Teachers often provide Class 7 Hindi Notes Malhar Chapter 6 गिरिधर कविराय की कुंडलिया Summary in Hindi Explanation to simplify complex chapters.
गिरिधर कविराय की कुंडलियाकविता Class 7 Summary in Hindi
गिरिधर कविराय की कुंडलिया Class 7 Hindi Summary
गिरिधर कविराय की कुंडलिया कविता का सारांश – गिरिधर कविराय की कुंडलिया Class 7 Summary in Hindi
पहली कुंडलिया में कवि ने यह बताया है कि बिना सोच-विचार के जो काम किया जाता है, उसके परिणाम अकसर नकारात्मक होते हैं। जब व्यक्ति बिना विचार किए कोई कार्य करता है, तो वह बाद में पछताता है और उसे हँसी का पात्र बनना पड़ता है। इसके साथ ही वह मानसिक शांति से भी वंचित हो जाता है। उसे अन्य सुख-सुविधाओं में भी कोई आनंद नहीं आता। ऐसे व्यक्ति के मन में हमेशा पश्चाताप और दुख बना रहता है और उसे चैन नहीं मिलता। यह दुख टालने पर भी नहीं टलता और हृदय में बिना विचारे किया गया कार्य खटकता रहता है।
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दूसरी कुंडलिया में कवि ने यह समझाया है कि जो समय बीत चुका है, उसे भूलकर आगे बढ़ना चाहिए क्योंकि उस पर विचार करने से कोई लाभ नहीं होता। यदि हम पुराने दुखों या परेशानियों पर ध्यान देंगे, तो वर्तमान के सुख को प्राप्त नहीं कर सकते। इसलिए हमें अपनी सोच को सकारात्मक दिशा में लगाकर, आगे की खुशियों के बारे में सोचना चाहिए और पिछले दुखों को भूलकर नए अवसरों को अपनाना चाहिए। जो सहजता से हो जाएँ, उन्हीं कार्यों में मन लगाना चाहिए। इससे दुष्ट प्रवृत्ति के लोगों को हँसने का मौका नहीं मिलेगा और मन में भी किसी तरह का कोई पछतावा नहीं रहेगा। अतः हमें बीती बात को भुलाकर आगे के सुख का विचार करना चाहिए ।
गिरिधर कविराय की कुंडलिया कविता कीव परिचय
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अठारहवीं सदी में जन्मे गिरिधर कविराय को उनकी लोकप्रचलित कुंडलियों के लिए याद किया जाता है। उनकी रचनाओं में बहुत से ऐसे नीतिपरक पद मिलते हैं जिन्हें अक्सर कहावत के रूप में सुना जाता है जैसा कि अभी आपने पढ़ा- “बिना बिचारे जो करै सो पाछे पछिताय” या “बीती ताहि बिसारि दे आगे की सुधि लेइ।” उनकी कविताएँ जन-मानस में इतनी प्रसिद्ध हैं कि लोग उनका कहावतों की तरह उपयोग करते हैं। उन्होंने अपनी कविताओं में लाठी जैसी वस्तु के उपयोग भी बताए और यह भी बताया कि धन अधिक हो जाए तो क्या करना चाहिए। अपनी रचनाओं में लोकनीति या घर-गृहस्थी के साधारण लोक व्यवहार की बातें सीधे और सरल शब्दों में कहने के लिए भी वे जाने जाते हैं।
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गिरिधर कविराय की कुंडलिया कविता हिंदी भावार्थ Pdf Class 7
गिरिधर कविराय की कुंडलिया सप्रसंग व्याख्या
1. बिना बिचारे जो करै सो पाछे पछिताय ।
काम बिगारे आपनो जग में होत हँसाय ।।
जग में होत हँसाय चित्त में चैन न पावै ।
खान पान सन्मान राग रंग मनहिं न भावै।।
कह गिरिधर कविराय दुःख कछु टरत न टारे ।
खटकत है जिय माहिं कियो जो बिना बिचारे ।। (पृष्ठ सं०-73)
शब्दार्थ :
बिचारे – विचार किए।
सो – वह ।
पाछे – पीछे, बाद में।
पछिताय – पछताना ।
जग – संसार |
चित्त – मन, हृदय ।
सन्मान – सम्मान ।
राग – गीत-संगीत ।
टरत न टारे – टलाने पर भी न टलना ।
खटकत – खटकता या चुभता रहना ।
जिय- हृदय ।
प्रसंग :
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘मल्हार’ में संकलित कविता ‘गिरिधर कविराय की कुंडलिया’ से ली गई हैं। इसके रचयिता रीतिकालीन कवि ‘गिरिधर कविराय’ हैं। इन पंक्तियों में कवि कहते हैं कि हमें कोई भी कार्य सोच-विचार करके ही करना चाहिए, अन्यथा हमें बाद में पछताना पड़ता है।
व्याख्या:
प्रस्तुत पंक्तियाँ में कवि ने यह बताया है कि जब हम बिना सोचे-समझे कोई काम करते हैं, तो बाद में हमें उसका पछतावा होता है। जीवन में हम जो भी काम करते हैं, उसे विचार करके करें। अगर हम किसी काम को जल्दबाज़ी में करते हैं, तो उसका परिणाम हमेशा नकारात्मक मिलता है और हम दूसरों की हँसी का कारण बनते हैं। इससे हमारे चित्त को भी शांति नहीं मिलती और उसे किसी प्रकार के आनंद की अनुभूति नहीं होती । खानपान, सम्मान, गीत-संगीत या जीवन की खुशियाँ भी हमें अच्छी नहीं लगती है। गिरिधर कविराय जी कहते हैं कि बिना विचार किया गया कार्य हमें हर समय दुख देता है और सदैव हमारे हृदय में खटकता रहता है और व्यक्ति के हृदय में पछतावा बना रहता है। पीड़ा से छुटकारा पाना मुश्किल होता है। अतः हमें कोई भी काम बहुत सोच-विचारकर ही करना चाहिए ।
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2. बीती ताहि बिसारि दे आगे की सुधि लेइ ।
जो बनि आवै सहज में ताही में चित देइ ||
ताही में चित देइ बात जोई ‘बनि आवै ।
दुर्जन हँसै न कोइ चित्त में खता न पावै।।
कह गिरिधर कविराय यह करु मन परतीती ।
आगे को सुख होइ समुझि बीती सो बीती ।।
(पृष्ठ सं०-73)
शब्दार्थ :
ताहि – उसको।
बिसारि दे – भुला दे ।
सुधि – समझ, ध्यान ।
सहज – सहजता या आसानी से ।
चित – मन ।
बनि आवै – बन सके।
दुर्जन – दुष्ट |
चित्त – मन, विचार ।
खता – पछतावा ।
करु – करो।
परतीती – दृढ़ विश्वास ।
समुझि – समझकर ।
प्रसंग : पूर्ववत् । इन पंक्तियों में कवि कहते हैं कि जो बीत गया उसको सोचकर उदास नहीं होना चाहिए बल्कि आगे बढ़ना चाहिए।
व्याख्या: कवि कहते हैं कि जो भी बातें या घटनाएँ जीवन में घटित हो चुकी हैं, उन्हें भूलकर हमें आगे बढ़ना चाहिए यानी हमें वर्तमान को समझने की कोशिश करनी चाहिए और जो आगे आ रहा है, उसे सहजता से अपनाना चाहिए। जो कार्य सहज और सरल तरीके से हो सकें, उसी में मन लगाना चाहिए। ऐसा करने पर हम किसी दुष्ट व्यक्ति की हँसी का पात्र नहीं बन पाएँगे और हमारे मन में कोई पछतावा भी नहीं रहेगा। गिरिधर कविराय कहते हैं कि जो मन कहे बस वही करो और आगे का देखो, जो पीछे चला गया है उसे बीत जाने दो। कहने का भाव यह है कि हमें जो बात बीत चुकी है, उसे भूलकर आगे आने वाले सुख के बारे में सोचना चाहिए।
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Class 7 Hindi Chapter 6 Summary गिरिधर कविराय की कुंडलिया
(1)
बिना बिचारे जो करै सो पाछे पछिताय ।
काम बिगारे आपनो जग में होत हँसाय ॥
जग में होत हँसाय चित्त में चैन न पावै ।
खान पान सन्मान राग रंग मनहिं न भावै ॥
कह गिरिधर कविराय दुःख कछु टरत न टारे ।
खटकत है जिय माहिं कियो जो बिना बिचारे ॥
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(2)
बीती ताहि बिसारि दे आगे की सुधि लेइ ।
जो बनि आवै सहज में ताही में चित दे ||
ताही में चित देइ बात जोई बनि आवै ।
दुर्जन हँसै न कोइ चित्त में खता न पावै ॥
कह गिरिधर कविराय यहै करु मन परतीती।
आगे को सुख होइ समुझि बीती सो बीती॥
– गिरिधर कविराय
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