Exploring Magnets Class 6 Notes in Hindi
चुंबकों को जानें Class 6 Notes
कक्षा 6 विज्ञान नोट्स Chapter 4 चुंबकों को जानें – कक्षा 6 विज्ञान अध्याय 4 नोट्स
→ चुंबक के दो ध्रुव होते हैं— उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव।
→ चुंबकीय ध्रुव हमेशा उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव के जोड़ों में ही रहते हैं। एकल उत्तरी ध्रुव या एकल दक्षिणी ध्रुव का अस्तित्व नहीं होता है।
→ चुंबकीय पदार्थ वे पदार्थ होते हैं, जो चुंबक की ओर आकर्षित होते हैं।
→ अचुंबकीय पदार्थ वे पदार्थ होते हैं, जो चुंबक की ओर आकर्षित नहीं होते हैं।
→ स्वतंत्र रूप से लटका हुआ चुंबक उत्तर-दक्षिण दिशा में ठहरता है।
→ चुंबकीय दिक्सूचक की सुई उत्तर-दक्षिण दिशा में ठहरती है।
→ जब दो चुंबकों को एक-दूसरे के समीप लाया जाता है, तो समान ध्रुव (उत्तर-उत्तर, दक्षिण-दक्षिण) एक-दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं, जबकि विपरीत ध्रुव (उत्तर-दक्षिण) एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं।
रेशमा केरल के एक तटवर्ती नगर में रहती है और लघु कहानियाँ लिखने में उसकी बहुत रुचि है। उसकी दादी को उसके द्वारा लिखी कहानियाँ सुनना बहुत पसंद है। इसलिए, वह अपनी दादी के साठवें जन्मदिन पर उन्हें सुनाने के लिए एक नई कहानी लिख रही थी।
रेशमा की लिखी यह कहानी पुराने दिनों में व्यापार के लिए केरल से मसाले ले जाने वाले एक जहाज पर आधारित थी। उसे इस बात की जानकारी थी कि उन दिनों नाविक रात में रास्ता जानने के लिए तारों की स्थिति का उपयोग करते थे। लेकिन उसकी कहानी में एक ऐसी स्थिति आई जिसमें नाविक एक रात तूफान में फंस गए। उसी तूफानी रात आकाश में बादल छाए हुए थे और कोई तारा दिख नहीं रहा था। रेशमा अपनी कहानी को आगे नहीं बढ़ा सकी क्योंकि उसे नाविकों के लिए दिशा पता करने का कोई उपाय नहीं सूझ रहा था।
उसने इंटरनेट और अपने विद्यालय के पुस्तकालय से इस विषय में जानकारी खोजी और उसने पाया कि यात्री दिशा जानने के लिए चुंबकीय दिक्सूचक (कंपास) नामक यंत्र का उपयोग करते थे।
यद्यपि रेशमा ने ऐसे पेंसिल बॉक्स और पर्स देखे हुए थे जो चुंबक का उपयोग करके बंद होते थे। इसके साथ ही उसके विद्यालय में भी एक ऐसा लेखन बोर्ड था जिसके साथ चुंबक वाला डस्टर चिपका रहता था, लेकिन उसने कभी इन वस्तुओं पर बहुत ध्यान नहीं दिया था। इस खोजबीन के पश्चात उसमें चुंबक व चुंबकीय दिक्सूचक के बारे में और अधिक जानने की जिज्ञासा उत्पन्न हुई।
पुराने समय में नाविकों द्वारा उपयोग किए जाने वाले चुंबक प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले चुंबक थे। इन्हें चुंबक पत्थर के नाम से जाना जाता था और जिसकी खोज प्राचीन काल में हुई थी। समय बीतने के साथ लोगों को पता चला कि लोहे के टुकड़ों से भी चुंबक बनाए जा सकते हैं। आजकल हमारे पास विभिन्न पदार्थों से बने चुंबक उपलब्ध हैं। जो चुंबक आप विद्यालय की प्रयोगशाला में देखते हैं और जो पेंसिल बॉक्स, स्टिकर व खिलौनों में उपयोग किए जाते हैं, वे सभी कृत्रिम चुंबक हैं। चुंबक विभिन्न आकार के हो सकते हैं जिनमें से कुछ चित्र में दर्शाए गए हैं।
चुंबकीय और अचुंबकीय पदार्थ Class 6 Notes
क्रियाकलाप 1 – आइए, खोज करें
विभिन्न पदार्थों से बनी कुछ वस्तुएँ तथा एक चुंबक लें।
पूर्वानुमान लगाएँ कि कौन-सी वस्तुएँ चुंबक से चिपक जाएँगी। अपना पूर्वानुमान तालिका 1 में अंकित करें।
अब अपने हाथ में एक चुंबक पकड़ें और उसे एक-एक करके सभी वस्तुओं के पास ले जाएँ (चित्र)। अवलोकन करें कि कौन-कौन सी वस्तुएँ चुंबक से चिपकती हैं।
अपने अवलोकनों को तालिका 1 में अंकित करें।
क्या आपका पूर्वानुमान सभी वस्तुओं के लिए सही था? कौन-सी वस्तुएँ चुंबक से चिपक जाती हैं? आप क्या निष्कर्ष निकाल सकते हैं?
इस क्रियाकलाप से हमें पता चलता है कि कुछ वस्तुएँ चुंबक की ओर आकर्षित हुईं और उससे चिपक गईं, जबकि अन्य वस्तुएँ आकर्षित नहीं हुईं। वे पदार्थ जो चुंबक की ओर आकर्षित होते हैं, चुंबकीय पदार्थ कहलाते हैं। लोहा एक चुंबकीय धातु है। इसके अलावा निकेल और कोबाल्ट भी चुंबकीय धातुएँ हैं। अन्य धातुओं के साथ इनके कुछ संयोजन भी चुंबकों की ओर आकर्षित होते हैं। जो पदार्थ चुंबक की ओर आकर्षित नहीं होते, अचुंबकीय पदार्थ कहलाते हैं। आपके द्वारा तालिका 1 में सूचीबद्ध कौन-सी वस्तुएँ अचुंबकीय पाई गईं?
चुंबक के ध्रुव Class 6 Notes
क्रियाकलाप 2 – आइए, जाँच करें
कागज की एक शीट पर थोड़ा-सा लोहरेतन (लोहे के बहुत छोटे टुकड़े) फैलाएँ।
लोहरेतन के ऊपर एक छड़ चुंबक रखें। कागज को थपथपाएँ और ध्यान से देखें कि लोहरेतन का क्या होता है।
क्या आप लोहरेतन के चुंबक से चिपकने के तरीके में कोई विशेष बात देखते हैं? क्या लोहरेतन पूरे चुंबक पर समान रूप से चिपक जाता है? या फिर यह कुछ जगहों पर अधिक चिपकता है?
हम देख सकते हैं कि लोहरेतन सबसे अधिक चुंबक के सिरों पर चिपकता है (जैसा कि चित्र में दिखाया गया है) और यह चुंबक के शेष भाग पर कम चिपकता है।
चुंबक के इन सिरों को चुंबक के दो ध्रुव — उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव कहा जाता है। लोहरेतन का अधिकांश भाग किसी भी आकार के चुंबक के ध्रुवों पर चिपक जाता है।
एक ध्रुव वाला चुंबक प्राप्त करना संभव नहीं है। भले ही किसी चुंबक को कितने भी छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ दिया जाए, छोटे से छोटे टुकड़े में भी उत्तरी और दक्षिणी दोनों ध्रुव विद्यमान रहते हैं। चुंबकीय ध्रुव हमेशा जोड़े में होते हैं, एक उत्तरी ध्रुव और एक दक्षिणी ध्रुव एकल उत्तरी ध्रुव या एकल दक्षिणी ध्रुव का अस्तित्व नहीं होता।
दिशाएँ ज्ञात करना Class 6 Notes
क्रियाकलाप 3 – आइए, प्रयोग करें
चित्र में दर्शाए अनुसार एक छड़ चुंबक के मध्य में एक धागा बाँधकर इसे लटकाएँ। जब तक चुंबक क्षैतिज रूप से संतुलित न हो जाए तब तक आप डोरी की स्थिति को समायोजित करें।
अब चुंबक को क्षैतिज दिशा में धीरे से घुमाएँ और इसे विश्राम की स्थिति में आने दें।
फर्श (या फर्श से चिपके कागज के टुकड़े) पर चुंबक के सिरों के अनुरूप स्थिति को चिह्नित करें। फर्श पर इन दोनों बिंदुओं को एक रेखा से जोड़े। यह रेखा उस दिशा को दर्शाती है जिस दिशा चुंबक विश्राम की स्थिति में था।
अब फिर से चुंबक के एक सिरे पर हल्का-सा धक्का देकर उसे घुमाएँ और उसके विश्राम की स्थिति में आने तक प्रतीक्षा करें। अब यह देखें कि क्या चुंबक उसी रेखा के अनुदिश विरामावस्था में ठहरता है?
स्वतंत्र रूप से लटका हुआ चुंबक उत्तर-दक्षिण दिशा में ठहरता है। चुंबक का वह सिरा जो उत्तर की ओर इंगित करता है, उसे चुंबक का उत्तरोन्मुखी ध्रुव या उत्तरी ध्रुव कहा जाता है। दूसरा सिरा जो दक्षिण की ओर इंगित करता है, उसे चुंबक का दक्षिणोन्मुखी ध्रुव या दक्षिणी ध्रुव कहा जाता है। स्वतंत्र रूप से लटका हुआ चुंबक उत्तर-दक्षिण दिशा में ठहरता है क्योंकि हमारी पृथ्वी स्वयं एक विशाल चुंबक की तरह व्यवहार करती है।
इस क्रियाकलाप को छड़ चुंबक के स्थान पर लोहे की एक छोटी छड़ के साथ दोहराएँ। आप क्या देखते हैं? क्या यह छड़ हमेशा उत्तर-दक्षिण दिशा में ठहरती है? ऐसा नहीं है। यह किसी भी दिशा में ठहर सकती है। इसका तात्पर्य यह है कि केवल चुंबक ही हमेशा उत्तर-दक्षिण दिशा में ठहरते हैं। यह क्रियाकलाप हमें यह जाँचने का एक तरीका प्रदान करता है कि धातु का कोई टुकड़ा चुंबक है या नहीं।
स्वतंत्र रूप से लटके चुंबक का हमेशा उत्तर-दक्षिण दिशा में रुकने के गुण का उपयोग दिशाएँ जानने के लिए किया जाता है। इसी आधार पर पुराने समय में दिशाएँ जानने के लिए चुंबकीय दिक्सूचक नामक एक छोटा यंत्र विकसित किया गया था। इसमें सुई के आकार (चित्र) का एक चुंबक होता है जो स्वतंत्र रूप से घूम सकता है। चुंबकीय दिक्सूचक की सुई उत्तर-दक्षिण दिशा को इंगित करती है।
दिक्सूचक को उस स्थान पर रखा जाता है जहाँ हम दिशाएँ जानना चाहते हैं। कुछ समय पश्चात् इसकी सुई उत्तर-दक्षिण दिशा के अनुदिश रुक जाती है। इसके बाद दिक्सूचक बॉक्स को धीरे-धीरे तब तक घुमाया जाता है, जब तक डायल पर अंकित उत्तर और दक्षिण सुई के साथ सरेखित नहीं हो जाते। अब उस स्थान पर सभी दिशाएँ डायल पर दर्शाई दिशाओं के अनुसार होती हैं।
चुंबकीय दिक्सूचक सामान्यतः एक छोटा वृत्ताकार बॉक्स होता है जिस पर काँच का आवरण होता है, जैसा कि चित्र में दिखाया गया है। सुई के आकार का एक चुंबक बॉक्स के तल पर खड़ी एक पिन पर लगा होता है। यह चुंबकीय सुई पिन पर इस तरह से संतुलित होती है कि यह इस बिंदु के चारों ओर आसानी से गति कर सके अर्थात् स्वतंत्र रूप से घूम सके। सुई का वह सिरा जो उत्तर दिशा में रहता है, सामान्यत: लाल रंग से रंगा जाता है। सुई के नीचे एक डायल होता है जिस पर दिशाएँ अंकित होती हैं।
क्रियाकलाप 4 – आइए, निर्माण करें
कुछ वस्तुएँ, जैसे— कॉर्क का टुकड़ा, सिलाई के काम आने वाली लोहे की सुई, एक स्थायी छड़ चुंबक, एक काँच का कटोरा और पानी लीजिए।
सिलाई के काम आने वाली लोहे की सुई लकड़ी की मेज पर रखें। सुई के एक सिरे पर छड़ चुंबक का कोई एक ध्रुव रखें। चित्र (क) में दिखाए अनुसार चुंबक को सुई पर उसकी लंबाई के अनुदिश खीचें। जब यह दूसरे सिरे पर पहुँच जाए तो उसे ऊपर उठाएँ।
बिना चुंबक के ध्रुव बदले उसे सुई के उसी सिरे पर लाएँ जहाँ से शुरूआत की थी। इस प्रक्रिया को कम से कम 30 से 40 बार दोहराएँ।
सुई के पास थोड़ा-सा लोहरेतन या स्टील की पिन लाएँ। अगर पिन या लोहरेतन सुई की ओर आकर्षित हो जाए तो इसका अर्थ है कि सुई चुंबक बन गई है।
इस सुई को कॉर्क में क्षैतिज रूप से घुसाएँ। पानी से भरे काँच के कटोरे में कॉर्क इस तरह से तैराएँ कि सुई हमेशा पानी के स्तर से ऊपर रहे, जैसा कि चित्र (ख) में दिखाया गया है।
जब सुई रुक जाती है तो आपका चुंबकीय दिक्सूचक उपयोग के लिए तैयार है। ध्यान दें कि सुई के दोनों सिरे कौन-कौन सी दिशा इंगित करते हैं।
कॉर्क धीरे से घुमाएँ और इसके रूकने तक प्रतीक्षा करें। इसे कई बार दोहराएँ। क्या सुई के सिरे हमेशा एक ही दिशा में इंगित करते हैं?
चुंबकों के बीच आकर्षण और प्रतिकर्षण Class 6 Notes
आधुनिक दिक्सूचक (चित्र) के व्यापक उपयोग से बहुत पहले, आपके द्वारा बनाई गई दिक्सूच सुई [चित्र (ख)] जैसा एक उपकरण भारतीयों द्वारा समुद्र में नौसंचालन के लिए उपयोग में लाया जाता था। इसमें मछली के आकार का एक चुंबकीकृत लोहे का टुकड़ा होता था, जिसे तेल के बर्तन में रखा जाता था। इसे मत्स्य-यंत्र (या मच्छ-यंत्र) कहा जाता था।
क्रियाकलाप 4.5 – आइए, प्रयोग करें
दो ऐसे छड़ चुंबक लें जिन पर उत्तरी (N) और दक्षिणी (S) ध्रुव अंकित हों। इन्हें चुंबक I व चुंबक II के रूप में चिह्नित करें।
चुंबक I के लंबे भाग को 5-6 गोल आकार की पेंसिलों के ऊपर रखें जैसे चित्र (क) में दिखाया गया है।
अब चुंबक II का एक सिरा पेंसिलों पर रखे चुंबक I के सिरे के पास लाएँ। सुनिश्चित करें कि दोनों चुंबक एक-दूसरे को स्पर्श न करें। अब देखें कि क्या होता है।
इसके बाद, चुंबक II का दूसरा सिरा को चुंबक I के उसी सिरे के पास लाएँ जैसे चित्र (ख) में दिखाया गया है। क्या पेंसिलों पर रखा चुंबक I गतिमान हो जाता है? क्या यह हमेशा पास आने वाले चुंबक की दिशा में गति करता है? इन अवलोकनों से क्या निष्कर्ष निकलता है?
आप देखेंगे कि दो चुंबकों के असमान ध्रुव अर्थात् एक चुंबक का उत्तरी ध्रुव और दूसरे चुंबक का दक्षिणी ध्रुव एक-दूसरे को आकर्षित करते हैं। दोनों चुंबकों के समान ध्रुव अर्थात् दोनों चुबंकों के उत्तरी ध्रुव या दोनों के दक्षिणी ध्रुव एक-दूसरे को प्रतिकर्षित करते हैं।
किसी एक चुंबक के स्थान पर लोहे की छड़ से इसी क्रियाकलाप को दोहराएँ। इस बार आप क्या देखते हैं?
आप पाएँगे कि लोहे की छड़ के दोनों सिरे चुंबक के उत्तरी और दक्षिणी दोनों ध्रुवों द्वारा आकर्षित होंगे।
इस क्रियाकलाप से हमें पता लगता है कि किसी चुंबक को उसके प्रतिकर्षण के गुण से पहचाना जा सकता है।
क्रियाकलाप 6 – आइए, प्रयोग करें
एक चुंबकीय दिक्सूचक और एक छड़ चुंबक लें।
एक क्षैतिज सतह पर चुंबकीय दिक्सूचक रखें और इसकी सुई के विरामावस्था में आने की प्रतीक्षा करें।
अब धीरे-धीरे छड़ चुंबक का उत्तरी ध्रुव दिक्सूचक सुई के उत्तरी ध्रुव के पास लाएँ, जैसा कि चित्र (क) में दिखाया गया है।
दिक्सूचक सुई का अवलोकन करें। आप क्या देखते हैं? क्या सुई विक्षेपित होती है? यदि हाँ तो किस दिशा में विक्षेपित हुई?
अब छड़ चुंबक के दक्षिणी ध्रुव के साथ उपरोक्त चरण दोहराएँ। क्या आप इस बार कोई अंतर देखते हैं?
जब चुंबक का उत्तरी ध्रुव दिक्सूचक सुई के उत्तरी ध्रुव के पास लाया जाता है तो यह दूर चला जाता है [चित्र (क)]। जब चुंबक का दक्षिणी ध्रुव दिक्सूचक सुई के उत्तरी ध्रुव के पास लाया जाता है तो यह पास आ जाता है [चित्र (ख)]|
क्रियाकलाप 7 – आइए, जाँच करें
क्रियाकलाप 6 के पहले या दूसरे भाग को दोहराएँ।
छड़ चुंबक और चुंबकीय दिक्सूचक को छेड़े बिना, उनके मध्य लकड़ी का एक टुकड़ा चित्र में दर्शाए चित्र के अनुसार रखें। अब दिक्सूचक सुई को ध्यान से देखें।
क्या लकड़ी का टुकड़ा मध्य में रखने से दिक्सूचक सुई के विक्षेपण पर कोई प्रभाव हुआ? अपने अवलोकन तालिका 2 में अंकित करें।
लकड़ी के टुकड़े के स्थान पर कार्डबोर्ड शीट, पतली प्लास्टिक शीट और पतली काँच की शीट रखकर उपरोक्त प्रक्रिया दोहराएँ।
जब चुंबक और दिक्सूचक सुई के मध्य उपर्युक्त उल्लिखित किसी भी सामग्री की शीट रखी जाती है तो आप सुई के विक्षेपण में कोई विशेष परिवर्तन नहीं देखेंगे। इसलिए हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि चुंबकीय प्रभाव अचुंबकीय पदार्थों के भीतर से होकर उनके पार जा सकता है।
चुंबकों के साथ मनोरंजन Class 6 Notes
चुंबकों के बारे में जानने के बाद रेशमा उत्साहित थी और उसने अपने विद्यालय के मेले चुंबकों का उपयोग करके कुछ रोचक क्रियाकलाप आयोजित करने का निर्णय लिया। आप भी इन्हें अपने लिए बनाने की कोशिश कर सकते हैं और कुछ अन्य रोचक वस्तुएँ बनाने पर भी विचार कर सकते हैं। क्या हम चुंबकों का प्रयोग करके एक माला (चित्र) बना सकते हैं?
क्या हम गत्ते की ट्रे के नीचे चुंबक को चलाकर स्टील की गेंदें भूलभुलैया से बाहर निकाल सकते हैं?
क्या पानी में गिरे हुए स्टील के पेपर क्लिप को चुंबक का उपयोग करके हम अपनी अँगुलियों या चुंबक को गीला किए बिना बाहर निकाल सकते हैं?
चित्र में दर्शाई गई दोनों कारों को पास में लाने पर क्या वे एक-दूसरे की ओर तेजी से बढ़ेंगी या एक-दूसरे से दूर जाएँगी?
कुछ चुंबकों में उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों को N और S से चिह्नित किया जाता है। कुछ अन्य चुंबकों में उत्तरी ध्रुव सफेद बिंदु से दर्शाया जाता है। कभी-कभी, चुंबक के उत्तरी ध्रुव लाल रंग से और दक्षिणी ध्रुव नीले रंग से भी दर्शाए जाते हैं।
चुंबकों को सुरक्षित कैसे रखें?
चुंबक कहता है, “मुझे ध्यान से रखो। मुझे जोड़ों में इस प्रकार रखो कि दोनों चुंबकों के विपरीत ध्रुव एक ही तरफ हों। दो चुंबकों के
मध्य एक लकड़ी का टुकड़ा हो तथा सिरों पर नर्म लोहे के टुकड़े हों।”
“मुझे गरम मत करो और गिराओ मत। मुझे हथौड़े से मत पीटो। मुझे मोबाइल फोन या रिमोट के पास मत रखो।”
Class 6th Science Notes
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