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नीम कविता Class 4 Summary in Hindi
नीम Class 4 Hindi Summary
नीम कविता का सारांश – नीम Class 4 Summary in Hindi
हरीश निगम द्वारा रचित इस कविता में प्रकृति की अनूठी देन नीम के वृक्ष की खूबियाँ और इसके परोपकारी भाव को दर्शाया गया है। नीम का पेड़ सदैव प्रसन्न रहते हुए दिनभर झूमत है। पक्षियों को आश्रय देकर यह अपना प्रेम-भाव प्रकट करता है। वातावरण में फैली अशुद्ध वायु को शुद्ध करने के साथ ही नीम कई प्रकार के रोगों को भी नष्ट करता है। यह कड़वा तो होता है, किंतु बहुत लाभकारी है। नीम का पेड़ हमको बहुत कुछ देता है पर बदले में हमसे कुछ नहीं लेता। इस वृक्ष में अनेक गुण विद्यमान हैं। कवि ने इसके माध्यम से हमें परोपकार की सीख दी है। इस पेड़ से हमें यह भी सीख मिलती है कि वह कड़वा होकर भी सभी के जीवन में अपने गुणों से कैसे मिठास भरता है।
नीम कविता हिंदी भावार्थ Pdf Class 4
नीम सप्रसंग व्याख्या
1. लहराता – बलखाता नीम,
दिनभर हँसता-गाता नीम |
चिड़िया, कौआ, तोता सबसे,
अपना नेह जताता नीम ।
नहीं डॉक्टर फिर भी देखो,
कितने रोग भगाता नीम ।
चले प्रदूषित वायु कभी तो,
उसको शुद्ध बनाता नीम ।
शब्दार्थ –
लहराता – हवा के झोंके से इधर-उधर हिलना- डोलना,
बलखाता – जो बीच में इधर-उधर झुका या घूमा हो,
नेह – प्यार / स्नेह,
जताता – दिखाना,
प्रदूषित वायु-हवा में होने वाला प्रदूषण,
शुद्ध-साफ़ / स्वच्छ।
प्रसंग –
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘वीणा-4’ में संकलित कविता ‘नीम’ से उद्धृत हैं। इसके कवि ‘हरीश निगम’ हैं। इन पंक्तियाँ में नीम के पेड़ के विषय में चर्चा करते हुए उसके गुणों तथा विशेषताओं का वर्णन किया गया है।
व्याख्या –
कवि नीम के बारे में बताते हुए कहते हैं कि नीम का पेड़ हवा के झोंकों से इधर-उधर हिलता – डोलता है। उसकी टहनियाँ बीच-बीच में इधर-उधर झुक या घूम जाती हैं। ऐसा लगता है कि वह पूरे दिन हँसता और गाता हुआ झूमता रहता है। वह विभिन्न पक्षियों; जैसे – चिड़िया, कौआ और तोते आदि सभी को अपनत्व प्रदान करता है। नीम की डाल पर बैठकर ये पक्षी आनंदित होते हैं। नीम का पेड़ कोई डॉक्टर नहीं है फिर भी वह बहुत से रोगों को दूर भगाने में सहायक है। नीम में अनेक औषधीय गुण होते हैं जो कई रोगों से लड़ने में मददगार साबित होते हैं। जब कभी हवा में प्रदूषण बढ़ जाता है तो नीम का पेड़ उस अशुद्ध हवा को साफ़ करके शुद्ध बनाता है। अतः वातावरण को साफ़-स्वच्छ बनाए रखने में भी नीम का पेड़ उपयोगी सिद्ध होता है।
2. कड़वे तन में मन को मीठा,
रखना हमें सिखाता नीम |
हवा चले तो झूम-झूमके,
सब का मन बहलाता नीम ।
लेता नहीं किसी से कुछ भी,
पर कितना दे जाता नीम ।
शब्दार्थ-
तन – शरीर,
झूम-झूमके – इधर-उधर हिल- डुलकर,
बहलाता – आनंदित करना / मनोरंजन करना
प्रसंग –
प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी पाठ्यपुस्तक ‘वीणा – 4’ में संकलित कविता ‘नीम’ से उद्धृत हैं। इसके वि ‘ हरीश निगम’ हैं। इन पंक्तियों में नीम के पेड़ के विषय में चर्चा करते हुए उसके गुणों तथा विशेषताओं का वर्णन किया गया है।
व्याख्या –
इन पंक्तियों में कवि नीम की विशेषताएँ बताते हुए कहते हैं कि नीम का पेड़ हमें सिखाता है कि कड़वे शरीर में भी मीठा मन रखना चाहिए । नीम का पेड़ भले ही अपने कड़वेपन के लिए जाना जाता हो लेकिन उसके गुण उसे विशेष बनाते हैं। वह कड़वापन रखने के बावजूद अपने गुणों से मिठास बनाए रखता है। हमें भी नीम की तरह मन में मिठास रखनी चाहिए। हवा के चलने पर नीम का पेड़ इधर-उधर हिल-डुलकर सबके मन को आनंदित कर उनका मनोरंजन करता है। नीम का पेड़ किसी से कुछ नहीं लेता है लेकिन वह सभी को बहुत कुछ देकर जाता है। नीम के औषधीय गुण मनुष्य के लिए किसी खजाने से कम नहीं हैं। अतः हमें नीम के पेड़ से शिक्षा लेकर जीवन में आगे बढ़ना चाहिए।
Class 4 Hindi Chapter 3 Summary नीम
लहराता बलखाता नीम,
दिनभर हँसता-गाता नीम ।
चिड़िया, कौआ, तोता सबसे,
अपना नेह जताता नीम ।
नहीं डॉक्टर फिर भी देखो,
कितने रोग भगाता नीम ।
प्रदूषित वायु कभी तो,
उसको शुद्ध बनाता नीम
कड़वे तन में मन को मीठा,
रखना हमें सिखाता नीम
हवा चले तो झूम-झूमके,
सब का मन बहलाता नीम
लेता नहीं किसी से कुछ भी,
पर कितना दे जाता नीम ।
– हरीश निगम
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