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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kritika Chapter 2 मेरे संग की औरतें is part of NCERT Solutions for Class 9 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kritika Chapter 2 मेरे संग की औरतें.
Board | CBSE |
Textbook | NCERT |
Class | Class 9 |
Subject | Hindi Kritika |
Chapter | Chapter 2 |
Chapter Name | मेरे संग की औरतें |
Number of Questions Solved | 18 |
Category | NCERT Solutions |
NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kritika Chapter 2 मेरे संग की औरतें
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
प्रश्न 1.
लेखिका ने अपनी नानी को कभी देखा भी नहीं फिर भी उनके व्यक्तित्व से वे क्यों प्रभावित थीं?
उत्तर-
यद्यपि लेखिका ने अपनी नानी को कभी नहीं देखा था फिर भी वह उनके व्यक्तित्व से प्रभावित थी क्योंकि-
- उसकी नानी अनपढ़, परंपरागत नारी थीं। उनके पति साहबों की भाँति रहते थे, किंतु वे उनसे प्रभावित हुए बिना अपनी मरजी से जीती थीं।
- उनके मन में स्वतंत्रता के प्रति जुनून था जिसका प्रदर्शन उन्होंने अपने जीवन के अंतिम दिनों में कर दिया था।
- वे अन्य भारतीय माताओं के समान अपनी पंद्रह वर्षीया बेटी के विवाह के लिए चिंतित हो उठी।
- वे स्पष्टवादिनी थी। उन्होंने अपने पति के मित्र स्वतंत्रता सेनानी प्यारेलाल शर्मा को बुलवाकर अपने मन की बात निःसंकोच रूप से कह दिया था।
- लेखिका की नानी के दृढ़ निश्चय के कारण उनकी बेटी का विवाह स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने वाले होनहार लड़के से हो सका।
नानी के इन गुणों के कारण लेखिका उनके व्यक्तित्व से प्रभावित थी।
प्रश्न 2.
लेखिका की नानी की आज़ादी के आंदोलन में किस प्रकार की भागीदारी रही?
उत्तर-
लेखिका की नानी ने आज़ादी के आंदोलन में प्रत्यक्ष रूप से भाग नहीं लिया था, पर आज़ादी के आंदोलन में उनका अप्रत्यक्ष योगदान अवश्य था। वे अनपढ़ परंपरागत परदानशीं औरत थीं। उनके मन में आज़ादी के प्रति जुनून था। यद्यपि उनके पति अंग्रेजों के भक्त थे और साहबों के समान रहते थे पर अपनी मृत्यु को निकट देखकर उन्होंने अपने पति के मित्र स्वतंत्रता सेनानी प्यारेलाल शर्मा को बुलवाया और स्पष्ट रूप से कह दिया कि उनकी बेटी का वर वे ही अपने समान ही। किसी स्वतंत्रता के दीवाने लड़के को खोज कर दें। इससे उनकी बेटी का विवाह आज़ादी के आंदोलन में भाग लेने वाले उस लड़के से हो सका जिसे आई.सी.एस. परीक्षा में बैठने से रोक दिया गया था। इस तरह उसकी नानी ने आज़ादी के आंदोलन में भागीदारी निभाई।
प्रश्न 3.
लेखिका की माँ परंपरा का निर्वाह न करते हुए भी सबके दिलों पर राज करती थी। इस कथन के आलोक में-
(क) लेखिका की माँ की विशेषताएँ लिखिए।
(ख) लेखिका की दादी के घर के माहौल का शब्द-चित्र अंकित कीजिए।
उत्तर-
(क) लेखिका की माँ घर परिवार की परंपरा का निर्वाह नहीं करती थी फिर भी वे सबके दिलों पर राज करती थी। इसके आलोक में लेखिका की विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
- वे खूबसूरत परीजात-सी जादुई लगती थीं।
- वे किसी की गोपनीय बात को दूसरों से नहीं कहती थी।
- वे झूठ नहीं बोलती थी।
- वे हर बात पर उचित राय-सलाह दिया करती थी।
- उनके मन में आजादी के प्रति जुनून था।
(ख) उक्त कथन के आलोक में लेखिका की दादी के घर के माहौल में अनेक बातें कल्पना से परे लगने के बाद भी सत्य थी। वहाँ परिवार के सदस्यों को अपनी निजता बनाए रखने की छूट थी। वे अपने काम अपने ढंग से स्वतंत्रतापूर्वक करते थे। लेखिका की दादी संचय के विरुद्ध थी। वे अपनी तीसरी धोती दान दे देती थी। परिवार में महिलाओं की इज्ज़त थी। लेखिका की माँ की राय लेकर उसे महत्त्व दिया जाता था। लेखिका की दादी अपनी पुत्रवधू के गर्भवती होने पर मंदिर गई और पहली संतान कन्या के रूप में पाने की मन्नत माँगी । वे घर में पूजा-पाठ आदि के द्वारा धार्मिक वातावरण बनाए रखती थी।
प्रश्न 4.
आप अपनी कल्पना से लिखिए कि परदादी ने पतोहू के लिए पहले बच्चे के रूप में लड़की पैदा होने की मन्नत क्यों माँगी ?
उत्तर-
परदादी ने पतोहू के लिए पहले बच्चे के रूप में लड़की पैदा होने की मन्नत इसलिए माँगी ताकि वे परंपरा से अलग चलने की जो बात करती थीं, उसे अपने कार्य-व्यवहार द्वारा सबको दर्शा सकें। इसके अलावा उनके मन में लड़का और लड़की में अंतर समझने जैसी कोई बात न रही होगी।
प्रश्न 5.
डराने-धमकाने, उपदेश देने या दबाव डालने की जगह सहजता से किसी को भी सही राह पर लाया जा सकता है-पाठ के आधार पर तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर-
कभी-कभी कुछ लोग परिस्थितिवश या किसी दबाव में आकर अनैतिक आचरण करने लगते हैं। ऐसे ही लोगों की तरह वह चोर भी था जो परदादी के घर में चोरी करने घुस आया पर परदादी के जाग जाने से वह हड़बड़ा गया। परदादी ने पुलिस के हवाले नहीं किया बल्कि उससे माँ-बेटे का संबंध जोड़कर उसे कुछ सोचने पर विवश कर दिया। इस घटना के बाद चोर सुधरकर खेती करने लगा। इस तरह हम कह सकते हैं कि डराने-धमकाने, उपदेश देने या दबाव डालने की जगह सहजता से किसी को राह पर लाया जा सकता है।
प्रश्न 6.
‘शिक्षा बच्चों का जन्मसिद्ध अधिकार है’-इस दिशा में लेखिका के प्रयासों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
शिक्षा बच्चों का जन्मसिद्ध अधिकार है। इस दिशा में लेखिका ने अथक प्रयास किए। उसने कर्नाटक के बागलकोट जैसे छोटे से कस्बे में रहते हुए इस दिशा में सोचना शुरू किया। उसने कैथोलिक विशप से प्रार्थना की कि उनका मिशन वहाँ के सीमेंट कारखाने से मदद लेकर वहाँ स्कूल खोल दे, पर वे इसके लिए तैयार न हुए। तब लेखिका ने अंग्रेजी, हिंदी और कन्नड़ तीन भाषाएँ सिखाने वाला स्कूल खोला और उसे कर्नाटक सरकार से मान्यता दिलवाई। इस स्कूल के बच्चे बाद में अच्छे स्कूलों में प्रवेश पा गए।
प्रश्न 7.
पाठ के आधार पर लिखिए कि जीवन में कैसे इंसानों को अधिक श्रद्धा भाव से देखा जाता है?
उत्तर-
जीवन में उन इनसानों को अधिक श्रद्धाभाव से देखा जाता है जो अच्छे कर्म करते हैं, अपने धन-बल का दुरुपयोग नहीं करते हैं तथा मानवीय मूल्यों को बनाए रखते हैं। पाठ से पता चलता है कि सत्य बोलने वाले, किसी की गुप्त बात को दूसरों से न कहने वाले, दृढ़ निश्चय वाले, स्वतंत्रता की ज्योति जलाए रखने वाले, दूसरों से स्नेह करने वाले, उन्हें यथोचित आदर देने वाले, दूसरों की मदद करने वाले, बने-बनाए रास्ते से अलग चलने वाले, देश प्रेम की उत्कट भावना रखने वाले लोग दूसरों के लिए श्रद्धा के पात्र होते हैं तथा लोग उनके प्रति श्रद्धाभाव रखते हैं।
प्रश्न 8.
‘सच, अकेलेपन का मज़ा ही कुछ और है’-इस कथन के आधार पर लेखिका की बहन एवं लेखिका के व्यक्तित्व के बारे में अपने विचार व्यक्त कीजिए।
उत्तर-
“सच, अकेलेपन का मजा ही कुछ और है।” इस कथन के आधार पर ज्ञात होता है कि लेखिका और उसकी बहन दोनों ही अपने दृढ़ निश्चय और जिद्दीपन के कारण उक्त कथन को चरितार्थ ही नहीं करती हैं बल्कि उसका आनंद भी उठाती हैं। लेखिका की बहन रेणु तो लेखिका से भी दो कदम आगे थी। वह गरमी में भी उस गाड़ी में नहीं आती थी जिसे उसके पिता ने स्कूल से उसे लाने के लिए लगवा रखा था। एक बहन गाड़ी में आती थी जबकि रेणु पैदल। इसी तरह शहर में एक बार नौ इंच बारिश होने पर शहर में पानी भरने के कारण घरवालों के मना करते रहने पर भी वह लब-लब करते पानी में स्कूल गई और स्कूल बंद देखकर लौट आई।
लेखिका ने बिहार के डालमिया शहर में रूढ़िवादी स्त्री-पुरुषों के बीच जहाँ जागृति पैदा की और उनके साथ नाटक करते हुए सूखा राहत कोष के लिए धन एकत्र किया वहीं दूसरी ओर कर्नाटक के छोटे से कस्बे में बच्चों के लिए स्कूल खोला और मान्यता दिलवाई, यह काम लेखिका ने अकेले ही शुरू किया था।
अन्य पाठेतर हल प्रश्न
प्रश्न 1.
लेखिका खुद और अपनी दो बहिनों को लेखन में आने का क्या कारण मानती है?
उत्तर-
लेखिका खुद और अपनी दो बहिनों को लेखन में आने का कारण यह मानती हैं कि वे अपनी नानी से कहानी नहीं सुन पाईं क्योंकि उनकी माँ की शादी होने से पूर्ण ही नानी की मृत्यु हो चुकी थी। शायद नानी से कहानी न सुन पाने के कारण लेखिका और उसकी बहनों को खुद कहानियाँ कहनी पड़ीं। इससे वे लेखिका बन गईं।
प्रश्न 2.
लेखिका पहले पहल अपनी नानी के बारे क्या जान पाई थी?
उत्तर-
लेखिका पहले पहल अपनी नानी के बारे में बस इतना ही जान पाई थी कि उसकी नानी पारंपरिक, अनपढ़ और परदा करने वाली महिला थी। उनके पति उन्हें छोड़कर वकालत की पढ़ाई करने इंग्लैंड चले गए थे। वकालत की डिग्री लेकर लौटने के बाद वे साहबों जैसी जिंदगी व्यतीत करने लगे पर नानी पर इसका कोई अंतर नहीं पड़ा। वे अपनी मरजी से जीती रहीं और अपनी किसी पसंद-नापसंद का इज़हार अपने पति के सामने कभी नहीं किया।
प्रश्न 3.
लेखिका की नानी ने स्वतंत्रता सेनानी प्यारे लाल शर्मा से कौन-सी इच्छा प्रकट की? यह इच्छा उन्होंने अपने पति से क्यों नहीं बताई?
उत्तर-
लेखिका की नानी ने जब कम उम्र में ही स्वयं को मृत्यु के निकट पाया तो उन्होंने अपने पति के मित्र प्यारे लाल शर्मा को बुलवाया और कहा कि आप मेरी बेटी की शादी अपने जैसे ही किसी आज़ादी के सिपाही से करवा दीजिएगा। उन्होंने यह इच्छा अपने पति को इसलिए नहीं बताई क्योंकि वे जानती थी कि अंग्रेज़ों के भक्त उनके पति उनकी इस इच्छा को पूरा नहीं करेंगे। वे बेटी की शादी आज़ादी के सिपाही से होने को पसंद न करते।।
प्रश्न 4.
लेखिका ने लिखा है कि उसकी नानी एकदम मुँहज़ोर हो उठीं। वे कब और क्यों मुँहज़ोर हो उठीं?
उत्तर-
लेखिका की नानी उस समय मुँहज़ोर हो उठी थी जब वे कम उम्र में यह महसूस करने लगी कि उनकी मृत्यु निकट है। और उनकी इकलौती पंद्रह वर्षीया बेटी अभी अविवाहित है। उनके मुँहजोर होने का कारण अपने पति का आचार-विचार था। उनके उच्च शिक्षित पति अंग्रेजों के भक्त थे जबकि लेखिका की नानी स्वतंत्रताप्रिय नारी थीं। वे अपनी बेटी का विवाह किसी साहब से नहीं बल्कि आज़ादी के सिपाही से करने की पक्षधर थीं।
प्रश्न 5.
लेखिका ने अपनी माँ को परीजात-सी जादुई क्यों कहा है? ससुराल में उनकी क्या स्थिति थी?
उत्तर
लेखिका ने अपनी माँ को परीजात-सी जादुई इसलिए कहा है क्योंकि उनमें खूबसूरती, नज़ाकत गैर दुनियादारी, ईमानदारी और निष्पक्षता जैसे गुणों का संगम था। इन गुणों के कारण ससुराल में उनकी स्थिति यह थी कि उनसे कोई ठोस काम करने के लिए कोई नहीं कहता था। हर काम के लिए उनकी ज़बानी राय जरूर माँगी जाती थी और उनकी राय को अकाट्य समझते हुए उस पर अमल भी किया जाता था।
प्रश्न 6.
लेखिका को अपनी माँ और अन्य परंपरागत माताओं में क्या अंतर नज़र आया?
उत्तर-
लेखिका को अपनी माँ और अन्य परंपरागत माताओं में यह अंतर नजर आया कि परंपरागत माएँ अपनी संतान का हर काम अपने हाथों से करती हैं, उनकी जरूरतों का ध्यान रखती हैं और उनके लिए समय निकालती हैं परंतु लेखिका की माँ ने अपने बच्चों को कभी लाड़-प्यार नहीं किया, न उनके लिए खाना बनाया और न अच्छी पत्नी-बहू होने की कभी सीख दी। घर के काम-काज में उनकी अरुचि थी। वे अपना अधिकांश समय पुस्तकें पढ़ने, साहित्यिक चर्चा करने में बिताती थीं। यह काम भी वे विस्तर नर लेते-लेते करती थीं।
प्रश्न 7.
लेखिका ने अपनी नानी, माँ और परदादी में क्या समानता देखी? उसने अपनी परदादी के संबंध में ऐसा क्यों कहा है?
उत्तर-
लेखिका ने अपनी नानी, माँ और परदादी में यह समानता दर्शायी है कि वे सब की सब लीक से खिसकी हुई थीं। उसने अपनी परदादी के संबंध में ऐसा इसलिए कहा है क्योंकि दो से अधिक धोतियाँ होते ही वे तीसरी धोती दान कर देती थीं। इसके अलावा उन्होंने अपनी पतोहू (लेखिका की माँ) के गर्भवती होने पर उन्होंने मंदिर जाकर गैर खायती यह मन्नत माँगी कि उनकी पतोहू की पहली संतान लड़की ही हो। यह मन्नत उन्होंने कई बार माँगी जबकि सब लोग पहली संतान लड़का होने की मन्नत माँगते हैं।
प्रश्न 8.
चोर से कहाँ गलती हुई कि सारा अनुमान लगाकर घुसने पर भी वह पकड़ा गया? ‘मेरे संग की औरतें’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर-
किसी शादी के सिलसिले में घर के पुरुष दूसरे गाँव में गए थे और औरतें रतजगा कर रही थीं। नाच-गाना जारी था और ढोलक पर थाप पूँज रहे थे। इसी बीच चोर ने उसे कमरे का अनुमान लगाया होगा और दीवार काटकर कमरे में घुस आया। इधर शादी में नाच-गाने के शोर से बचने के लिए माँ जी अपना कमरा छोड़ कर दूसरे कमरे में सो गई। इसी कमरे को खाली समझकर चोर घुस आया था। उसके कदमों की आहट होते ही दादी की नींद खुल गई। इस तरह तमाम अनुमान लगाकर घुसने के बाद भी चोर पकड़ा गया।
प्रश्न 9.
लेखिका की परदादी के कार्य-व्यवहार से आपको किन जीवन मूल्यों को अपनाने की प्रेरणा मिलती है?-मेरे संग की औरतें’ पाठ के आलोक में लिखिए।
उत्तर
लेखिका की परदादी भी उसकी नानी और माँ के समान लीक से कार्य करने वाली थीं। वे अपने कार्यव्यवहार से पाठ में वर्णित स्त्रियों में एक अलग स्थान बनाती हैं। उनके कार्यव्यवहार से हमें निम्नलिखित जीवन मूल्यों को अपनाने की प्रेरणा मिलती है-
- परदानशीं की अपरिग्रह की आदत से दूसरों की मदद की प्रेरणा।
- उनके कार्य व्यवहार से दूसरों के प्रति सदय एवं संवेदनशील बनने की प्रेरणा।
- गैर-रवायती मन्नत माँगने के कार्य से लड़कियों को समान अवसर देने की प्रेरणा।
- राह से भटके लोगों के साथ उदारतापूर्वक एवं मानवीयता भरा व्यवहार करके उन्हें सुधरने का अवसर देने की प्रेरणा।
- किसी को दंड देकर प्रभावित करने की कोशिश के स्थान पर स्नेहपूर्ण व्यवहार द्वारा अपना बना लेने की प्रेरणा मिलती है।
प्रश्न 10.
लेखिका ने बच्चों को शिक्षा दिलाने के लिए स्कूल खोला। आप अपने आसपास ऐसे बच्चे देखते होंगे जो स्कुल नहीं जाते हैं। आप इन बच्चों के लिए क्या प्रयास करना चाहोगे? लिखिए।
उत्तर
लेखिका ने कर्नाटक के एक छोटे से कस्बे में स्कूल खोलने की प्रार्थना कैथोलिक विशप से की परंतु वहाँ क्रिश्चियन बच्चों की संख्या कम होने के बारण वे स्कूल खोलने को तैयार नहीं हुए। लेखिका ने वहाँ स्कूल खोलकर ऐसे बच्चों को शिक्षा उपलब्ध करवाई।
हमारे समाज में हमारे आसपास भी ऐसे बहुत से बच्चे हैं जो विभिन्न परिस्थितियों के कारण स्कूल न जाने के कारण स्कूल से वंचित हैं। ऐसे बच्चे को शिक्षित करने के लिए मैं-
- उनके माता-पिता और अभिभावकों को शिक्षा का महत्त्व बताऊँगा।
- ऐसे बच्चों को मैं अपने खाली समय में पढ़ाने की व्यवस्था कराँगा।
- अपने सहपाठियों से कहूँगा कि ऐसे बच्चों को पढ़ाने के लिए वे भी आगे आएँ।
- ऐसे बच्चों को अपने साथियों की मदद से पुस्तकें, कापियाँ एवं अन्य आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराने का प्रयास करूंगा।
- समाज के धनी वर्ग से अनुरोध करूँगा कि ऐसे बच्चों की शिक्षा का खर्च उठाने के लिए आगे आएँ और उनका भविष्य सँवारने का प्रयास करें।
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