Formulae Handbook for Class 9 Maths and ScienceEducational Loans in India
NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 2 दुःख का अधिकार is part of NCERT Solutions for Class 9 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 2 दुःख का अधिकार.
Board | CBSE |
Textbook | NCERT |
Class | Class 9 |
Subject | Hindi Sparsh |
Chapter | Chapter 2 |
Chapter Name | दुःख का अधिकार |
Number of Questions Solved | 46 |
Category | NCERT Solutions |
NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 2 दुःख का अधिकार
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
मौखिक
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
प्रश्न 1.
किसी व्यक्ति की पोशाक को देखकर हमें क्या पता चलता है?
उत्तर-
किसी व्यक्ति की पोशाक देखकर हमें यह पता चल जाता है कि उस व्यक्ति की हैसियत क्या है तथा वह व्यक्ति किस श्रेणी का है।
प्रश्न 2.
खरबूज़े बेचनेवाली स्त्री से कोई खरबूजे क्यों नहीं खरीद रहा था?
उत्तर-
खरबूजे बेचने वाली अपने पुत्र की मौत का एक दिन बीते बिना खरबूजे बेचने आई थी। सूतक वाले घर के खरबूजे खाने से लोगों का अपना धर्म भ्रष्ट होने का भय सता रहा था, इसलिए उससे कोई खरबूजे नहीं खरीद रहा था।
प्रश्न 3.
उस स्त्री को देखकर लेखक को कैसा लगा?
उत्तर-
उस स्त्री को देखकर लेखक का मन इतना व्यथित हो गया कि वह उसके पास जाकर रोने का कारण पूछना चाहता था, पर उसकी पोशाक उसे ऐसा करने से रोक रही थी।
प्रश्न 4.
उस स्त्री के लड़के की मृत्यु का कारण क्या था?
उत्तर-
उस स्त्री के लड़के की मृत्यु का कारण था-साँप द्वारा डॅस लिया जाना। वह मुंह-अँधेरे खेत में खरबूजे तोड़ रहा था। उसी समय उसका पैर एक साँप पर पड़ गया था।
प्रश्न 5.
बुढ़िया को कोई भी क्यों उधार नहीं देता?
उत्तर-
बुढ़िया का बेटा ही घर में कमाऊ सदस्य था। वही घर का गुजारा चलाता था। उसकी मृत्यु के बाद घर में ऐसा कोई नहीं था, जो कमाकर उधार लौटा देता, इसलिए बेटे के बिना बुढ़िया को कौन उधार देता।
लिखित
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
प्रश्न 1.
मनुष्य के जीवन में पोशाक का क्या महत्त्व है?
उत्तर-
मनुष्य के जीवन में पोशाक का बहुत महत्त्व है। पोशाक ही मनुष्य की सामाजिक और आर्थिक स्थिति दर्शाती है। पोशाक ही मनुष्य को मनुष्य में भेद करती है। पोशाक ही उसे आदर का पात्र बनाती है तथा नीचे झुकने से रोकती है।
प्रश्न 2.
पोशाक हमारे लिए कब बंधन और अड़चन बन जाती है?
उत्तर-
पोशाक हमारे लिए उस समय बंधन और अड़चन बन जाती है जब हम अपने से निचले स्तर के व्यक्ति के दुख में शामिल होकर सहानुभूति प्रकट करना चाहते हैं तब पोशाक हमारे आड़े आ जाती है।
प्रश्न 3.
लेखक उस स्त्री के रोने का कारण क्यों नहीं जान पाया?
उत्तर-
लेखक उस स्त्री के रोने का कारण इसलिए नहीं जान पाया क्योंकि रोती हुई स्त्री को देखकर लेखक के मन में एक व्यथा उठी पर अपनी अच्छी और उच्चकोटि की पोशाक के कारण फुटपाथ पर नहीं बैठ सकता था।
प्रश्न 4.
भगवाना अपने परिवार का निर्वाह कैसे करता था?
उत्तर-
बुढिया के पास शहर के निकट डेढ़ बीघा जमीन थी, जिसमें उसका बेटा भगवाना सब्ज़ियाँ और मौसमी फल उगाता था। वह उन्हें बाजार में बेच देता था और होने वाली आय से गुजारा चलाता था।
प्रश्न 5.
लड़के की मृत्यु के दूसरे ही दिन बुढ़िया खरबूजे बेचने क्यों चल पड़ी? उत्तर- लड़के की मृत्यु के दिन ही खरबूजे बेचने जाना बुढ़िया की घोर विवशता थी। साँप के हँसे लड़के की झाड़-फेंक कराने, नाग देवता की पूजा और मृत्यु के बाद अंत्येष्टि करने में हुए खर्च के कारण उसके घर में अनाज का दाना भी न बचा था।
प्रश्न 6.
बुढ़िया के दुख को देखकर लेखक को अपने पड़ोस की संभ्रांत महिला की याद क्यों आई?
उत्तर-
बुढ़िया का दुख देखकर लेखक को अपने पड़ोस की संभ्रांत महिला की याद इसलिए आ गई क्योंकि बुढिया अपने मृत बेटे का शोक न मना सकी, जबकि उसके पड़ोस की संभ्रांत महिला अपने बेटे की मृत्यु के बाद अढाई मास तक बिस्तर से भी न उठ सकी थी।
(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
प्रश्न 1.
बाज़ार के लोग खरबूजे बेचनेवाली स्त्री के बारे में क्या-क्या कह रहे थे? अपने शब्दों में लिखिए।
उत्तर-
बाजार के लोग खरबूजे बेचने वाली महिला के बारे में तरह-तरह की बातें कहते हुए ताने दे रहे थे और धिक्कार रहे थे। उनमें से कोई कह रहा था कि बुढ़िया कितनी बेहया है जो अपने बेटे के मरने के दिन ही खरबूजे बेचने चली आई। दूसरे सज्जन कह रहे थे कि जैसी नीयत होती है अल्लाह वैसी ही बरकत देता है। सामने फुटपाथ पर दियासलाई से कान खुजलाते हुए एक आदमी कह रहा था, “अरे इन लोगों का क्या है ? ये कमीने लोग रोटी के टुकड़े पर जान देते हैं। इनके लिए बेटा-बेटी खसम-लुगाई, ईमान-धर्म सब रोटी का टुकड़ा है।
प्रश्न 2.
पास-पड़ोस की दुकानों से पूछने पर लेखक को क्या पता चला?
उत्तर-
पास-पड़ोस की दुकानों पर पूछने से लेखक को यह पता चला कि बुढिया का तेईस वर्षीय जवान लड़का था। घर में उसकी बहू और पोता-पोती है। उसका लड़का शहर के पास स्थित डेढ़ बीघा जमीन पर कछियारी करता था। इसमें उगने वाली सब्जियों और फलों को बेचकर वह घर का गुजारा चलाता था। परसों जब बुढ़िया का लड़का मुँह अँधेरे खरबूजे तोड़ रहा था तभी गीली मेड़ की तरावट में विश्राम करते साँप पर उसका पैर पड़ गया। उसे साँप ने डॅस लिया। बुढ़िया ने उसके इलाज के लिए झाड़-फेंक और पूजा-अर्चना कराई, पर सब व्यर्थ। इससे उसके बेटे की मृत्यु हो गई।
प्रश्न 3.
लड़के को बचाने के लिए बुढ़िया माँ ने क्या-क्या उपाय किए?
उत्तर-
लड़के को बचाने के लिए बुढ़िया ने वह सब उपाय किए जो उसकी सामर्थ्य में थे। साँप का विष उतारने के लिए झाड फेंक करने वाले ओझा को बुला लाई ओझा ने झाड़-फेंक की। नागदेवता की पूजा की गई और घर का आटा और अनाज दान-दक्षिणा के रूप में दे दिया गया। उसने अपने बेटे के पैर पकड़कर विलाप किया, पर विष के प्रभाव से शरीर काला पड़ गया और वह मृत्यु को प्राप्त कर गया।
प्रश्न 4.
लेखक ने बुढ़िया के दुख का अंदाज़ा कैसे लगाया?
उत्तर-
लेखक ने रोती बुढ़िया के दुख का अंदाजा अपने पड़ोस की उस संभ्रांत महिला को याद करके लगाया। उस संभ्रांत महिला का बेटा भी मर गया था। उसके दुख से दुखी महिला अढाई महीने तक पलंग पर पड़ी रही। वह हर दस पंद्रह मिनट में बेहोश हो जाती थी और बेहोश न होने पर आँखों से आँसू बहते रहते थे। उसके सिरहाने दो-दो डॉक्टर सदैव बैठे रहते थे। हर दम उसके सिर पर बरफ़ रखी जाती थी। ऐसी दशा को याद करके लेखक ने जान लिया कि इस बुढ़िया का दुख भी उतना ही गहरा है, पर उसके पास शोक मनाने का समय नहीं है।
प्रश्न 5.
इस पाठ का शीर्षक ‘दुख का अधिकार’ कहाँ तक सार्थक है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
दुख का अधिकार कहानी को पढ़कर ऐसा लगता है कि संभ्रांत व्यक्तियों का दुख ज्यादा भारी होता है। उन्हें दुख व्यक्त करने का अधिकार है। उनके दुख को देखकर आसपास के लोग भी दुखी ही नहीं होते हैं, बल्कि उनके प्रति सहानुभूति दर्शाते हैं। ठीक उसी प्रकार के दुख से जब कोई गरीब दुखी होता है तो लोग उसका उपहास ही नहीं उड़ाते है बल्कि उससे घृणा भी प्रकट करते हैं। वे तरह की बातें बनाकर उस पर कटाक्ष करते हैं, मानो गरीब को दुख मनाने का कोई अधिकार ही नहीं है। इस पाठ की पूरी कहानी इसी दुख के आसपास घूमती है अतः यह शीर्षक पूर्णतया सार्थक है।
(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-
प्रश्न 1.
जैसे वायु की लहरें कटी हुई पतंग को सहसा भूमि पर नहीं गिर जाने देतीं, उसी तरह खास परिस्थितियों में हमारी पोशाक हमें झुक सकने से रोके रहती है।
उत्तर-
उक्त पंक्ति का आशय यह है कि जब व्यक्ति ज्यादा महँगी और अच्छी पोशाक पहन लेता है तो उसकी सामाजिक स्थिति बढ़ जाती है। वह संपन्न व्यक्तियों की श्रेणी में आ जाता है। इस स्थिति में व्यक्ति जब अपने से कमजोर स्थिति वाले व्यक्ति के दुख के प्रति अपनी सहानुभूति व्यक्त करना चाहता है तो उसकी पोशाक उसे गरीब व्यक्ति के स्तर तक नहीं जाने देती है। यह स्थिति वैसी होती है जैसे हवा की लहरों के कारण पतंग सीधे नीचे जमीन पर नहीं आ पाती है।
प्रश्न 2.
इनके लिए बेटा-बेटी, खसम-लुगाई, धर्म-ईमान सब रोटी का टुकड़ा है।
उत्तर-
आशय यह है कि भूखा आदमी कौन-सा पाप नहीं करता है अर्थात् वह हर पाप करने को तैयार रहता है। जिस विवश और लाचार व्यक्ति के पास घर में खाने के लिए एक दाना भी न हो, वह अपने सारे कर्म रोटी के इंतजाम के लिए करेगा। रोटी पा लेना ही उसकी प्राथमिकता होगी। इस प्राथमिकता के लिए वह हर तरह के कर्म करने को तैयार रहता है।
प्रश्न 3.
शोक करने, गम मनाने के लिए भी सहूलियत चाहिए और … दुखी होने का भी एक अधिकार होता है।
उत्तर-
जब किसी गरीब और विवश व्यक्ति के घर में भूख से रोते-बिलखते बच्चे, भूखी और बीमार कोई अन्य सदस्य हो तो शोक मनाने की बात कैसे सोची जा सकती है, शोक कैसे मनाया जा सकता है। उन रोते बिलखते बच्चों के लिए रोटी और बीमार सदस्य की दवा का प्रबंध होना आवश्यक है। ऐसा करने के कारण गरीब व्यक्ति को शोक मनाने की सुविधा भी नहीं। ऐसे में वह क्या करे। दुखी होने का अधिकार भी उन्हीं लोगों के पास है जिनके पास धन-दौलत और तरह-तरह की सुविधाएँ हैं।
भाषा-अध्ययन
प्रश्न 1.
निम्नांकित शब्द-समूहों को पढ़ो और समझो-
(क) कद्घा, पतङ्ग, चञ्चल, ठण्डा, सम्बन्ध।
(ख) कंघा, पतंग, चंचल, ठंडा, संबंध।
(ग) अक्षुण्ण, सम्मिलित, दुअन्नी, चवन्नी, अन्न।
(घ) अँधेरा, बाँट, मुँह, ईंट, महिलाएँ, में, मैं।
ध्यान दो कि ङ्, , ण, न् और म् ये पाँचों पंचमाक्षर कहलाते हैं। इनके लिखने की विधियाँ तुमने ऊपर देखीं-इसी रूप में या अनुस्वार के रूप में। इन्हें दोनों में से किसी भी तरीके से लिखा जा सकता है और दोनों ही शुद्ध हैं। हाँ, एक पंचमाक्षर जब दो बार आए तो अनुस्वार का प्रयोग नहीं होगा; जैसे-अम्मा, अन्न आदि। इसी प्रकार इनके बाद यदि अंतस्थ य, र, ल, व और ऊष्म श, ष, स, ह आदि हों तो अनुस्वार का प्रयोग होगा, परंतु उसका उच्चारण पंचम वर्षों से किसी भी एक वर्ण की भाँति हो सकता है; जैसे-संशय, संरचना में ‘न्’, संवाद में ‘म्’ और संहार में
(‘) यह चिह्न है अनुस्वार का और (°) यह चिह्न है अनुनासिक का। इन्हें क्रमशः बिंदु और चंद्र-बिंदु भी कहते हैं। दोनों के प्रयोग और उच्चारण में अंतर है। अनुस्वार का प्रयोग व्यंजन के साथ होता है अनुनासिक का स्वर के साथ।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित शब्दों के पर्याय लिखिए-
उत्तर-
प्रश्न 3.
निम्नलिखित उदाहरण के अनुसार पाठ में आए शब्द-युग्मों को छाँटकर लिखिए-
उदाहरण : बेटा – बेटी
उत्तर-
प्रश्न 4.
पाठ के संदर्भ के अनुसार निम्नलिखित वाक्यांशों की व्याख्या कीजिए-
बंद दरवाजे खोल देना, निर्वाह करना, भूख से बिलबिलाना, कोई चारा न होना, शोक से द्रवित हो जाना।
उत्तर-
बंदर दरवाजे खोल देना- अच्छी और उत्तमकोटि की पोशाक देखकर लोग प्रभावित हो जाते हैं। इस प्रभाव में आकर वे ऐसी पोशाक धारण करने वालों के मुश्किल लगने वाले वे काम कर देते हैं, जो कठिन माने जाते हैं।
निर्वाह करना- बुढिया का बेटा भगवान डेढ़ बीघा जमीन पर सब्जियाँ उगाता था और उन्हें बेचकर अपना निर्वाह किया करता था।
भूख से बिलबिलाना- बुढिया के पोते-पोती जानते थे कि उनके पिता की मृत्यु हो गई है, पर भूख का दुख उनके लिए इससे भी बढ़कर था। वे भूख रोक न सके और बिलबिला उठे।
कोई चारा न हो- घर में अनाज का एक भी दाना न होने के कारण बुढ़िया के सामने कोई चारा नहीं रह गया था जिससे वह अपनी भूखी व बीमार बहू को कुछ दे सके। वह खरबूजे बेचने को विवश थी।
शोक से द्रवित होना- संवेदनशील व्यक्ति दूसरों को दुखी देखकर प्रसन्न नहीं हो सकता। वह दुखी व्यक्ति के दुख के प्रति सहानुभूति प्रकट करते हुए शोक से द्रवित हो जाता है।
प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्द-युग्मों और शब्द-समूहों को अपने वाक्यों में प्रयोग कीजिए-
उत्तर-
(क) छन्नी-ककना- पुराने जमाने में गरीब स्त्रियाँ ही छन्नी-ककनी पहनती थीं।
अढ़ाई मास- मक्के की यह प्रजाति अढाई मास में तैयार हो जाती है।
पास-पड़ोस- व्यक्ति पर उसके पास-पड़ोस का असर अवश्य पड़ता है।
दुअन्नी-चवन्नी- कभी दुअन्नी-चवन्नी भी अपनी कीमत रखते थे, पर आज वे चलन में नहीं हैं।
मुँह अँधेरे- किसान मुँह अँधेरे खेत में चले जाते हैं।
झाड़ना-फेंकना- ओझा का झाड़ना-फेंकना भी भगवान के काम न आया।
(ख) फफक-फफककर- मेले में माँ-बाप से बिछड़ा बच्चा फफक-फफककर रो रहा था।
तड़प-तड़पकर- अंग्रेजी राज्य में कैदियों को तड़प-तड़पकर मरना पड़ता था।
बिलख-बिलखकर- बेटे के मरने की बात सुनकर माँ बिलख-बिलखकर रोने लगी।
लिपट-लिपटकर- भगवाना की पत्नी और बच्चे उससे लिपट-लिपटकर रो रहे थे।
प्रश्न 6.
निम्नलिखित वाक्य संरचनाओं को ध्यान से पढ़िए और इस प्रकार के कुछ और वाक्य बनाइए-
(क) 1. लड़के सुबह उठते ही भूख से बिलबिलाने लगे।
2. उसके लिए तो बजाज की दुकान से कपड़ा लाना ही होगा।
3. चाहे उसके लिए माँ के हाथों के छन्नी-ककना ही क्यों न बिक जाएँ।
(ख) 1. अरे जैसी नीयत होती है, अल्ला भी वैसी ही बरकरत देता है।
2, भगवाना जो एक दफे चुप हुआ तो फिर न बोला।
उत्तर-
(क) 1. सुबह उठते ही किसान खेत की ओर चल पड़े।
2. इस सप्ताह तक बच्चे की फ़ीस जमा करानी ही होगी।
3. चाहे पढ़ाई के लिए खेती-बाड़ी ही क्यों न बेचना पड़े।
(ख) 1. अरे जैसा परिश्रम करोगे वैसे ही ग्रेड लाओगे।
2. जयंत को जो एक बार नशे की लत लगी तो फिर आजीवन न छूटी।
योग्यता विस्तार
प्रश्न 1.
‘व्यक्ति की पहचान उसकी पोशाक से होती है। इस विषय पर कक्षा में परिचर्चा कीजिए।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 2.
यदि आपने भगवाना की माँ जैसी किसी दुखिया को देखा है तो उसकी कहानी लिखिए।
उत्तर-
छात्र अपने आसपास की किसी महिला/पुरुष की कहानी स्वयं लिखें।
प्रश्न 3.
पता कीजिए कि कौन-से साँप विषैले होते हैं? उनके चित्र एकत्र कीजिए और भित्ति पत्रिका में लगाइए।
उत्तर-
छात्र इंटरनेट की मदद से स्वयं करें।
अन्य पाठेतर हल प्रश्न
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
खरबूजे बेचने वाली महिला पर लोग टिप्पणी क्यों कर रहे थे?
उत्तर-
खरबूजे बेचने वाली महिला पर लोग इसलिए टिप्पणी कर रहे थे क्योंकि वे उस महिला के दुख को नहीं समझ पा रहे थे। उन्हें तो बस उस महिला की लालच दिखाई दे रही थी।
प्रश्न 2.
बूढ़ी महिला द्वारा खरबूजे बेचे जाने को लोग घृणित कार्य क्यों समझ रहे थे? उत्तर- बूढ़ी महिला द्वारा खरबूजे बेचे जाने को लोग घृणित कार्य इसलिए समझ रहे थे क्योंकि उस महिला के घर में सूतक था।
इस सूतक में उसके हाथ से खरबूजे खरीदने और खाने से उनका धर्म भ्रष्ट हो सकता था। प्रश्न 3. बुढ़िया को खरबूजे बेचते देख लोग किन-किन विशेषणों का प्रयोग कर रहे थे? उनका ऐसा कहना कितना उचित था?
उत्तर-
बुढ़िया को खरबूजे बेचते देख लोग ‘लालची’, ‘बेहया’, ‘कमीने लोग’ जैसे विशेषणों का प्रयोग कर रहे थे। उनका ऐसा कहना तनिक भी उचित नहीं था, क्योंकि बुढिया लालच या धन कमाने के लिए खरबूजे नहीं बेच रही थी। खरबूजे बेचना उसकी मज़बूरी थी।
प्रश्न 4.
खरबूजे बेचने आई महिला फफक-फफककर क्यों रोए जा रही थी?
उत्तर-
खरबूजे बेचने आई महिला इसलिए फफक-फफककर रोए जा रही थी क्योंकि एक दिन पहले ही उसका जवान बेटा साँप के हँसने से चल बसा था। उसके घर में पोते-पोती और बीमार बहू के लिए कुछ भी खाने को न था। शोक मनाने की जगह खरबूजे बेचने की विवशता और बेटे के दुख के कारण वह फफक-फफक रोए जा रही थी।
प्रश्न 5.
बुढ़िया की उस विवशता का उल्लेख कीजिए जिसके कारण उसे सूतक में भी खरबूजे बेचने आना पड़ा?
उत्तर-
बुढ़िया के जवान बेटे को साँप ने डॅस लिया था। ओझा से झाड़-फेंक करवाने और नागपूजा के बाद दान-दक्षिणा देने में घर का अनाज और आटा चला गया। उसके कफ़न के इंतजाम में साधारण जेवर भी बिक गए। भूख से बिलबिलाते पोते पोतियों और बीमार बहू की भूख शांत करने की विवशता में उसे सूतक में भी खरबूजे बेचने आना पड़ा।
प्रश्न 6.
आज अच्छी पोशाक की आवश्यकता एवं महत्त्व क्यों बढ़ गया है?
उत्तर-
आज अच्छी पोशाक की आवश्यकता एवं महत्त्व इसलिए बढ़ गया है, क्योंकि अच्छी पोशाक से पता चलता है कि व्यक्ति की हैसियत अच्छी है। पोशाक के कारण व्यक्ति सम्मान का पात्र समझा जाता है। पोशाक से ही कुछ लोगों के कठिन काम सरलता से बन जाते हैं।
प्रश्न 7.
बुढ़िया से खरबूजे खरीदने में लोगों को क्या डर सता रहा था?
उत्तर-
बुढ़िया अपने जवान बेटे की मृत्यु के दूसरे दिन ही खरबूजे बेचने बाजार में बैठी थी। उसके घर में सूतक था। यह बात लोगों को पता थी। बुढ़िया से खरबूजे खरीदने पर लोगों को यह डर सता रहा था कि उन्हें पातक लग जाएगा और उनका धर्म भ्रष्ट हो जाएगा।
प्रश्न 8.
अपने बेटे का इलाज ओझा से कराना बुढिया को किस तरह भारी पड़ गया?
उत्तर-
जवान बेटे को साँप ने डॅस लिया है, उसे सुनते ही बुढ़िया बावली हो गई। वह भागकर ओझा को बुला लाई ओझा ने झाड़-फूक किया, नाग पूजा की, दान-दक्षिणा लिया किंतु उसके बेटे भगवाना की जान नहीं बच सकी। इस तरह ओझा से इलाज कराना बुढ़िया को भारी पड़ गया।
प्रश्न 9.
भगवाना के इलाज और उसकी विदाई के बाद घर की आर्थिक स्थिति पर क्या प्रभाव पड़ा?
उत्तर-
भगवाना के इलाज में ही घर का आटा और अनाज तक खत्म हो गया था। उसकी मृत्यु के बाद उसके लिए कफ़न के इंतजाम में छोटे-मोटे आभूषण तक बिक गए। अब उसके घर में खाने के भी लाले पड़ गए। इस तरह घर की आर्थिक स्थिति बिलकुल खराब हो गई।
प्रश्न 10.
भगवान का मुँह अँधेरे खरबूजे तोड़ना किस तरह जानलेवा साबित हुआ?
उत्तर-
भगवाना अपने खेत में मुँह-अँधेरे ही पके खरबूजे तोड़ना चला गया। वहाँ गीली मेड़ की तरावट में विश्राम करते हुए साँप पर उसका पैर पड़ गया जिसे वह हल्का अँधेरा होने के कारण देख न सका था। साँप के हँसने से उसकी मृत्यु हो गई। इस तरह मुँह अँधेरे खरबूजे तोड़ना उसके लिए जानलेवा सिद्ध हुआ।
प्रश्न 11.
बुढ़िया को रोते देखकर लेखक चाहकर भी क्या न कर सका?
उत्तर-
खरबूजे बेचने वाली बुढ़िया को रोता देखकर लेखक ने उसके दुख को महसूस किया। वह बुढ़िया के पास बैठकर अपने हृदय की अनुभूति प्रकट करना चाहता था, पर अपनी पोशाक के कारण चाहकर भी ऐसा न कर सका।
प्रश्न 12.
बुढ़िया के दुख से दुखी लेखक को किसकी याद आई?
उत्तर-
खरबूजे बेचने आई महिला को रोती देखकर लेखक ने उसके दुख को महसूस किया। वह दुखी हो गया। बुढ़िया को शोक मनाने का भी अवसर न मिल पाया था, यह सोचकर उसे अपने पड़ोस की संभ्रांत महिला की याद आई, जो इस स्थिति में दो-ढाई महीने तक बिस्तर से भी न उठ पाई थी।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
बुढ़िया के बेटे की मृत्यु से उसे ज्ञान और माल दोनों की हानि हुई। ‘दुख का अधिकार’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
बुढ़िया का तेईस वर्षीय जवान बेटा ही उसका एकमात्र कमाऊ सदस्य था। वह शहर के पास की डेढ़ बीघा भूमि पर सब्ज़ियाँ उगाकर घर का गुजारा चलाता था। उसकी मृत्यु होने से घर में कोई कमाने वाला सदस्य न बचा। उसकी मृत्यु साँप के काटने से हुई थी। साँप के काटने का इलाज करवाने के लिए उसकी माँ ओझा को बुला लाई थी जिसने झाड़-फेंक और नाग-पूजा के नाम पर तथा दान-दक्षिणा के रूप में अमाज और आटा तक चला गया। उसके लिए कफ़न की व्यवस्था करते हुए साधारण से बचे-खुचे जेवर भी बिक गए जिससे बुढ़िया के पोते-पोती को खाने के लाले पड़ गए। इस प्रकार बुढ़िया के बेटे की मृत्यु से उसे जान और माल दोनों की हानि उठानी पड़ी।
प्रश्न 2.
भगवाना कौन था? उसकी मृत्यु किस तरह हुई ?
उत्तर
भगवाना खरबूजे बेचने वाली महिला का तेईस वर्षीय बेटा था। वह अपने घर का एक मात्र कमाऊ सदस्य था जो शहर के पास डेढ़ बीघे जमीन पर सब्ज़ियाँ उगाकर गुजारा करता था। वह मुँह अँधेरे खेत में पके तरबूजे तोड़ने गया था ताकि उन्हें इकट्ठा कर बाजार में बेच सके। खेत की गीली मेड़ की तरावट में एक साँप विश्राम कर रहा था। भगवाना उसे देख न पाया और उसका पैर साँप पर पड़ गया। साँप ने उसे डॅस लिया। साँप का जहर उतारने के लिए ओझा को बुलवाया गया, पर विष के असर से उसका शरीर काला पड़ता गया और उसकी मृत्यु हो गई।
प्रश्न 3.
कभी-कभी पोशाकें मनुष्य के लिए बाधक सिद्ध होती हैं। ऐसी पोशाकों की तुलना किससे की है और क्यों ?
उत्तर
मनुष्य जब अच्छी पोशाक पहनकर कहीं आ जा रहा होता है, उसी समय जब वह निम्न श्रेणी के समझे जाने वालों को दुखी देखता है तो वह उसके दुख से द्रवित होकर उसके दुख के प्रति अपनी सहानुभूति प्रकट करना चाहता है परंतु वह अपनी अच्छी पोशाक के कारण चाहकर भी उसके पास जाकर ऐसा नहीं कर पाता है। लेखक ने ऐसी पोशाकों की तुलना । हवा में लहराती उन कटी पतंगों से की है जो हवा के झोकों के कारण सीधी जमीन पर नहीं गिर पाती हैं। इसी तरह पोशाकें भी मनुष्य को अपनी स्थिति से नीचे जाने से रोकती हैं।
प्रश्न 4.
सूतक’ क्या है? समाज में इसके प्रति क्या धारणा फैली है? ‘दुख का अधिकार’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
हिंदू परिवारों में जब किसी की मृत्यु होती है तो उस दिन से तेरह दिनों तक घर को अपवित्र माना जाता है। इन दिनों में कोई मांगलिक और शुभ समझे जाने वाले कार्य नहीं किए जाते हैं। तेरह दिनों की इस अपवित्रता की स्थिति को सूतक कहते हैं। समाज में सूतक के प्रति यह धारणा फैली है कि इस स्थिति में उस परिवार के हर सदस्य और हर वस्तु अपवित्र होती हैं। इन सदस्यों के हाथ से ली गई वस्तुएँ खाने-पीने से व्यक्ति का धर्म-ईमान नष्ट हो जाता है और वह पाप का भागीदार बनता है। ऐसे में लोग सूतक से बचने का हर संभव प्रयास करते हैं।
प्रश्न 5.
‘दुख का अधिकार’ पाठ में किस सामाजिक बुराई की ओर संकेत किया गया है? इसके कारणों पर प्रकाश डालते हुए इससे होने वाली हानियों का भी उल्लेख कीजिए।
उत्तर-
‘दुख का अधिकार’ पाठ में साँप के काटने का इलाज झाड़-फेंक और ओझा से नाग देवता की पूजा-अर्चना कराने तथा अंत्येष्टि जैसे कार्य पर अपव्यय करने जैसी सामाजिक बुराई की ओर संकेत किया गया है। इन बुराइयों का कारण अशिक्षा, रूढ़िवादिता, धर्म का भय तथा जागरुकता का अभाव है जिसके कारण अनपढ़ और ग्रामीण लोग इन बुराइयों का सरलता से शिकार बन जाते हैं। इनमें फँसकर वे अपना धन और समय ही नहीं गॅवाते बल्कि पीड़ित और अपने प्रिय व्यक्ति की जान से भी हाथ धो बैठते हैं। इसकी सबसे अधिक मार गरीब परिवारों पर पड़ती है, जिन्हें बाद में खाने के भी लाले पड़ जाते हैं।
प्रश्न 6.
‘दुख का अधिकार’ पाठ का उद्देश्य मानवीय संवेदना जगाना है।’ पाठ के आलोक में स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
‘दुख का अधिकार’ पाठ में खरबूजे बेचने वाली महिला की दुखी मनोदशा का ऐसा चित्रण करता है जो किसी भी संवेदनशील मनुष्य के हृदय को झकझोर जाता है। हमारे समाज में ऐसे व्यक्ति भी हैं जो संवेदनहीनता के कारण खरबूजे बेचने वाली जैसी दुखी बेवश और शोकसंतप्त के दुख को महसूस नहीं कर पाते हैं। उनके लिए ऐसी दुखी महिला घृणा और उपहास के पात्र नज़र आते हैं। ये लोग दुखी व्यक्ति पर कटाक्ष करने से नहीं चूकते हैं। दूसरी ओर समाज में लेखक जैसे भी लोग हैं जो दूसरों को शोकसंतप्त देखकर मन से दुखी होते हैं परंतु कर्म करने के समय उनकी पोशाक आड़े आ जाती है। इस पाठ का मुख्य उद्देश्य यही है कि वे दूसरों के दुख की अनुभूति करें और दुखी व्यक्ति पर हँसना छोड़कर उसके साथ बैठकर उससे सच्ची सहानुभूति प्रकट करें।
More Resources for CBSE Class 9
- NCERT Solutions
- NCERT Solutions Class 9 Maths
- NCERT Solutions Class 9 Science
- NCERT Solutions Class 9 Social Science
- NCERT Solutions Class 9 English
- NCERT Solutions Class 9 Hindi
- NCERT Solutions Class 9 Sanskrit
- NCERT Solutions Class 9 IT
- RD Sharma Class 9 Solutions
We hope the given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 2 दुःख का अधिकार will help you. If you have any query regarding NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 2 दुःख का अधिकार, drop a comment below and we will get back to you at the earliest.
The post NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 2 दुःख का अधिकार appeared first on Learn CBSE.