Teachers recommend Class 6 SST Notes and Class 6 Social Science Chapter 3 Notes in Hindi स्थलरूप एवं जीवन for mastering important definitions and key concepts.
Landforms and Life Class 6 Notes in Hindi
स्थलरूप एवं जीवन Class 6 Notes
कक्षा 6 सामाजिक विज्ञान अध्याय 3 नोट्स स्थलरूप एवं जीवन
→ भू-आकृतियों की खोज
- भू-आकृतियाँ पृथ्वी की सतह पर भौतिक आकृतियाँ हैं, जो लाखों वर्षों में आकार लेती हैं।
- इन्हें तीन श्रेणियों में बाँटा गया है-पर्वत, पठार और मैदान।
- इन भू-आकृतियों में भिन्न-भिन्न जलवायु और विविध वनस्पतियाँ और जीव हैं।
- मनुष्य के सभी भू-आकृतियों के साथ अनुकूलन कर लिया है। लेकिन विभिन्न भू-आकृतियों पर रहने वाले लोगों की संख्या विश्व स्तर पर भिन्न-भिन्न है।
→ पर्वत
- पर्वत ऊँची भू-आकृतियाँ हैं जिनका आधार चौड़ा, ढलान खड़ी और शिखर संकीर्ण होता है।
- कुछ पहाड़ बर्फ से ढके हुए हैं, जो गर्मियों में पिघलकर नदियों को पानी प्रदान करता हैं।
- कम तीव्र ढलान और गोलाकार शीर्ष वाले अन्य ऊँचे क्षेत्रों को पहाड़ी कहा जाता है।
- अधिकांश पर्वतों को पर्वत श्रृंखलाओं में बाँटा गया है, जैसे एशिया में हिमालय, यूरोप में आल्प्स/एलप्स और दक्षिण अमेरिका में एंडीज।
- माउंट एवरेस्ट और कंचनजुंगा हिमालय पर्वतमाला की दो सबसे ऊँची चोटियाँ हैं।
- दक्षिण अमेरिका में माउंट अकोंकागुआ एंडीज की सबसे ऊँची चोटी है।
- पूर्वी अफ्रीका में स्थित माउंट किलिमंजारो एक पृथक पर्वत है जो किसी पर्वत श्रृंखला का हिस्सा नहीं है।
- पश्चिमी यूरोप में स्थित मोंट ब्लांक आल्प्स का सबसे ऊँचा पर्वत है।
- कुछ पर्वत, जैसे हिमालय, अपेक्षाकृत युवा हैं, जो लाखों वर्ष पहले बने थे।
- अरावली पर्वतमाला की तरह छोटे, अधिक गोलाकार पर्वत, और पहाड़ियाँ पुरानी हैं और कटाव के कारण गोलाकार हो गई हैं।
→ पर्वतीय पर्यावरण/परिवेश
- पहाड़ी ढलानें प्राय: पर्वतीय वनों से ढकी होती हैं, जिनमें चीड़ (पाइन), फर, स्प्रूस और देवदार जैसे सदाबहार वृक्षों का प्रभुल्व होता है।
- अधिक ऊँचाई पर पेड़ों की पत्तियाँ लंबी, शंकु के आकार की पतली, नुकीली होती हैं।
- अधिक ऊँचाई पर पेड़ों की जगह घास, मास (काई) और लाइकेन उग आते हैं।
- गहरे जंगल, नदियाँ, झीलें, घास के मैदान और गुफाएँ विविध जीव-जंतुओं जैसे गोत्डन ईगल/गरूड़, पेरेग्रीन, बाज, कैनेडियन लिंक्स, हिम तेंदुआ, आइबेक्स. हिमालगन तहर, पहाड़ी खरगोश, याक, ग्रे लोमड़ी और काले भालूओं का घर है।
→ पर्वतीय जीवन
- पर्वतीय क्षेत्र ऊबड़-खाबड़ और खड़ी ढलान वाला है, जिससे खेती कुछ घाटियों तक ही सीमित रह जाती है।
- ढलान पर सीढ़ियाँ काटकर भू-भागीय खेती की जाती है।
- कई पहाड़ी क्षेत्रों में पशुपालन पंसदीदा व्यवसाय है।
- पर्यटन एक महत्वपूर्ण आय स्रोत है, जिसमें पर्वतीय हवा और प्राकृतिक सुंदरता पर्यटकों को आकर्षित करती है।
- स्कीइंग, लंबी पैदल यात्रा, पर्वतारोहण और पैराग्लाइडिंग जैसे खेल लोकप्रिय गतिविधियाँ हैं।
- पवित्र स्थलों की तीर्थयात्रा सदियों से एक परंपरा रही है।
- पर्यटकों के अत्यधिक आगमन से नाजुक पर्वतीय पर्यावरण पर दबाव पड़ सकता है।
→ पठार
- पठार वे भू-आकृतियाँ हैं जो आसपास की भूमि से ऊपर उठती हैं तथा जिनकी सतह समतल और ढलान तीव्र होती है।
- उदाहरणों में तिब्बती पठार और ढक्कन पठार शामिल हैं।
- पठारों की ऊँचाई कुछ सौ मीटर से लेकर कई हजार मीटर तक हो सकती है।
- पहाड़ों की तरह पठार भी खनिज भंडारों से समृद्ध होते हैं, जिससे वे खनिजों के भंडार बन जाते हैं।
- पठारों पर खनन एक प्रमुख गतिविधि है, दुनिया की कई सबसे बड़ी खदानें इन्हीं क्षेत्रों में स्थित हैं।
- पठारों का पर्यावरण विविधतापूर्ण है, कई पठारों की मिट्टी चट्टानी है, जिससे वे मैदानों की तुलना में कम उपजाऊ होते हैं।
- पठार कई शानदार जलप्रपातों का घर हैं, जिनमें विक्टोरिया जल प्रपात (फाल्स/इरना), हुंडरू जलप्रपात और जोग जलप्रपात शामिल हैं।
→ मैदान
- विस्तृत समतल या हल्की तरंगित धरातल (स्थलरूप) जिसमें कोई बड़ी पहाड़ियाँ या गहरी घाटियाँ न हों।
- सामान्यत: समुद्र तल से 300 मीटर से अधिक ऊँचाई नहीं।
- पर्वत शृंखलाओं से नदियों द्वारा निर्मित बाढ़ के मैदानों में तलछट एकत्रित हौती है।
- नदियाँ तलछट को मैदानों तक लाती हैं, जिससे मिट्टी उपजाऊ हो जाती है।
- फसल उगाने के लिए आदर्श, कृषि एक प्रमुख आर्थिक व्यवसाय है।
- वनस्पतियों और जीव-जंतुओं की विविधता को सहारा मिलता है।
→ मैदानों में जीवन
- पहली सभ्यताएँ हजारों साल पहले नदियों के आसपास उपजाऊ मैदानों में विकसित हुई।
- आज भारत के गंगा के मैदान में 40 करोड़ से अधिक लोग रहते हैं, जो विश्व की आबादी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
- प्रमुख व्यवसायों में नदी में मछली पकड़ना और कृषि शामिल है, जिसमें चावल, गेहूँ, मक्का, जौ, बाजरा, कपास, जूट और भांग जैसी फसलें उगाई जाती हैं।
- पारंपरिक कृषि वर्षा पर आधारित रही है, लेकिन हाल ही में सिंचाई से उत्पादन में वृद्धि हुई है, लेकिन भू-जल में कमी भी आई है।
- अधिक जनसंख्या और प्रदूषण गंगा के मैदानों को प्रभावित करने वाले अन्य मुद्दे हैं।
- नदियों का सांस्कृतिक महत्व बहुत अधिक है तथा कई समुदाय इनके उदगम और संगम को पवित्र मानते हैं।
- मैदानों की हल्की ढलान के कारण नदी में नौसंचालन/नौवहन आसान है जिससे आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलता है।
- रेगिस्तान, विशाल, शुष्क विस्तार जिसमें अद्वितीय वनस्पतियाँ और जीव हैं, कठोर जीवन स्थितियों के बावजूद मनुष्यों के लिए अनुकूलित हो गए हैं।
- भारत के थार रेगिस्तान में रहने वाले समुदायों में रेगिस्तान से संबंधित समृद्ध सांस्कृतिक परंपराएँ हैं, जो मानवीय अनुकूलनशीलता और लचीलेपन को प्रदर्शित करती है।
→ पर्वतीय वन : एक प्रकार का वन जो पहाड़ी क्षेत्रों में उगता है, इसे पर्वतीय वन कहा जाता है।
→ मॉस/काई : एक छोटा हरा पौधा, जिसमें फूल या वास्तविक जड़ें नहीं होती, जो प्रायः एक मुलायम आवरण की तरह फैला रहता है।
→ लाइकेन : एक पौधे जैसा जीव जो सामान्यत: चट्टानों, दीवारों या पेड़ों से चिपका रहता है।
→ भ-भाग : भौतिक विशेषताओं की दृष्टि से भूमि का एक टुकड़ा या विस्तार।
→ वर्षा: वायुमंडल से पानी किसी भी रूप में जमीन पर पहुँचनाबारिश, बर्फ और ओले वर्षा के सबसे सामान्य रूप हैं।
→ घाटी : पहाड़ियों या पर्वतों के बीच का निचला क्षेत्र, जिसमें से अक्सर कोई नदी या जलधारा बहती है।
→ पर्वतीय पर्यावरण : पर्वतीय क्षेत्रों में पाए जाने वाले प्राकृतिक परिवेश जिसमें उन क्षेत्रों के विशिष्ट वनस्पति और जीव-जंतु शामिल हैं।
→ हिमपात : बर्फ के क्रिस्टल के रूप में अवक्षेप जो जलवाष्प के जमने के कारण वायुमंडल से गिरता है।
→ उच्चभूमिः ऊँचे भू-भाग वाले क्षेत्र, जो प्रायः खड़ी ढलानों और ऊबड़-खाबड़ परिदृश्यों से युक्त होते हैं।
→ पठार : पठार एक भू-आकृति है जो आसपास की भूमि से ऊपर उठती है और इसकी सतह सभतल होती है। इसके कुछ पाश्र्व अक्सर खड़ी ढलान वाले
होते हैं।
→ मैदान : मैदान वे भू-आकृतियाँ हैं जिनमें एक विस्तृत प्लेट या हल्की-सी लहरदार सतह होती है। इनमें कोई बड़ी पहाड़ी या गहरी घाटी नहीं होती।
→ पर्वतः वे स्थलरूप जो आसपास के भू-भाग से बहुत ऊँचे होते हैं. पर्वत कहलाते हैं।
→ पहाड़ियाँ : कम ऊँचाई, कम ढलान और गोलाकार शीर्ष वाले ऊँचे इलाकों को पहाड़ियाँ कहा जाता है।
→ पर्वत श्रृंखलाएँ : पर्वतों की एक श्रंखला जो एक-दूसरे के निकट हों तथा ऊँची भूमि से जुड़े हों, उन्हें पर्वत अ्यृंखलाएँ कहते हैं।
→ अपरदन : पानी, बारिश या हवा, समुद्र जैसी प्राकृतिक शक्तियों द्वारा भूमि या चट्टानें, मिट्टी का नुकसान।
→ उत्थान : किसी चीज के स्तर में वृद्धि, एक सुधार।
→ जीव-जंतु : किसी विशेष क्षेत्र या समयावधि में पशु जीवन।
→ वनस्पति : किसी विशेष क्षेत्र या समयावधि में वनस्पति जीवन।
→ शंकुधारी वृक्ष : वे वृक्ष जो लंबे, शंकु के आकार के, पतले, नुकीली पत्तियों वाले पेड़ों को शंकुधारी वृक्ष कहते हैं।
→ हिमनव : बर्फ का एक विशाल पिंड जो धीरे-धीरे भूमि पर घूमता है, जो सघन बर्फ से बनता है।
→ पशुपालन : प्रायः पहाड़ी क्षेत्रों में, पशुओं को पालने और उनका प्रबंधन करने की प्रथा।
→ सीढ़ीनुमा खेती : पहाड़ी ढलानों पर काटी गई भूमि की सीढ़ियों पर खेती।
→ समुद्र तल : महासागरों की सतह के औसत स्तर को समुद्र तल कहा जाता है। इसे मुख्य समुद्र तल भी कहा जाता है।
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