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CBSE Class 8 Hindi Grammar मुहावरे और लोकोक्तियाँ
भाषा को सुंदर और प्रभावशाली बनाने के लिए हम मुहावरों और लोकोक्तियों का प्रयोग करते हैं। इनके माध्यम से भाषा में कम-से कम शब्दों के प्रयोग से अधिक से अधिक भावों की अभिव्यक्ति की जा सकती है।
मुहावरा ऐसा शब्द-समूह या वाक्यांश होता है जो अपने शाब्दिक अर्थ को छोड़कर किसी विशेष अर्थ को प्रकट करता है। विशेष अर्थ में प्रयुक्त होने वाले ये वाक्यांश ही मुहावरे कहलाते हैं। जैसे नौ-दो ग्यारह होना मुहावरे का अर्थ है- भाग जाना।
लोकोक्ति यानी लोक की उक्ति अर्थात लोगों द्वारा कही गई उक्ति। ये अपने आप में पूर्ण वाक्य होती है। इनका प्रयोग अधिकांशतः वाक्य के अंत में एक स्वतंत्र वाक्य के रूप में होता है जबकि मुहावरों का प्रयोग वाक्य के मध्य में होता है।
मुहावरों में प्रयोग करते समय मुहावरों की क्रिया, लिंग, वचन, कारक आदि के अनुसार बदल जाती है।
- अंग-अंग मुसकाना (बहुत प्रसन्न होना) – विद्यालय में प्रथम स्थान पाने पर आयुष का अंग-अंग मुसकरा रहा है।
- अँगूठा दिखाना (साफ़ इंकार करना) – उसने कोमल से पुस्तक माँगी, लेकिन उसने अँगूठा दिखा दिया।
- अंधे की लकड़ी (एकमात्र सहारा) – श्रवण कुमार अपने माता-पिता के लिए अंधे की लाठी था।
- अगर-मगर करना (बहाने बनाना) – जब मैंने अपने मित्र से मुसीबत के समय सहायता माँगी तो वह अगर-मगर करने लगा।
- आँखों में धूल झोंकना (धोखा देना) – सुभाष चंद्र बोस आँखों में धूल झोंककर भारत से गायब हो गए।
- अक्ल पर पत्थर पड़ना (कुछ समझ में न आना) – आयुष आजकल ऐसे काम करता है, जिसे देखकर लगता है कि उसकी अक्ल पर पत्थर पड़ गया है।
- अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मारना (स्वयं अपना नुकसान करना) – सरकारी नौकरी छोड़कर अपनी दुकान खोलने की बात करना अपने पाँव पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है।
- आसमान सिर पर उठाना (बहुत शोर मचाना) – कक्षा में किसी अध्यापक के न होने के कारण छात्रों ने आसमान सिर पर उठा लिया।
- आँखें फेर लेना (बदल जाना) – मुसीबत आने पर अपने भी आँखें फेर लेते हैं।
- अपने मुँह मियाँ मिट्ठू बनना (अपनी प्रशंसा स्वयं करना) – अजय तुम कोई काम तो करते हो नहीं, बस अपने मुँह मियाँ मिठू बनते रहते हो।
- आँखें चुराना (सामने आने से कतराना) – परीक्षा में कम अंक लाने के कारण पुत्र पिता से आँखें चुरा रहा है।
- आँखें खुलना (होश आ जाना) – जब उसे अपने पुत्र की हरकतों का पता चला, तो उसकी आँखें खुल गईं।
- आगा-पीछा करना (इधर-उधर होना) – प्राचार्य के मैदान में आते ही छात्र आगा-पीछा करने लगे।
- आस्था हिलना (विश्वास उठना) – आजकल सच्चाई और ईमानदारी के प्रति लोगों की आस्था हिलने लगी है।
- कान भरना (चुगली करना) – ज्ञान को कान भरने की बुरी आदत है।
- कोई जोड़ न होना (मुकाबला न होना) – नेहा की लिखाई का कोई जोड़ नहीं है।
- कातर ढंग से देखना (भय के भाव से नज़र बचाकर देखना) – बिना कारण पिटने पर ड्राइवर मुझे कातर भाव से देखने लगा।
- कसर निकालना (कमी पूरी करना) – व्यापारियों ने त्योहारों के अवसर पर वस्तुओं को अत्यधिक दामों पर बेचकर कसर निकाल लेते हैं।
- कमर तोड़ना (बहुत सुंदर लिखना) – अपने इस निबंध को लिखते हुए नेहा ने कमर तोड़ दिया है।
- कान भरना (चुगली करना) – रजत हमेशा आयुष के खिलाफ अध्यापक के कान भरता रहता है।
- कोल्हू का बैल (लगातार काम करना) – मैं यहाँ लगातार कोल्हू के बैल की तरह लगा रहता हूँ और तुम हो कि रात दिन मौज-मस्ती करते रहते हो।
- कलई खुलना (भेद खुलना) – पड़ोसी के घर में रोज महँगे-महँगे समान आ रहे थे। अचानक एक दिन पुलिस के आने से उसकी सारी कलई खुल गई।
- कानोकान खबर न होना (बिलकुल खबर न होना) – बदनामी के डर से मेहता जी कब दिल्ली छोड़कर चले गए, किसी को कानों कान खबर नहीं हुई।
- खटाई में पड़ना (काम में अड़चन आना) – अच्छा खासा क्रिकेट खेल का आयोजन होने वाला था लेकिन बारिश के चलते सारा खेल का कार्यक्रम खटाई में पड़ गया।
- खाक छानना (दर-दर भटकना) – नौकरी की तालाश में आजकल पढ़े-लिखे युवक दर-दर खाक छान रहे हैं।
- गुड़गोबर होना (बात बिगड़ जाना) – अच्छा-खासा पिकनिक पर जाने का कार्यक्रम बना था लेकिन अचानक दंगा होने के कारण दिल्ली बंद ने सारा गुड़ गोबर कर दिया।
- खाक में मिलाना (नष्ट-भ्रष्ट कर देना) – अमेरिका ने ईराक को खाक में मिला दिया।
- घी के दिए जलाना (खुशियाँ मनाना) – बेटे के आई. ए. एस. बनने पर माँ-बाप ने घी के दिए जलाए।
- घोड़े बेचकर सोना (गहरी नींद सोना) – बोर्ड परीक्षा सिर पर है और तुम घोड़े बेचकर सो रहे हो।
- चिकना घड़ा (बेअसर/निर्लज्ज) – उसे कितना भी कुछ कह लो वह तो चिकना घड़ा है।
- छक्के छुड़ाना (बुरी तरह हरा देना) – भारतीय सैनिकों ने युद्ध में पाकिस्तानी सैनिकों के छक्के छुड़ा दिए।
- छठी का दूध याद आना (कठिनाई का अनुभव होना) – बिना परिश्रम के परीक्षा में बैठने से आयुष को छठी का दूध याद आ गया।
- छाती पर मूंग दलना (बहुत तंग करना) – मोहनलाल के मेहमान साल भर उसकी छाती पर मूंग दलते रहते हैं।
- टका-सा जवाब देना (साफ़ मना कर देना) – मैंने जब हरि प्रसाद से मुसीबत के समय उधार पैसे मांगे तो उसने टका-सा जवाब दे दिया।
- दाल में काला होना (कुछ गड़बड़ होना) – उसके घर पुलिस आई है, लगता है दाल में कुछ काला है।
- नौ-दो ग्यारह होना (भाग जाना) – चोर किमती सामान उड़ाकर नौ-दो ग्यारह हो गया।
- दिन दूनी रात चौगुनी उन्नति करना (अधिकाधिक उन्नति) – ईश्वर करे, तुम दिन दूनी, रात चौगुनी उन्नति करो।
- तूती बोलना (बहुत प्रभाव होना) – रमेश बाबू के समाज-सेवी होने की तूती सारे शहर में बोल रही है।
- नाक में दम करना (बहुत परेशान करना) – आजकल उग्रवादियों ने देश में नाक में दम कर रखा है।
- नाको चने चबाना (बहुत कठिन कार्य करना) – सुबह से लेकर शाम तक इन बच्चों की देखभाल करना तो नाको चने चबाने के बराबर है।
- पहाड़ टूटना (भारी संकट आ जाना) – पिता की आकस्मिक मृत्यु से गोपाल पर तो मानों पहाड़ ही टूट पड़ा है।
- पर निकलना (स्वच्छंद हो जाना) – कॉलेज में दाखिला लेते ही नेहा के पर निकलने लगे।
- पगड़ी उछालना (अपमानित करना) – बुजुर्गों की पगड़ी उछालना अच्छी बात नहीं है।
- पानी-पानी होना (अत्यंत लज्जित होना) – मिलावट खोरी करते हुए रंगे हाथ पकड़े जाने पर रजत पानी-पानी हो गया।
- फूला न समाना (बहुत प्रसन्न होना) – जब से नेहा का नाम मेडिकल कॉलेज की प्रवेश सूची में आया है, वह फूले नहीं समा रही है।
- हवा से बातें करना (बहुत तेज दौड़ना) – बुलेट ट्रेन हवा से बातें करती है।
- हाथ साफ़ करना (चुरा लेना) – जेब कतरा कुछ यात्रियों की जेब पर हाथ साफ़ करके चपंत हो गया।
- राई का पहाड़ बनाना (जरा-सी बात को बढ़ा-चढ़ाकर कहना) – तुम राई का पहाड़ न बनाते तो यह संकट खड़ी न होती।
- लाल-पीला होना (गुस्से में होना) – आप तो बिना वजह मुझ पर लाल-पीला हो रहे हैं।
- लाल-पीला होना (क्रोध करना) – वार्षिक परीक्षा में पुत्र के फेल होने से पिता जी लाल-पीले होने लगे।
- लोहे के चने चबाना (कठिन काम करना) – आई. ए. एस. परीक्षा में सफलता प्राप्त करना लोहे के चने चबाना है।
- थाली का बैगन (अस्थिर व्यक्ति) – अधिकतर नेता थाली के बैगन होते हैं।
- हवाई किले बनाना (कल्पनाएँ करना) – आजकल नेता हवाई किले बनाते हैं।
- हाथ मलना (पछताना) – अवसर का फायदा उठाने में ही समझदारी है वाद में हाथ मलते रह जाओगे।
- सिर चकराना (घबरा जाना) – सी०बी०एस०ई० बोर्ड का प्रश्न पत्र देखकर छात्रों का सिर चकरा गया।
- सिर धुनना (पछताना) – छात्र अपना खराब परीक्षा परिणाम देखकर अपना सिर धुनने लगा।
- सिर उठाना (बगावत करना) – महँगाई पर अंकुश लगाने में असफल होने पर अपनी ही पार्टी के कई सांसदों ने सिर उठाना शुरू कर दिया।
- हाथ मलना (पछताना) – अभी समय रहते परिश्रम कर लो, नहीं तो बाद में पछताना पड़ेगा।
- हक्का बक्का रह जाना (हैरान रह जाना) – फल बेचने वाला अपने खाते में 10 करोड़ रुपए देखकर हक्का-बक्का रह गया।
- हवा हो जाना (भाग जाना) – शेर को देखते ही सारे जानवर हवा हो गए।
बहुविकल्पी प्रश्न
नीचे दिए गए मुहावरों के उचित अर्थ पर सही का चिह्न लगाओ।
1. “अँगूठा दिखाना’ का अर्थ है
(i) डराना
(ii) मज़ाक उड़ाना
(iii) इशारा करना
(iv) साफ़ इंकार करना
2. ‘आँखें दिखाना’ का अर्थ है
(i) इशारा करना
(ii) डराना
(iii) क्रोध करना
(iv) अपनी बात कहना
3. ‘रंग उड़ना’ का अर्थ है
(i) उड़कर जाना
(ii) रंग चला जाना
(iii) भाग जाना
(iv) चेहरा फीका पड़ना
4. ‘चिकना घड़ा होना’ का अर्थ है–
(i) चिकने घड़े को सभी पसंद करते हैं।
(ii) अत्यंत आकर्षक होना
(iii) निर्लज्ज होना
(iv) चिकना बनाने के लिए घड़े पर तेल लगाना
5. दाल में काला होना
(i) दाल में मिलावट होना
(ii) संदेह होना
(iii) दाल में मक्खी गिरना
(iv) काली छिलके वाली दाल बनाना
6. ‘ठेस लगना’ का अर्थ है?
(i) ठोकर लगना
(ii) सदमा पहुँचना
(iii) ठोस जवाब
(iv) ठोकर मारना
उत्तर-
1. (iv)
2. (ii)
3. (iv)
4. (iii)
5. (ii)
6. (ii)
लोकोक्तियाँ
- अधजल गगरी छलकत जाए (कम जानने वाला व्यक्ति अधिक दिखावा करता है।) – समीर को चपरासी की सरकारी नौकरी क्या मिल गई, पूरे गाँव में किसी से सीधे मुँह बात नहीं करता। इसे कहते हैं – अधजल गगरी छलकत जाए।
- आम के आम गुठलियों के दाम (दोहरा लाभ) – मैं परीक्षा देने दिल्ली जा रही हूँ। लाल-किला और इंडिया गेट देख लँगी। इसे कहते हैं आम के आम गुठलियों के दाम।
- अंधों में काना राजा (मूर्खा में थोड़ा जानने वाला व्यक्ति भी आदर पा जाता है।) – पूरे गाँव में मदनलाल,ही आठवीं पास है। गाँव वाले उसे विद्वान समझकर उसका आदर करते हैं। इसी को कहते हैं अंधों में काना राजा।।
- अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता (अकेला आदमी कुछ नहीं कर सकता) – सामाजिक बुराईयों से लड़ने के लिए हमें सबको एक साथ होकर लड़ाई लड़नी होगी। आपने सुना ही होगा कि अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता।
- अपना हाथ जगन्नाथ (परिश्रम से ही सफलता मिलती है।) – दूसरों की कृपा पर जिंदा रहने से तो अच्छा है, परिश्रम करके खाओ, क्योंकि अपना हाथ जगन्नाथ।
- उलटा चोर कोतवाल को डाँटे-(अपराध करने वाला उलटी धौंस जमाए) – बबीत ने मेरा कॉपी चुरा लिया। उससे पूछा तो लड़ने लगा। इसी को कहते हैं – उलटा चोर कोतवाल को डाँटे।।
- एक अनार सौ बीमार-(एक वस्तु के अनेक चाहने वाले) – नौकरी में पाँच पद के लिए पचास हजार आवेदन पत्र देखकर एक अनार सौ बीमार वाली कहावत चरितार्थ होती है।
- खोदा पहाड़ निकली चुहिया-(अधिक परिश्रम करने पर कम लाभ) – पूरे वर्ष कठिन परिश्रम करने के बाद जब मंथन कक्षा में 25 प्रतिशत अंक ला पाया, तो उसके मुँह से यही निकला खोदा पहाड़, निकली चुहिया।
- ऊँची दुकान फीके पकवान-प्रसिद्धि के अनुरूप गुणों का न होना – हमने तो इस दुकान का नाम सुनकर इससे सामान खरीदा था, पर वह बहुत ही घटिया निकला। इसे कहते हैं ऊँची दुकान फीके पकवान।
- दूध का दूध पानी का पानी (स्पष्ट न्याय करना) – राजा विक्रमादित्य दूध का दूध और पानी का पानी कर दिया करते थे।
- नाच न जाने आँगन टेढ़ा (खुद काम न आने पर दूसरों को दोष देना) – गाना तो उससे ठीक से गाया नहीं गया और दोष देने लगा तबला बजाने वाले को। इसे कहते हैं नाच न जाने आँगन टेढ़ा।
- जैसी करनी वैसी भरनी-(कार्य के अनुसार फल की प्राप्ति) शिवम ने दिन-रात परिश्रम किया, वह प्रथम आया। लेकिन आयुष ने वर्ष भर खूब मौज उड़ाई, वह अनुत्तीर्ण हो गया। किसी ने ठीक कहा है – जैसी करनी वैसी भरनी।
- साँच को आँच नहीं ( सच्चे को डरने की आवश्यकता नहीं) – जब तुमने चोरी की ही नहीं, तो डरते क्यों हो? जानते नहीं साँच को आँच नहीं आती।
- चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए (बहुत कंजूस होना) – मदनलाल एक सप्ताह से बीमार है, पर खर्चे के कारण डॉक्टर को नहीं बुलाना चाहता। उसके लिए तो चमड़ी जाए पर दमड़ी न जाए वाली बात लागू होती है।
- भागते चोर की लंगोटी भली (सब कुछ बर्बाद होता देख, कुछ बचा लेना अच्छा है) – किरायेदार पाँच महीने का किराया दिए बिना ही भाग गया, मगर गिरवी पड़े जेवर छोड़ गया मैंने सोचा-भागने चोर की लंगोटी भली।
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