The latest CBSE Sample Papers for Class 8 Maths with Solutions Set 1 include questions based on the updated syllabus.
CBSE Sample Papers for Class 8 Maths Set 1 with Solutions
अधिकतम अंक : 30
निर्धारित समय : 90 min.
सामान्य निर्देश:
- प्रश्न-पत्र चार खण्डों, खण्ड- ‘क’, ‘ख’, ‘ग’ और ‘घ’ में है।
- चारों खण्डों के प्रश्नों के उत्तर देना अनिवार्य हैं।
- उत्तर लिखने से पहले प्रश्न संख्या अवश्य लिखिए।
- यथासंभव प्रत्येक खंड के प्रश्नों के उत्तर क्रमश: दीजिए।
खण्ड- ‘क’ : अपठित बोध
प्रश्न 1.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए: (कोई तीन ) 1 x 3 = 3
शिक्षा मनुष्य को मस्तिष्क और शरीर का उचित प्रयोग सिखाती है। वह शिक्षा जो मनुष्य को पाठ्यपुस्तकों के ज्ञान के अतिरिक्त गंभीर चिंतन न दे सके, व्यर्थ है। यदि हमारी शिक्षा, सुसंस्कृत, सभ्य, सच्चरित्र एवं अच्छे नागरिक नहीं बना सकती, तो उससे क्या लाभ? सहृदय सच्चा किंतु अनपढ़ मजदूर उस स्नातक से अच्छा है जो निर्दयी और चरित्रहीन है। संसार के समस्त वैभव और सुख-साधन भी तब तक सुखी नहीं बनाते, जब तक मनुष्यों को आत्मिक ज्ञान न हो।
(i) मनुष्य मस्तिष्क और शरीर का उचित प्रयोग किससे सीखता है?
(क) किताब से
(ख) योगा से
(ग) शिक्षा से
(घ) मनोरंजन से
उत्तर:
(ग) शिक्षा से
(ii) कैसा व्यक्ति शिक्षित नहीं समझा जा सकता?
(क) असभ्य भाषी
(ख) असंस्कारी
(ग) अस्पष्टवादी
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(घ) उपर्युक्त सभी
(iii) मनुष्य को सुख की अनुभूति क्या प्राप्त होने से होगी?
(क) आत्मिक ज्ञान
(ख) सुशिक्षित ज्ञान
(ग) सुसंस्कृत ज्ञान
(घ) उपर्युक्त कोई नहीं
उत्तर:
(ख) सुशिक्षित ज्ञान
(iv) ‘सहृदय’ शब्द का अर्थ बताओ।
(क) दिल से
(ख) हृदय से
(ग) मन से
(घ) विवेक से
उत्तर:
(क) दिल से
प्रश्न 2.
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए : (कोई तीन )
अभी भी झरती हुई पंत्ती थामने
को बैठा है हाथ एक अभी भी
भीड़ है स्टेशन पर अभी भी
एक रेलगाड़ी जाती है गंतव्य तक
जहाँ कोई कर रह होगा प्रतीक्षा
अभी भी कहता है कोई किसी को
जल्दी आ जाओ कि अब
सूरज डूबने का वक्त हो गया
(i) ‘झरती हुई पत्ती को सहारा देना’ पंक्ति का क्या अभिप्राय है?
(क) सहारा लगाना
(ख) सहारा देना
(ग) बेसहारा को सहारा देना
(घ) उपर्युक्त कोई नहीं करती है?
उत्तर:
(ग) बेसहारा को सहारा देना
(ii) स्टेशन पर अभी भी लोगों की भीड़ क्या प्रकट है।
(क) रास्ते का मार्ग दर्शन
(ग) बाहर की तरफ इशारा
(ख) गंतव्य पर पहुँचने की प्रतीक्षा
(घ) उपर्युक्त कोई नहीं
उत्तर:
(ख) गंतव्य पर पहुँचने की प्रतीक्षा
(iii) कोई किसी के लिए क्या कहता है?
(क) सूर्य डूबने से पहले आना
(ग) दोपहर को आना
(ख) सूर्य डूबने के बाद आना
(घ) उपर्युक्त कोई नहीं
उत्तर:
(क) सूर्य डूबने से पहले आना
खण्ड- ‘ख’ : व्याकरण प्रश्न
प्रश्न 3.
निम्नलिखित व्याकरणिक प्रश्नों के उत्तर लिखिए :
(i) निम्नलिखित में से सर्वनाम पहचानिए :
(क) तुम्हारा भाई
(ख) लखनऊ
(ग) मीठा
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर:
(क) तुम्हारा भाई
(ii) निम्नलिखित में से ‘मोरनी’ शब्द का पुल्लिंग शब्द पहचानिए :
(क) मोरी
(ख) मोर
(ग) मोरा
(घ) मोरि
उत्तर:
(ख) मोर
(iii) ‘अध्यापिका’ का स्त्रीलिंग रूप पहचानिए :
(क) शिक्षक
(ख) शिक्षिका
(ग) अध्यापक
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर:
(ग) अध्यापक
(iv) दिये गये शब्द की वर्तनी शुद्ध कीजिए : सपताहिक
उत्तर:
साप्ताहिक
(v) रेखांकित शब्दों के वचन बदलकर वाक्य पुन: लिखिए: नेहा ने साड़ी खरीदी।
उत्तर:
साड़ियाँ
(vi) निम्नलिखित वाक्यों को शुद्ध करके लिखिए: मैंने आज स्कूल जाना है।
उत्तर:
मुझे स्कूल जाना है।
(vii) निम्न अनेक शब्दों के लिए एक शब्द लिखिए: जिसका कोई दोष न हो।
उत्तर:
निर्दोष।
खण्ड- ‘ग’ : रचनात्मक प्रश्न
प्रश्न 4.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर अनुच्छेद लिखिए :
(क) बचपन
(ख) मनोरंजन के आधुनिक साधन
(ग) आधुनिक समाज में नारी
उत्तर:
(क) बचपन
मानव जीवन की सभी अवस्थाओं में बचपन या बाल्यावस्था को सबसे खुशहाल अवस्था माना जाता है। इस अवस्था में बच्चे सभी जिम्मेदारियों से मुक्त रहकर, बिना किसी की परवाह के अपना समय व्यतीत करते हैं। परंतु आज के आर्थिक युग में बच्चों की स्वतंत्रताएँ समाप्त होती जा रही हैं। बच्चों को कम उम्र में ही पढ़ाई से जूझना पड़ता है। बच्चे कम उम्र से ही स्कूल जाने लगते हैं। उन्हें तरह-तरह के गृहकार्य और ‘कक्षा कार्य’ करने होते हैं। उनका सारा समय इसी में व्यतीत हो जाता है। माता-पिता की इच्छा अपने बच्चों को अच्छी और ऊँची जगहों पर देखने की होती है। इसलिए वे बच्चों को तरह-तरह की व्यावसायिक एवं तकनीकी पढ़ाई पर जोर देते हैं।
कम उम्र में ही पढ़ाई का इतना ज्यादा जोर, तरह-तरह के पाठ्यक्रम के बोझे से बच्चों को खेलने-कूदने का पर्याप्त समय नहीं मिल पाता। खाली समय में भी बच्चे टी०वी० या कंप्यूटर से ही चिपके रहते हैं। बाहर दौड़-भागकर खेलने की आदत का विकास उनमें नहीं हो पाता है। बच्चों के लिए खेलकूद अत्यंत आवश्यक है। क्योंकि खेलने से ही उचित शारीरिक व मानसिक विकास होता है। हम सभी का यह दायित्व है कि हम बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद के लिए भी प्रोत्साहित करें और उनके व्यक्तित्व के समुचित विकास में अपना योगदान दे सकें।
(ख) मनोरंजन के आधुनिक साधन
मनोरंजन मनुष्य के मानसिक विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है। निरंतर कार्यरत रहने से हमारा शरीर और मस्तिष्क दोनों थक जाते हैं, मन नीरस और बोझिल हो जाता है। मानसिक और शारीरिक थकान को दूर करने के लिए मनोरंजन एक अच्छा साधन है। प्राचीन समय में लोग मनोरंजन के लिए शिकार, कबड्डी, लाठी, तलवार मुकाबला, चौपड़ तथा दौड़ आदि प्रतियोगिताओं आदि साधनों का प्रयोग करते थे। आधुनिक युग में इन सबकी जगह टी०वी०, कंप्यूटर, संगीत सम्मेलन, सर्कस, क्रिकेट ने ले लिया है। इन आधुनिक साधनों की विशेषता यह है कि लोग अपने घर में ही मनोरंजन कर लेते हैं। इसके लिए कहीं दूसरी जगह – नहीं जाना पड़ता है। मस्तिष्क के तनावमुक्त होने के लिए थोड़ा-बहुत मनोरंजन आवश्यक है लेकिन किसी भी कार्य की अधि कता बुरी होती है। अगर लोग अपना अधिकांश समय मनोरंजन में ही बिताएँ तो उनके लिए यह हानिकारक होगा। अतः हमें ऐसे साधन अपनाने चाहिए, जिससे हमारी ज्ञानवृद्धि एवं समय का सदुपयोग हो।
(ग) आधुनिक समाज में नारी
आधुनिक समाज में कमजोर एवं शक्तिहीन समझी जानेवाली नारी ने अपनी छवि को परिष्कृत करते हुए यह सिद्ध कर दिखाया है कि वह पुरुष जाति से किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं है। अंतरिक्ष, विज्ञान, धर्म-दर्शन, राजनीति एवं सामाजिक चाहे कोई भी क्षेत्र हो, उसने हर क्षेत्र में कदम बढ़ाए हैं और सफलता अर्जित की है। वर्तमान समाज में नारी सभी क्षेत्रों में पुरुषों को चुनौती दे रही हैं। किरण बेदी, मदर टेरेसा, इंदिरा गाँधी, बछेंद्री पाल, सायना नेहवाल आदि ये कुछ ऐसे नाम हैं, जो यह प्रकट करते हैं कि नारी ने अपनी ताकत को पहचान लिया है और अब वह आधुनिक समाज और पूरे विश्व को एक नई दिशा देने के लिए तत्पर है। आधुनिक समाज में नारी का यह कर्तव्य है कि वह देश की सामाजिक कुरीतियों, जैसे बाल-विवाह, दहेज-प्रथा, अनमेल विवाह आदि का बहिष्कार करें। आज की नारियों को अधिक जागरूक रहना होगा और उन्हें हर तरह के अत्याचार और हिंसा का विरोध करना होगा।
प्रश्न 5.
निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर पत्र लिखिए:
आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण आपके माता-पिता आपके विद्यालय की फीस देने में असमर्थ हैं। अपने विद्यालय के प्रधानाचार्य को फीस माफी के लिए प्रार्थना-पत्र लिखिए।
उत्तर:
प्रधानाचार्य.
हंसराज पब्लिक स्कूल, हौज खास, नई दिल्ली।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि मैं इस विद्यालय की आठवीं कक्षा की छात्रा हूँ। मैं सातवीं कक्षा की वार्षिक परीक्षा में सभी वर्गों में प्रथम स्थान पर रही थी। मैंने चार सौ मीटर की दौड़ में मंडल स्तर पर प्रथम पुरस्कार प्राप्त किया था। पिछले तीन मास से हमारा परिवार आर्थिक समस्या से ग्रस्त है। पिताजी दुर्घटनाग्रस्त होकर बिस्तर पर हैं। उनको पूरी तरह ठीक होने में अभी छह मास का समय लगेगा। परिवार में पिताजी ही एकमात्र कमाऊ सदस्य हैं। उनके इलाज पर भी काफी पैसा लग रहा है। ऐसी विषम स्थिति में मुझे कक्षा की मासिक फीस जमा कराने में अत्यंत कठिनाई आ रही है। आपसे विनम्र प्रार्थना है कि छः मास के लिए मेरी फीस माफ की जाए तथा ‘छात्रनिधि’ से मुझे कुछ आर्थिक सहायता दिलाई जाए। आपकी इस सामयिक सहायता के लिए मैं आपकी सदैव आभारी रहूँगी।
धन्यवाद सहित,
आपकी आज्ञाकारिणी शिष्या
सुनीता गुप्ता, कक्षा – आठवी ‘ब’
अथवा
नगर-निगम के सफाई कर्मचारियों की लापरवाही के कारण मोहल्ले में गंदगी फैली हुई है, जिसके कारण लोग विभिन्न प्रकार की बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। मोहल्ले की सफाई हेतु स्वास्थ्य अधिकारी को पत्र लिखिए।
उत्तर:
स्वास्थ्य अधिकारी,
दिल्ली नगर निगम ( पश्चिमी क्षेत्र), राजौरी गार्डन, नई दिल्ली।
महोदय,
सविनय निवेदन है कि राजौरी गार्डन क्षेत्र में गंदगी का साम्राज्य है। यहाँ पिछले एक मास से सफाई ही नहीं हुई है। सफाई कर्मचारियों से कई बार प्रार्थना की, किंतु उसका कोई प्रभाव नहीं हुआ। सड़कों पर भी गंदगी जमा हो रही है। कूड़े के ढेरों पर मच्छरों का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। मलेरिया फैलने की पूरी आशंका है। आपसे विनम्र प्रार्थना है कि यहाँ सफाई का उचित प्रबंध करवाएँ, ताकि हम स्वच्छ वातावरण में सांस ले सकें। धन्यवाद सहित।
भवदीय
कुंदन लाल,
सचिव, बी ब्लॉक, राजौरी गार्डन निवासी संघ
दिनांक ………….
खण्ड- ‘घ’ : पाठ्यपुस्तक प्रश्न
प्रश्न 6.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए: 1 × 3 = 3
बस सचमुच चल पड़ी और हमें लगा कि यह गाँधीजी के असहयोग और सविनय अवज्ञा आंदोलनों के वक्त अवश्य जवान रही होगी। उसे ट्रेनिंग मिल चुकी थी। हर हिस्सा दूसरे से असहयोग कर रहा था। पूरी बस सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौर से गुजर रही थी। सीट का बॉडी से असहयोग चल रहा था। कभी लगता सीट बॉडी को छोड़कर आगे निकल गई है। कभी लगता कि सीट को छोड़कर बॉडी आगे भागी जा रही है। आठ-दस मील चलने पर सारे भेदभाव मिट गए। यह समझ में नहीं आता था कि सीट पर हम बैठे हैं या सीट हम पर बैठी है।
(i) इस गद्यांश में गाँधीजी के किस आंदोलन का उल्लेख है?
(क) असहयोग आंदोलन
(ख) सविनय अवज्ञा आंदोलन
(ग) उपर्युक्त दोनों
(घ) कोई नहीं
उत्तर:
(ग) उपर्युक्त दोनों
(ii) गद्यांश से बस की हालत के बारे में क्या पता चलता है?
(क) बस अच्छी हालत में थी।
(ग) बस खराब थी।
(ख) बस खस्ताहाल थी।
(घ) पता नहीं चलता।
उत्तर:
(ख) बस खस्ताहाल थी।
(iii) ‘सीट’ शब्द कैसा है?
(क) तत्सम
(ख) तद्भव
(ग) देशज
(घ) विदेशी
उत्तर:
(घ) विदेशी
अथवा
यदि संसार में बदलू को किसी बात से चिढ़ थी तो वह थी काँच की चूड़ियों से। यदि किसी भी स्त्री के हाथों में उसे काँच की चूड़ियाँ दिख जातीं तो वह अंदर ही अंदर कुढ़ उठता और कभी-कभी तो दो चार बातें भी सुना देता। मुझझे तो वह घंटों बातें किया करता । कभी मेरी पढ़ाई के बारे में पूछता, कभी मेरे घर के बारे में और कभी यों ही शहर के जीवन के बारे में। मैं उससे कहता कि शहर में सब काँच की चूड़ियाँ पहनते हैं तो वह उत्तर देता, ” शहर की बात और हैं, लला वहाँ तो सभी कुछ होता है। वहाँ तो औरतें अपने मरद का हाथ पकड़कर सड़क पर घूमती भी हैं और फिर उनकी कलाइयाँ नाजुक होती हैं ना! लाख की चूड़ियाँ पहनें तो मोच न आ जाए। ”
(i) बदलू किससे चिढ़ता था?
(क) शहर के लोगों से
(ख) शहर की औरतों से
(ग) काँच की चूड़ियों से
(घ) लाख की चूड़ियों से
उत्तर:
(ग) काँच की चूड़ियों से
(ii) बदलू-लेखक के बीच बातों का विषय होता था?
(क) लेखक की पढ़ाई
(ख) लेखक का घर
(ग) शहरी जीवन
(घ) ये सभी बातें
उत्तर:
(घ) ये सभी बातें
(iii) शहरी स्त्रियाँ कैसी चूड़ियाँ पहनना पसंद करती हैं?
(क) लाख की
(ख) काँच की
(ग) सोने की
(घ) चाँदी की
उत्तर:
(ख) काँच की
अथवा
शहरी स्त्रियों के बारे में बबलू की राय कैसी थी ?
(क) अच्छी
(ख) बुरी
(ग) सामान्य
(घ) पता नहीं
उत्तर:
(ख) बुरी
प्रश्न 7.
निम्नलिखित पद्यांश को पढ़कर नीचे दिए गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए : 1 × 3 = 3
पक्षी और बादल, ये भगवान के डाकिए हैं,
जो एक महादेश से दूसरे महादेश को जाते हैं।
हम तो समझ नहीं पाते हैं, मगर उनकी लाई चिट्ठियाँ
पेड़, पौधे, पानी और पहाड़ बाँचते हैं।
(i) इस कविता का शीर्षक है-
(क) भगवान
(ख) डाकिए
(ग) भगवान के डाकिए
(घ) प्रकृति के डाकिए
उत्तर:
(ग) भगवान के डाकिए
(ii) इन डाकियों की चिट्ठियों को कौन नहीं समझ पाते?
(क) पक्षी
(ख) बादल
(ग) पहाड़
(घ) सामान्यजन
उत्तर:
(घ) सामान्यजन
(iii) इन चिट्ठियों को कौन बाँचते हैं?
(क) पेड़-पौधे
(ख) पानी
(ग) पहाड़
(घ) ये सभी
उत्तर:
(घ) ये सभी
प्रश्न 8.
निम्नलिखित में से किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर लिखिए : 1 × 3 = 3
1. मशीनी ने कारीगरों को किस प्रकार प्रभावित किया है?
2. लेखक को माँ के द्वारा. बच्चे को शीशी से दूध पिलाने की बात कब याद आ जाती है ?
3. ‘दीवानों की हस्ती’ कविता में जीवन के प्रति कौन-सा दृष्टिकोण झलकता है ?
4. ‘भगवान के डाकिए’ कविता के आधार पर पेड-पौधे, पानी, पहाड़ तथा मनुष्य में परंपरा से हटकर क्या विरोधाभास दिखाया गया है?
उत्तर:
- मशीनी युग ने कारीगरों का रोजगार छीनकर उन्हें बेरोजगार कर दिया है। अब धीरे-धीरे घरेलू उद्योग-धंधे बंद होते जा रहे हैं। ये सभी काम मशीनें करने लगी हैं। गाँव-कस्बों के घरेलू कारीगर भुखमरी के कगार पर पहुँच गए हैं। अब उनकी बनाई चीजें बिकती नहीं।
- जब बस एकाएक रुक गई। पता चला कि पेट्रोल की टंकी में छेद हो गया है। ड्राइवर ने बाल्टी में पेट्रोल निकालकर बगल में रखा और नली डालकर इंजन में भेजने लगा। तब लेखक को लगा कि अब बस कंपनी का हिस्सेदार इंजन को निकालकर गोद में रख लेगा और नली से ऐसे पेट्रोल पिलाएगा जैसे माँ बच्चे को शीशी से दूध पिलाती है।
- इस कविता में जीवन को पूरी मस्ती के साथ जीने का दृष्टिकोण झलकता है। हमें स्वच्छंद जीवन जीना चाहिए। किसी के बंधन में बंधकर जीना ठीक नहीं है। गरीबों के प्रति सहानुभूति रखनी चाहिए। किसी के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए।
- इस कविता में पेड़-पौधे, पानी, पहाड़ तथा मनुष्य में परंपरा से हटकर यह विरोधाभास दिखाया गया है कि शिक्षित मनुष्य ईश्वर की चिट्ठियों को नहीं पढ़ पाता, जबकि अनपढ़ पेड़-पौधे, पानी, पहाड़ आदि इनको सफलतापूर्वक पढ़कर उसके अनुसार अपने कार्य संपादित करते हैं।
प्रश्न 9.
निम्नलिखित में से किन्हीं दो प्रश्नों के उत्तर लिखिए 2 × 2 = 4
(i) बचपन में लेखक अपने मामा के गाँव चाव से क्यों जाता था और बदलू को ‘बदलू मामा’ न कहकर ‘बदलू काका’ क्यों कहता था?
(ii) ‘दीवानों की हस्ती’ में निहित संदेश स्पष्ट कीजिए।
अथवा
कवि ने दीवानों के लिए सांसारिक सुख-दुख को समान भाव से अपनाने की बात क्यों कही है?
(iii) बस के पुलिया पर पहुँचते ही क्या हुआ ?
उत्तर:
(i) बचपन में लेखक अपने मामा के गाँव बड़े चाव के साथ जाता था। उसके चाव का कारण यह था कि वहाँ उसे ढेर सारी लाख की रंग-बिरंगी गोलियाँ मिलती थीं। ये गोलियाँ उसका मन मोह लेती थीं। बदलू लेखक के मामा के गाँव का था अतः उसे उसको ‘बदलू मामा’ कहना चाहिए था, पर वह ‘बदलू मामा’ न कहकर ‘बदलू काका’ कहता था। इसका कारण यह था कि गाँव के सभी बच्चे उसे ‘बदलू काका’ ही कहा करते थे। लेखक भी उनकी देखा-देखी उसे ‘बदलू काका’ ही कहता था।
(ii) ‘दीवानों की हस्ती’ कविता से हमें यह संदेश मिलता है कि हमें मनमौजी तथा बेफिक्री का जीवन जीना चाहिए। लोगों के दुख को अपना दुख समझना चाहिए तथा उनमें खुशियाँ बाँटनी चाहिए। हमें देशवासियों के प्रति कल्याण की भावना रखनी चाहिए। इसके अलावा, दीवानों की तरह ही हमारे मन में देश के लिए अपना सब कुछ अर्पण करने की भावना होनी चाहिए।
अथवा
दीवाने लोग अपने दुख से न बहुत दुखी होते हैं और न सुख से सुखी। वे लोगों से अपने रिश्ते-नाते भी बनाए रहते हैं, पर उनके दुख से बहुत विचलित नहीं होते। वे उनके सुख में अपना लक्ष्य भी नहीं भूलते। इसलिए कवि ने सुख-दुख को समान भाव से अपनाने की बात कही है।
(iii) बस के एक पुलिया के ऊपर पहुँचते ही बस का एक टायर फिस्स करके बैठ गया। वह बहुत जोर से हिलकर थम गई। अगर स्पीड में होती, तो उछलकर नाले में गिर जाती । लेखक ने उस कंपनी के हिस्सेदार की तरफ पहली बार श्रद्धाभाव से देखा। वह टायरों की हालत जानते हैं, फिर भी जान हथेली पर लेकर इसी बस से सफर कर रहे हैं। इस आदमी के साहस और बलिदान भावना देखने लायक थी। इसे तो किसी क्रांतिकारी आंदोलन का नेता होना चाहिए।
प्रश्न 10.
नारा लेखन : ‘स्वच्छता अभियान’ के लिए नारे लिखिए।
उत्तर:
- “स्वच्छता अपनाओ, भारत को स्वस्थ बनाओ।
- ‘स्वच्छता से रोगमुक्त भारत बनाओ’।
- ‘स्वच्छता है जहाँ, स्वास्थ्य है वहाँ ‘
- ‘गंदगी हटाओ, स्वच्छता लाओ’
- ‘आओ मिलकर भारत स्वच्छ बनाएँ’
- ‘जन-जन को स्वस्थ बनाएँ’
अथवा
शिक्षा के महत्त्व पर नारे लिखिए।
- ‘चलो पढ़ाएँ, कुछ कर दिखाएँ’
- ‘शिक्षित माता सही विधाता’
- ‘उभरता राष्ट्र की सिर्फ एक कल्पना’
- ‘साक्षरता को घर-घर पहुँचना’
- ‘ज्योति ज्योति जगाते चलो’
- ‘ज्ञान की गंगा बहाते चलो’
- ‘कोई भी बच्चा न छूटे इस बार’
- ‘शिक्षा पर है सबका अधिकार’
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