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Class 6 Science Chapter 2 Notes in Hindi सजीव जगत में विविधता

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Diversity in the Living World Class 6 Notes in Hindi

सजीव जगत में विविधता Class 6 Notes

कक्षा 6 विज्ञान नोट्स Chapter 2 सजीव जगत में विविधता – कक्षा 6 विज्ञान अध्याय 2 नोट्स

→ हम विविध प्रकार के पौधों और जीव-जंतुओं से घिरे हुए हैं। पौधों और जंतुओं की ऐसी विविधता जैव विविधता का एक भाग है।

→ पौधों और जंतुओं के समूह उनके बीच समानता और भिन्नता के आधार पर बनाए जा सकते हैं।

→ पौधों में जड़, तना, फूल, पत्तियाँ, इत्यादि से संबंधित विशेषताओं के आधार पर समानताएँ और भिन्नताएँ होती हैं।

→ पौधों और जंतुओं को उनकी सामान्य विशेषताओं के आधार पर समूहों में व्यवस्थित करने की विधि को समूहन भी कहा जाता है।

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→ पौधों के उनकी ऊँचाई, तने के प्रकार और शाखाओं के पैटर्न के आधार पर शाक, झाड़ी और वृक्ष के रूप में समूह बनाए जा सकते हैं।

→ पौधों के उनके बीज में बीजपत्रों की संख्या के आधार पर द्विबीजपत्री और एकबीजपत्री पौधों के रूप में भी समूह बनाए जा सकते हैं।

→ एकबीजपत्री पौधे सामान्यतः अपनी पत्तियों में समांतर शिरा-विन्यास प्रदर्शित करते हैं और उनमें झकड़ा (रेशेदार) जड़ें पाई जाती हैं, जबकि द्विबीजपत्री पौधे की पत्तियों में मुख्यत: जालिकारूपी शिरा-विन्यास प्रदर्शित होता है और उनमें मूसला जड़ें पाई जाती हैं।

→ विभिन्न जंतुओं में अलग-अलग प्रकार की गति पाई जाती है। गति के प्रकार के आधार पर उनके समूह बनाए जा सकते हैं।

→ विभिन्न क्षेत्रों की जैव विविधता भिन्न पर्यावरणीय परिस्थितियों के कारण एक-दूसरे से भिन्न होती है।

→ पौधों और जंतुओं को किसी विशेष स्थान पर जीवित रहने के लिए सक्षम बनाने वाली विशिष्ट विशेषताओं को अनुकूलन कहा जाता है।

→ वह स्थान जहाँ पौधे और जंतु रहते हैं, उसे उनका आवास कहते हैं।

→ आवास के आधार पर जंतुओं और पौधों के थलीय और जलीय के रूप में समूह बनाए जा सकते हैं।

→ आवास की क्षति से जैव विविधता को हानि होती है क्योंकि पौधे और जंतु अपने निवास, भोजन और अन्य संसाधनों से वंचित हो जाते हैं।

→ हमें अपने ग्रह को जीवन से परिपूर्ण बनाए रखने के लिए जैव विविधता की रक्षा करनी चाहिए, ताकि पौधे एवं जंतु बचे रह सकें और फलते-फूलते रहें।
Class 6 Science Chapter 2 Notes in Hindi सजीव जगत में विविधता 1
कल की सुखद वर्षा के पश्चात् आज यह एक सुहावनी सुबह है। विज्ञान की शिक्षिका सुलेखा ने विद्यालय में प्रकृति की सैर (नेचर वॉक) को सुगम बनाने के लिए डॉ. रघु और मनीराम चाचा को आमंत्रित किया है। डॉ. रघु पास की अनुसंधान प्रयोगशाला में एक वैज्ञानिक हैं और मनीराम चाचा विद्यालय के पास में ही रहने वाले एक वरिष्ठ नागरिक हैं। मनीराम चाचा पक्षियों की ध्वनि की नकल करने में विशेषज्ञ हैं। वह विभिन्न प्रकार के पौधों और जंतुओं की पहचान करने में भी निपुण हैं।

विद्यार्थियों को प्रकृति की सैर पर ले जाने से पहले डॉ. रघु ने उन्हें बताया कि इस सैर का उद्देश्य प्रकृति में पौधों और जंतुओं की सुंदरता और विविधता का अनुभव करना है। विद्यार्थी उनके साथ प्रकृति की सैर पर जाने के लिए उत्साहित हैं। वे उनसे बातचीत करने और सीखने के लिए भी उत्सुक हैं। शिक्षिका ने सभी विद्यार्थियों को परामर्श दिया कि वे अपने साथ नोटबुक, पेन और पानी की बोतल लेकर चलें।

जैसे-जैसे वे चलते हैं, वे अपने आस-पास के पौधों और जंतुओं की खोजबीन करना आरंभ कर देते हैं। डॉ. रघु विद्यार्थियों को उद्यान (पार्क) में गंध की विविधता को महसूस करने के लिए कहते हैं। वे इस बात पर भी बल देते हैं कि हम सभी जीवित प्राणियों का सम्मान करें और उनसे छेड़छाड़ न करते हुए उनका अवलोकन करें। मनीराम चाचा विद्यार्थियों से कहते हैं कि वे न केवल विभिन्न पौधों और जंतुओं को देखें, बल्कि ध्यान से विभिन्न ध्वनियों को भी सुनें। विद्यार्थी विभिन्न प्रकार के पौधे देखते हैं जिनमें घास, झाड़ियाँ और बड़े वृक्ष शामिल हैं। वे वृक्षों की शाखाओं पर बैठे विभिन्न प्रकार के पक्षियों, एक फूल से दूसरे फूल पर मँडराती तितलियों और एक वृक्ष से दूसरे वृक्ष पर कूदते बंदरों का भी अवलोकन करते हैं। वे अपने अवलोकनों को अपनी नोटबुक में अंकित करते हैं और डॉ. रघु और मनीराम चाचा से उनके बारे में चर्चा करते हैं।

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विद्यार्थी विभिन्न पक्षियों का कलरव (चहचहाहट) सुनते हैं। डॉ. रघु बताते हैं कि प्रत्येक पक्षी की अपनी एक अलग चहचहाहट होती है। यह प्रकृति में विविधता का एक उदाहरण है। डॉ. रघु मनीराम चाचा से कुछ पक्षियों की ध्वनियों की नकल करने का अनुरोध करते हैं। मनीराम चाचा विभिन्न पक्षियों की ध्वनियों की नकल करते हैं। उन्हें ‘ देखकर विद्यार्थी भी उनकी नकल करने लगते हैं।

क्या आपने कभी अपने आस-पास विद्यमान विभिन्न प्रकार के पौधों और जंतुओं का अवलोकन किया है? अपने अवलोकनों को अपने मित्रों और शिक्षक के साथ साझा कीजिए और उन पर चर्चा कीजिए।

हमारे आस-पास के पौधों और जंतुओं में विविधता Class 6 Notes

क्रियाकलाप 2.1 — आइए, खोजें और अंकित करें
अपने शिक्षक के साथ मिलकर विद्यालय के उद्यान या आस-पास के उपवन में प्रकृति की सैर का कार्यक्रम बनाइए।

प्रकृति की सैर करते समय विभिन्न पौधों, कीटों, पक्षियों और अन्य जंतुओं का अवलोकन करें। साथ ही मौसम की स्थितियों जैसे गरम, ठंडा या तेज हवा इत्यादि भी अंकित करें।

आप भूमि पर गिरे हुए अलग-अलग प्रकार के पत्तों या फूलों को एकत्रित करके एक स्क्रैप बुक बना सकते हैं।

प्रकृति में पौधों और जंतुओं के साथ छेड़छाड़ न करें, उनका ध्यान रखें। सुनिश्चित करें कि आप उद्यान में फूल-पत्ती न तोड़ें।

विभिन्न पौधों में तने, पत्तियों, फूलों और किसी भी अन्य रोचक जानकारी के बारे में किए गए अवलोकनों को तालिका में दिए गए रिक्त स्थानों में अंकित करें। आपके लिए चित्र तथा तालिका में कुछ उदाहरण दिए गए हैं।
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आपने जिन पौधों का अवलोकन किया है, उनमें क्या समानताएँ और क्या विभिन्नताएँ पाई?
आपने देखा होगा कि पौधों में विभिन्न प्रकार की विशेषताएँ पाई जाती हैं, जैसे—

  • लंबा अथवा छोटा, कठोर अथवा कोमल तना
  • विभिन्न आकृतियों की पत्तियाँ और तने पर पत्तियों का अभिविन्यास
  • फूलों के रंग, आकार और सुगंध में भिन्नता

अब, सैर के समय देखे गए अथवा अपने पूर्व अनुभवों के आधार पर जंतुओं की एक सूची बनाइए। उनके रहने के स्थान, उनके भोजन और गति के प्रकार को तालिका 2 में दिए गए रिक्त स्थान में अंकित कीजिए। आपके लिए यहाँ पर कुछ उदाहरण दिए गए हैं।
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तालिका में आपने जिन जंतुओं का अवलोकन करके अंकित किया है, उनमें क्या समानताएँ और क्या भिन्नताएँ हैं?

आपने देखा होगा कि कुछ जीव-जंतु भूमि पर रहते हैं, जबकि कुछ अन्य वृक्षों पर रहते हैं। पक्षी वृक्षों पर रहते हैं। मछलियाँ जल में रहती हैं और मेंढक जैसे कुछ जंतु भूमि साथ-साथ जल में भी रहते हैं। जंतुओं द्वारा खाए जाने वाले भोजन और उनकी गति प्रकारों में भी विविधता है।

आपने जिन पौधों तथा जंतुओं का अवलोकन किया है उनके चित्र अपनी नोटबुक में बनाएँ अथवा आपके द्वारा एकत्रित किए गए विभिन्न पौधों के पत्तों, फूलों और जीव-जंतुओं के पंखों के साथ एक स्क्रैप बुक तैयार (सृजन) करें।

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विद्यालय में आते-जाते समय अपने आस-पास के वातावरण का अवलोकन करें और विविध प्रकार के पौधों और जंतुओं को देखने की चेष्टा करें। ऐसे किसी भी पौधे अथवा जंतु का नाम जोड़ें, जिसे आपने पहले तालिका अथवा में सूचीबद्ध नहीं किया है।

क्रियाकलाप 2 – आइए, महत्व समझें
30 सेकेंड के लिए अपनी आँखें बंद करें और एक पौधे एवं एक जंतु के विषय में सोचें, जिसका आपने ध्यानपूर्वक अवलोकन किया और जो आपको सबसे अधिक अच्छा लगा।

अब विद्यार्थी अपने द्वारा सोचे गए पौधे और जंतु का चित्र श्यामपट्ट (ब्लैकबोर्ड) पर बना सकते हैं।

चित्र में बनाए गए विभिन्न पौधों और जंतुओं के बारे में आपके क्या विचार हैं?
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कक्षा के सभी विद्यार्थियों द्वारा श्यामपट्ट पर भिन्न-भिन्न प्रकार के पौधों और जंतुओं के कितने चित्र बनाए गए हैं?

क्या आप सोचते हैं कि श्यामपट्ट पर चित्रित किए गए पौधों और जंतुओं के अतिरिक्त भी विभिन्न प्रकार के अनेक पौधे और जंतु हो सकते हैं?

किसी विशेष क्षेत्र में पाए जाने वाले पौधों और जंतुओं की विविधता उस क्षेत्र की जैव विविधता का भाग होता है। किसी क्षेत्र की जैव विविधता में प्रत्येक सदस्य की एक अलग भूमिका होती है, जैसे— पेड़ कुछ पक्षियों और जंतुओं को भोजन और आश्रय प्रदान करते हैं, जंतु फल खाने के बाद बीज फैलाने में सहायता करते हैं इत्यादि। क्या आप ऐसे कुछ अन्य उदाहरण सोच सकते हैं? इससे पता चलता है कि पौधे और जंतु एक-दूसरे पर निर्भर रहते हैं।

पौधों और जंतुओं के समूह कैसे बनाएँ? Class 6 Notes

आप अपनी नोटबुक और पुस्तकों को समूहों में कैसे व्यवस्थित करेंगे? क्या उन्हें समूहों में व्यवस्थित करने से आपको अपने बस्ते को अच्छे ढंग से व्यवस्थित करने में सहायता मिलेगी?

आइए, अब हम अपने आस-पास के संसार पर दृष्टि डालें। हमारे चारों ओर विभिन्न प्रकार की विशेषताओं वाले विविध प्रकार के पौधे और जंतु विद्यमान हैं, जिनके विषय में हमने अनुभाग 2.1 में सीखा है। हम उनकी समानताओं और भिन्नताओं के आधार पर उनके समूह बना सकते हैं।

क्रियाकलाप 3— आइए, समूह बनाएँ
विविध प्रकार के पौधों और जंतुओं के चित्र एकत्रित कीजिए। आप पुरानी पत्रिकाओं, समाचार पत्रों, चार्ट एवं अन्य स्रोतों से उनके चित्र काट सकते हैं। इनमें से प्रत्येक चित्र अलग-अलग कार्ड पर चिपकाएँ।

अपनी कक्षा को 5-6 विद्यार्थियों के अलग-अलग समूहों में बाँट लीजिए।

अपने समूह के सभी साथियों द्वारा बनाए गए कार्ड एकत्रित कर लीजिए।

कार्ड में दर्शाए गए सभी पौधों और जंतुओं की विभिन्न विशेषताओं का अवलोकन कीजिए।

तालिका और में लिखी पौधों और जंतुओं की विशेषताओं का स्मरण कीजिए।

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एक समान विशेषताओं के आधार पर उनके समूह बनाइए।

आपके द्वारा बनाए गए पौधों और जन्तुओं के समूहों के आधार को कक्षा के अन्य समूहों के साथ साझा करें और उन पर चर्चा करें।

आप यह देखकर आश्चर्यचकित होंगे कि विभिन्न समूहों द्वारा उपयोग किए गए आधार भिन्न हो सकते हैं। आपको क्या लगता है इसके पीछे के कारण क्या हैं? हो सकता है कि विभिन्न विद्यार्थियों ने समूह बनाने के लिए भिन्न-भिन्न सामान्य विशेषताओं का चुनाव किया हो। उदाहरण के लिए— कुछ विद्यार्थियों ने पौधों की ऊँचाई को समूह बनाने के आधार के रूप में चुना हो जबकि हो सकता है कि अन्य ने पौधों के समूह बनाने के लिए फूलों की उपस्थिति अथवा अनुपस्थिति को आधार के रूप में चुना हो (चित्र)। हो।
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संभवत: आपने जंतुओं की विविध विशेषताओं के आधार पर उनके समूह बनाए होंगे, जैसे—वे क्या खाते हैं, वे कहाँ रहते हैं, वे किस रंग के होते हैं और वे कैसे चलते हैं?

समूह बनाने का क्या महत्व है? समूह बनाने से पौधों और जंतुओं को उनकी समानताओं और विभिन्नताओं के आधार पर समझना और अध्ययन करना सरल हो जाता है।

आप समूह बनाने के महत्व के विषय में अध्याय ‘ हमारे आस-पास की सामग्री’ में और अधिक जानेंगे।

पौधों के समूह कैसे बनाएँ? Class 6 Notes

आपने देखा कि पौधों में उनके तने, पत्तियों, फूलों इत्यादि से संबंधित विशेषताओं में विभिन्नताएँ होती हैं। विभिन्न पौधों के तने मोटाई, ऊँचाई और कठोरता में भिन्न होते हैं, जबकि पत्तियाँ आकृति, रंग, आकार और व्यवस्था में भिन्न होती हैं। आपने पिछले क्रियाकलाप 3 में पौधों की उपर्युक्त किसी एक विशेषता के आधार पर पौधों का समूह बनाने का प्रयास किया।

आपने पूर्व की कक्षाओं में सीखा होगा कि पौधों के समूह उनकी ऊँचाई और तने प्रकार के आधार पर शाक, झाड़ियों और वृक्षों के रूप में बनाए जा सकते हैं। आइए, पौधों की विशेषताओं का अधिक विस्तार से अध्ययन करें और इस आधार पर उनके समूह बनाएँ।

क्रियाकलाप 4 – आइए, समूह बनाएँ
आइए, कुछ अन्य रोचक अवलोकनों के लिए एक बार पुन: प्रकृति की सैर पर चलते हैं।

विभिन्न पौधों की ऊँचाई को ध्यानपूर्वक देखिए। क्या ये सभी पौधे आपसे छोटे हैं या आपके बराबर ऊँचाई के हैं अथवा आपसे अधिक ऊँचे हैं?

तने का रंग भूरा है या हरा? साथ ही उनके तनों को छूकर महसूस करें और उन्हें धीरे से मोड़ने का प्रयास करें। क्या आप सरलता से तने को मोड़ सकते हैं अथवा यह कठोर है? ध्यान रखें कि तना टूटे नहीं।

यह भी देखें कि पौधों की शाखाएँ कहाँ से निकलती हैं— वे भूमि के निकट से निकलती हैं या तने के ऊपरी भाग से निकलती हैं। अपने अवलोकनों को तालिका में दिए गए रिक्त स्थानों में भरें। कुछ उदाहरण आगे भी दिए गए हैं।
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आपको शाक, झाड़ियों और वृक्षों के बीच क्या अंतर दिखाई दिए? तालिका में दी गई जानकारी के आधार पर हम पौधों के समूह शाक, झाड़ी और वृक्ष के रूप में कैसे बना सकते हैं?

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कुछ पौधे बहुत ऊँचे होते हैं और उनके तने मोटे, कठोर, भूरे और काष्ठीय (लकड़ी जैसे) होते हैं। उनकी शाखाएँ भूमि से दूर तने की कुछ ऊँचाई से निकलना आरंभ होती हैं। ऐसे पौधों को वृक्ष कहा जाता है, उदाहरण के लिए— आम का पेड़ [चित्र (क)]।
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कुछ पौधों के तने वृक्षों की तरह ऊँचे नहीं होते हैं। प्राय: इस प्रकार के पौधों के अनेक भूरे रंग के काष्ठीय (लकड़ी जैसे) तने होते हैं, जो भूमि के निकट से शाखाओं के रूप में निकलते हैं। ये तने कठोर होते हैं लेकिन वृक्ष के तने जितने मोटे नहीं होते हैं। ऐसे पौधों को झाड़ी कहा जाता है, उदाहरण के लिए— गुलाब का पौधा [चित्र (ख)]।
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कुछ पौधे आकार में छोटे होते हैं और उनके तने, कोमल और हरे होते हैं। इन्हें शाक कहा जाता है, उदाहरण के लिए टमाटर का पौधा [चित्र (ग)]।
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कुछ पौधों के तने दुर्बल होते हैं और उनको ऊपर चढ़ने और बढ़ने के लिए सहारे की आवश्यकता होती है, इन्हें आरोही लता (क्लाइम्बर) कहा जाता है। कुछ पौधे भूमि की सतह पर फैलकर बढ़ते हैं और उनको विसर्पी लता (क्रीपर) कहते हैं। ऐसी कौन-सी अन्य विशेषताएँ हो सकती हैं जिनके आधार पर आप पौधों के विभिन्न समूह बना सकते हैं? आइए, एक और क्रियाकलाप के माध्यम से जानने का प्रयास करें।

क्रियाकलाप 5 – आइए, तुलना करें।
प्रकृति की सैर के समय आपके द्वारा एकत्रित किए गए विभिन्न पौधों की पत्तियों को देखें।

क्या आपको इन पत्तियों की आकृति और संरचना में भिन्नता दिखती है?
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आप पौधों की पत्तियों पर पतली रेखाएँ [चित्र (क)] देख सकते हैं। इन पतली रेखाओं को शिराएँ कहते हैं। शिराओं द्वारा दर्शाए गए पैटर्न को शिरा-विन्यास कहा जाता है। आपको चित्र (क) और चित्र (ख) में दिखाई गई पत्तियों की शिराओं क्या अंतर दिखाई देते हैं?

आप कुछ पत्तियों में मोटी मध्य शिरा के दोनों ओर शिराओं का एक जाल जैसा पैटर्न देख सकते हैं। इस पैटर्न को जालिकारूपी शिरा-विन्यास कहा जाता है, उदाहरण के लिए— गुड़हल की पत्तियाँ [चित्र (क)] इस शिरा-विन्यास पैटर्न को प्रदर्शित करती हैं। आप देख सकते हैं कि कुछ पत्तियों में शिराएँ समानांतर चलती हैं। इस पैटर्न को समांतर शिरा-विन्यास कहा जाता है, उदाहरण के लिए— केले और घास की पत्तियाँ समांतर शिरा-विन्यास [चित्र (ख) और (ग)] को प्रदर्शित करती हैं।

क्या आपको लगता है कि पत्तियों में पाए जाने वाले शिरा – विन्यास के आधार पर पौधों के समूह बनाए जा सकते हैं?

आइए, अब पौधों की जड़ों के बारे में जानने का प्रयास (अन्वेषण) करते हैं। क्या सभी पौधों में जड़ें होती हैं? क्या ये जड़ें एक जैसी होती हैं?

क्रियाकलाप 6 – आइए, पता लगाएँ
आप किसी ऐसे खुले मैदान में जाइए जहाँ जंगली शाक और घास उग रहे हों। इस अभ्यास के लिए आप छोटे शाकों का उपयोग कर सकते हैं।

खुरपी की सहायता से जड़ों को हानि पहुँचाए बिना, कुछ भिन्न प्रकार के शाकों को सावधानीपूर्वक खोदकर बाहर निकालें। शाकों को निकालने से पहले आप मिट्टी को गीला करके ढीला कर सकते हैं।

जड़ों को पानी से धोएँ और उनका अवलोकन करें।

अवलोकन के पश्चात् शाक को दोबारा लगाकर सुनिश्चित करें कि शाक लगातार जीवित रहे और वृद्धि करे।
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आपके द्वारा एकत्रित किए गए पौधों की जड़ों में क्या समानताएँ और क्या भिन्नताएँ हैं? चित्र (क) और चित्र (ख) में प्रदर्शित पौधों की जड़ों में आप क्या भिन्नताएँ देखते हैं?

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चित्र (क) में सरसों के पौधे की जड़ों का ध्यानपूर्वक अवलोकन करें। इस पौधे की जड़ में एक मुख्य जड़ होती है जिससे छोटी-छोटी पार्श्व जड़ें निकलती हैं। ऐसी जड़ों को मूसला जड़ कहते हैं। मूसला जड़ वाले एक अन्य पौधे का उदाहरण गुड़हल है जिसे आपने क्रियाकलाप में देखा और तालिका में अंकित किया है। चित्र (ख) में दिखाया गया पौधा एक सामान्य घास का पौधा है। इस पौधे की जड़ें समान माप की पतली जड़ों के गुच्छों के रूप में दिखाई देती हैं जो तने के आधार से निकलती हैं। ऐसी जड़ों को झकड़ा जड़ अथवा रेशेदार जड़ [चित्र (ख)] कहते हैं। क्या आपके संग्रह में कोई अन्य घास सम्मिलित है? यदि हाँ, तो इसकी जड़ें किस प्रकार की हैं?

क्या किसी पौधे की पत्ती में शिरा-विन्यास के प्रकार और उसकी जड़ के प्रकार के बीच कोई संबंध होता है? हम कैसे इसका पता लगा सकते हैं?

क्रियाकलाप 7 – आइए, संबंध ढूँढ़ें और विश्लेषण करें
अपने विद्यालय की नर्सरी (पौधा-घर) अथवा किसी अन्य नर्सरी से पाँच सामान्य पौधों की पौध एकत्रित करें और उन्हें अपने विद्यालय के उद्यान में लगाएँ। ऐसे पौधों के उदाहरण लेमन घास (ज्वरांकुश), गेंदा, सदाबहार (पेरीविंकल) और अन्य पुष्पीय पौधे हो सकते हैं।

उन्हें लगाने से पहले उनकी जड़ों और पत्तियों के शिरा-विन्यास का अवलोकन करें। अपने अवलोकनों को तालिका में अंकित करें।
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क्या आपको इन पौधों की पत्तियों के शिरा-विन्यास और जड़ों के प्रकार के मध्य कोई संबंध दिखाई देता है? सदाबहार के पौधे में मूसला जड़ें और पत्तियों में जालिकारूपी शिरा-विन्यास होता है। यह जानने की कोशिश करें कि क्या जालिकारूपी शिरा-विन्यास वाले अन्य पौधों में भी मूसला जड़ें होती हैं? दूसरी ओर, लेमन घास के पौधों में झकड़ा जड़ें और पत्तियों में समांतर शिरा-विन्यास होता है। क्या अन्य पौधे, जिनमें समांतर शिरा-विन्यास होता है, उनमें भी झकड़ा जड़ें होती हैं? सामान्यतः जिन पौधों में जालिकारूपी शिरा-विन्यास होता है उनमें मूसला जड़ें होती हैं, जबकि जिनमें समांतर शिरा – विन्यास होता है उनमें झकड़ा जड़ें होती हैं।

चने का पौधा मूसला जड़ और पत्तियों में जालिकारूपी शिरा-विन्यास का एक और उदाहरण है। गेहूँ का पौधा झकड़ा जड़ें और पत्तियों में समांतर शिरा-विन्यास का उदाहरण है।

क्या किसी पौधे के बीज, जड़ के प्रकार और पत्ती के शिरा – विन्यास में परस्पर संबंध है? क्या सभी बीज एक जैसे होते हैं?

क्रियाकलाप 8 – आइए, तुलना करें
चने और मक्का के कुछ बीजों को दो या तीन दिन के लिए पानी में भिगोएँ।

चने के बीज का आवरण हटा कर बीजों की संरचना को देखें। अब चने और मक्का बीजों की संरचना का अवलोकन करें। क्या वे समान हैं अथवा भिन्न हैं?
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आप देखेंगे कि चने के बीज अपने बीज आवरण के अंदर दो भागों में विभक्त [चित्र (क)] होते हैं। प्रत्येक भाग को बीजपत्र (कॉटीलीडन) कहा जाता है, जिन पौधों के बीजों में दो बीजपत्र होते हैं, उन्हें द्विबीजपत्री (डॉइकॉटीलीडन्स या डाइकॉट) कहा जाता है। मक्का के बीज में एक पतला बीजपत्र होता है। ऐसे बीज वाले पौधों को एकबीजपत्री (मोनोकॉटीलीडन्स, मोनोकॉट) कहा जाता है।

आप पौधों में पत्ती के शिरा-विन्यास, जड़ों के प्रकार और बीजों में बीजपत्रों की संख्या में परस्पर क्या संबंध देखते हैं? द्विबीजपत्री पौधों में जालिकारूपी शिरा-विन्यास और मूसला जड़तंत्र होता है जबकि एकबीजपत्री पौधों में समांतर शिरा-विन्यास और झकड़ा जड़तंत्र होता है।

आपने पौधों के समूह बनाने के लिए उपयोग की जाने वाली कुछ विशेषताओं के विषय में पढ़ा है। आइए, अब जंतुओं के समूह बनाने के विषय में समझते हैं।

जंतुओं के समूह कैसे बनाएँ? Class 6 Notes

पौधों की भाँति जंतु भी एक-दूसरे से बहुत भिन्न होते हैं। क्या कभी आपने सोचा है कि हम इतने विविध प्रकार के जंतुओं के समूह कैसे बना सकते हैं? आप ऐसी कौन-सी विशेषताओं के बारे में सोच सकते हैं जिनका उपयोग इनका समूह बनाने के लिए किया जा सकता है। आपने पहले ही क्रियाकलाप 3 में जंतुओं के समूह बनाने के लिए कुछ आधार निर्धारित किए हैं। आइए, इनमें से कुछ पर विस्तार से चर्चा करें।

क्रियाकलाप 9 – आइए, पता लगाएँ
आपने क्रियाकलाप 2 में कुछ जंतुओं की गति को अंकित किया है। आपने संभवतः यह भी देखा होगा कि अन्य जंतु किस प्रकार एक स्थान से दूसरे स्थान पर गति करते हैं। आइए, जंतुओं में विभिन्न प्रकार की गतियों को जानने का प्रयास करें। चित्र में अनेक जीव-जंतुओं को दिखाया गया है। आप इस चित्र में स्वयं द्वारा देखे गए अन्य जंतुओं को भी इसमें जोड़कर विविध प्रकार के जीव-जंतुओं पर एक पोस्टर बना सकते हैं। चित्र को देखकर यह बताने का प्रयास करें कि जंतुओं द्वारा गति के लिए शरीर किस अंग का उपयोग किया जाता है?
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इन जंतुओं को तालिका 5 में सूचीबद्ध करें। इन जंतुओं में गति करने के तरीकों को देखें और उनके चलने के लिए उपयोग किए जाने वाले शरीर के अंगों के नाम बताएँ। तालिका 5 में कुछ उदाहरण दिए गए हैं।
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तालिका 5 में दी गई जानकारी के आधार आप क्या निष्कर्ष निकाल सकते हैं? विभिन्न जंतुओं में अलग-अलग प्रकार की गति होती है। जंतु उड़ सकते हैं, दौड़ सकते हैं, रेंग सकते हैं, चल सकते हैं, कूद या फाँद सकते हैं। ये जंतु एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने के लिए शरीर के विभिन्न अंगों का उपयोग करते हैं। इनके पास पंख, पैर और दूसरे अंग हो सकते हैं जो इन्हें चलने में सहायता करते हैं।

चित्र एवं तालिका के माध्यम से हमने गति के प्रकार और गति के लिए प्रयुक्त शरीर के अंगों के आधार पर जंतुओं को पहचाना। हम जंतुओं को उनकी गति के आधार पर समूहों में कैसे बाँट सकते हैं? इसके अतिरिक्त अनेक जंतु आकृति, आकार, संरचना, रंग एवं अन्य विशेषताओं में एक-दूसरे से भिन्न होते हैं। इनमें से कुछ विशेषताओं का उपयोग विभिन्न प्रकार से जंतुओं के समूह बनाने के लिए किया जा सकता है। पौधों की भाँति ही जंतुओं के समूह बनाना उनकी विविधता को समझने के लिए महत्वपूर्ण है।

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वैज्ञानिक से परिचय
जानकी अम्माल (1897-1984) एक भारतीय वनस्पतिशास्त्री थीं जो पर्यावरण संबंधी कार्यों के प्रति समर्पित थीं। उन्होंने भारत के पौधों की समृद्ध जैव विविधता का प्रलेखन और संरक्षण करने में सहायता की। उन्होंने ‘साइलेंट वैली बचाओ’ आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण प्रमुख के रूप में उन्होंने भारत में पौधों की विविधता का प्रलेखीकरण करने के लिए कार्यक्रमों की शुरुआत की।
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सफलता की कहानी – साइलेंट वैली बचाओ आंदोलन
यह केरल में पालक्काड़ जनपद के एक जंगल की वास्तविक कहानी है। यह अछूते सुंदर आर्द्र सदाबहार जंगल और उसकी समृद्ध जैव विविधता को संरक्षित करने के विषय में है। प्रसिद्ध साइलेंट वैली को उन आमजनों द्वारा चलाए गए एक अद्वितीय आंदोलन द्वारा बचाया गया था जो जंगल के आस-पास भी नहीं रहते थे। यह संघर्ष कुंतिपुड़ा नदी के समीप एक जलविद्युत बाँध के प्रस्ताव के विरुद्ध दस वर्षों तक जारी रहा। उस समय लोगों ने व्यापक जागरूकता कार्यक्रम, संपादक को पत्र, समाचार-पत्रों में लेख, सेमिनार और अंत में न्यायालय में याचिकाएँ और अपील सहित सभी संभव उपलब्ध साधनों का उपयोग किया। इस प्रकार यह आंदोलन साइलेंट वैली को बचाने में सफल रहा।

विभिन्न परिवेश में पौधे और जंतु Class 6 Notes

संभवत: आपने प्रकृति की सैर के दौरान अवलोकन किया होगा कि विभिन्न जीव-जंतु भिन्न-भिन्न परिवेशों में रहते हैं। आपने तालिका 5 में जीव-जंतुओं की गति को भी अंकित किया। क्या जंतुओं की गति उनके परिवेश पर निर्भर करती है? उदाहरण के रूप में हम मछली और बकरी को लेते हैं। मछली जल में रहती है। जल में गति करने के लिए इनके पास धारारेखित (स्ट्रीमलाइन्ड) शरीर और पख (फिन) होते हैं [चित्र (क)]। बकरी घास वाले क्षेत्र में रहती है और टाँगों की सहायता से चलती है [ चित्र (ख)]। जंतुओं के आकार एवं आकृति भी एक-दूसरे से भिन्न होते हैं।
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क्रियाकलाप 10 – आइए, तुलना और विश्लेषण करें
तालिका 6 को देखें और श्यामपट्ट पर उसके जैसी एक तालिका बनाएँ।

अब उन पौधों और जंतुओं के नाम की सूची बनाइए जिन्हें आप या आपके सहपाठियों ने तालिका में दिए गए स्थानों पर देखा है अथवा जिनके बारे में आप जानते हैं। कुछ उदाहरण दिए गए हैं। आप और उदाहरण भी जोड़ सकते हैं।
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विभिन्न क्षेत्रों में पाए जाने वाले जंतुओं और पौधों के संबंध में आपके क्या अवलोकन हैं? अपने अवलोकनों पर सहपाठियों के साथ चर्चा करें।

तालिका 6 में आप देख सकते हैं कि एक प्रकार के क्षेत्र में पाए जाने वाले पौधे एवं जंतु अन्य प्रकार के क्षेत्रों में पाए जाने वाले पौधों और जंतुओं से भिन्न होते हैं।
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कक्षा में चर्चा के दौरान एलेक्स को याद आया कि उसने राजस्थान के मरुस्थलों में मोटे और मांसल तने वाले नागफनी (चित्र) के पौधों को देखा था। माया बताती है कि उसने हिमाचल प्रदेश में हिमालयी क्षेत्र में देवदार (चित्र) के वृक्षों को देखा है। साथ ही उसने यह भी बताया कि ये वृक्ष शंक्वाकार होते हैं और इनकी शाखाएँ लचीली और झुकी हुई होती हैं।
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यहाँ यह ध्यान देना आवश्यक है कि अलग-अलग क्षेत्रों में पाए जाने वाले ये दोनों प्रकार के पौधे एक-दूसरे से भिन्न होते हैं। आइए, पता लगाते हैं कि ऐसा क्यों है? एक क्षेत्र की जैव विविधता अन्य क्षेत्रों की जैव विविधता से अलग क्यों होती है?

मरुस्थलीय क्षेत्रों में बहुत कम जल उपलब्ध रहता है। शुष्क मरुस्थल दिन में अत्यधिक गरम और रात्रि में अत्यधिक ठंडे होते हैं। इसलिए आपको इन क्षेत्रों में ऐसे पौधे और जंतु मिलेंगे, जो दिन के समय अत्यधिक गरमी और रात्रि के समय अत्यधिक ठंड वाली परिस्थितियों में रह सकते हैं। मरुस्थल में पाए जाने वाले पौधों के मांसल तने जल को संगृहित कर सकते हैं और उन स्थानों की गरम परिस्थितियों को सहन करने में पौधों की सहायता करते हैं।

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बहुत ठंडे पर्वतीय क्षेत्रों में प्राय: हिमपात होता है। ऐसी परिस्थितियों में जीवित रहने के लिए कुछ वृक्षों की बनावट ऐसी होती है कि उनपर बर्फ टिकती नहीं है बल्कि आसानी से फिसल जाती है। देवदार के वृक्षों की शंक्वाकार आकृति और नीचे झुकी हुई शाखाएँ उन्हें आसानी से ऐसा करने में सक्षम बनाती हैं।

अब आप समझ गए होंगे कि विभिन्न स्थानों की जैव विविधता भिन्न परिस्थितियों के कारण एक-दूसरे से बहुत अलग होती है।

राजस्थान के गरम मरुस्थल के ऊँट (चित्र) और लद्दाख के ठंडे मरुस्थल के ऊँट (चित्र) देखिए। इन दोनों जंतुओं में आपको क्या अंतर दिखाई देते हैं? इन अंतरों के कारण ऊँटों को क्या लाभ होते हैं?
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गरम मरुस्थल के ऊँटों के पैर लंबे होते हैं जिनमें चौड़े खुर होते हैं। एलेक्स ने साझा किया कि उसकी दादी ने उसे बताया था कि ऊँट के लंबे पैर और चौड़े खुर ऊँटों को रेतीले मरुस्थल की रेत में बिना धँसे चलने में सहायता करते हैं। दूसरी ओर ठंडे मरुस्थल के ऊँटों की ऊँचाई और पैर गरम मरुस्थल के ऊँटों की तुलना में छोटे होते हैं। ये छोटे पैर उन्हें ठंडे पहाड़ी मरुस्थलीय क्षेत्रों में आसानी से चलने में सक्षम बनाते हैं।

मरुस्थलीय परिस्थितियों में भोजन सहजता से उपलब्ध नहीं होता है। ऊँट अपने कूबड़ में भोजन संचित करते हैं। गरम मरुस्थलों में पाये जाने वाले ऊँटों में एक कूबड़ होता है जो भोजन की कमी के दौरान उन्हें जीवित रहने में सहायक होता है। ठंडे मरुस्थलों में पाये जाने वाले ऊँटों में दो कूबड़ होते हैं। ये दोनों कूबड़ सर्दियों के अंत के दिनों में छोटे हो जाते हैं, क्योंकि ठंडे मरुस्थल में अधिक भोजन उपलब्ध नहीं होता है और उस समय उन्हें कूबड़ों में संचित भोजन का उपयोग करना पड़ता है। उनके सिर से लेकर गर्दन के निचले भाग तक लंबे बाल होते हैं, जो लद्दाख के बर्फीले मौसम में उनको जीवित रहने में सहायक होते हैं।

मरुस्थल में ऊँटों को जीवित रहने में कौन-सी अन्य विशेषताएँ सहायक हो सकती हैं?
कक्षा के अन्य विद्यार्थियों ने भी अपने अवलोकनों को साझा करना आरंभ कर दिया। राजस्थान की रहने वाली काशी ने कहा कि ऊँट कम मात्रा में मूत्र विसर्जन करते हैं, उनका गोबर सूखा होता है और उन्हें पसीना भी नहीं आता। चूँकि ऊँट अपने शरीर से बहुत अधिक पानी का त्याग नहीं करते हैं, इसलिए बिना जल पिए भी वे कई दिनों तक जीवित रह सकते हैं।

माया ने नीलगिरी के शोला वन में देखे खूबसूरत लाल फूलों वाले बुरांस (रोडोडेंड्रॉन) के विषय में बताया। उसने बताया कि बुरांस की ऊँचाई कम होती है और उनके पत्ते छोटे होते हैं ताकि वे पहाड़ की चोटियों पर तेज हवाओं में जीवित रह सकें। सिक्किम की रहने वाली पेमा ने बताया कि उसने पास के पहाड़ों में बुरांस के लंबे पौधे देखे हैं (चित्र)। इसीलिए, भिन्न क्षेत्रों में पाए जाने वाले बुरांस के पौधे भी उन क्षेत्रों में जीवित रहने के लिए विभिन्न विशेषताएँ प्रदर्शित कर सकते हैं।
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सागर अपने सहपाठियों को बताता है कि वह एक विशेष समारोह के लिए अपने माता-पिता के साथ अंडमान और निकोबार द्वीप समूह गया था। वहाँ उसने महासागर में विशाल व्हेल और रंगीन मछलियों को देखा। उसके पिता ने उसे समझाया था कि मछलियों का धारारेखित शरीर उन्हें जल में तैरने में सहायता करता है।

हमने सीखा कि किसी विशेष क्षेत्र में पाए जाने वाले पौधों और जंतुओं की अपनी विशिष्ट विशेषताएँ होती हैं जो उन्हें वहाँ जीवित रहने के लिए सक्षम बनाती हैं। ये विशिष्ट विशेषताएँ, जो पौधों और जंतुओं को किसी विशेष क्षेत्र में जीवित रहने में सक्षम बनाती हैं, उन्हें अनुकूलन कहा जाता हैं।

देवदार के पेड़ का आकार और बुरांस की ऊँचाई ऐसे अनुकूलन हैं जो उन्हें पर्वतीय क्षेत्रों में जीवित रहने में सक्षम बनाते हैं।

वह स्थान जहाँ पौधे और जंतु रहते हैं, उसे उनका आवास कहते हैं, उदाहरण के लिए— समुद्री कछुओं का आवास समुद्र या महासागर है। ऊँट का आवास गरम या ठंडा मरुस्थल है और बुरांस का आवास पर्वतीय क्षेत्र है। पौधों और जीव-जंतुओं का आवास उन्हें जीवित रहने के लिए भोजन, जल, वायु, आश्रय और अन्य आवश्यकताएँ प्रदान करता है। कई प्रकार के पौधे और जंतु एक ही आवास में रह सकते हैं। आवास किसी क्षेत्र की जैव विविधता को निर्मित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

वैज्ञानिक से परिचय
सालिम अली (1896–1987) ने पक्षियों में विविधता का अवलोकन करने के लिए पूरे भारत की यात्रा की। उन्होंने सभी पक्षियों की एक सूची तैयार की और उनके यात्रा मार्गों और आवासों को भी प्रलेखित किया। उन्होंने पक्षियों की अत्यधिक विविधता वाले क्षेत्रों को अंकित किया और उन क्षेत्रों के संरक्षण के उपाय किए। केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान, भरतपुर, राजस्थान और रंगनाथिट्टु पक्षी अभ्यारण्य, मंड्या, कर्नाटक ऐसे संरक्षित क्षेत्रों के उदाहरण हैं। उन्होंने भारतीय उपमहाद्वीप के पक्षियों पर 10 खंड की एक ऐतिहासिक पुस्तक श्रृंखला लिखी। उन्हें ‘भारत का पक्षी पुरुष’ (बर्ड मैन ऑफ इंडिया) के रूप में जाना जाता है। उनके योगदान के लिए उन्हें 1976 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
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आप किन-किन भिन्न विधियों के माध्यम से पौधों और जंतुओं के आवास के आधार पर उनके समूह बना सकते हैं? एक विधि तो यह है कि ‘जो थल पर रहते हैं’ और ‘जो जल में रहते हैं’ के आधार पर उनका समूह बनाया जाए।

थल पर रहने वाले पौधों और जंतुओं के आवास को थलीय आवास कहते हैं। वन, घास के मैदान, मरुस्थल एवं पर्वतीय क्षेत्र थलीय आवास के कुछ उदाहरण हैं।

जल में रहने वाले पौधों और जंतुओं के आवास को जलीय आवास कहते हैं। तालाब, झील, नदियाँ और महासागर जलीय आवास के कुछ उदाहरण हैं।

मेंढक जैसे कुछ जंतु जल के साथ-साथ थल पर भी रह सकते हैं। इन्हें उभयचर जंतु कहते हैं।

यदि किसी पौधे या जंतु का आवास क्षतिग्रस्त हो जाए तो क्या होगा? यदि बकरी को खाने के लिए घास न मिले तो क्या होगा? क्या मछली बिना जल के जीवित रह सकती है?

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अपने माता-पिता, दादा-दादी और पड़ोसियों से उन पौधों, पक्षियों, कीटों अथवा ऐसे अन्य जंतुओं के बारे में जानें जिन्हें वे बचपन में प्राय: देखते थे लेकिन अब वे कम दिखाई देते हैं। ऐसे परिवर्तन तब होते हैं जब आवास नष्ट हो जाते हैं। पौधों और जंतुओं आवास की क्षति से वे अपने घर, भोजन और अन्य संसाधनों से वंचित हो जाते हैं। इससे जैव विविधता की हानि होती है।

भारत में बंगाल बाघ, चीता और गोडावण (ग्रेट इंडियन बस्टर्ड) की संख्या मानवीय गतिविधियों द्वारा हुई उनके आवासीय क्षति के कारण घट गई है। भारत सरकार ने हमारी जैव विविधता के संरक्षण के लिए अनेक परियोजनाएँ आरंभ की हैं। बंगाल टाइगर की घटती संख्या के संरक्षण के लिए 1973 में ‘बाघ परियोजना” (प्रोजेक्ट टाइगर) आरंभ की गई थी। चीता की संख्या को पुन:स्थापित करने के लिए 2022 में ‘चीता पुनर्वास परियोजना’ (चीता रीइनट्रोडक्शन प्रोजेक्ट) प्रारंभ की गई है। इसी प्रकार गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र राज्यों में गोडावण के आवासों को संरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया है।
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परंपरागत रूप से संरक्षित वन – पवित्र उपवन (सेक्रेड ग्रोव्स)
पवित्र उपवन वह अबाधित वन क्षेत्र हैं जिनका आकार बहुत छोटे से लेकर बहुत बड़े तक हो सकता है। पवित्र उपवन पूरे भारत में पाए जाते हैं। ये कई प्रकार के औषधीय पौधों समेत विविध प्रकार के पौधों और जंतुओं का घर हैं। इनका सरंक्षण स्थानीय समुदाय द्वारा किया जाता है और यहाँ किसी को भी किसी जीव-जंतु को हानि पहुँचाने, पेड़ों को काटने या क्षेत्र को क्षति पहुँचाने की अनुम नहीं है। इस प्रकार पवित्र उपवन सामुदायिक रूप से संरक्षित जैव संपदा हैं। आप अपने क्षेत्र के पवित्र उपवन के विषय में पता लगाइए।
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हमें अपने ग्रह को जीवन से परिपूर्ण बनाए रखने के लिए जैव विविधता की रक्षा करने की आवश्यकता है ताकि पौधे एवं जंतु बचे रह सकें और फलते-फूलते रहें।

Class 6th Science Notes

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