NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 1 धूल is part of NCERT Solutions for Class 9 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 1 धूल.
Board | CBSE |
Textbook | NCERT |
Class | Class 9 |
Subject | Hindi Sparsh |
Chapter | Chapter 1 |
Chapter Name | धूल |
Number of Questions Solved | 41 |
Category | NCERT Solutions |
NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 1 धूल
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
मौखिक
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
प्रश्न 1.
हीरे के प्रेमी उसे किस रूप में पसंद करते हैं?
उत्तर-
हीरे के प्रेमी उसे साफ़-सुथरा खरादा हुआ और आँखों में चकाचौंध करने वाले रूप में पसंद करते हैं।
प्रश्न 2.
लेखक ने संसार में किस प्रकार के सुख को दुर्लभ माना है?
उत्तर-
गाँव की मिट्टी में खेलने में और अखाड़े की मिट्टी से शरीर रगड़ने से जिस तरह का सुख मिलता है, लेखक ने संसार में उसे प्रकार के सुख को दुर्लभ बताया है।
प्रश्न 3.
मिट्टी की आभा क्या है? उसकी पहचान किससे होती है?
उत्तर-
मिट्टी की आभा धूल है। उसके रूप और गुण की पहचान उसके धूल से होती है।
लिखित
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
प्रश्न 1.
धूल के बिना किसी शिशु की कल्पना क्यों नहीं की जा सकती?
उत्तर-
धूल के बिना शिशु की कल्पना इसलिए नहीं की जा सकती है क्योंकि शिशु चलते, खेलते, उठते-बैठते जब गिरता है तो उसके शरीर पर धूल लगना ही है। इस धूल धूसरित शिशु का सौंदर्य और भी बढ़ जाता है। धूल उसके सौंदर्य को बढ़ाती है।
प्रश्न 2.
हमारी सभ्यता धूल से क्यों बचना चाहती है?
उत्तर-
हमारी सभ्यता इसलिए धूल से बचना चाहती है क्योंकि वह खुद को प्रगतिशील, आधुनिक और शहरी संस्कृति को अपनाने वाली है। इसका मानना है कि धूल से इनके बनवटी श्रृंगार फीके और धुंधले पड़ जाएँगे। वे चाहते हैं कि उनके बच्चे भी धूल में न खेलें और न उसे हाथ लगाएँ।
प्रश्न 3.
अखाड़े की मिट्टी की क्या विशेषता होती है?
उत्तर-
अखाड़े की मिट्टी कोई साधारण मिट्टी नहीं होती है। यह तेल और मछे से सिझाई गई वह मिट्टी होती है जिसे देवताओं पर चढ़ाया जाता है। यह मिट्टी शरीर को बलवान बनाती है। युवा इस मिट्टी पर निर्वंद्व भाव से लेटकर ऐसा महसूस करता है मानो वह विश्वविजेता हो।
प्रश्न 4.
श्रद्धा, भक्ति, स्नेह की व्यंजना के लिए धूल सर्वोत्तम साधन किस प्रकार है?
उत्तर-
श्रद्धा, भक्ति और स्नेह की भावना की व्यंजना के लिए धूल सर्वोत्तम साधन इसलिए है क्योंकि धूल का जुड़ाव व्यक्ति की मातृभूमि से होता है। एक सती स्त्री इसे अपने माथे से लगाती है। योद्धा इसे अपनी आँखों से लगाकर देशभक्ति और देश के प्रति श्रद्धा प्रकट करता है। किसी धूल-धूसरित बालक को गोद में उठाकर उसके प्रतिस्नेह प्रकट किया जाता है।
प्रश्न 5.
इस पाठ में लेखक ने नगरीय सभ्यता पर क्या व्यंग्य किया है?
उत्तर-
इस पाठ में लेखक ने नगरीय सभ्यता पर यह व्यंग्य किया है कि नगर में बसने वाले लोग इस बात से डरते हैं कि धूल उन्हें गंदा न कर दे। वे सोचते हैं कि धूल के संसर्ग से उनकी चमक-दमक फीकी पड़ जाएगी। मैले होने के डर से वे अपने शिशुओं को भी धूल से दूर रखते हैं।
(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
प्रश्न 1.
लेखक ‘बालकृष्ण’ के मुँह पर छाई गोधूलि को श्रेष्ठ क्यों मानता है?
उत्तर-
लेखक बालकृष्ण के मुँह पर छाई गोधूलि को इसलिए श्रेष्ठ मानता है क्योंकि अभिजात्य वर्ग ने सौंदर्य में वृद्धि करने वाले अनेक साधनों का आविष्कार कर लिया, पर बालकृष्ण के मुख पर लगी धूल जैसा सौंदर्य बढ़ाती है, उसके सामने सारे सौंदर्य फीके नजर आते हैं। इसके अलावा इसी धूल में खेल-कूदकर शिशु बड़ा होता है। जिन बच्चों का बचपन गाँव में बीतता है, उनके धूल-धूसरित शरीर के बिना बचपन की कल्पना ही नहीं की जा सकती है।
प्रश्न 2.
लेखक ने धूल और मिट्टी में क्या अंतर बताया है?
उत्तर
लेखक ने धूल और मिट्टी में अंतर बताते हुए लिखा है कि धूल मिट्टी का अंश होती है। धूल, मिट्टी से ही बनती है। जिन फूलों को हम अपनी प्रिय वस्तुओं का अपमान बनाते हैं, वे सब मिट्टी की ही उपज हैं। फूलों में जो रस, रंग, सुगंध और कोमलता आदि है वह भी तो मिट्टी की उपज है। मिट्टी और धूल में उतना ही अंतर है जितना शब्द और रस में, देह और प्राण में, चाँद और चाँदनी में है। मिट्टी की चमक और सुंदरता ही धूल के नाम से जानी जाती है। मिट्टी के गुण, रूप-रंग की पहचान भी तो धूल से ही होती है। धूल ही मिट्टी का स्वाभाविक श्वेत रंग होता है।
प्रश्न 3.
ग्रामीण परिवेश में प्रकृति धूल के कौन-कौन से सुंदर चित्र प्रस्तुत करती है?
उत्तर-
ग्रामीण परिवेश में प्रकृति धूल के अनेक सुंदर चित्र प्रस्तुत करती है; जैसे-आम की बागों के पीछे छिपते सूर्य की किरणों में जो धूलि सोने को मिट्टी कर देती है, सूर्यास्त के बाद रास्ते पर गाड़ी के निकल जाने के बाद जो रुई के बादलों की तरह या ऐवरावत हाथी के नक्षत्र पथ की तरह जहाँ की तहाँ स्थिर रह जाती है। चाँदनी रात में मेले में जाने वाली गाडियों के पीछे धूल कवि की कल्पना की भाँति उमड़ती चलती है। यही धूल फूल की पंखुड़ियों पर सौंदर्य बनकर छा जाती है।
प्रश्न 4.
‘हीरा वही घन चोट न टूटे’-का संदर्भ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
‘हीरा वही जो घन चोट न टूटे’ कथन का संदर्भ पाठ के आधार पर यह है कि सच्चे हीरे अर्थात् किसान, देशभक्त आदि कड़ी से कड़ी परीक्षा को हँसते हुए झेल लेते हैं। वीर सैनिक और दशभक्त विपरीत परिस्थितियों में शत्रुओं से युद्ध करते हुए अपनी जान तक दे देते हैं परंतु पीठ नहीं दिखाते हैं। इसी प्रकार किसान भी सरदी, गरमी बरसात आदि की मार झेलकर फ़सल उगाते हैं। ये विपरीत परिस्थितियों में बड़े से बड़े संकटों के सामने नहीं झुकते हैं और अपना साहस बनाए रखते हैं।
प्रश्न 5.
धूल, धूलि, धूली, धूरि और गोधूलि की व्यंजनाओं को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
‘धूल’ पाठ से स्पष्ट होता है कि धूल, धूली, धूलि, धूरि और गोधूलि आदि की व्यंजनाएँ अलग-अलग हैं। धूल मानव जीवन का यथार्थवादी गई है जबकि ‘धूलि उसकी कविता है। ‘धूलि’ छायावादी दर्शन है जिसकी वास्तविकता संदिग्ध है और ‘धूरि’ लोक संस्कृति को जागरण है और गोधूलि ग्रामीण क्षेत्रों में सूर्यास्त के समय गायों के खुरों से उठने वाली वह धूल है जो वन प्रांत से घर की ओर दौड़ती-भागती गायों के खुरों से उठती है। इन सबका रंग एक ही है, रूप की भिन्नता भले ही हो।
प्रश्न 6.
‘धूल’ पाठ का मूल भाव स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
‘धूल’ पाठ के माध्यम से लेखक ने धूल को हेय नहीं श्रद्धेय बताया है। पाठ के माध्यम से धूल की उपयोगिता एवं महत्त्व को भी बताया गया है। धूल बचपन की अनेकानेक यादों से जुड़ी है। शहरवासियों की चमक-दमक के प्रति लगाव एवं धूल को हेय समझने की प्रवृत्ति पर कटाक्ष करते हुए लेखक ने कहा है कि शहरी सभ्यता आधुनिक बनने के नाम पर धूल से स्वयं ही दूर नहीं भागती बल्कि अपने बच्चों को भी उसके सामीप्य से बचाती है। धूल को श्रद्धाभक्ति स्नेह आदि भावनाओं की अभिव्यक्ति के लिए सर्वोत्तम साधन बताया गया है। धूल हमें लोकसंस्कृति से जोड़ती है। इसके नन्हें-नन्हें कण भी हमें देशभक्ति का पाठ पढ़ाते हैं। धूल की वास्तविकता का ज्ञान कराना ही इस पाठ का मूलभाव है।
प्रश्न 7.
कविता को विडंबना मानते हुए लखक ने क्या कहा है?
उत्तर-
कविता को विडंबना मानते हुए लेखक ने यह कहा है कि गोधूलि को अपनी कविता का विषय बनाकर कितने ही कवियों ने अपनी लेखनी चलाई है परंतु सच्चाई तो यही है कि गोधूलि पूरी तरह से गाँवों की संपत्ति है जो शहरों के हिस्से में नहीं आई है। शहरों में तो बस धूल धक्कड़ है। यहाँ धूलि होने पर भी गोधूलि कहाँ हो सकती है। इसकी एक विडंबना यह भी है कि कवियों ने अपनी कविता में जिस धूल को अमर किया है वह हाथी-घोड़ों के चलने से दौड़ने वाली धूल नहीं, बल्कि गायों और गोपालकों के पैरों से उठने वाली धूलि है।
(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-
प्रश्न 1.
फूल के ऊपर जो रेणु उसका श्रृंगार बनती है, वही धूल शिशु के मुँह पर उसकी सहज पार्थिवता को निखार देती है।
उत्तर-
आशय है कि धूल को भूलकर भी हेय नहीं मानना चाहिए। कारण यह है कि रेणु अर्थात् धूल फूलों की पंखुडियों पर पड़कर उसके सौंदर्य में वृद्धि कर देती है। यह धूल जब बालकृष्ण के खेलने-कूदने से उड़कर उनके चेहरे पर छा जाती है, इस धूल के कारण बालक का सौंदर्य और भी बढ़ जाता है। यह सौंदर्य किसी भी प्रसाधन के प्रयोग से बढ़े सौंदर्य से भी बढ़कर है।
प्रश्न 2.
‘धन्य-धन्य वे हैं नर मैले जो करत गात कनिया लगाय धूरि ऐसे लरिकान की’-लेखक इन पंक्तियों द्वारा क्या कहना चाहता है?
उत्तर-
इन पंक्तियों द्वारा लेखक यह कहना चाहता है कि धन्य-धन्य वे नर कहकर लेखक ने उस व्यक्ति को धन्य कहा है परंतु ‘मैले जो करत’ कहकर अपनी हीन भावना भी प्रकट कर दी क्योंकि धूल-धूसरित शिशु को गोद में उठाने से अपने कपड़ों के मलिन होने से चिंतित भी है। यह व्यक्ति धूल भरे हीरों का प्रेमी नहीं है।
प्रश्न 3.
मिट्टी और धूल में अंतर है, लेकिन उतना ही, जितना शब्द और रस में, देह और प्राण में, चाँद और चाँदनी में।
उत्तर-
आशय यह है कि शब्द में रस निहित है। इसके कारण ही शब्द का महत्त्व है। इसी प्रकार शरीर का महत्त्व प्राण होने से और चाँद का महत्त्व उसकी अपनी चाँदनी के कारण है। धूल मिट्टी का ही अंश है। इसे मिट्टी से उसी तरह से अलग नहीं किया जा सकता है जैसे रस को शब्द से, देह को प्राणों से और चाँदनी को चाँद से। इसी प्रकार मिट्टी और धूल का अटूट संबंध है।
प्रश्न 4.
हमारी देशभक्ति धूल को माथे से न लगाए तो कम-से-कम उस पर पैर तो रखे।
उत्तर-
नगरीय सभ्यता द्वारा धूल को हेय समझने की प्रवृत्ति पर व्यंग्य करते हुए लेखक कहता है कि धूल को माथे से लगाने योग्य है। इससे देशभक्ति की भावना की अभिव्यक्ति होती है पर नगर का अभिजात्य और आधुनिक कहलाने वाले वर्ग यदि इसे माथे से न लगाए तो इस पर पैर रखकर इसका अपमान भी न करे। अर्थात धूल का अपमान नहीं सम्मान करना चाहिए।
प्रश्न 5.
वे उलटकर चोट भी करेंगे और तब काँच और हीरे का भेद जानना बाकी न रहेगा।
उत्तर-
घन की चोट खाने पर भी न टूटकर हीरे ने अपनी दृढ़ता का परिचय दिया है, पर इसके बाद भी इनकी परख करने पर वह पलटकर वार भी कर सकता है तब तुम्हें उसका महत्त्व पता चलेगा। अभी जिसे धूल से मैला समझकर हेय समझ रहे हैं तब उसकी कीमत का ज्ञान हो जाएगा। इससे काँच और हीरे का अंतर भी पता लग जाएगा।
भाषा-अध्ययन
प्रश्न 1.
निम्नलिखित शब्दों के उपसर्ग छाँटिए-
उदाहरण : विज्ञापित-वि (उपसर्ग) ज्ञापित
संसर्ग, उपमान, संस्कृति, दुर्लभ, निर्वंद्व, प्रवास, दुर्भाग्य, अभिजात, संचालन।
उत्तर-
प्रश्न 2.
लेखक ने इस पाठ में धूल चूमना, धूल माथे पर लगाना, धूल होना जैसे प्रयोग किए हैं। धूल से संबंधित अन्य पाँच प्रयोग और बताइए तथा उन्हें वाक्यों में प्रयोग कीजिए।
उत्तर-
धूलि भरे हीरे-जिन बच्चों को आप उपेक्षा की दृष्टि से देख रहे हैं वे धूलि भरे हीरे हैं। धूल से खेलना-मेरा तो बचपन धूल से खेलते हुए बीता है। धूल-धक्कड़ होना–यहाँ तो आप चाहकर भी धूल-धक्कड़ से नहीं बच सकते हैं। धूल चाटना-दारा सिंह ने विदेशी पहलवान को धूल चाटने पर विवश कर दिया। धूल का स्पर्श करना-विदेश से लौटे उद्योगपति ने जहाज़ से उतरते ही मातृभूमि की धूल का स्पर्श किया।
योग्यता-विस्तार
प्रश्न 1.
शिवमंगल सिंह सुमन की कविता ‘मिट्टी की महिमा’, नरेश मेहता की कविता ‘मृत्तिका’ तथा सर्वेश्वर दयाय सक्सेना की ‘धूल’ शीर्षक से लिखी कविताओं को पुस्तकालय में हूँढ़कर पढ़िए।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।
परियोजना कार्य
प्रश्न 1.
इस पाठ में लेखक ने शरीर और मिट्टी को लेकर संसार की असारता का जिक्र किया है। इस असारता का वर्णन अनेक भक्त कवियों ने अपने काव्य में किया है। ऐसी कुछ रचनाओं का संकलन कर कक्षा में भित्ति पत्रिका पर लगाइए।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।
अन्य पाठेतर हल प्रश्न
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
अभिजात वर्ग की प्रसाधन-सामग्री कब धूल हो जाती है?
उत्तर-
अभिजात वर्ग की प्रसाधन-सामग्री उस समय धूल हो जाती है जब बालक कृष्ण के मुँह पर गोधूलि छा जाती है। इससे बालक कृष्ण का सौंदर्य कई गुना बढ़ जाता है।
प्रश्न 2.
धूलि के विषय में हमारी सभ्यता की सोच क्या है?
उत्तर-
धूलि के संबंध में हमारी सभ्यता की सोच यह है कि वह स्वयं धूल से संसर्ग से बचना ही नहीं चाहती बल्कि अपने बच्चों को भी धूल से दूर रखती है।
प्रश्न 3.
भोलानाथ किन्हें कहा गया है और क्यों?
उत्तर-
भोलानाथ उन भोले-भाले अबोध शिशुओं को कहा गया है जो धूल में खेलते-खेलते धूल-धूसरित हो जाते हैं। ये शिशु भस्म रमाए भोले शंकर जैसे दिखते हैं।
प्रश्न 4.
हमारी सभ्यता भोलानाथ से क्यों बचना चाहती है?
उत्तर-
हमारी सभ्यता नकली चमक-दमक, सज-धज और दिखावे में भरोसा करती है। वह सोचती है कि भोलानाथ को गोद में उठाने से उसके नकली सलमे-सितारे धुंधले पड़ जाएँगे इसलिए वह बचना चाहती है।
प्रश्न 5.
धन्य-धन्य वे हैं नर मैले जो करत गात कनिया लगाय धूरि ऐसे लरिकान की’ से कवि की किस प्रवृत्ति का पता चलता है?
उत्तर-
‘धन्य-धन्य वे हैं नर मैले जो करत गात कनिया लगाए धूरि ऐसे लरिकान की’ से कवि की प्रवृत्ति का पता चलता है कि कवि हीरों का प्रेमी है, धूलि भरे हीरों का नहीं।
प्रश्न 6.
देवताओं पर किस तरह की मिट्टी चढ़ाई जाती है?
उत्तर-
देवताओं पर अखाड़े की वह मिट्टी चढ़ाई जाती है जो साधारण धूल नहीं, बल्कि तेल और मट्ठे से सिझाई हुई होती है।
प्रश्न 7.
शरीर भी तो मिट्टी का ही बना है’-वाक्य में किस ओर संकेत किया गया है?
उत्तर-
‘शरीर भी तो मिट्टी का ही बना है’-वाक्य में उस ओर संकेत किया गया है कि हमारे शरीर की रचना जिन पाँच तत्वों से मिलकर हुई है, मिट्टी भी उनमें एक प्रमुख तत्व है।
प्रश्न 8.
गोधूलि को केवल गाँवों की संपत्ति क्यों कहा गया है?
उत्तर-
गोधूलि को केवल गाँवों की संपत्ति इसलिए कहा गया है क्योंकि शहरों में तो मोहर-गाड़ियों की धूल-धक्कड़ होती है, जबकि गाएँ एवं उनके पैरों से उठने वाली गोधूलि गाँवों में ही होती है।
प्रश्न 9.
बालकृष्ण के मुँह पर छाई धूल को लेखक श्रेष्ठ क्यों मानता है?
उत्तर-
बालकृष्ण के मुँह पर छाई धूल बालक के रूप सौंदर्य को और भी निखार देती है जिससे उसकी सहज पार्थिवता और भी निखर उठती है, इसलिए लेखक इस धूल को श्रेष्ठ मानता है।
प्रश्न 10.
‘मिट्टी और धूल’ में क्या अंतर है?’धूल’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
‘धूले और मिट्टी’ दोनों ही एक सिक्के के दो पहलू हैं। दोनों का अस्तित्व एक दूसरे के बिना असंभव है। इन दोनों में शब्द और रस, ‘देह और प्राण’ तथा चाँद और चाँदनी जितना ही अंतर है।
प्रश्न 11.
धूल कहते ही किसका स्मरण हो आता है?’धूल’ पाठ के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
धूल कहते ही शरद के धुले-उजले बादलों का स्मरण हो आता है। श्वेत रंग ही धूल का सहज रंग होता है।
प्रश्न 12.
अखाड़े की मिट्टी की क्या विशेषता है? इसके साथ किसका दुर्भाग्य जुड़ जाता है? ‘धूल’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर-
अखाड़े की मिट्टी की विशेषता यह है कि ऐसी मिट्टी सामान्य धूल नहीं होती है। यह तेल एवं मट्ठे द्वारा सिझाई गई पवित्र मिट्टी होती है जिसे देवताओं पर चढ़ाया जाता है। युवावस्था में यह मिट्टी जिन युवाओं के शरीर पर नहीं, इसके प्रति उस युवा का दुर्भाग्य जुड़ जाता है।
प्रश्न 13.
जीवन के लिए किन सार तत्वों को आवश्यक माना जता है? ये तत्व कहाँ से प्राप्त होते हैं?
उत्तर-
जीवन के लिए जिन सार तत्वों की आवश्यकता होती है, वे हैं- हवा, पानी, मिट्टी, आकाश और आग। ये सभी तत्व मिट्टी से ही मिलते हैं।
प्रश्न 14.
धूल, धूर, धूली, धूरि आदि की व्यंजनाएँ स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
धूल जीवन का यथार्थ है, धूलि उसकी कविता है, धूली छायावादी दर्शन है तथा धूरि लोक संस्कृति का नवीन जागरण है।
प्रश्न 15.
काँच और धूलि भरे हीरे के प्रति हमारी सभ्यता के व्यवहार में क्या अंतर नज़र आता है?
उत्तर-
हमारी सभ्यता काँच की चमक-दमक से आकर्षित होकर काँच की झूठी चमक से प्यार करती है, जबकि धूल भरे हीरे के संसर्ग से बचना ही नहीं चाहती बल्कि उसे देखकर भी अनदेखा करती है।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
गोधूलि का गाँवों से गहरा नाता है।-स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-
गोधूलि और गाँव परस्पर इस तरह से जुड़े हैं कि गाँव का नाम लेते ही गोधूलि का नाम स्वतः ही जुबान पर आ जाता है। वास्तव में गोधूलि गाँवों में ही मिलती है। सूर्यास्त के समय गाएँ अपने घर की ओर जब चारागाहों की ओर भागती हैं तो उनके खुरों से उठने वाली धूल ही गोधूलि है। इस धूल पर जब छिपते सूर्य से किरणें पड़ती हैं तो धूल पर सुनहरी चादर चढ़ जाती है। इसी समय जब गाँव की पगडंडी से बैलगाड़ी गुजरने से उठने वाली धूल से आसमान में रुई के बादलों-सी छा जाती है। चाँदनी रात में गाड़ियों के पीछे उठने वाली धूल का सौंदर्य अद्भुत होता है।
प्रश्न 2.
‘धूलि भरे हीरे’ किन्हें कहा गया है? हमारी सभ्यता इन हीरों से कितना प्यार करती है? ‘धूल’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर-
‘धूलि भरे हीरे’ गाँव के उन छोटे-छोटे अबोध बच्चों को कहा गया है जो धूल में खेलकर, गिरते-उठते धूल धूसरित हो जाते हैं। हमारी सभ्यता चमक-दमक चाहती है। उसका मानना है कि इन धूलि भरे हीरों को गोद में उठाते ही उसके कपड़े मैले हो जाएँगे। उसकी चमक-दमक फीकी पड़ जाएगी। यह सभ्यता काँच को चमक के कारण अपनाने को तैयार है परंतु इन धूलिभरे हीरों को नहीं। इस कारण वह इन हीरों को देखकर भी अनदेखा करती है और इनसे दूरी बनाकर रखती है।
प्रश्न 3.
उन कारणों का उल्लेख कीजिए जिनके कारण गाँव का बचपन शहर के बचपन से भिन्न होता है? ‘धूल’ पाठ के आधार पर लिखिए।
उत्तर-
गाँव के बचपन और शहर के बचपन में अंतर होने के अनेक कारण हैं, पर इनमें अंतर का मुख्य कारण धूल है। गाँव में चारों ओर धूल होती है। इसी धूल में बचपन पल-बढ़कर बड़ा होता है। इसमें खेलने-गिरने और धूल-धूसरित होने से बच्चों का सौंदर्य बढ़ जाता है। इससे हर शिशु भोलानाथ बना नजर आता है। गाँव के अखाड़े में यही मिट्टी तेल और मट्ठे से सनकर शरीर को मजबूत बनाने के साथ-साथ असीम सुख की अनुभूति कराती है। इसके विपरीत शहर में मोटर-गाड़ियों से उठने वाली धूल-धक्कड़ होती है। यह धूल गंदगी को पर्याय मानी जाती है जिससे सभी अपने बच्चों को बचाए रखना चाहते हैं।
प्रश्न 4.
‘नीच को धूरि समान’ का आशय क्या है? लेखक ने इसके विरोध में क्या कहा है?
उत्तर-
‘नीच को धूरि समान’ का आशय है-धूरि अर्थात् धूलि के समान नीच कौन है। अर्थात् धूलि के समान नीच कोई नहीं होता। लेखक ने इसके विरोध में यह कहा है किसी के कहे गए इस कथन को वेद वाक्य अर्थात् त्रिकाल सत्य नहीं मान लेना चाहिए। धूल नीच कैसे हो सकती है क्योंकि इसी धूल में हमारे देश के बच्चों का बचपन खेल-कूदकर बड़ा होता है। इसी धूल को श्रद्धावश सती अपने सिर से और सैनिक एवं योद्धा अपनी आँखों से लगाकर इसके प्रति श्रद्धा प्रकट करता है। ऐसी धूल तो सचमुच श्रद्धा के योग्य है।
प्रश्न 5.
किसानों के हाथ-पैर और मुख पर छाई धूल आधुनिक सभ्यता से क्या कहती है और क्यों?
उत्तर-
किसान हमारे समाज का अन्नदाता है। वह मिट्टी में सनकर अनाज उपजाता है। उसके इस कार्य से हाथ-पैर और मुख पर धूल लगना स्वाभाविक है। किसान के तन पर लगी धूल हमारी आधुनिक सभ्यता से कहती है कि वह इन किसानों का सम्मान करना सीखें। वास्तव में ये किसान मात्र किसान न होकर वे सच्चे हीरे हैं जिन्हें हथौड़े की चोट भी नहीं तोड़ पाती है। जब वे उलटकर चोट करेंगे तो काँच और हीरे का भेद पता चल जाएगा।
More Resources for CBSE Class 9
- NCERT Solutions
- NCERT Solutions Class 9 Maths
- NCERT Solutions Class 9 Science
- NCERT Solutions Class 9 Social Science
- NCERT Solutions Class 9 English
- NCERT Solutions Class 9 Hindi
- NCERT Solutions Class 9 Sanskrit
- NCERT Solutions Class 9 IT
- RD Sharma Class 9 Solutions
We hope the given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 1 धूल will help you. If you have any query regarding NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 1 धूल, drop a comment below and we will get back to you at the earliest.
The post NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 1 धूल appeared first on Learn CBSE.