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Class 11 Hindi Antra Chapter 4 Question Answer गूँगे

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NCERT Solutions for Class 11 Hindi Antra Chapter 4 गूँगे

Class 11 Hindi Chapter 4 Question Answer Antra गूँगे

प्रश्न 1.
चमेली को गूँगे ने अपने बारे में क्या-क्या बताया और कैसे ?
उत्तर :
गूँगे ने अपने माता-पिता के बारे में इशारे से चमेली को बताया कि जब वह छोटा था तब माँ घूँघट काढ़ती थी। उसका बाप बड़ीबड़ी मूँछें रखता था। जब उसका बाप मर गया तो उसकी माँ उसे छोड़कर भाग गई थी। उसे जिसने पाला वे लोग उसे बहुत मारते थे। उसने अपने हाथों के इशारे से चमेली को अपनी बात समझाई।

प्रश्न 2.
गूँगे की कर्कश काँय-काँय और अस्फुट ध्वनियों को सुनकर चमेली ने पहली बार क्या अनुभव किया ?
उत्तर :
गूँगे को देखकर चमेली ने पहली बार यह अनुभव किया कि यदि गले में काकल कुछ ठीक नहीं हो तो मनुष्य को न मालूम क्या से क्या हो जाता है। वह इतना अधिक दुखी हो जाता है कि चाहते हुए भी अपने मन की भावनाओं को व्यक्त नहीं कर सकता।

प्रश्न 3.
गूँगे ने अपने स्वाभिमानी होने का परिचय किस प्रकार दिया ?
उत्तर :
गूँगा संकेतों के माध्यम से बताता था कि वह मेहनत करके खाता है, किसी से भीख नहीं लेता है। उसने संकेतों से बताया है कि उसने हलवाई के यहाँ लड्डू बनाए, कड़ाही माँजी, नौकरी की, कपड़े धोए। वह सीने पर हाथ मारकर इशारा करता है कि कभी हाथ फैलाकर नहीं माँगा, भीख नहीं लेता। वह भुजाओं पर हाथ रखकर संकेत करता है कि मेहनत का खाता है और पेट बजाकर दिखाया कि इसके लिए।

प्रश्न 4.
‘मनुष्य की करुणा की भावना उसके भीतर गूँगेपन की प्रतिच्छाया है।’ कहानी के इस कथन को वर्तमान सामाजिक परिवेश के संद्भर्भ में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :
वर्तमान सामाजिक परिवेश में भौतिकतावाद की निरंतर वृद्धि हो रही है। मनुष्य दिन-प्रतिदिन अधिक आत्मकेंद्रित होता जा रहा है। उसकी समस्त भावनाएँ और संवेदनाएँ कुंद हो गई हैं। सड़क पर किसी वाहन से टकराकर गिरे हुए व्यक्ति को सहारा देते हुए भी हम डरते हैं कि कहीं पुलिस केस हुआ तो थाने के चक्कर लगाते-लगाते उम्र बीत जाएगी इसलिए जब मनुष्य किसी के प्रति अपनी दया व्यक्त नहीं कर पाता तो उसकी यह संवेदनहीनता उसे ही गूँगा बना देती है।

प्रश्न 5.
‘नाली का कीड़ा! एक छत उठाकर सिर पर रख दी फिर भी मन नहीं भरा।’चमेली का यह कथन किस संदर्भ में कहा गया है और इसके माध्यम से उसके किन मनोभावों का पता चलता है?
उत्तर :
एक दिन गूँगा कही चला गया। चमेली ने उसे बहुत ढूँढ़ा पर उसका कुछ भी पता नहीं चला। चमेली के पति ने कहा कि भाग गया होगा। वह सोचती रही कि वह सचमुच भाग ही गया है पर यह नहीं समझ पा रही थी क्यों भाग गया। गूँगे के इस प्रकार भाग जाने से उसे क्रोध आ जाता है और वह यह शब्द कहती है। उसने गूँगे को सहारा दिया था। उसे खाना-पीना दिया था। उसके रहने का प्रबंध किया था। उसका उपकार न मानकर गूँगे का इस प्रकार भाग जाना उसे बहुत आहत कर देता है और वह उसे बुरा-भला कहने लगती है।

प्रश्न 6.
यदि बसंता गूँगा होता तो आपकी दृष्टि में चमेली का व्यवहार उसके प्रति कैसा होता ?
उत्तर :
यदि बसंता गूँगा होता तो चमेली उसके प्रति ममता और सहानुभूति का व्यवहार करती। जब गूंगे को बसंता चपत मार देता है और गूँगा रोकर चमेली को अपनी सांकेतिक भाषा में अपनी व्यथा सुनाता है तो वह इतना ही समझ पाती है कि खेलते-खेलते बसंता ने उसे मारा है परंतु बसंता के यह कहने पर कि गूँगा उसे मारना चाहता था तो चमेली ‘क्यों रे’ कहकर गूँगे की ओर देखती है तो गूँगा उसके मनोभाव समझकर उसका हाथ पकड़ लेता है। उस समय चमेली को लगा कि जैसे उसके अपने पुत्र ने उसका हाथ पकड़ लिया है। उसे लगता है कि यदि उसका अपना बेटा भी गूँगा होता तो उसे भी ऐसे ही दु:ख उठाने पड़ते। यह सोचते ही वह घबरा गई और उसके मन में गूँगे के प्रति ममता उत्पन्न हो गई।

प्रश्न 7.
‘उसकी आँखों में घानी भरा था। जैसे उनमें एक शिकायत थी, पक्षपात के प्रति तिरस्कार था।’ क्यों ?
उत्तर :
बसंता ने गूँगे को चपत जड़ दी थी। गूँगा उसे मारना चाहता था परंतु उसे मारने के स्थान पर कर्कश स्वर में रोने लगा। चमेली जब उससे कारण पूछने लगी तो उसके बताने पर भी समझ नहीं पाई पर बसंता के यह कहने पर कि गूँगा उसे मारने लगा था चमेली उसे डाँट देती है। बाद में उसे पछतावा होता है कि गूँगा बसंता के मुकाबले ताकतबर होते हुए भी उसे नहीं मारता। वह गूंगे को रोटी देने जाती है। उस समय गूँगे के हावभाव से समझ जाती है कि वह उसके बसंता का पक्ष लेने से नाराज़ है।

प्रश्न 8.
‘गूँगा दया या सहानुभूति नहीं, अधिकार चाहता है’ – सिद्ध कीजिए।
उत्तर :
‘गूँग’ कहानी में गूँगा दया, ममता और सहानुभूति के पात्र के रूप में चित्रित हुआ है। सभी उसे दया का पात्र मानते हैं, लेकिन गूँगा स्वाभिमानी है। वह ऐसी भावनाओं की उपेक्षा करता है। उसने कमाकर खाना सीखा है। वह नहीं चाहता कि लोग उसे अनाथ और दया का पात्र समझकर उसकी जरुरत पूरी करें। वह अपना अधिकार चाहता है। यही कारण है कि बसंता का व्यवहार उसे अच्छा नहीं लगता। सड़क के लड़कों से भी वह नहीं दबता। उसके रूदन में उसकी विवशता है। वह चिल्लाकर और कराहकर समाज से यही कामना करता है कि उसका अधिकार उसे लौटा दिया जाए।

इसलिए जब चमेली उसे घर पर नौकर रखती है तो वह खाने के अतिरिक्त संकेत से चार रुपए भी माँगता है। उसका हलवाई के यहाँ लड्डू बनाना, कड़ाही माँजना, कपड़े धोना, सीने पर हाथ मारकर संकेत करना, भुजाओं पर हाथ रखकर इशारा करना, पेट बजाकर दिखाना यही सिद्ध करता है कि वह भीख नहीं माँगता, मेहनत करके खाता है। वह दया और सहानुभूति नहीं अपने अधिकार के बल पर जीना चाहता है।

प्रश्न 9.
‘गूँगे’ कहानी पढ़कर आपके मन में कौन-से भाव उत्पन्न होते हैं और क्यों ?
उत्तर :
‘गूँग’ कहानी पढ़ने से गूँगे की लाचारी तथा उसकी व्यथा-कथा जानकर उसके प्रति करुणा और सहानुभूति उत्पन्न होती है। उसकी मेहनत करके खाने की आदत पर गर्व होता है कि गूँगा होते हुए भी वह किसी के सामने अपने हाथ नहीं फैलाता है। बिना बताए कहीं भी भाग जाने की उसकी आदत पर क्रोध आता है। बसंता से मार खाकर गूँगे के रोने और सड़क के लड़कों से मार खाकर आने पर उसके चिल्लाने को सुनकर उसके प्रति दया का भाव उत्पन्न होता है।

प्रश्न 10.
गूँगे में ममता है, अनुभूति है और है मनुष्यत्व’ – कहानी के आधार पर इस वाक्य की विवेचना कीजिए।
उत्तर :
गूँगा बोल नहीं सकता, सुन नहीं सकता परंतु अनुभव कर सकता है। वह एक मनुष्य की संतान है, इसलिए वह समस्त मानवीय गुणों से युक्त है। उसमें ममता का भाव हैं। चमेली से डाँट-फटकार सुनकर वह उसका हाथ पकड़कर उसके प्रति पुत्र का-सा भाव तथा अपना निर्दोष होना प्रकट करता है। जब कभी उसका कसूर होता है तो वह चमेली की डाँट-फटकार के आगे अपना सिर झुकाकर अपराध स्वीकार कर लेता है। जब गूँगे पर हाथ उठाने के कारण चमेली की आँखों में आँसू आ जाते हैं तो गूँगा भी रो देता है। बसंता से मार खाकर वह उसे मारना चाहता है पर सहसा यह अनुभव कर रुक जाता हैं कि मालिक के बेटे पर हाथ उठाना उचित नहीं। उसमें मनुष्यता है। वह दूसरों के सुख-दुख को अनुभव करता है।

प्रश्न 11.
कहानी का शीर्षक ‘गूँगे’ है, जबकि कहानी में एक ही गूँगा पात्र है। इसके माध्यम से लेखक ने समाज की किस प्रवृत्ति की ओर संकेत किया है ?
उत्तर :
प्रस्तुत कहानी का शीर्षक ‘गूँगे’ है, ‘गूँगा’ नहीं। इसका कारण यह है कि लेखक केवल एक ही गूँगे का चरित्रांकन नहीं बल्कि उसके माध्यम से अन्य लोगों में निहित गूँगेपन की ओर भी संकेत करता है। कहानी के प्रतिपाद्य को व्यापक बनाने के लिए ही लेखक ने कहानी का शीर्षक ‘ ‘ूँगे’ रखा है। ‘गूँगे’ शब्द में व्यंग्यात्मकता और लाक्षणिकता का गुण भी विद्यमान है। कहानी का प्रमुख पात्र गूँगा तो गूँगा है पर अन्य पात्र भी गूँगे ही सिद्ध होते हैं। वे कहीं भी अत्याचार को चुनौती नहीं देते। जिस प्रकार गूँगा मूक होने के कारण अपनी बात कहने में असमर्थ है, उसी प्रकार कहानी के अन्य पात्र भी अपनी थात कहने में असमर्थ हैं। अतः इस दृष्टि से कहानी का शीर्षक ‘गूँग’ उपयुक्त है। लेखक ने इस कहानी के माध्यम से यह भी स्पष्ट किया है कि समाज के जो लोग संवेदनहीन हैं, वे भी गूँगे-बहरे हैं क्योंकि वे अपने सामाजिक दायित्वों के प्रति सचेत नहीं हैं।

प्रश्न 12.
निम्नलिखित गद्यांशों की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए।
(क) “करुणा ने सबको …………………………… जी जान लड़ रहा हो।”
(ख) “वह लौटकर चूल्हे पर …………………………… आदमी गुलाम हो जाता है।”
(ग) “और फिर कौन …………………………… जिंद्रिं बिताए।”
(घ) “और ये गूँगे …………………………… क्योंकि वे असमर्थ हैं।”
उत्तर :
सप्रसंग व्याख्या के लिए इस पाठ का ‘सप्रसंग वाला’ व्याख्या भाग देखिए।

प्रश्न 13.
निम्नलिखित पंक्तियों का आशय स्पष्ट कीजिए।
(क) कैसी यातना है कि वह अपने हूदय को उगल देना चाहता है, किंतु उगल नहीं पाता।
(ख) जैसे मंदिर की मूर्ति कोई उत्तर नहीं देती, वैसे ही उसने भी कुछ नहीं कहा।
उत्तर :
(क) गूँगा अपने मन की भावनाओं को शब्दों के माध्यम से व्यक्त करना चाहता है परंतु कर नहीं पाता। यही पीड़ा उसे सताती रहती है।
(ख) मंदिर की मूर्ति पत्थर की होने के कारण कोई उत्तर नहीं देती। गूँगा अपने गूँगे और बहरे होने के कारण कोई उत्तर नहीं दे सका।

प्रश्न 14.
निम्नलिखित पंक्तियों को अपने शब्दों में समझाइए-
(क) इशारे गजब के करता है।
(ख) सड़ से एक चिमटा उसकी पीठ पर जड़ दिया,
(ग) पत्ते चाटने की आदत पड़ गई है।
उत्तर :
(क) गूँगा न सुन सकता है और न ही बोल सकता है परंतु संकेतों में अपनी बात अच्छी प्रकार से समझा देता है।
(ख) चमेली गुसे में भरकर चिमटा गूँगे की पीठ पर मार देती है।
(ग) जिसे इधर-उधर मुँह मारने की आदत पड़ जाए वह एक जगह नहीं टिक सकता।

योर्यता-विस्तार –

प्रश्न 1.
समाज में विकलांगों के लिए होनेवाले प्रयास में आप कैसे सहयोग कर सकते हैं ?
प्रश्न 2.
विकलांगों की समस्या पर आधारित ‘स्पर्श’, ‘कोशिश’ तथा ‘इकबाल’ फ़िल्में देखिए और समीक्षा कीजिए।
उत्तर :
विद्यार्थी अपने अध्यापक/अध्यापिका की सहायता से स्वयं करें।

Class 11 Hindi NCERT Book Solutions Antra Chapter 4 गूँगे

प्रश्न 1.
‘गूँगे’ कहानी के आधार पर निम्नलिखित उक्तियों का स्पष्टीकरण कीजिए-
(क) पुत्र की ममता ने इस विषय पर चादर डाल दी।
(ख) इस मूक अवसाद में युगों का हाहाकार मरकर गूँज रहा है।
(ग) उसने एक पशु पाला था, जिसके हृदय में मनुष्यों की-सी वेदना थी।
उत्तर :
(क) गूँगेने मालिक के बेटे बसंता पर हाथ नहीं उठाया था फिर भी चमेली गूँगे को मारने के लिए हाथ उठाया। गूँगे ने चमेली का हाथ पकड़ लिया। गूँगा चमेली की भावभंगिमा समझ रहा था। वह जानता था कि बसंता मालिक का बेटा है, इसलिए उसपर हाथ उठाना उचित नहीं। चमेली को गूँगे में अपने पुत्र की छाया दिखाई दे गई थी। पुत्र की ममता के कारण ही उसने न तो गूँगे को मारा और न ही इस विषय को आगे बढ़ाया। उससे जो कुछ हुआ था, उसे वहीं दबा दिया।

(ख) गूँगा चमेली के घर में काम करता था। एक दिन वह बिना बताए ही घर से भागकर चला गया था। कुछ दिन बाद चमेली ने उसे अपने द्वार पर सिसकते और कराहते हुए देखा। वह लड़कों से पिट कर आया था। उसके सिर से खून की धारा बह रही थी। वह दहलीज पर सिर रखकर कुत्ते की तरह चिल्ला रहा था। पिटने का कारण यह था कि वह स्वाभिमान के कारण किसी से दबना नहीं चाहता था। उसे गूँगे के माध्यम से जो वेदना और पीड़ा प्रकट हो रही थी, उसमें केवल उसका निजी अवसाद नहीं था बल्कि युगों-युगों से बेसहारा और अनाथ लोगों पर हुए अत्याचार की गूंज थी। निःसहाय व्यक्ति अपनी पीड़ा को रो-चिल्ला कर प्रकट करता है। उसके रुदन में युगों से पीड़ित असंख्य शोषितों और उपेक्षितों का रुदन होता है।

(ग) पशु एक मूक प्राणी है। वह वाणी के अभाव के कारण सार्थक ध्वनि में अपना सुख-दुख प्रकट नहीं कर सकता। गूँगा व्यक्ति भी बाहर से पशु के समान ही था लेकिन उसके भीतर मानव था। उसका सुख-दुख एक मनुष्य का सा सुख-दुख था। उसका रोना जहाँ दर्दभरी आवाज़ में प्रकट होता था वहाँ उसके हृदय में बैठा उपेक्षा का अवसाद गुराहटभरी हँसी में व्यक्त होता था। यह हँसना उसके हदय की वेदना को प्रकट कर रहा था। चमेली यही सोच रह गई कि जिसे उसने आज तक एक नौकर और गूँगा तथा मानव से भिन्न प्राणी माना था, वह वस्तुत: एक ऐसा पशु था जिसके हूदय में मानवीय संवेदना बसती थी।

प्रश्न 2.
समाज में विकलांगों के प्रति हमारा व्यवहार कैसा होना चाहिए ? अपना मत लिखिए।
उत्तर :
‘गूँगे’ कहानी के माध्यम से लेखक यही संदेश देना चाहता है, विकलांगों के प्रति हमें सहानुभूति दिखानी चाहिए। उनको ऊपर उठाने का प्रयल करना चाहिए। उन्हें यह अनुभव न होने दें कि वे अत्यंत हीन हैं, समाज में उनका कोई स्थान नहीं। कई लोग विकलांगों पर भी अत्याचार करते हैं, उनका शोषण कर अपना स्वार्थ सिद्ध करना चाहते हैं। यूँगा भी तो इसी शोषण और स्वार्थ का शिकार बनकर रह जाता है। विकलांग भी संसार के अन्य प्राणियों के समान ईश्वर की रचना हैं। ईश्वर की रचना की उपेक्षा करना किसी प्रकार भी उचित नहीं। विकलांगों के प्रति हमें उदारता का परिचय देना चाहिए। उनमें निहित गुणों की ओर संकेत कर उनका आत्म-विश्वास बढ़ाना चाहिए जिससे वे अपनी क्षमता और योग्यता का परिचय दे सकें।

प्रश्न 3.
“एक गूँगे की कहानी होते हुए भी इसका आरंभ संवाद से हुआ है।” इस कथन को दुष्टि में रखकर कहानी के संवादों पर प्रकाश डालिए।
उत्तर :
‘गूँगे’ कहानी का आरंभ संवादों से हुआ है। लेखक ने कहानी में गूँगे के संवादों की भी योजना की है। भला गूँगा क्या बोलेगा? अतः यहाँ विरोधाभास है। लेकिन वास्तविकता यह है कि गूँगे के संवाद गूंगे के अंतर्मन की अभिव्यक्ति हैं। इन संवादों के माध्यम से लेखक ने अपनी अनुभूति का भी प्रकाशन किया है। संवादों में चुटीलापन, व्यंग्यात्मकता तथा तीव्रता का गुण है। गूँगे के संवाद उसके हृदय की अभिव्यक्ति में सहायक हैं, यथा- ‘हलवाई के यहाँ रातभर लइडू बनाए हैं, नौकरी की है, कपड़े धोये हैं।’ इस प्रकार स्पष्ट हो जाता है कि प्रस्तुत कहानी के संवाद एक गूँगे के संवाद नहीं बल्कि इस संसार में अनेक रूपों में रह रहे गूँगों के हृदय की अभिव्यक्ति है।

प्रश्न 4.
गूँगे द्वारा अपना हाथ पकड़े जाने पर चमेली को कैसा लगा ? चमेली ने अपना हाथ क्यों छुड़ा लिया ?
उत्तर :
बसंता ने गूँगे को चपत जड़ दी थी। उसका रोना सुनकर चमेली वहाँ आई तो उसने चमेली को संकेतों से समझाया कि बसंता ने उसे मारा है। बसंता ने चमेली को कहा कि गूँगा उसे मारना चाहता था। गूँगा चमेली की भाव-भंगिमा से समझ गया कि वह उसे मारेगी इसलिए वह उसका हाथ पकड़ लेता है। चमेली को लगा जैसे उसके पुत्र ने उसका हाथ पकड़ लिया लेकिन फिर गूँगे के प्रति घृणा के भाव से तथा पुत्र बसंता के प्रेमभाव से वह अपना हाथ छुड़ा लेती है।

प्रश्न 5.
शकुंतला और बसंता दोनों क्यों चिल्ला उठे ?
उत्तर :
गूँगे को खून से भीगा हुआ देखकर शकुंतला और बसंता एक साथ अम्मा, अम्मा चिल्ला उठे थे। गूँगे का सिर फट गया था। उसे सड़क पर खेल रहे लड़कों ने मारा था। गूँगा दरवाज़े की दहलीज पर सिर रखकर कुत्ते की तरह चिल्ला रहा था।

प्रश्न 6.
गूँगे ने अपने संबंध में इशारे से चमेली को क्या-क्या बताया ?
उत्तर :
गूँगे ने अपने कानों पर हाथ रखकर चमेली को इशारे से बताया कि वह बहरा होने के कारण वज्र बहरा है। जब चमेली ने अपनी अंगुलियों के संकेत द्वारा उससे पूछा कि फिर, तो उसने मुँह के आगे संकेत करके बताया कि जब वह छोटा था तो घूँघट काढ़नेवाली उसकी माँ उसे छोड़कर भाग गई थी क्योंकि उसका बड़ी-बड़ी मूँछोंवाला बाप मर गया था। उसने यह भी संकेतों द्वारा बताया कि जिन्होंने उसे पाला वे लोग उसे बहुत मारते थे। गूँगे ने अपने सीने पर हाथ रखकर संकेत किया कि वह हाथ फैलाकर कभी नहीं माँगता, भीख नही लेता और बाँहों पर हाथ रखकर संकेत करता है कि मेहनत की खाता हैँ तथा पेट बजाकर दिखाता है कि इसके लिए सब कुछ करता हूँ। वह चार उँगलियाँ दिखाकर चमेली से चार रुपये माँगता है। बसंता द्वारा चपत मारने की बात भी वह चमेली को संकेत से ही समझाता है।

प्रश्न 7.
कहानी के आधार पर गूँगे के चरित्र की विशेषताएँ लिखिए।
उत्तर :
गूँगे के चरित्र की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
(i) कर्मठ-गूँगा श्रवण – क्षमता तथा वा कक्षयता से हीन होते हुए भी बहुत परिश्रमी है। वह भीख माँगने की अपेक्षा परिश्रम करके खाना पसंद करता है। वह संकेतों में बताता है कि उसने कभी नहीं माँगा, वह भीख नहीं लेता, मेहनत करके खाता है। उसने नौकरी की है, हलवाई के यहाँ लड्ड बनाए हैं, कड़ाही माँजी है, कपड़े धोए हैं।

(ii) स्वाभिमानी – गूँगा अत्यंत स्वाभिमानी व्यक्ति है। वह अपमान और प्रताड़ना सहन नहीं कर पाता। जिन लोगों ने उसका पालन-पोषण किया था वे उसे बहुत मारते थे इसलिए वह वहाँ से भाग आया था और नौकरी करके अपना पेट भरता था। बसंता की शिकायत पर जब चमेली उसे डाँटती है और मारना चाहती है तो वह उसका हाथ पकड़ लेता है।

(iii) संवेदनशील – गूँगा बहुत संवेदनशील और समझदार है। जब वह बिना बताए चमेली के घर से भाग जाता है और वापस आने पर चमेली की डाँट और चिमटे की मार चुपचाप सह लेता है क्योंकि अपने अपराध को वह जानता था। जब गूँगे को मारने के बाद चमेली की आँखों से आसू टपकते है तो वह भी रो पड़ता है।

(iv) ममतामय – गूँगा ममता और दया से भरपूर है। बसंता ने उसे कसकर चपत जड़ दी थी। इसपर गूँगे का हाथ भी उठ गया था पर उसने बसंता को यह सोचकर नहीं मारा था कि वह बच्चा है और उसके मालिक का पुत्र है। इस प्रकार स्पष्ट है कि गूँगा मानवीय गुणों से युक्त बालक है।

प्रश्न 8.
चमेली ने गूँगे को चिमटे से क्यों मारा ?
उत्तर :
एक दिन गूँगा कहीं चला गया। चमेली ने उसे पुकारा और दूँढ़ा पर उसका कुछ भी पता नहीं चला। चमेली के पति ने कहा कि भाग गया होगा। वह सोचती रही कि वह सचमुच भाग ही गया है पर यह नही समझ पा रही थी क्यों भाग गया ? वह सब खाकर उठ गए थे। उसे दरवाजे पर गूँगा दिखाई दिया जो हाथ के इशारे से रोटी माँग रहा था। उसने उसकी तरफ दो रोटियाँ फेंककर गुस्से से पीठ फेर ली। पहले तो गूँगा वैसे ही खड़ा रहा पर बाद में उसने रोटियाँ खा लीं। चमेली हाथ में चिमटा लेकर कठोर स्वर में उससे पूछती है कि कहाँ गया था और उसकी पाठ पर सड़ से चिमटा जड़ देती है। वह गूँगे को घर से बिना बताए भाग जाने पर मारती है।

प्रश्न 9.
‘गूँगे’ कहानी किसकी है तथा इसमें क्या कहा गया है ?
उत्तर :
‘गूँगे’ कहानी रांगेय राघव की एक प्रसिद्ध कहानी है। यह कहानी एक गूँगे लड़के की है जिसमें शोषित एवं पीड़ित मानव की असहाय स्थिति का मार्मिक चित्रण किया गया है। गूँगे में ऐसी तड़प है जो पाठक को झकझोर देती है।

प्रश्न 10.
कहानी में वर्णित ‘गूँगे’ पात्र के बारे में आप क्या जानते हैं ? संक्षेप में बताइए।
उत्तर :
कहानी में वर्णित पात्र गूँगा सभी की दया का पात्र है। वह जन्म से बहरा होने के कारण गूँगा है। वह सुख-दुख सबको अनुभव करता है, लेकिन उसे संकेतों के माध्यम से प्रकट करता है। उसके संकेत एक प्रकार से दूसरों का मनोरंजन भी करते हैं। वह संकेतो से बताता था कि उसकी माँ घूँघट काढ़ती थी, छोड़ गई क्योंकि उसका बाप मर गया था। गूँगा वाणी विहीन होते हुए भी मेहनती और कर्मठ है। वह अत्यंत स्वाभिमानी है तथा इसके साथ-साथ वह अत्यंत संवेदनशील और समझदार भी है।

प्रश्न 11.
गूँगा अपने घर वापस क्यों नहीं जाना चाहता था ?
उत्तर :
गूँगा एक मेहनती और कर्मठ व्यक्ति है। उसे अपनी मेहनत और बाजुओं पर पूरा भरोसा है। उसे उसकी बुआ और फूफा ने अवश्य पाला पर वे उसे बहुत मारते थे। वे चाहते थे कि गूँगा कुछ काम करे और उन्हें कमा कर दे। बदले में बाजरे तथा चने की रोटियों पर निर्वाह करे इसलिए गूँगा अपने घर वापस नहीं जाना चाहता था।

प्रश्न 12.
गूँगे को मुँह खोलने के लिए किसने कहा और अंदर क्या पाया ?
उत्तर :
सुशीला ने गूँगे को मुँह खोलने के लिए कहा। गूँगे के मुँह में कुछ नहीं था। गले में कौआ नहीं था। बचपन में गला साफ़ करने की कोशिश में काट दिया होगा। तब से वह ऐसे बोलता है, जैसे घायल पशु कराह उठता है।

प्रश्न 13.
खाने-पीने के विषय में पूछने पर गूँगे ने क्या बताया ?
उत्तर :
खाने-पीने के विषय में पूछने पर गूँगे ने बताया कि उसने हलवाई के यहाँ रातभर लइडू बनाए हैं; कड़ाही माँजी है; नौकरी की है, कपड़े धोए हैं गूँगे का स्वर चीत्कार में बदल गया। सीने पर हाथ मारकर इशारा किया कि हाथ फ़लाकर उसने कभी नहीं माँगा। वह भीख नहीं लेता। भुजाओं पर हाथ रखकर बताया कि वह मेहनत का खाता है।

प्रश्न 14.
गूँगे को अपने घर नौकरी पर किसने और कितने वेतन पर रखा ?
उत्तर :
चमेली के हदयय में अनाथ बच्चों के लिए एक अनूठा प्रेम था। अपने इसी मातृ प्रेम की विवशता के कारण उसने ने गूँगे को चार रुपए वेतन और खाना देने का वादा कर घर में नौकर रख लिया। जबकि सुशीला ने उसे ऐसा करने से मना भी किया था कि वह इस नकारा से कौन-सा काम ले पाएगा। पर चमेली के मन में दया थी। उसने कहा और कुछ नहीं करेगा तो कम-से-कम बच्चों की तबीयत तो बहलती रहेगी।

प्रश्न 15.
गूँगे की क्या आदत थी और उसका क्या परिणाम निकला ?
उत्तर :
गूँगे की आदत थी कि वह इधर-उधर भाग जाता था। एक दिन ऐसा ही हुआ। घर के सब लोग जब खाना खा चुके तो वह अचानक दरवाजे पर दिखाई दिया। उसने इशारे से बताया कि वह भूखा है। चमेली ने उसकी ओर रोटियाँ फेंक दीं और पूछा कहाँ गया था। गूँगा अपराधी की भाँति खड़ा था। चमेली ने गुस्से में एक चिमटा उसकी पीठ पर जड़ दिया पर गूँगा रोया नहीं। चमेली की आँखों से आँसू बहने लगे। यह देखकर गूँगा भी रोने लगा। गूँगा कभी भाग जाता और कभी लौटकर फिर आ जाता। जगह-जगह नौकरी करके भाग जाना उसकी आदत बन गई थी।

प्रश्न 16.
कहानी में ऐसा कौन-सा प्रसंग आता है जो गूँगे की संवेदनशीलता को स्पष्ट करता है ?
उत्तर :
गूँगा बहुत संवेदनशील और समझदार है। जब वह बिना बताए चमेली के घर से भाग जाता है और वापस आने पर चमेली की डाँट और चिमटे की मार चुपचाप सह लेता है, क्योंकि उसे अपने अपराध की भली-भॉति जानकारी है। जब चमेली गूँगे को मारने के बाद रोने लगती है तो उसे देखकर गूँगा भी रोने लगता है। यह उसके हृदय में हुपी संवेदनशीलता को प्रकट करता है।

प्रश्न 17.
लेखक ने अपनी कहानी ‘गूँगा’ के माध्यम से क्या संदेश देना चाहा है ?
उत्तर :
लेखक ने अपनी कहानी ‘गूँगा’ में विकलांगों के प्रति समाज में व्याप्त संवेदनहीनता को रेखांकित किया है। साथ ही यह संदेश भी दिया है कि उन्हें सामान्य मानव की तरह मानना और समझना चाहिए एवं उनके साथ संवेदनशील व्यवहार करना चाहिए जिससे वे इस दुनिया से अलग-थलग न पड़ने पाएँ।

प्रश्न 18.
‘रांगेय राघव’ की भाषा पर टिप्पणी लिखें।
उत्तर :
रांगेय राघव ने ‘गूँगे’ कहानी में सरल, सुबोध एवं आम बोलचाल की भाषा का प्रयोग किया है। इनकी भाषा आम जन की भाषा है। इसमें कहीं-कहीं विरोधाभास अलंकार देखने को मिलता है, जैसे -आग से आग बुझती है, मुहावरों के प्रयोग ने भाषा को और भी सटीक बना दिया है, जसे-चुनौती देना। भाषा संस्कृत निष्ठ होते हुए भी सरल है। ‘काँय-काँय’ आदि देशज शब्दों का प्रयोग देखते ही बनता है। लेखक ने भावात्मक, व्यंग्यात्मक, विचारात्मक तथा वर्णनात्मक शैलियों का बड़ा अनूठा प्रयोग किया है।

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