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Class 11 Hindi Antral Chapter 1 Summary – Ande Ke Chilke Vyakhya

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अंडे के छिलके Summary – Class 11 Hindi Antral Chapter 1 Summary

अंडे के छिलके – मोहन राकेश – कवि परिचय

‘अंडे के छिलके’ एकांकी के लेखक ‘मोहन राकेश’ हैं। लेखक ने इस पाठ में एक परिवार की विभिन्न रुचियों का सूक्ष्मता से वर्णन किया है। सभी सदस्य एक-दूसरे की भावनाओं को समझते हुए उनके परिवार-विरूद्ध कार्यों को अम्माँ से छुपाते हैं। वे अंडे खाते हैं; सिगरेट पीते हैं; चंद्रकांता संतति पढ़ते हैं, परंतु अम्माँ सब कुछ जानते हुए भी अपने परिवार की एकता और स्नेह के लिए उसे अनदेखा कर देती हैं।

श्याम बारिश में भीगता हुआ आता है और अपनी भाभी को आवाज़ लगाता है। उसकी भाभी वीना उसे अपने कमरे में बुलाती है। श्याम कहता है कि उसे उनके कमरे में अपनापन नहीं लगता है। ऐसा लगता है? जैसे किसी पराये के घर आ गया हो। वीना ने शादी के बाद कमरे के रख-रखाव को पूरी तरह बदल दिया था, जिससे श्याम को कमरा पराया लगता था। श्याम बीना से चाय बनाने को कहता है। चाय के साथ समोसे और कचौरी लाने के लिए वीना से पूछता है। वीना बरसात के मौसम में समोसे-कचौरी की अपेक्षा अंडे का हलुआ बनाने की बात करती है। श्याम अंडे का नाम सुनकर वीना को चुप रहने के लिए कहता है, क्योंकि उसकी अम्माँ पुराने विचारों की है।

यदि अंडे का नाम भी सुन लिया तो इस बरसात में स्नान करना पड़ेगा। वीना कहती है कि उसने अपने कमरे में बिजली का स्टोव बेड-टी पीने के बहाने से रखा हुआ है। जब कभी अंडे खाने का मन होता है, वह उसी स्टोव पर बनाकर स्वयं और श्याम के भैया गोपाल दोनों खाते हैं। श्याम उसे अंडे का नाम लेने से मना करता है। वीना कहती है कि उसे यह अच्छा नहीं लगता कि खाने की चीज़ें छिपाकर खाई जाएँ।

श्याम इस शर्त के साथ अंडे लाने के लिए तैयार होता है कि यदि अम्माँ को अंडे की भनक मिल गई तो वह साफ बच निकलेगा और सारी बात वीना पर आएगी। श्याम और वीना में समझौता होता कि दोनों में से कोई कुछ नहीं कहेगा। श्याम के जाने के बाद वीना को कमरे के एक कोने में जुराब के अंदर अंडे के छिलके मिलते हैं। उसे लगता है कि उसके पति ने अंडे के छिलके छुपाने के लिए जुराब में ड्ाल दिए हैं।

वीना चाय बनाने के लिए पानी लेने जाती है। उसे अपनी जेठानी राधा का कमरा बंद दिखता है। वह राधा से दरवाज़ा बंद होने का कारण पूछती है। राधा कहती है कि उसकी तबीयत ठीक नहीं है। वीना उसे चाय पीने के लिए कमरे में बुलाती है। रसोई में पानी लेते समय उसे ‘चंद्रकांता संतति’ नामक किताब मिलती है। वीना समझ जाती है कि राधा भाभी यह किताब पढ़ रही थी। राधा उससे किताब छीनने का प्रयल करती है। वीना उसे कहती है कि यह ऐसी किताब नहीं है जो छिपाकर पढ़ी जाए।

राधा कहती है कि अम्माँ जी को बुरा लगेगा कि दिन के समय में रामायण, महाभारत के स्थान पर किस्से-कहानियों की किताबें पढ़ी जाएँ। यह किताब तो कौशल्या भाभी ने जबरदस्ती पढ़ने के लिए दे दी। वीना कहती है कि यह किताब रामायण-महाभारत के आगे बचकाना लगती है। वीना की यह किताब पढ़ी हुई है, यह जानकर वह उससे उत्सुकता से आगे की कहानी पूछती है। उसी समय वीना का पति गोपाल बाहर से बारिश में भीगता हुआ आता है। गोपाल चाय बनी देखकर प्रसन्न होता है, लेकिन यह पता चलने पर कि यह चाय श्याम के लिए बनी है तो वह वीना से पूछता है कि आजकल वह श्याम पर मेहरबान क्यों है।

वीना कहती है, राधा जीजी को पता होगा कि गोपाल कहता है, उसकी भाभी तो देवी है, वह वीना की तरह ‘संज एंड़ लवर्ज’ नहीं पढ़ती। वह तो रामायण महाभारत पढ़ती है। मन में अच्छी भावना होनी चाहिए। वीना को भी उनसे कुछ सीखना चाहिए। राधा अपनी कमी छिपाती हुई कहती है कि वह तो स्वयं वीना से आज के समय की अच्छी बातें सीखने आई है। गोपाल राधा की आज्ञा लेकर सिगरेट पीता है। यह बताता है कि घर में राधा भाभी के सिवाए किसी को नहीं पता कि वह सिगरेट पीता है। राधा कहती है कि कुछ बातें दिल में ही रखनी चाहिए।

श्याम आता है और वीना को अंडे देता है परंतु राधा भाभी को देखकर असमंजस में पड़ जाता है। वीना कहती है कि भाभी किसी से नहीं बताएगी। गोपाल वीना से कहता है कि उसने उसे कहा था कि घर में किसी से इसके बारे में बात नहीं करना। वीना उसे जवाब देती है कि जब सिगरेट का भाभी से छिपाव नहीं तो अंडों का क्यों छिपाव रखते हो। राधा कहती है कि उसे पहले से ही पता है कि उनके कमरे में अंडे बनते हैं क्योंकि वह तो उसकी गंध से पहचान जाती है। राधा ने कभी अंडे खाए नहीं हैं। गोपाल राधा से कहता है कि भैया से मत बताना।

गोपाल श्याम को कमरे का दरवाज़ा बंद करने के लिए कहता है कि इतने में बाहर से अम्माँ आवाज़ लगाती हुई आ जाती है। श्याम उन्हें कमरे के बाहर दरवाज़े पर रोकता है लेकिन वह कमरे में आ जाती है। जमुना गोपाल से कमरे की छत टपकने की बात करती है। वह देखती है कि उन्हें देखकर सब चुप हो गए हैं, और वीना एक कोने में चम्मच लिए खड़ी है तो गोपाल कहता है कि वीना का हाथ जल गया है उसके लिए मरहम दूँढ़ रहा हूँ। जमुना पूछ्ती है कि हाथ कैसे जल गया है तो गोपाल कहता है कि श्याम के लिए चाय बना रही थी, उसी समय जल गया।

जमुना से फ़िक्र न करने के लिए कहता है। जमुना कहती है कि उसे पता था कि यह बिजली का स्टोव कुछ न कुछ तो जरूर करेगा। जमुना स्टोव पर फ्राइंग पैन रखा देखती है और पूछती है कि इस समय क्या बन रहा था। वह फ्राइंग पैन से ढक्कन उठाकर देखना चाहती है लेकिन गोपाल उसे बीच में ही रोक देता है और कहता है कि स्टोव तो बुझ़ा हुआ भी करंट मार देता है। जमुना कहती है कि हाथ नहीं लगाती पर यह तो बता कि इसमें बना क्या रखा है। यह सुनकर सब घबरा जाते हैं। उस समय राधा बात को सँभालती है कि श्याम के क्रिकेट खेलते समय चोट लग गई थी। इसलिए वीना से कहकर पुलटिस बनवा दी थी।

जमुना कहती है कि चोट पर वह गोपाल अम्माँ को आराम से बैठने के लिए कहता है। पुलटिस तो बीना बाँध देगी। अम्माँ श्याम को डाँटती है कि चोट लगवाकर सबको परेशान करता रहता है। अम्माँ श्याम के हाथ में चंद्रकांता संतति किताब देखती है तो पूछती है कि यह किताब कौन-सी है। वीना कहती है कि यह किताब राधा भाभी की रामायण-गुटका है। अम्माँ कहती है कि रामायण-गुटका तो छोटी होती हैं। यह तो बड़ी है। श्याम बात बनाते हुए कहता है कि इस बार रामायण-गुटका के स्थान पर नए एडीशन में रामायण का साइड़ बड़ा बना दिया है। वह अम्माँ से उसके कमरे में छोड़कर आने की बात करता है।

गोपाल अम्माँ को उनके कमरे में छोड़ आता है। अम्माँ के जाते ही श्याम जल्दी से फ्राइंग पैन में रखा हलुआ खा जाता है। उसे गोपाल आकर बताता है कि बड़े भैया आ रहे हैं, जल्दी फ्राइंग पैन हटा दो और अंडे के छिलके को कोट की जेब में छिपा दो। इतने में बड़े भैया माधव आ जाता है। वह पूछता है कि कोट की जेब में क्या छिपाया जा रहा है। गोपाल को कोई जवाब नहीं सूझता। माधव कहता है कि छिलके जेब में छिपा रहे थे। गोपाल कहता है कि वह तो मज़ाक कर रहा था। माधव श्याम से पूछता है कि वह क्या खा रहा है।

श्याम घबराते हुए कहता है कि वह पुलटिस खा रहा है। माधव कहता है कि पुलटिस भी खाने के काम आने लगी है। पुलटिस उसी चीज़ की बनी है जिसके छिलके छिपाए जा रहे हैं। माधव गोपाल से कहता है कि छिलके जेब में रखने की बजाय नाली में डाल दो। अम्माँ को पता है कि घर में क्या हो रहा है कि गोपाल के कमरे में क्या बनता है। श्याम कमरे में दूध क्यों पीता है ? सबके-सो जाने पर उसकी पत्ती मोमबत्ती जलाकर कौन-सी किताब पढ़ती है ? अम्माँ तो माधव की भी सभी बाते जानती है जो कोई नहीं जानता। आगे से छिलके नाली में डाल दिया करो, अम्माँ देखकर भी नहीं देखेगी। सब कुछ देखकर भी अनदेखा कर देगी।

कठिन शब्दों के अर्थ :

  • पराए – दूसरे के, अन्य के
  • सरकार बदलना – हुलिया बदलना
  • संयम – धैर्य
  • इश्नान – स्नान
  • मुकर जाना – मना करना
  • मोज़ा – जुराब
  • संझा – संध्या, शाम
  • झाँसा – धोखा, बहलावार
  • उद्धार – मुक्त, आज़ाद
  • लंघन – पार करना
  • इज्ञाजत – आज्ञा
  • मेहरबानी – कृपा
  • हील-हुज्जत – ना-नुकर करना
  • बेबस – मजबूर, विवश
  • इंतज़ाम – प्रबंध
  • बाज़ वक्त – कोई समय
  • हौसला – हिम्मत
  • हरगिज़ – बिलकुल
  • भनक पड़ना – पता चलना
  • जान निकलवाना – कठिनाई में डालना
  • ज़ाहिर – उजागर
  • सौगात – भेंट, उपहार
  • अनमनी – उदास, सुस्त
  • बाँच – पढ़
  • गलतफ़हमी – धोखे में रहना
  • दस्तूर – परंपरा, रिवाज
  • इकबाल – इक्ज़त, प्रतिष्ठा
  • असमंजस – दुविधा
  • काठ-से – जड़ समान, स्थिर
  • फेंटना – मिलाना
  • एहतियात – सावधानी
  • महसूस – अनुभव
  • नाहक – व्यर्थ, बेकार
  • पुलटिस – एक घरेलू द्वा जो मोच आदि पर बाँधी जाती
  • वाकई – वास्वव में
  • मरदूद – नीच
  • खामखाह – व्यर्थ
  • बगैर – बिना
  • इस्तेमाल – उपयोग

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