्तर:
ऐन ने जब डायरी लिखी वह बहुत ही कठिन दौर था। उस कठिन दौर में यहूदियों का जीवन बहुत कष्टकारी था। उस भयानक ऐतिहासिक दौर का जीवंत दस्तावेज इस डायरी के द्वारा प्रस्तुत किया है। इसी डायरी में अपने अकेलेपन का चित्रण भी ऐन ने किया है। ऐन ने लिखा कि मुझे कभी कोई ऐसा व्यक्ति नहीं मिला जो मेरी भावनाओं को समझ सके। यह बात सिद्ध करती है कि ऐन की डायरी अगर एक ऐतिहासिक दौर का जीवंत दस्तावेज है तो साथ ही उसके निजी सुख-दुख और भावनात्मक उथल-पुथल का प्रामाणिक अंकन भी है।
प्रश्न 5.
ऐन ने अपनी डायरी ‘किट्टी’ (एक निर्जीव गुड़िया) को संबोधित चिट्ठी की शक्ल में लिखने की जरूरत क्यों महसूस की होगी? (CBSE-2010, 2011, 2013)
उत्तर:
ऐन ने अपनी डायरी की प्रत्येक चिट्ठी किट्टी अपनी गुडिया को संबोधित करके लिखी। उसे यह संबोधित करने की जरूरत इसलिए पड़ी होगी ताकि गोपनीयता बनी रहे। यदि यह डायरी कभी पुलिस के हाथ लग भी जाए तो पुलिस इसे बच्चों की डायरी समझे और ऐन फ्रैंक को छोड़ दे। दूसरी बात यह है कि ऐन को अपने जीवन में कभी कोई सच्चा मित्र नहीं मिला। उसे कभी कोई व्यक्ति नहीं मिला जो उसकी भावनाओं को समझता। उसके बारे में सोचता और उसके दुख-सुख के बारे में उससे बातें करता। शायद इसलिए भी उसने अपनी चिट्ठियाँ अपनी निर्जीव गुड़िया को संबोधित की हैं। इसे भी जानें बादरोलसन, 26 नवंबर (एपी), नाजी यातना शिविरों का रौंगटे खड़े करने वाला चित्रण कर दुनिया भर में मशहूर हुई ऐन फ्रैंक का नाम हॉलैंड के उन हजारों लोगों की सूची में महज़ एक नाम के रूप में दर्ज है जो यातना शिविरों में बंद थे।
नाजी नरसंहार से जुड़े दस्तावेजों के दुनिया के सबसे बड़े अभिलेखागार एक जीर्णशीर्ण फाइल में 40 नंबर के आगे लिखा हुआ है-ऐन। फ्रैंक। ऐन की डायरी ने उसे विश्व में खास बना दिया लेकिन 1944 में सितंबर माह के किसी एक दिन वह भी बाकी लोगों की तरह एक नाम भर थी। एक भयभीत बच्ची जिसे बाकी 1018 यहूदियों के साथ पशुओं को ढोने वाली गाड़ी में पूर्व में स्थित एक यातना शिविर के लिए रवाना कर दिया गया था। वितीय विश्व युद्ध के बाद डच रेडक्रॉस ने वेस्टरबोर्क ट्रांजिट कैंप से यातना शिविरों में भेजे गए लोगों संबंधी सूचना एकत्र कर इंटरनेशनल ट्रेसिंग सर्विस (आई०टी०ची०एस०) को भेजे थे।
आई०टी०एस० नाजी दस्तावेजों का एक ऐसा अभिलेखागार है जिसकी स्थापना युद्ध के बाद लापता हुए लोगों का पता लगाने के लिए की गई थी। इस युद्ध के समाप्त होने के छह दशक से अधिक समय के बाद अब अंतरराष्ट्रीय रेडक्रॉस समिति विशाल आई०टी०एस० अभिलेखागार को युद्ध में जिंदा बचे लोगों, उनके रिश्तेदारों व शोधकर्ताओं के लिए पहली बार सार्वजनिक करने जा रही है। एक करोड़ 75 लाख लोगों के बारे में दर्ज इस रिकॉर्ड का इस्तेमाल अभी तक परिजनों को मिलाने वाले लाखों विस्थापित लोगों के भविष्य का पता लगाने और बाद में मुआवजे के दावों के संबंध में प्रमाण-पत्र जारी करने में किया जाता रहा है।
लेकिन आम लोगों को इसे देखने की अनुमति नहीं दी गई है। मध्य जर्मनी के इस शहर में 25.7 किलोमीटर लंबी अलमारियों और कैबिनेटों में संग्रहित इन फ़ाइलों में उन हजारों यातना शिविरों, बंधुआ मजदूर केंद्रों और उत्पीड़न केंद्रों से जुड़े दस्तावेजों का पूर्ण संग्रह उपलब्ध है। किसी ज़माने में थर्ड रीख के रूप में प्रसिद्ध इस शहर में कई अभिलेखागार हैं। प्रत्येक में युद्ध से जुड़ी त्रासदियों का लेखा-जोखा रखा गया है। आई०टी०एस० में ऐन फ्रैंक का नाम नाजी दस्तावेजों के पाँच करोड़ पन्नों में केवल एक बार आया है।
वेस्टरबोर्क से 19 मई से छह सितंबर 1944 के बीच भेजे गए लोगों से जुड़ी फ़ाइल में फ्रैंक उपनाम से दर्जनों नाम दर्ज हैं। इस सूची में ऐन का नाम, जन्मतिथि, एम्सटर्डम का पता और यातना शिविर के लिए रवाना होने की तारीख दर्ज है। इन लोगों को कहाँ ले जाया गया। उस कॉलम को खाली छोड़ दिया गया है। आई०टी०एस० के प्रमुख यूडो दोस्त ने पोलैंड के यातना शिविर का जिक्र करते हुए कहा-यदि स्थान में नाम नहीं दिया गया है तो इसका मतलब यह आशाविच था। ऐन, उनकी बहन मार्गेट व उसके माता-पिता को चार अन्य यहूदियों के साथ 1944 में गिरफ्तार किया गया था। ऐन डच नागरिक नहीं जर्मन शरणार्थी था। यातना शिविरों के बारे में ऐन की डायरी 1952 में ‘ऐन फ्रैंक दी डायरी ऑफ़ द यंग गर्ल’ शीर्षक से छपी थी।
अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
युद्ध के दौरान शहरों का माहौल कैसा हो गया था? सविस्तार लिखें।
उत्तर:
ऐन फ्रैंक लिखती है कि युद्ध का नाजायज फायदा डचों ने सबसे ज्यादा उठाया। जो लोग अपनी मोटर साइकिलें या कारें खड़ी करके बाजार में खरीदारी करते थे उनकी गाड़ियाँ चुरा ली जाती थीं। चोरी इतनी अधिक बढ़ गई थी कि लोग अँगूठी तक पहनना छोड़ चुके थे। आठ-दस वर्ष का बच्चा भी खिड़की तोड़कर घर में रखा सामान उठा ले जाता था। लोग पाँच मिनट के लिए भी अपना घर नहीं छोड़ सकते थे क्योंकि इतनी देर में तो उनका सारा घर लूट लिया जाता। चोरी हुए सामान के बारे आए दिन विज्ञापन छपते कि जो यह सामान लौटाएगा उसे इनाम मिलेगा। गलियों और नुक्कड़ों पर लगी बिजली से चलने वाली घड़ियाँ तक लोग उतार ले जाते थे। सार्वजनिक टेलीफ़ोन का कोई भी पुरजा लोगों ने नहीं छोड़ा था।
प्रश्न 2.
19 मार्च, 1943 की चिट्ठी में ऐन ने गिल्डर मुद्रा के बारे में क्या बताया है? इससे क्या परेशानी आ गई थी?
उत्तर:
ऐन बताती है कि हज़ार गिल्डर के नोट अवैध मुद्रा घोषित किए जा रहे हैं। यह ब्लैक मार्केट का धंधा करने वालों और उन जैसे लोगों के लिए बहुत बड़ा झटका होगा। उससे बड़ा संकट उन लोगों का है जो या तो भूमिगत हैं या जो अपने धन का हिसाब-किताब नहीं दे सकते। हज़ार गिल्डर का नोट बदलवाने के लिए आप इस स्थिति में हों कि ये नोट आपके पास आया कैसे और उसका सुबूत भी देना होगा। इन्हें कर अदा करने के लिए उपयोग में लाया जा सकता है; लेकिन अगले हफ्ते तक ही। पाँच सौ गिल्डर के नोट भी तभी बेकार हो जाएँगे। गिएड एंड कंपनी के पास अभी हजार गिल्डर के कुछ नोट बाकी थे जिनका कोई हिसाब-किताब नहीं था। इन्हें कंपनी ने आगामी वर्षों के लिए अनुमानित कर अदायगी में निपटा दिया है।
प्रश्न 3.
ऐन को यह डायरी लिखने की जरूरत क्यों महसूस हुई? इस डायरी के द्वारा वह क्या कहना चाहती है?
उत्तर:
ऐन चाहती थी कि लोग नाजियों के अत्याचारों के बारे में विस्तार से जाने। कही हुई या सुनी हुई बातों का प्रभाव ज्यादा नहीं पड़ता। यह प्रभाव स्थायी भी नहीं होता। इसलिए उसने इन बातों को लिखने का मन बनाया। ताकि लोग पढ़े सच को जानें और उससे प्रभावित हों। वह लिखी है कि मैं सही बता रही हूँ कि युद्ध के दस साल बाद लोग इससे कितना चकित होंगे जब उन्हें पता चलेगा कि यहूदियों को अज्ञातवास में क्यों जाना पड़ा? यहूदियों पर कितने जुल्म हुए? ये सब बातें बताने के लिए ही ऐन ने डायरी लिखी।
प्रश्न 4.
संवाद-योजना की दृष्टि से यह डायरी सर्वथा सफल एवं सार्थक रही है, सिद्ध कीजिए।
उत्तर:
यद्यपि डायरी में संवाद-योजना नहीं होती। लेखक या लेखिका केवल आत्मपरक शैली में घटनाओं का क्रम से वर्णन करते हैं। लेकिन ऐन की इस डायरी की संवाद-योजना अनूठी है। 19 मार्च, 1943 को लिखी चिट्ठी में उसने संवाद-योजना का प्रयोग किया है। जब हिटलर घायल सैनिकों से बातचीत कर रहे थे और हालचाल जान रहे थे तब संवाद-योजना का प्रयोग किया गया। प्रस्तुत है इस संवाद-योजना का एक उदाहरण“मेरा नाम हैनरिक शापेल है।” “आप कहाँ जख्मी हुए थे?” “स्नालिनग्राद के पास।” ‘किस किस्म का घाव है यह ?” “दोनों पाँव बर्फ की वजह से गल गए हैं और बाएँ बाजू में हड्डी टूट गई है। इस प्रकार इस डायरी की संक्षिप्त संवादयोजना स्वाभाविक एवं सार्थक बन पड़ी है।
प्रश्न 5.
इस डायरी में ऐन के निजी जीवन का चित्रण भी हुआ है, सोदाहरण लिखें।
उत्तर:
ऐन फ्रैंक ने न केवल यहूदियों और नाजियों के बारे में लिखा बल्कि अपने बारे में भी लिखा। उसका निजी जीवन इस डायरी में प्रस्तुत हुआ है। ऐन को जीवन में कोई ऐसा मित्र नहीं मिला जो उसे समझ पाता। उसकी तकलीफों को जान पाती। उसकी शारीरिक जरूरतों को पूरा करता। पीटर का प्यार केवल दोस्ती तक रहा उसने भी कभी ऐन को समझने की जरूरत नहीं समझी या फिर वह ऐन की भावनाओं को समझ ही नहीं पाया। एक जवान लड़की अपनी इच्छाओं और अपेक्षाओं के साथ अकेली जीती रही। इसलिए उसने इस पीड़ा का वर्णन अपनी डायरी के कुछ पृष्ठों में किया है और कहा है कि काश ! कोई मेरी भावनाओं को जान पाता।
प्रश्न 6.
ऐन ने औरत की महत्ता को कैसे बताया?
उत्तर:
ऐन ने ‘मौत के खिलाफ मनुष्य’ नाम की किताब में पढ़ा था कि आमतौर पर युद्ध में लड़ने वाले वीर को जितनी तकलीफ, पीड़ा, बीमारी और यंत्रणा से गुजरना पड़ता है, उससे कहीं अधिक तकलीफें औरतें बच्चे को जन्म देते झेलती हैं और इन सारी तकलीफों से गुजरने के बाद उसे पुरस्कार क्या मिलता है? जब बच्चा जनने के बाद उसका शरीर अपना आकर्षण खो देता है तो उसे एक तरफ धकिया दिया जाता है, उसके बच्चे उसे छोड़ देते हैं और उसका सौंदर्य उससे विदा ले लेता है। औरत ही तो है जो मानव जाति की निरंतरता को बनाए रखने के लिए इतनी तकलीफों से गुजरती है और संघर्ष करती है, बहुत अधिक मज़बूत और बहादुर सिपाहियों से भी ज्यादा मेहनत करके खटती है। वह जितना संघर्ष करती है, उतना तो बड़ी-बड़ी डींगें हाँकने वाले ये सारे सिपाही मिलकर भी नहीं करते।
प्रश्न 7.
ऐन की किन बातों से पता चलता है कि आज नारी स्वतंत्र होने लगी है?
उत्तर:
ऐन कहती है कि संभवतः पुरुषों ने औरतों पर शुरू से ही इस आधार पर शासन करना शुरू किया कि वे उनकी तुलना। में शारीरिक रूप से ज्यादा सक्षम हैं; पुरुष ही कमाकर लाता है; बच्चे पालता पोसता है; और जो मन में आए, करती है, लेकिन हाल ही में स्थिति बदली है। औरतें अब तक इन सबको सहती चली आ रही थीं, जो कि बेवकूफी ही थी। चूंकि इस प्रथा को जितना अधिक जारी रखा गया, यह उतनी ही गहराई से अपनी जड़े जमाती चली गई। सौभाग्य से, शिक्षा, काम तथा प्रगति ने औरतों की आँखें खोली हैं। कई देशों में तो उन्हें बराबरी का हक दिया जाने लगा है। कई लोगों ने कई औरतों ने और कुछेक पुरुषों ने भी अब इस बात को महसूस किया है कि इतने लंबे अरसे तक इस तरह की वाहियात स्थिति से झेलते जाना गलत ही था। आधुनिक महिलाएँ पूरी तरह स्वतंत्र होने का हक चाहती हैं।
प्रश्न 8.
13 जून, 1944 को क्या खास बात थी? ऐन को क्या-क्या मिला?
उत्तर:
इस दिन ऐन का जन्मदिन था। वह पंद्रह वर्ष की हो गई थी। वह बताती है कि उसे काफ़ी उपहार मिले हैं। स्प्रिंगर की पाँच खंडों वाली कलात्मक इतिहास पुस्तक, चढियों का एक सेट, दो बेल्टें, एक रूमाल, दही के दो कटोरे, जैम की शीशी, शहद वाले दो छोटे बिस्किट, मम्मी-पापा की तरफ से वनस्पति विज्ञान की एक किताब, मार्गेट की तरफ से सोने का एक ब्रेसलेट, वान दान परिवार की तरफ से स्टिकर एलबम, डसेल की तरफ से बायोमाल्ट और मीठे मटर, मिएप की तरफ से मिठाई, बेप की तरफ से मिठाई और लिखने के लिए कॉपियाँ और सबसे बड़ी बात मिस्टर कुगलर की तरफ से मारिया तेरेसा नाम की किताब तथा क्रीम से भरे चीज के तीन स्लाइस। पीटर ने पीओनी फूलों का खूबसूरत गुलदस्ता दिया। उसे ये उपहार जुटाने में अच्छी खासी मेहनत करनी पड़ी, लेकिन वह कुछ और जुटा ही नहीं पाया।
प्रश्न 9.
‘डायरी के पन्ने के आधार पर पीटर (ऐनफ्रैंक का मित्र) के स्वभाव की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए। (CBSE-2016, 2017)
उत्तर:
ऐन फ्रैंक ने अपने दोस्त पीटर के बारे में जिक्र करती है। पीटर ऐनफ्रैंक को दोस्त की तरह स्नेह करता है। स्वयं ऐन फ्रैंक के शब्दों में, उसका स्नेह दिन पर दिन बढ़ता ही जा रहा है।” पीटर अच्छा व भला लड़का है। धर्म के प्रति नफ़रत, खाने के बारे में उसका बातें करना आदि उसे अलग बनाता है। वह ऐन की आपत्तिजनक बातें भी सुन लेता है जिन्हें कहने की वह अपनी मम्मी को भी इजाजत नहीं देता। वह दृढ़ निश्चयी है। वह अपने ऊपर लगे आरोपों को बेबुनियाद साबित करने में लगा हुआ है। वह अंतर्मुखी है। वह अपने जीवन में किसी को हस्तक्षेप नहीं करने देता। वह शांतिप्रिय, सहनशील व बेहद सहज आत्मीय व्यक्ति है।
प्रश्न 10.
‘ऐन की डायरी उसकी निजी भावनात्मक उथल-पुथल का दस्तावेज भी है।’-इस कथन की विवेचना कीजिए। (CBSE-2012)
उत्तर:
ऐन फ्रैंक व उसका परिवार हिटलर की नस्लवादी नीति का शिकार हुआ था। उन्हें दो वर्ष तक गुप्त आवास में छुपे रहना पड़ा था। जब वह गुप्त आवास के लिए गई तो उस समय उसकी आयु तेरह साल ही थी। इतनी कम आयु में उन्हें जीवन के भयानक संकट से गुजरना पड़ा। उनके अस्तित्व पर ही संकट आ गया था। ऐन की संवेदना का विकास छुपने से पहले ही हो चुका था। उसके भीतर अपने व्यक्तित्व की पहचान आदि की उथल-पुथल पहले से चलती रहती थी। वह व्यक्तिगत जीवन, पारिवारिक जीवन और सामाजिक जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने का प्रयास करती है। ऐन ने गुप्त आवास में जो दो वर्ष बिताए, वे दोनों वर्ष विश्व इतिहास में भी महत्त्वपूर्ण थे। हिटलर की नीतियों ने उनके जीवन को तहस-नहस कर दिया। उनका विकास अवरुद्ध कर दिया। इसलिए उसने अपनी डायरी में युद्ध व राजनीति से जुड़ी बातें बताते हुए निजी जीवन के कष्टदायक क्षणों को भी व्यक्त किया है।
प्रश्न 11.
ऐन फ्रैंक की डायरी को एक महत्त्वपूर्ण दस्तावेज क्यों माना जाता है? (CBSE-2011, 2017)
उत्तर:
ऐन फ्रैंक की डायरी एक महत्त्वपूर्ण दस्तावेज है। यह डायरी दो साल के अज्ञातवास के दौरान लिखी गई। 12 जून, 1942 को उसके जन्मदिन पर सफ़ेद व लाल कपड़े की जिल्द वाली नोटबुक उसे उपहार के तौर पर मिली थी। तभी से उसने एक गुड़िया किट्टी को संबोधित करके लिखनी शुरू की। तब तक गोपनीय जीवन शुरू नहीं हुआ था। महीने भर के अंदर उन्हें अज्ञातवास झेलना पड़ा। ऐन का डायरी लिखना जारी रहा। उसने आखिरी हिस्सा पहली अगस्त, 1944 को लिखा जिसके बाद वह नाजी पुलिस के हत्थे चढ़ गई। यह डायरी इतिहास के एक सबसे आतंकप्रद और दर्दनाक अध्याय के साक्षात अनुभव का बयान करती है। ऐन फ्रैंक उस दर्द की साक्षात भोक्ता थी। वह संवेदनशील थी। उसकी उम्र आने वाले दूषणों से भी पूरी तरह अछूती थी। इस डायरी में भय, आतंक, भूख, प्यार, मानवीय संवेदनाएँ, प्रेम, घृणा, बढ़ती उम्र की तकलीफें, हवाई हमले के डर, पकड़े जाने का लगातार डर, तेरह साल की उम्र के सपने, कल्पनाएँ, बाहरी दुनिया से अलग-थलग पड़ जाने की पीड़ा, मानसिक और शारीरिक जरूरतें, हँसी-मज़ाक, युद्ध की पीड़ा, अकेलापन सभी कुछ है। यह डायरी यहूदियों पर ढाए गए जुल्मों का एक जीवंत दस्तावेज है।
प्रश्न 12.
डायरी के पन्ने पाठ के आधार पर ऐन के व्यक्तित्व की तीन विशेषताओं पर प्रकश डालिए। (सैंपल पेपर-2017)
उत्तर:
‘डायरी के पन्ने’ पाठ के आधार पर ऐन के व्यक्तित्व की तीन विशेषताएँ निम्नलिखित हैं
- बौद्धिक रूप से सक्रिय – ऐन को नस्लवादी नफ़रत के कारण गुप्त आवास में रहना पड़ा। ऐसे एकाकी व भयभीत | समय में भी वह डायरी लिखती रहती थी।
- संवेदनशील – ऐन संवेदनशील लड़की थी, वह पीटर के साथ अपनी भावनाएँ व्यक्त करती थी। परिवार के हर सदस्य के बारे में वह जो कुछ महसूस करती थी, उसे अपनी डायरी में लिखा।
- स्त्री की पक्षधर – ऐन स्त्री शिक्षा की पक्षधर थी। वह पुरानी महिलाओं को बेवकूफ कहती है क्योंकि वे पुरुष की कमाई पर आश्रित रहती थी। शिक्षित महिलाओं को सम्मान मिलता हैं।
प्रश्न 13.
ऐन ने अपनी डायरी में किट्टी को क्या-क्या जानकारी दी है?’डायरी के पन्ने’ पाठ के आधार पर बताइए। (सैंपल पेपर-2008)
उत्तर:
ऐन ने अपनी डायरी में निम्नलिखित जानकारियाँ दी हैं
- रविवार को दोपहर घटी घटना – लगभग तीन बजे दरवाजे की घंटी बजी। मार्गेट गुस्से में थी क्योंकि पापा को एस०एम०एस० से बुलाए जाने का नोटिस मिला था। हर कोई इस बुलावे का मतलब जानता था।
- इमारत की जानकारी – ऐन ने किट्टी को पापा के दफ्तर की इमारत की जानकारी दी। इसमें तल मंजिल पर बना बड़ा-सा गोदाम है जो काम करने की जगह और भंडार घर के रूप में इस्तेमाल होता है। गोदाम से सटा एक बाहर का दरवाज़ा है जो दफ्तर का प्रवेश द्वार है।
- अपने पंद्रहवें जन्म दिन की – 13 जून, 1944 को ऐन का पंद्रहवाँ जन्मदिन था। उसे काफ़ी उपहार मिले। इनमें पुस्तकें, दो बेल्टें एक रुमाल, दही के दो कटोरे, जैम की शीशी, शहद वाले बिस्कुट प्रमुख थे।
निबंधात्मक प्रश्न
प्रश्न 14.
डायरी के पन्ने के आधार पर औरतों की शिक्षा और उनके मानवाधिकारों के बारे में ऐन के विचारों को अपने शब्दों में लिखिए। (CBSE-2008, 2009, 2010, 2012)
अथवा
महिलाओं के अधिकारों और जीवनशैली के बारे में ऐन फ्रैंक के विचारों की समीक्षा जीवन-मूल्यों के आधार पर कीजिए। (CBSE-2016)
उत्तर:
ऐन स्त्री की दशा पर अपनी बेबाक राय व्यक्त करती है। वह स्त्रियों की स्थिति को बहुत अन्याय कहती है। उसका मानना है कि शारीरिक अक्षमता को बहाना बनाकर पुरुषों ने स्त्रियों को घर में बाँध कर रखा है। ऐन इसे बेवकूफी कहती है। वह कहती है कि प्रसव पीड़ा दुनिया की सबसे बड़ी तकलीफ है। इस तकलीफ को भी झेलकर स्त्री मनुष्य जाति को जीवित रखे हुए है। वह स्त्रियों के विरोध व असम्मान करने वाले मूल्यों व मनुष्यों की निंदा करना चाहती है। वह स्त्री जीवन के अनुभव को अतुलनीय बताती है। वह स्त्री को भी सैनिक सम्मान की तरह सम्मानित करना चाहती है। उसके भीतर भविष्य को लेकर सपने हैं कि अगली सदी में स्थिति बदलेगी। बच्चे पैदा करने वाली स्थिति बदलकर औरतों को ज्यादा सम्मान व सराहना प्राप्त होगी। उसके ये विचार परिवर्तनकारी हैं। वह मानवाधिकारों के बारे में भी अपनी आवाज़ उठाती है। उसने वितीय विश्वयुद्ध के दौरान घटी घोर अमानवीय स्थितियों का कुशलतापूर्वक चित्रण किया है।
प्रश्न 15.
ऐन फ्रैंक ने अपनी डायरी में नारी स्वतंत्रता की जो कल्पना की है, आज उस स्थिति में कितना परिवर्तन आया है। सोदाहरण समझाइए। (CBSE-2011, 2012)
अथवा
ऐन फ्रैंक ने अपनी डायरी में स्त्रियों के बारे में क्या कहा है? उसकी समीक्षा करते हुए बताइए कि आज स्थितियों में कितना परिवर्तन आया है? (CBSE-2011)
उत्तर:
ऐन नारी की खराब स्थिति के लिए पुरुषों को ज़िम्मेदार मानती है। उन्हें उचित सम्मान नहीं मिल रहा है। औरतों ने बच्चे उत्पन्न करने में जो कष्ट सहा है, वह युद्ध में लड़ने वाले सैनिक से कम नहीं है। औरतों को उनके हिस्से का सम्मान मिलना चाहिए। ऐन औरतों को बच्चे जनने बंद करने के लिए नहीं कहती क्यों कि प्रकृति औरतों से यह कार्य करवाना चाहती है। वह समाज में खूबसूरत व सौंदर्यमयी औरतों के योगदान को बहुत महान मानती है। आज समय बदल चुका है। पूरी दुनिया में शिक्षा का प्रसार बढ़ा है। ग्रामीण स्त्रियों की स्थिति में कोई बड़ा बदलाव नहीं आया है, परंतु शिक्षित व शहरी महिलाओं में स्थिति बेहतर हुई है। उन्हें घर, परिवार, समाज, राष्ट्र व समूह-हर जगह सम्मान मिल रहा है। अब बच्चे पैदा करने का अधिकार नारी के विवेक पर है। अतः ऐन की डायरी में वर्णित स्त्री की दशा की तुलना में भारतीय नारी की स्थिति बहुत अच्छी है।
प्रश्न 16.
भारतीय नारी जीवन के संदर्भ में उन जीवन मूल्यों का उल्लेख कीजिए, जो हमें सहज ही प्राप्त होते हैं। पुरुष समाज नारी के योगदान को महत्त्व क्यों नहीं देखा? अपने विचार लिखिए। (CBSE-2013)
उत्तर:
समाज में भारतीय नारी से हमेशा त्याग व ममता की अपेक्षा की जाती है। वह अपने जीवन की सुंदरता की बलि चढ़ाकर बच्चों को जन्म देती है। प्रसव पीड़ा किसी सैनिक की पीड़ा से अधिक होती है। इसके बावजूद उसे सम्मान नहीं मिलता। वह संतान के बेहतर भविष्य के लिए सब कुछ दाँव पर लगा देती है। पुरुषों ने शारीरिक बल के आधार पर स्त्री को कमज़ोर माना है तथा उस पर शासन किया। वे आय के स्रोतों पर नियंत्रण रखते हैं तथा स्त्रियों का कार्य बच्चे पैदा करके तथा उन्हें पाल-पोसकर बड़ा करना है। इससे स्त्री का अपमान व्यक्तित्व दबा रह जाता है। बच्चे पैदा करने का निर्णय का अधिकार भी पुरुष का होता है। पुरुष ने अपने हितों की रक्षा की आड़ में स्त्री का शोषण किया है।
प्रश्न 17.
‘डायरी के पन्ने’ युवा लेखिका ऐन फ्रैंक ने अपनी डायरी में किस प्रकार दवितीय विश्वयुद्ध में यहूदियों के उत्पीड़न को झेला? उसका जीवन किस प्रकार आपको भी डायरी लिखने की प्रेरणा देता है, लिखिए।
उत्तर:
ऐन फ्रैंक की डायरी, एक ऐतिहासिक दस्तावेज है जिसमें यहूदियों पर नाजी अत्याचारों को जीवंत वर्णन है। यह डायरी व्यक्तिगत जीवन के अनुभवों का भी बयान करती है। ऐन व उसके परिवार को दो वर्ष से अधिक समय तक अज्ञातवास बिताना पड़ा। 8 जुलाई, 1942 को ए०एस०एम० से बुलावा आने पर सभी गुप्त रूप से रहने की योजना बनाने लगे। यह उनके जीवन का सबसे कठिन समय था। 9 जुलाई, 1942 को ऐन के पिता के दफ्तर में गोदाम व भंडारगृह के रूप में प्रयुक्त कमरे मिले। इस भवन के नीचे की सीढ़ियों वाले गलियारे से दूसरी मंजिल की ओर जाकर गली में खुलने वाले रास्ते की ओर बने कमरे में ऐन का परिवार रहता था। बिजली कटने के डर से वे अधिक बिजली नहीं खर्च कर सकते थे।
साढ़े चार बजे अँधेरा हो जाता था। दिन में घर के पर्दे हटाकर बाहर नहीं देख सकते थे। रात होने पर ही वे आसपास के पर्दै हटाकर देख सकते थे। दिन में वे उलूल-जलूल हरकतें करके दिन बिताते थे। ऐन ने रात में खिड़की खोलकर बादलों से लुकाछिपी करते हुए चाँद को देखा था। 4 अगस्त, 1944 को वे पकड़े गए तथा 1945 में ऐन की अकाल मृत्यु हो गई। ऐन फ्रैंक का जीवन आम व्यक्ति को कठिन परिस्थितियों में रहने की प्रेरणा देता है। वह हमें अपने अनुभव लिखने की भी प्रेरणा देती है। साथ ही, हर स्थिति में मानसिक संतुलन बनाए रखने का संदेश भी मिलता है।
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