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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kritika Chapter 3 रीढ़ की हड्डी

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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kritika Chapter 3 रीढ़ की हड्डी is part of NCERT Solutions for Class 9 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kritika Chapter 3 रीढ़ की हड्डी.

BoardCBSE
TextbookNCERT
ClassClass 9
SubjectHindi Kritika
ChapterChapter 3
Chapter Nameरीढ़ की हड्डी
Number of Questions Solved21
CategoryNCERT Solutions

NCERT Solutions for Class 9 Hindi Kritika Chapter 3 रीढ़ की हड्डी

पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास

प्रश्न 1.
रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद बात-बात पर ”एक हमारा ज़माना था…” कहकर अपने समय की तुलना वर्तमान समय से करते हैं। इस प्रकार की तुलना करना कहाँ तक तर्कसंगत है?
उत्तर
रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद अधेड़ उम्र के व्यक्ति हैं जिन्होंने पुराना समय देख रखा है, उसे जिया है और अनुभव किया है। एक हमारा ज़माना था’ ऐसा बार-बार कहकर वे अपने बचपन और युवावस्था के दिनों को याद करके कहते हैं। यह सत्य कि उस समय महँगाई बहुत कम थी। हर तरह की वस्तुएँ सस्ती थीं इससे खाने-पीने का अपना एक अलग मज़ा था। इसके अलावा न इतना प्रदूषण था और न इतनी मिलावट, ऐसे में उनका ऐसा कहना ठीक था परंतु उसकी तुलना वर्तमान काल से करना तर्कसंगत नहीं है क्योंकि कुछ बातें उस समय अच्छी थी तो बहुत-सी बातें आज अच्छी हैं।

प्रश्न 2.
रामस्वरूप की अपनी बेटी को उच्च शिक्षा दिलवाना और विवाह के लिए छिपाना, यह विरोधाभास उनकी किस विवशता को उजागर करता है?
उत्तर
रामस्वरूप लड़कियों को उच्च शिक्षा दिलाने के पक्षधर हैं। उन्होंने उमा को कॉलेज की शिक्षा दिलवाकर बी.ए. पास करवाया। इसके अलावा उमा को संगीत, कला आदि का भी ज्ञान है। रामस्वरूप चाहते हैं कि उमा की शादी अच्छे परिवार में हो। संयोग से परिवार तो उच्च शिक्षित मिला परंतु उसकी सोच अच्छी न थी। लड़के का पिता और स्वयं लड़का दोनों ही चाहते हैं कि उन्हें दसवीं पास लड़की ही चाहिए। एक लड़की का पिता होने के कारण लड़के वालों की इच्छा को ध्यान में रखकर कर्तव्य और वक्तव्य में विरोधाभास रखते हैं। ऐसी परिस्थिति एक विवाह योग्य पुत्री के पिता की विवशता को उजागर करता है।

प्रश्न 3.
अपनी बेटी का रिश्ता तय करने के लिए रामस्वरूप उमा से जिस प्रकार के व्यवहार की अपेक्षा कर रहे हैं, वह उचित क्यों नहीं है?
उत्तर-
अपनी बेटी का रिश्ता तय करने के लिए रामस्वरूप उमा से जिस प्रकार के व्यवहार की अपेक्षा कर रहे हैं, वह इसलिए उचित नहीं है क्योंकि वह उमा की उच्च शिक्षा रूपी उस तथ्य को छिपा रहे हैं जिसके लिए न उमा ने कोई पाप किया है और न चोरी। इसके अलावा आज नहीं तो कल इस सत्य का पता शंकर और उसके पिता को चलना ही है तब आज छिपाने से बात जितनी बनने की संभावना है, कल उससे अधिक बिगड़ने की। इसके अलावा विवाह जैसे मांगलिक कार्य में झूठ का सहारा लेना तनिक भी उपयुक्त नहीं क्योंकि झूठ की बुनियाद पर खड़ा महल अधिक समय तक नहीं टिकता है।

प्रश्न 4.
गोपाल प्रसाद विवाह को ‘बिज़नेस’ मानते हैं और रामस्वरूप अपनी बेटी की उच्च शिक्षा छिपाते हैं। क्या आप मानते हैं कि दोनों ही समान रूप से अपराधी हैं? अपने विचार लिखें।
उत्तर-
गोपाल प्रसाद वकील हैं। वे चालाक किस्म के इनसान हैं। वे मानवीय रिश्तों से अधिक महत्त्व पैसों को देते हैं। शादी जैसे पवित्र संस्कार को भी वे ‘बिजनेस’ की तराजू में तौलते हैं। बिजनेस’ शब्द से उनकी इस मानसिकता का पता चल जाता है। इधर रामस्वरूप चाहते हैं कि उनकी बेटी उमा का रिश्ता गोपाल प्रसाद के लड़के शंकर से हो जाए जो मेडिकल की पढ़ाई कर रहा है परंतु समस्या यह है कि गोपाल प्रसाद और उनका बेटा दोनों ही चाहते हैं कि लड़की अधिक से अधिक दसवीं पास होनी चाहिए। इस कारण रामस्वरूप अपनी बेटी की उच्च शिक्षा छिपाने के लिए झूठ बोलते हैं। यहाँ मेरा मानना है कि दोनों समान रूप से अपराधी हैं पर गोपाल प्रसाद का यह अपराध उनकी घटिया सोच तथा रूढ़िवादी सोच का परिणाम है जबकि रामस्वरूप का अपराध उनकी विवशता का परिणाम है।

प्रश्न 5.
“…आपके लाड़ले बेटे की रीढ़ की हड्डी भी है या नहीं…” उमा इस कथन के माध्यम से शंकर की किन कमियों की ओर संकेत करना चाहती है?
उत्तर-
आपके लाड़ले बेटे की रीढ़ की हड्डी भी है या नहीं… उमा इस कथन द्वारा शंकर की अनेक कमियों की ओर संकेत करना चाहती है, जैसे-

  • वह शंकर के दुर्बल चरित्र की ओर संकेत करना चाहती है क्योंकि वह लड़कियों के हॉस्टल के आसपास चक्कर लगाता हुआ पकड़ा गया था।
  • वह शंकर की शारीरिक दुर्बलता की ओर संकेत करना चाहती है क्योंकि शंकर सीधा तनकर बैठने में भी असमर्थ है।
  • वह शंकर की वैचारिक दुर्बलता की ओर संकेत करना चाहती है क्योंकि शंकर स्वयं मेडिकल की पढ़ाई कर रहा है। परंतु चाहता है कि उसकी शादी जिस लड़की से हो वह अधिक से अधिक दसवीं तक पढ़ी हो।
  • वह शंकर के विवेकहीन तथा रुढिगत विचारों की ओर संकेत करना चाहती है।

प्रश्न 6.
शंकर जैसे लड़के या उमा जैसी लड़की-समाज को कैसे व्यक्तित्व की ज़रूरत है? तर्क सहित उत्तर दीजिए।
उत्तर-
‘रीढ़ की हड्डी’ नामक एकांकी का पात्र शंकर उन नवयुवकों का प्रतीक है जो सामाजिक और वैचारिक प्रगति से आज भी अछूते हैं। ऐसे युवक महिलाओं को उचित स्थान नहीं देना चाहते हैं। वे पुरुषों के बराबर नहीं आने देना चाहते हैं। शिक्षा जैसी अत्यंत महत्त्वपूर्ण एवं मानवीयता जगाने वाली मणि को पुरुषों के लिए ही उचित मानते हैं। ऐसे युवा न शारीरिक रूप से मजबूत हैं और न चारित्रिक रूप से। ऐसा व्यक्तित्व समाज को चारित्रिक पतन की ओर उन्मुख करता है। इसके विपरीत उमा उन लड़कियों का प्रतीक है जो सजग और अपने अधिकारों के प्रति जागरूक हैं। वे उच्च शिक्षा प्राप्त कर रही हैं। उनका चरित्र समाज को उन्नति की ओर उन्मुख करने वाला है। अतः समाज को उमा जैसे व्यक्तित्व की ज़रूरत है।

प्रश्न 7.
‘रीढ़ की हड्डी’ शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
प्रायः किसी रचना के शीर्षक का निर्धारण उसके प्रमुख पात्र, घटना, समस्या, मूलभाव, संवेदना, निहित संदेश आदि के आधार पर किया जाता है परंतु कुछ शीर्षक प्रतीकात्मक होते हैं जो अपनी प्रतीकात्मकता के कारण पाठकों में उत्सुकता और जिज्ञासा जगाते हैं। शीर्षक छोटा रोचक होना चाहिए। रीढ़ की हड्डी’ यूँ तो मानव शरीर की मुख्य हड्डी है परंतु यहाँ यह चारित्रिक मज़बूती का प्रतीक हैं जो एकांकी के प्रमुख पात्र शंकर की कमियों को पूर्णतया खोल कर देती हैं। इसके साथ ही यह शीर्षक संक्षिप्त रोचक तथा जिज्ञासा जगाने वाला है। अतः ‘रीढ़ की हड्डी’ शीर्षक पूर्णतया सार्थक है।

प्रश्न 8.
कथावस्तु के आधार पर आप किसे एकांकी का मुख्य पात्र मानते हैं और क्यों?
उत्तर-
कथावस्तु के आधार पर मैं नि:संदेह एकांकी का मुख्य पात्र उमा को ही मानता हूँ क्योंकि एकांकी की सारी कथावस्तु उसी के इर्द-गिर्द घूमती रहती है। एकांकी के मुख्य पुरुष पात्र शंकर पर वह चारित्रिक, शारीरिक और तार्किक कौशल में भारी पड़ती है। उमा उच्च शिक्षित होने के साथ-साथ कला एवं संगीत में भी निपुण है। एकांकी में एक बार जब उसकी एंट्री होती है तो वह मंच पर अंत तक बनी रहती है। वह अपनी निपुणता से गोपाल प्रसाद और शंकर के निरुत्तर ही नहीं करती है बल्कि उनकी आँखें भी खोलकर रख देती है। एकांकी का समापन भी उमा के माध्यम से होता है। अतः उमा एकांकी की मुख्य पात्र है।

प्रश्न 9.
एकांकी के आधार पर रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद की चारित्रिक विशेषताएँ बताइए।
उत्तर-
एकांकी के आधार पर रामस्वरूप और गोपाल प्रसाद की चारित्रिक विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
रामस्वरूप की चारित्रिक विशेषताएँ-

  • रामस्वरूप अधेड़ उम्र वाले व्यक्ति हैं जो लड़कियों की उच्च शिक्षा के पक्षधर हैं।
  • रामस्वरूप शिक्षा के साथ-साथ पेंटिंग, संगीत आदि के प्रति रुचि रखनेवाले हैं।
  • रामस्वरूप में भी मानवीय कमियाँ हैं। वे लड़केवालों की इच्छा के आगे अपनी बेटी उमा की उच्च शिक्षा छिपाने को विवश हो जाते हैं।
  • रामस्वरूप अपनी बीवी को बजता ग्रामोफ़ोन कहकर अपनी विनोदप्रियता प्रकट करते हैं।
  • वे अपने जमाने को आज के समय से बेहतर मानते हैं।

गोपाल प्रसाद की चारित्रिक विशेषताएँ-

  • गोपाल प्रसाद उच्च शिक्षित वकील हैं परंतु चालाक किस्म के व्यक्ति हैं।
  • वे रूढ़िवादी विचारों वाले हैं, क्योंकि अपने बेटे के लिए वे दसवीं पास बहू ही चाहते हैं।
  • वे विवाह जैसे पवित्र संस्कार को बिजनेस समझते हैं।
  • वे अपने बेटे के विवाह में भरपूर दहेज चाहते हैं।
  • गोपाल प्रसाद अपनी तथा अपने बेटे की कमियों को सरलता से नहीं स्वीकारते हैं।

प्रश्न 10.
इस एकांकी का क्या उद्देश्य है? लिखिए।
उत्तर-
रीढ़ की हड्डी’ एकांकी का उद्देश्य है-समाज के लोगों की दोहरी मानसिकता सबके सामने लाना, लड़कियों के विवाह में आनेवाली समस्याओं की ओर समाज का ध्यान खींचना तथा युवाओं द्वारा अपनी शिक्षा और चरित्र की मजबूती का। ध्यान न रखना। एकांकी में गोपाल प्रसाद और उनका बेटा शंकर जैसे लोग हैं जो उच्च शिक्षित होकर भी कम पढ़ी-लिखी बहू चाहते हैं और स्त्रियों को समानता का दर्जा नहीं देना चाहते हैं। उमा को देखने आए लड़के वाले उसे वस्तु की तरह देखते हैं और अप्रत्यक्ष रूप से दहेज की माँग करते हैं। इसके अलावा शंकर जैसे युवा का अपनी पढ़ाई पर ध्यान न देना तथा उसकी चारित्रिक दुर्बलता की ओर ध्यान आकर्षित करना इस एकांकी का उद्देश्य है।

प्रश्न 11.
समाज में महिलाओं को उचित गरिमा दिलाने हेतु आप कौन-कौन से प्रयास कर सकते हैं?
उत्तर
स्त्री और पुरुष जीवन रूपी गाड़ी के दो पहिए हैं। इस गाड़ी के सुचारू परिचालन हेतु दोनों का समान होना आवश्यक है। इस समानता के लिए महिलाओं की शिक्षा, सम्मान और अधिकार पर ध्यान देना आवश्यक है। उन्हें समाज में गरिमामय स्थान दिलाने के लिए निम्नलिखित प्रयास किए जा सकते हैं-

  • लड़कियों की शिक्षा पर पर्याप्त ध्यान दिया जाना चाहिए।
  • उन्हें शिक्षा के साथ खेल-कूद, कला, संगीत आदि में आगे बढ़ने का अवसर देना चाहिए।
  • महिलाओं को कंप्यूटर तथा कौशल विकास का प्रशिक्षण देना चाहिए।
  • नौकरियों और व्यवसाय में उनके लिए स्थान आरक्षित होना चाहिए।
  • उच्च शिक्षा में प्रवेश के लिए उन्हें छूट मिलनी चाहिए।
  • महिलाओं के प्रति समाज को स्वस्थ दृष्टिकोण अपनाना चाहिए।
  • महिलाओं को आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

अन्य पाठेतर हल प्रश्न

प्रश्न 1.
उमा की शिक्षा के विषय में प्रेमी और रामस्वरूप के विचार किस तरह अलग थे? इनमें से किसके विचार आप उचित मानते हैं और क्यों? (मूल्यपरक प्रश्न)
उत्तर-
उमा की शिक्षा के विषय में प्रेमा और रामस्वरूप के विचार अलग-अलग थे। प्रेमा चाहती थी कि उमा को इंट्रेस तक ही पढ़ाया जाए जबकि रामस्वरूप उच्च शिक्षा के समर्थक थे। उन्होंने अपनी बेटी को कॉलेज में पढ़ाकर बी.ए. करवाया। मुझे इनमें से रामस्वरूप के विचार अधिक उचित लगते हैं क्योंकि शिक्षा से व्यक्ति का विकास होता है। उच्च शिक्षा पाकर व्यक्ति अपने पैरों पर खड़ा होता है। उसमें साहस आता है जिससे वह अपनी बात उचित ढंग से कह सकता है। शिक्षा स्त्री-पुरुष के बीच समानता लाने में सहायक होती है। इसके अलावा रामस्वरूप के विचार से स्त्रियाँ समाज में उचित सम्मान एवं गरिमा पाने की पात्र बनती हैं।

प्रश्न 2.
गोपाल प्रसाद ऐसा क्यों चाहते थे कि उनकी बहू ज्यादा से ज्यादा दसवीं ही पास हो ?
उत्तर-
गोपाल प्रसाद स्वयं उच्च शिक्षित थे। वे वकालत के पेशे से जुड़े थे। उनका बेटा शंकर मेडिकल की पढ़ाई कर रहा था। इसके बाद भी वे चाहते थे कि उनकी बहू ज्यादा से ज्यादा दसवीं ही पास हो। उनकी ऐसी चाहत के पीछे यह सोच रही होंगी कि उच्च शिक्षा प्राप्त लड़कियाँ अधिक जागरूक होती है। इससे वे अपने अधिकारों के प्रति सजग होती है। उनमें सोचने-समझने और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ जाती हैं। ऐसी लड़कियों को बहू बनाने से उन पर अत्याचार नहीं किया जा सकता, उन्हें डरवाया नहीं जा सकता और अपने ऊपर हुए अत्याचार पर मुँह बंद नहीं रखती हैं।

प्रश्न 3.
यदि उमा की स्थिति कम पढ़ी-लिखी लड़कियों जैसी होती तो एकांकी का अंत किस तरह अलग होता?
उत्तर-
एकांकी की प्रमुख नारी पात्र उमा यदि बी.ए. पास और सुशिक्षित न होती और उसकी स्थिति कम पढ़ी-लिखी लड़कियों-सी होती तो वह सादगी पूर्ण जीवन जीने के बजाय अपनी माँ के कहने पर सज-धजकर गोपाल प्रसाद और शंकर के सामने आती। गोपाल प्रसाद और शंकर उससे अपनी मर्जी से तरह-तरह के सवाल करते और वह सिर झुकाए उत्तर देने को विवश रहती। वह शंकर की चारित्रिक कमजोरी जानते हुए भी खामोश रहती और अपनी बातें दृढ़ता एवं साहस से कह पाती। गोपाल प्रसाद और शंकर को तो ऐसी ही लड़की चाहिए थी। वे उमा को पसंद कर लेते तब एकांकी का अंत सुखद होता और सब खुश रहते।

प्रश्न 4.
लड़कियों की शिक्षा और खूबसूरती के बारे में गोपाल प्रसाद के विचार किस तरह अलग थे? ‘रीढ़ की हड्डी’ नामक पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर-
गोपाल प्रसाद पढ़े-लिखे सुशिक्षित वकील थे। उनका बेटा मेडिकल की पढ़ाई कर रहा था परंतु लड़कियों की शिक्षा के बारे में उनका विचारे यह था कि लड़कियों को अधिक पढ़ा-लिखा नहीं होना चाहिए। पढ़ाई-लिखाई तो मर्दो के लिए बनी चीज़ है। इसके विपरीत वे स्त्री के लिए खूबसूरती आवश्यक मानते हैं। यह खूबसूरती चाहे स्वाभाविक हो या कृत्रिम पर नारी के लिए आवश्यक है। इस बारे में पुरुष एक बार तो मान भी जाते हैं पर स्त्रियाँ यह कभी भी मानने को तैयार नहीं। होती हैं कि वे खूबसूरत न दिखें। इस तरह लड़कियों की शिक्षा अरै उनकी खूबसूरती के बारे में गोपाल प्रसाद के विचार परस्पर विरोधी हैं।

प्रश्न 5.
गोपाल प्रसाद और शंकर के सामने गीत गाती उमा ने अपना गीत अधूरा क्यों छोड़ दिया?
उत्तर-
गोपाल प्रसाद अपने पुत्र शंकर के साथ उसके विवाह के लिए उमा को देखने आए थे। उमा अपने पिता रामस्वरूप के कहने पर मीरा का पद ‘मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरों न कोई तल्लीनता से गा रही थी। अचानक उमा की दृष्टि ऊपर उठी, उसने शंकर को देखा और पहचान लिया कि यह वह शंकर है जो लड़कियों के हॉस्टल में आगे-पीछे घूमता था। वहाँ नौकरानी द्वारा पकड़े जाने पर उसके (नौकरानी के) पैरों पड़कर अपना मुँह छिपाकर भागे थे। ऐसे चरित्रहीन लड़के के सामने से उसका आत्मसम्मान रोक रहा था और उसने अपना गीत अधूरा छोड़ दिया।

प्रश्न 6.
इस एकांकी में आपको शंकर के व्यक्तित्व में कौन-कौन-सी कमियाँ नज़र आईं, उनका वर्णन कीजिए। उत्तर- गोपाल प्रसाद पेशे से वकील हैं। शंकर उनका पुत्र है जो मेडिकल की पढ़ाई कर रहा है। शंकर उच्चशिक्षित होकर भी चाहता है कि उसकी शादी किसी ऐसी लड़की से हो जो दसवीं से अधिक पढ़ी-लिखी न हो ताकि वह शंकर की किसी उचित-अनुचित बात का जवाब न दे सके और न विरोध कर सके, बस उसकी हाँ में हाँ मिलाती रहे। इसके अलावा शंकर में मौलिक विचारों की कमी है। वह शारीरिक और चारित्रिक रूप से दुर्बल है। वह अपने पिता की हाँ में हाँ मिलाता रह जाता है।

प्रश्न 7.
‘रीढ़ की हड्डी’ नामक यह एकांकी अपने उद्देश्य में कितना सफल रही है, स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
‘रीढ़ की हड्डी’ नामक एकांकी के माध्यम से समाज में व्याप्त दहेज की समस्या, लड़कियों को शिक्षा से दूर रखने की साजिश, लड़की के पिता की विवशता, लड़के के पिता की दहेज लोलुपता, युवाओं में शिक्षा एवं चरित्र की मजबूती के प्रति घटती रुचि आदि समस्याओं को उभारने का प्रयास किया गया है। एकांकी की प्रमुख नारी पात्र उमा ने अपनी उच्च शिक्षा, साहस और वाक्पटुता से शंकर और उसके पिता को जवाब दिया है और शंकर की पोल खोलकर लड़कियों के लिए उच्च शिक्षा की सार्थकता सिद्ध कर दिया है, उसे देखते हुए यह एकांकी अपने उद्देश्य में पूर्णतया सफल रही है।

प्रश्न 8.
रीढ़ की हड्डी’ एकांकी के आधार पर उमा की चारित्रिक विशेषताओं का उल्लेख करते हुए बताइए कि वर्तमान में इनकी कितनी उपयोगिता है?
उत्तर-
उमा ‘रीढ़ की हड्डी’ एकांकी की प्रमुख नारी पात्र है। वह बी.ए. पास सुशिक्षित है। उसमें अवसर पर अपनी बातें कहने की योग्यता है। एकांकी की कथावस्तु उमा के इर्द-गिर्द घूमती है। उमा की चारित्रिक विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

  • बी.ए. पास उमा सुशिक्षित तथा प्रगतिशील विचारों वाली लड़की है। उसे उच्च शिक्षा पाने पर शर्म नहीं बल्कि गर्व है।
  • उमा बनावटी सुंदरता से दूर रहने वाली तथा सादगी पसंद लड़की है।
  • उमा शिक्षा के साथ ही संगीत एवं पेंटिंस में भी रुचि रखती है।
  • उमा स्वाभिमानिनी है। उसे गोपाल प्रसाद द्वारा अपने बारे में तरह-तरह से पूछताछ किया जाना अच्छा नहीं लगता है।
  • उमा साहसी एवं वाक्पटु है। वह गोपाल प्रसाद की बातों का जवाब देकर निरुत्तर कर देती है।

प्रश्न 9.
रामस्वरूप अपने घर की साज-सज्जा पर विशेष ध्यान देते हुए दिखाई देते हैं। उनका ऐसा करना समाज की किस मानसिकता की ओर संकेत करता है तथा ऐसी प्रथाओं के पीछे क्या कारण होते होंगे?
उत्तर-
गोपाल प्रसाद अपने बेटे शंकर के साथ उमा को देखने आने वाले हैं। यह जानकर रामस्वरूप अपने बैठक के कमरे को सजाते हैं। वे तख्त बिछवाकर उस पर दरी और चादर बिछवाते हैं। कमरे में हारमोनियम और सितार रखवा देते हैं। उन्होंने घर की सजावट पर विशेष ध्यान दे रखा है। उनका ऐसा करना समाज की दिखावटी या अधिक बढ़-चढ़कर दिखाने की मानसिकता की ओर संकेत करता है ताकि दूसरे लोग प्रभावित हों और उसे सामर्थ्यवान समझे। ऐसी प्रथाओं के पीछे आगंतुकों को प्रभावित करने की प्रवृत्ति, अपनी सुंदर अभिरुचि का प्रदर्शन तथा अपनी हैसियत दर्शाने की चाहत होती है।

प्रश्न 10.
उमा की व्यथा आज के समय में कितनी प्रासंगिक है? इस स्थिति में सुधार लाने के लिए एक युवा होने के नाते आप क्या-क्या सुझाव देना चाहेंगे? ‘रीढ़ की हड्डी’ एकांकी के आलोक में लिखिए।
उत्तर-
उमा साहसी, शिक्षित, समझदार तथा विवाह योग्य लड़की है। वह बी.ए. पास प्रगतिशील विचारों वाली लड़की है। मेडिकल की पढ़ाई कर रहा दुर्बल शरीर एवं कमजोर चरित्र वाला नवयुवक शंकर उसे देखने अपने पिता गोपाल प्रसाद के साथ आता है। गोपाल प्रसाद को दसवीं पास बहू चाहिए। वे उमा को दसवीं पास समझते हैं। उससे गाना-बजाना, सिलाई-कढाई तथा इनाम-विनाम जीतने जैसी तरह-तरह की बातें पूछते हैं और अपने बेटे की सच्चाई का पता चलने पर उमा की उच्च शिक्षा को उसकी कमी बताकर चले जाते हैं।

उमा की यह व्यथा समाज की बहुत-सी लड़कियों की व्यथा है। उन्हें भी उमा के समान ही यह सब सहना और झेलना पड़ता है। इस स्थिति में सुधार लाने के लिए युवाओं को लड़कियों की उच्च शिक्षा का महत्त्व समझना चाहिए। उन्हें आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए। समाज में लड़कियों के साथ भेदभाव न करने की जागरुकता फैलानी चाहिए। इसके लिए युवाओं को दहेज विवाह के लिए आगे आकर पहल करनी चाहिए।

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