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NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 3 एवरेस्ट: मेरी शिखर यात्रा is part of NCERT Solutions for Class 9 Hindi. Here we have given NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 3 एवरेस्ट: मेरी शिखर यात्रा.
Board | CBSE |
Textbook | NCERT |
Class | Class 9 |
Subject | Hindi Sparsh |
Chapter | Chapter 3 |
Chapter Name | एवरेस्ट : मेरी शिखर यात्रा |
Number of Questions Solved | 55 |
Category | NCERT Solutions |
NCERT Solutions for Class 9 Hindi Sparsh Chapter 3 एवरेस्ट : मेरी शिखर यात्रा
पाठ्यपुस्तक के प्रश्न-अभ्यास
मौखिक
निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर एक-दो पंक्तियों में दीजिए-
प्रश्न 1.
अग्रिम दल का नेतृत्व कौन कर रहा था?
उत्तर- अग्रिम दल का नेतृत्व अभियान दल के उपनेता ‘प्रेमचंद’ कर रहे थे।
प्रश्न 2.
लेखिका को सागरमाथा क्यों अच्छा लगा?
उत्तर-
लेखिका को ‘सागरमाथा’ नाम इसलिए अच्छा लगा क्योंकि सागरमाथा का अर्थ है- सागर का माथा और एवरेस्ट संसार की सबसे ऊँची चोटी है।
प्रश्न 3.
लेखिका को ध्वज जैसा क्या लगा?
उत्तर-
लेखिका को ध्वज जैसा वह बड़ा-सा बरफ़ का फूल (प्लूम) लगा जो पहाड़ के शिखर पर 150 किलोमीटर से अधिक तेज़ हवा के चलने और बरफ़ के उड़ने से बनता है।
प्रश्न 4.
हिमस्खलन से कितने लोगों की मृत्यु हुई और कितने घायल हुए?
उत्तर-
हिमस्खलन से दो व्यक्तियों की मृत्यु हुई और नौ लोग घायल हुए।
प्रश्न 5.
मृत्यु के अवसाद को देखकर कर्नल खुल्लर ने क्या कहा?
उत्तर-
पर्वतारोहियों में से दो व्यक्तियों की मृत्यु की बात सुनकर अन्य आरोहियों के चेहरे पर आए अवसाद को देखकर कर्नल खुल्लर ने कहा, कि एवरेस्ट जैसे महान अभियान के खतरों और कभी-कभी तो मृत्यु को भी आदमी को सहज भाव से स्वीकारना चाहिए।
प्रश्न 6.
रसोई सहायक की मृत्यु कैसे हुई?
उत्तर-
रसोई सहायक की मृत्यु स्वास्थ्य के प्रतिकूल जलवायु में काम करने के कारण हुई।
प्रश्न 7.
कैंप-चार कहाँ और कब लगाया गया?
उत्तर-
कैंप चार साउथकोल जो ‘पृथ्वी पर बहुत अधिक कठोर’ जगह के नाम से प्रसिद्ध है, में 29 अप्रैल, 1984 को लगाया गया।
प्रश्न 8.
लेखिका ने तेनजिंग को अपना परिचय किस तरह दिया?
उत्तर-
लेखिका ने तेनजिंग को अपना परिचय देते हुए कहा कि वह नौसिखिया है और एवरेस्ट उसका पहला अभियान है।
प्रश्न 9.
लेखिका की सफलता पर कर्नल खुल्लर ने उसे किन शब्दों में बधाई दी?
उत्तर-
लेखिका की सफलता पर बधाई देते हुए कर्नल खुल्लर ने कहा, “मैं तुम्हारी इस अनूठी उपलब्धि के लिए तुम्हारे माता-पिता को बधाई देना चाहूँगा।” उन्होंने यह भी कहा कि देश को तुम पर गर्व है और अब तुम ऐसे संसार में वापस जाओगी, जो तुम्हारे अपने पीछे छोड़े हुए संसार से एकदम भिन्न होगा।
लिखित
(क) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (25-30 शब्दों में) लिखिए-
प्रश्न 1.
नज़दीक से एवरेस्ट को देखकर लेखिका को कैसा लगा?
उत्तर-
नजदीक से एवरेस्ट को देखने पर लेखिका भौंचक्की रह गई। उसे टेढ़ी-मेढ़ी चोटियाँ ऐसी लग रही थीं मानो कोई बरफ़ीली नदी बह रही हो।
प्रश्न 2.
डॉ. मीनू मेहता ने क्या जानकारियाँ दीं?
उत्तर-
डॉक्टर मीनू मेहता ने अभियान दल के सदस्यों को एल्यूमिनियम की सीढ़ियों से अस्थायी पुल बनाने, लट्ठों और रस्सियों का उपयोग करने, बरफ़ की आड़ी-तिरछी दीवारों पर रस्सियाँ बाँधने जैसे अनेक अभियांत्रिक कार्यों की जानकारी दी।
प्रश्न 3.
तेनजिंग ने लेखिका की तारीफ में क्या कहा?
उत्तर-
तेनजिंग ने लेखिका की तारीफ में कहा, “तुम पक्की पर्वतीय लड़की लगती हो। तुम्हें तो पहले ही प्रयास में शिखर पर पहुँच जाना चाहिए।
प्रश्न 4.
लेखिका को किनके साथ चढ़ाई करनी थी?
उत्तर-
लेखिका को अगले दिन की, जय और मीनू के साथ चढ़ाई करनी थी। वे भारी बोझ लेकर धीरे-धीरे बिना ऑक्सीजन के चढ़ाई कर रहे थे, जो अभी तक लेखिका के पास नहीं आ सके थे।
प्रश्न 5.
लोपसंगा ने तंबू का रास्ता कैसे साफ़ किया?
उत्तर-
लोपसांग ने तंबू का रास्ता साफ़ करने के लिए अपनी स्विस छुरी निकाली। उन्होंने लेखिका के आसपास जमे बड़े-बड़े हिमपिंडों को हटाया और लेखिका के चारों ओर जमी कड़ी बरफ़ की खुदाई किया। उन्होंने बड़ी मेहनत से लेखिका को बरफ़ की कब्र से खींच निकाला।
प्रश्न 6.
साउथ कोल कैंप पहुँचकर लेखिका ने अगले दिन की महत्त्वपूर्ण चढ़ाई की तैयारी कैसे शूरू की?
उत्तर-
साउथ कोल कैंप पहुँचकर लेखिका ने अगले दिन की तैयारी करने के लिए सुबह चार बजे उठ गई, बरफ़ पिघलाया और चाय बनाई। कुछ बिस्कुट और आधी चाकलेट का नाश्ता करने के बाद वह सवेरे पाँच बजे तंबू से निकल पड़ी।
(ख) निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर (50-60 शब्दों में) लिखिए-
प्रश्न 1.
उपनेता प्रेमचंद ने किन स्थितियों से अवगत कराया?
उत्तर-
उपनेता प्रेमचंद ने अभियान दल को खंभु हिमपात की स्थिति की जानकारी देते हुए कहा कि उनके दल ने कैंप-एक जो हिमपात के ठीक ऊपर है, वहाँ तक का रास्ता साफ़ कर दिया है और फल बनाकर, रस्सियाँ बाँधकर तथा इंडियों से रास्ता चिन्हित कर, सभी बड़ी कठिनाइयों का जायजा ले लिया गया है। उन्होंने इस पर भी ध्यान दिलाया कि ग्लेशियर बरफ़ की नदी है और बरफ़ का गिरना अभी जारी है। हिमपात में अनियमित और अनिश्चित बदलाव के कारण अभी तक के किए गए सभी काम व्यर्थ हो सकते हैं और हमें रास्ता खोलने का काम दोबारा करना पड़ सकता है।
प्रश्न 2.
हिमपात किस तरह होता है और उससे क्या-क्या परिवर्तन आते हैं?
उत्तर-
पहाड़ी की ऊँची-ऊँची चोटियों पर हिमपात अनियमित ढंग से होता है और इसमें अनिश्चित बदलाव होते रहते हैं। अनियमित रूप से बरफ़ का गिरना ही हिमपात है। तेज हवा चलने से हिमपात की मात्रा बढ़ जाती है। सूखी बरफ़ हवा में उड़ने लगती है तथा दृश्यता शून्य तक पहुँच जाती है। इससे सारी परिस्थितियाँ बदल जाती हैं।
प्रश्न 3.
लेखिका ने तंबू में गिरे बरफ़ पिंड का वर्णन किस तरह किया है?
उत्तर-
लेखिका ने तंबू में गिरे बरफ़ के पिंड का वर्णन करते हुए कहा है कि वह ल्होत्से की बरफ़ीली सीधी ढलान पर लगाए गए नाइलान के तंबू के कैंप-तीन में थी। उसके तंबू में लोपसांग और तशारिंग उसके तंबू में थे। अचानक रात साढ़े बारह बजे उसके सिर में कोई सख्त चीज़ टकराई और उसकी नींद खुल गई। तभी एक जोरदार धमाका हुआ और उसे लगा कि एक ठंडी बहुत भारी चीज़ इसके शरीर को कुचलती चल रही थी। इससे उसे साँस लेने में कठिनाई होने लगी।
प्रश्न 4.
लेखिका को देखकर ‘की’ हक्का-बक्का क्यों रह गया?
उत्तर-
लेखिका को देखकर ‘की’ इसलिए हक्का-बक्का रह गया क्योंकि लेखिका उससे पहले साउथ कोल कैंप पर पहुँच चुकी थी, जबकि वह साउथकोल की ओर ऊपर बढ़ रहा था। उसने देखा लेखिका कैंप में विश्राम न करके उसके लिए चाय और जूस लिए नीचे उतरती आ रही है जबकि उसे कैंप में आराम करना चाहिए। लेखिका में ऐसी सेवा, सहयोग की भावना, एवं संवेदनशीलता देखकर ‘को’ हक्का-बक्का होना ही था।
प्रश्न 5.
एवरेस्ट पर चढ़ने के लिए कुल कितने कैंप बनाए गए? उनका वर्णन कीजिए।
उत्तर-
पाठ से ज्ञात होता है कि एवरेस्ट पर चढ़ाई के लिए कुल पाँच कैंप बनाए गए। उनके दल का पहला कैंप 6000 मीटर की ऊँचाई पर था जो हिमपात से ठीक ऊपर था। दूसरा कैंप-चार 7900 मीटर की ऊँचाई पर बनाया गया था। कैंप-तीन ल्होत्से की बरफ़ीली सीधी ढलान पर बनाया गया था। यहाँ नाइलोन के तंबू लगाए गए थे। एक कैंप साउथकोल पर बनाया गया था। यहीं से अभियान दल को एवरेस्ट पर चढ़ाई करनी थी। इसके अलावा एक बेस कैंप भी बनाया गया था।
प्रश्न 6.
चढ़ाई के समय एवरेस्ट की चोटी की स्थिति कैसी थी?
उतर-
चढ़ाई के समय एवरेस्ट की चोटी शंक्वाकार थी। यह चोटी इतनी पतली हो गई थी कि एक साथ दो व्यक्ति साथ-साथ नहीं खड़े हो सकते थे। वहाँ खड़ा हो पाना कठिन हो रहा था। उसके आगे तो बस हज़ारों मीटर, दूर-दूर तक बस सीधी ढलान ही ढलान थी।
प्रश्न 7.
सम्मिलित अभियान में सहयोग एवं सहायता की भावना का परिचय बचेंद्री के किस कार्य से मिलता है?
उतर-
एवरेस्ट पर विजय पाने के अभियान के दौरान लेखिको बचेंद्री पाल अपने साथियो ‘जय’, की ‘मीनू’ के साथ चढाई कर रही थी, परंतु वह इनसे पहले साउथ कोल कैंप पर जा पहुँची क्योंकि वे बिना ऑक्सीजन के भारी बोझ लादे चढ़ाई कर रहे थे। लेखिका ने दोपहर बाद इन सदस्यों की मदद करने के लिए एक थरमस को जूस से और दूसरे को गरम चाय से भर लिया और बरफ़ीली हवा में कैंप से बाहर निकल कर उन सदस्यों की ओर नीचे उतरने लगी। उसके इस कार्य से सहयोग एवं सहायता की भावना का परिचय मिलता है।
(ग) निम्नलिखित के आशय स्पष्ट कीजिए-
प्रश्न 1.
एवरेस्ट जैसे महान अभियान में खतरों को और कभी-कभी तो मृत्यु भी आदमी को सहज भाव से स्वीकार करनी चाहिए।
उतर-
आशय यह है कि एवरेस्ट पर चढ़ाई का रास्ता अत्यंत दुर्गम और खतरनाक होता है। इस अभियान में प्रतिकूल परिस्थितियों जैसे-हिमपात, भूस्खलन, बरफ़ की चट्टाने गिरने से दुर्घटनाओं का होना आमबात है। इतने बड़े अभियान में ऐसी बातों को अत्यंत सहजभाव से लिया जाता है। इन घटनाओं से डरने और विचलित होने वाला व्यक्ति इसमें सफल नहीं हो सकता है।
प्रश्न 2.
सीधे धरातल पर दरार पड़ने का विचार और इस दरार का गहरे-चौड़े हिम-विदर में बदल जाने का मात्र खयाल ही बहुत डरावना था। इससे भी ज्यादा भयानक इस बात की जानकारी थी कि हमारे संपूर्ण प्रयास के दौरान हिमपात लगभग एक दर्जन आरोहियों और कुलियों को प्रतिदिन छूता रहेगा।
उत्तर-
आशय यह है कि ग्लेशियरों के बहने से बरफ़ में हलचल होने से बरफ़ की बड़ी-बड़ी चट्टानें अचानक गिर जाती हैं। इससे धरातल पर दरार पड़ जाती है। यही दरारें हिम-विदर में बदल जाती हैं जो पर्वतारोहियों की मृत्यु का कारण बन जाती है। इसका ख्याल ही मन में भय पैदा कर देता है। दुर्भाग्य से यह भी जानकारी मिल गई थी कि इस अभियान दल को अपने अभियान के दौरान ऐसे हिमपात का सामना करना ही पड़ेगा।
प्रश्न 3.
बिना उठे ही मैंने अपने थैले से दुर्गा माँ का चित्र और हनुमान चालीसा निकाला। मैंने इनको अपने साथ लाए लाल कपड़े में लपेटा, छोटी-सी पूजा-अर्चना की और इनको बरफ़ में दबा दिया। आनंद के इस क्षण में मुझे अपने माता पिता का ध्यान आया।
उत्तर-
आशय यह है कि लेखिका ने अपने आराध्य के प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हुए अपने साथ लाए दुर्गा की तस्वीर और हनुमान चालीसा’ को लाल कपड़े में लपेटा, पूजा-अर्चना किया और बरफ़ में दबा दिया और इस सफलता हेतु मन ही मन धन्यवाद दिया। उसने अपने माता-पिता को याद कर उनके प्रति कृतज्ञता और आदर का भाव व्यक्त किया।
भाषा अध्ययन
प्रश्न 1.
इस पाठ में प्रयुक्त निम्नलिखित शब्दों की व्याख्या पाठ का संदर्भ देकर कीजिए-
निहारा है, धसकना, खिसकना, सागरमाथा, जायजा लेना, नौसिखिया
उत्तर-
निहारा है- बहुत ध्यान से विस्मय के साथ देखना।
लेखिका ने नमचे बाजार पहुँचकर एवरेस्ट पर चढ़ाई करने से पूर्व उसे निहारा।
धसकना- नीचे धंस या दब जाना।
बरफ़ की भारी चट्टानें जब बरफ़ीले धरातल पर गिरती है तो धरातल धसक जाता है।
इसका खयाल पर्वतारोहियों को भयभीत करने वाला होता है।
खिसकना- धीरे-धीरे सरकना।
ग्लेशियरों के बहने से बरफ़ में हलचल मच जाती है और बड़ी-बड़ी चट्टानें खिसकने लगती हैं।
सागरमाथा- सागर का माथा अर्थात् एवरेस्ट।
लेखिका को एवरेस्ट का दूसरा नाम सागरमाथा, जो नेपालियों में पसंद है, पसंद आया।
जायजा लेना- अनुमान लगाना।
एवरेस्ट अभियान के समय अग्रिम दल ने पुल बनाकर, रस्सियाँ बाँधकर सभी बड़ी कठिनाइयों का जायजा ले लिया था।
नौसिखिया- नया सीखने वाला।
एवरेस्ट की चोटी पर चढ़ने वाले प्रथम व्यक्ति का गौरव पाने वाले तेनजिंग से लेखिका ने खुद को नौसिखिया कहा।
प्रश्न 2.
निम्नलिखित पंक्तियों में उचित विराम-चिह्नों का प्रयोग कीजिए-
- उन्होंने कहा तुम एक पक्की पर्वतीय लड़की लगती हो तुम्हें तो शिखर पर पहले ही प्रयास में पहुँच जाना चाहिए
- क्या तुम भयभीत थीं
- तुमने इतनी बड़ी जोखिम क्यों ली बचेंद्री
उत्तर-
- उन्होंने कहा, “तुम एक पक्की पर्वतीय लड़की लगती हो। तुम्हें तो शिखर पर पहले ही प्रयास में पहुँच जाना चाहिए।’
- “क्या तुम भयभीत थीं?”
- “तुमने इतनी बड़ी जोखिम क्यों ली बचेंद्री ?”
प्रश्न 3.
नीचे दिए उदाहरण के अनुसार निम्नलिखित शब्द-युग्मों का वाक्य में प्रयोग कीजिए-
उदाहरण- हमारे पास एक वॉकी-टॉकी थी।
उत्तर-
- टेढ़ी-मेढ़ी- एवरेस्ट की बरफ़ीली चोटियाँ बरफ़ की टेढ़ी-मेढ़ी नदी-सी लग रही थीं।
- गहर-चौड़े- पहाड़ी रास्ते में पड़ने वाले गहरे-चौड़े नाले देखकर मन भयभीत हो रहा था।
- आसपास- रेगिस्तान में आसपास कोई भी पेड़ नहीं दिखाई दे रहा था।
- हक्का-बक्का- अचानक सेना द्वारा घेरे जाने से आतंकवादी हक्के-बक्के रह गए थे।
- इधर-उधर- जंगली रास्ते पर इधर-उधर देखकर चलना।
- लंबे-चौड़े- चुनाव के समय नेतागण बड़े लंबे-चौड़े वादे करके जनता को बहलाते हैं।
प्रश्न 4.
उदाहरण के अनुसार विलोम शब्द बनाइए-
उदाहरण- अनुकूल-प्रतिकूल
- नियमित – अनियमित
- विख्यात – कुख्यात
- आरोही – अवरोही
- निश्चित – अनिश्चित
- सुंदर – असुंदर, खराब
उत्तर-
- नियमित – अनियमित
- आरोही – अवरोही
- सुंदर – असुंदर, खराब
- विख्यातं – कुख्यात
- निश्चित – अनिश्चित
प्रश्न 5.
निम्नलिखित शब्दों में उपयुक्त उपसर्ग लगाइए-
जैसे- पुत्र – सुपुत्र
वास व्यवस्थित
कूल गति
रोहण रक्षित
उत्तर-
आ + वास = आवास
अ + व्यवस्थित = अव्यवस्थित
प्रति + कूल = प्रतिकूल
दुर् + गति = दुर्गति
अव + रोहण = अवरोहण
सु + रक्षित = सुरक्षित
प्रश्न 6.
निम्नलिखित क्रिया विशेषणों का उचित प्रयोग करते हुए रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
अगले दिन, कम समय में, कुछ देर बाद, सुबह तक
- मैं ……………….. यह कार्य कर लूंगा।
- ……………. घिरने के …………… ही वर्षा हो गई।
- ……………….. बहुत …………………. इतनी तरक्की कर ली।
- नाडकसा को ………………….. गाँव जाना था।
उत्तर-
- मैं अगले दिन यह कार्य कर लूंगा।
- बादल घिरने के कुछ देर बाद ही वर्षा हो गई।
- उसने बहुत कम समय में इतनी तरक्की कर ली।
- नाडकसा को सुबह तक गाँव जाना था।
योग्यता विस्तार
प्रश्न 1.
इस पाठ में आए दस अंग्रेजी शब्दों का चयन कर उनके अर्थ लिखिए-
उत्तर-
- बेस कैंप – आधारभूत या मुख्य पड़ाव
- ग्लेशियर – हिमनद, बरफ़ीली नदी
- स्ट्रेचर – मरीजों को लाने-ले जाने का उपकरण
- साउथ – दक्षिण
- कुकिंग गैस – खाना पकाने वाली गैस
- आक्सीजन – प्राणवायु, जीवनदायिनी गैस
- कुली – बोझा उठाने वाले
- वॉकी-टॉकी – बात करने का एक उपकरण
- सिलिंडर – बेलनाकार बर्तन
- थरमस – ठंडा या गरम रखने वाला बर्तन
प्रश्न 2.
पर्वतारोहण से संबंधित दस चीजों के नाम लिखिए।
उत्तर-
पर्वतारोहण से जुड़ी चीजें-
रस्सी, फावड़ा, आक्सीजन टैंट, बँटा, वॉकी-टॉकी, थरमस चाय, एल्यूमिनियम की सीढ़ी, बिस्तर, चाकू, हथौड़ा, कील, स्ट्रेचर आदि।
प्रश्न 3.
तेनजिंग शेरपा की पहली चढ़ाई के बारे में जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर-
छात्र स्वयं तेनजिंग के बारे में जानकारी प्राप्त करें।
प्रश्न 4.
इस पर्वत का नाम ‘एवरेस्ट’ क्यों पड़ा? जानकारी प्राप्त कीजिए।
उत्तर-
छात्र अपने भूगोल अध्यापक से स्वयं जानकारी प्राप्त करें।
परियोजना कार्य
प्रश्न 1.
आगे बढ़ती भारतीय महिलाओं की पुस्तक पढ़कर उनसे संबंधित चित्रों का संग्रह कीजिए एवं संक्षिप्त जानकारी प्राप्त करके लिखिए-
(क) पी. टी. उषा
(ख) आरती साहा
(ग) किरण बेदी
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 2.
रामधारी सिंह दिनकर का लेख-‘हिम्मत और जिंदगी’ पुस्तकालय से लेकर पढ़िए।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।
प्रश्न 3.
‘मन के हारे हार है, मन के जीते जीत’-इस विषय पर कक्षा में परिचर्चा आयोजित कीजिए।
उत्तर-
छात्र स्वयं करें।
अन्य पाठेतर हल प्रश्न
लघु उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
‘सागरमाथा’ क्या है? लेखिका को यह नाम कैसा लगा?
उत्तर-
‘सागरमाथा’ एवरेस्ट का दूसरा नाम है। एवरेस्ट का यह नाम नेपालियों में प्रसिद्ध है। लेखिका को एवरेस्ट का यह नाम अच्छा लगा।
प्रश्न 2.
एवरेस्ट अभियान दल कब रवाना हुआ? उससे पहले अग्रिम दल क्यों भेजा गया?
उत्तर-
एवरेस्ट अभियान दल दिल्ली से काठमांडू के लिए 7 मार्च को हवाई जहाज से रवाना हुआ। उससे पहले अग्रिम दल को इसलिए भेजा गया ताकि ‘बेस कैंप’ पहुँचने से पहले दुर्गम हिमपात के रास्ते को साफ़ कर सके।
प्रश्न 3.
लेखिका को बड़ा फूल (प्लूम) कैसा लगा? यह फूल कैसे बनता है?
उत्तर-
लेखिका को बड़ा फूल (प्लूम) पर्वत-शिखर पर लहराता हुआ ध्वज-सा लग रहा था। यह फूल पर्वत की ऊपरी शिखर पर लगभग 150 किलोमीटर या इससे भी अधिक गति से हवाएँ चलने पर बनता है।
प्रश्न 4.
वह कौन-सी बात थी, जो लेखिका को डराने के लिए काफ़ी थी?
उत्तर-
पर्वत शिखरों पर 150 किलोमीटर या इससे भी अधिक गति से तूफ़ानी और बरफ़ीली हवाएँ चलती हैं। शिखर पर जाने वाले प्रत्येक व्यक्ति को दक्षिण पूर्वी पहाड़ी पर इन तूफ़ानों को झेलना पड़ता है। यह बात लेखिका को डराने के लिए काफ़ी थी।
प्रश्न 5.
शेरपा कुली की मृत्यु कैसे हुई थी?
उत्तर-
खंभु हिमापात पर जाने वाले अभियान दल के रास्ते के बाईं तरफ सीधी पहाड़ी धसक गई थी। इस कारण ल्होत्से की ओर से एक बहुत बड़ी चट्टान नीचे खिसक आई थी, जिससे एक शेरपा कुली की मृत्यु हो गई थी।
प्रश्न 6.
एवरेस्ट अभियान की पहली बाधा कौन-सी थी? इस बाधा का पता लेखिका को कैसे चला?
उत्तर-
एवरेस्ट अभियान की पहली बाधा खंभु हिमपात थी। लेखिका को इस बाधा का पता अग्रिम दल का नेतृत्व कर रहे उपनेता प्रेमचंद से चला।
प्रश्न 7.
अग्रिमदल ने एवरेस्ट अभियान दल की मदद किस तरह की?
उत्तर-
अग्रिम दल एवरेस्ट अभियान दल से पहले ही खंभु हिमपात तक पहुँच गया और वहाँ तक का रास्ता साफ़ कर दिया। उन्होंने पुल बनाकर, रस्सियाँ बाँधकर झंडियों से रास्ते को चिनित करके सभी कठिनाइयों का जायजा ले लिया था।
प्रश्न 8.
तीसरे दिन की किस सफलता को सुनकर कर्नल खुल्लर खुश हो रहे थे?
उत्तर-
हिमपात से कैंप तक की चढ़ाई के लिए तीसरा दिन नियत था। लेखिका रीता गोंबू के साथ आगे बढ़ रही थी तथा वह वॉकी-टॉकी से हरकदम की जानकारी कर्नल खुल्लर को दे रही थी। कर्नल खुल्लर यह जानकार खुश हुए कि कैंप एक तक केवल दो महिलाएँ ही पहुँच सकी थी।
प्रश्न 9.
लोपसांग ने लेखिका की जान किस तरह से बचाई ?
उत्तर-
जब लेखिका अपने तंबू में बरफ़ में दबी थी तब लोपसांग ने अपनी स्विस छुरी से तंबू का रास्ता साफ़ करने में जुट गए उन्होंने लेखिका के चारों ओर जमे कड़े बरफ़ की खुदाई की और लेखिका को बरफ़ की कब्र से खींच निकाला।
प्रश्न 10.
कर्नल खुल्लर ने किस कार्य को जबरदस्त साहसिक बताया?
उत्तर-
लेखिका अपने दल के साथ एवरेस्ट अभियान पर जाती हुई 16 मई को सवेरे कैंप-दो पर पहुँची। जिस शेरपा की टाँग टूटी थी उसे स्ट्रेचर पर लिटाकर नीचे लाए। इस कार्य को कर्नल खुल्लर ने इतनी ऊचाई पर सुरक्षा कार्य का एक जबरदस्त साहसिक कार्य बताया।
प्रश्न 11.
बचेंद्रीपाल ने जूस और चाय लेकर नीचे जाने का जोखिम क्यों लिया?
उत्तर-
शारीरिक रूप से स्वस्थ हैं इसलिए उन्हें अपने दल के सदस्यों की मदद करने का जोखिम उठाना चाहिए।
प्रश्न 12.
लेखिका अंगदोरजी के साथ एवरेस्ट अभियान पर आगे क्यों चल पड़ी?
उत्तर-
लेखिका बचेंद्री पाल अंगदोरजी के साथ अभियान पर इसलिए चल पड़ी क्योंकि अंगदोरजी बिना आक्सीजन के चढ़ाई करने वाला था। इस कारण उसके पैर ठंडे पड़ जाते थे। वह ऊँचाई पर लंबे समय तक खुले में और रात्रि में शिखर कैंप पर नहीं जाना चाहता था। उसके साथ कोई और जाने को तैयार न था।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्नोत्तर
प्रश्न 1.
15-16 मई, 1984 की किस घटना से लेखिका को आश्चर्य हुआ?
उत्तर-
15-16 मई, 1984 को ल्होत्से की सीधी ढलान पर लगाए गए कैंप में पर्वतारोहियों का दल ठहरा था। रात साढ़े बारह बजे एक लंबा बरफ़ का पिंड हमारे कैंप के ठीक ऊपर ल्होत्से ग्लेशियर से टूटकर नीचे आ गिरा था और उसका विशाल हिमपुंज बना गया था। हिमखंडों, बरफ़ के टुकड़ों तथा जमीं हुई बरफ़ के इस विशालकाय पुंज ने, एक एक्सप्रेस रेलगाड़ी की तेज़ गति और भीषण गर्जना के साथ, सीधी ढलान से नीचे आते हुए कैंप को तहस-नहस कर दिया। वास्तव में हर व्यक्ति को चोट लगी थी। यह एक आश्चर्य था कि किसी की मृत्यु नहीं हुई थी।
प्रश्न 2.
साउथ कोल पहुँचते ही लेखिका तैयारियों में क्यों जुट गई और उसकी चिंता का कारण क्या था?
उत्तर
लेखिका जैसे साउथ कोल पहुँची, उसने अगले दिन की अपनी महत्त्वपूर्ण चढ़ाई की तैयारी शुरू कर दी। उसने खाना, कुकिंग गैस तथा कुछ ऑक्सीजन सिलिंडर इकट्ठे किए। जब दोपहर डेढ़ बजे बिस्सा आया, उसने लेखिका को चाय के लिए पानी गरम करते देखा। की, जय और मीनू अभी बहुत पीछे थे। वह चिंतित थी क्योंकि उसे अगले दिन उनके साथ ही चढ़ाई करनी थी। वे धीरे-धीरे आ रहे थे क्योंकि वे भारी बोझ लेकर और बिना ऑक्सीजन के चल रहे थे।
प्रश्न 3.
साउथकोल से आगे बढ़ते हुए लेखिका को क्या-क्या सावधानियाँ बरतनी पड़ीं और क्यों?
उत्तर-
अंगदोरजी के साथ साउथकोल से आगे बढ़ने पर लेखिका ने देखा कि बाहर हलकी-हलकी हवा चल रही थी और ठंड भी बहुत अधिक थी। लेखिका अपने आरोही उपस्कर में अच्छी स्थिति में थी। वह अंगदोरजी के साथ निश्चित गति से आगे बढ़ी जा रही थी। रास्ते में जमे हुए बरफ़ की सीधी व ढलाऊ चट्टानें सख्त और भुरभुरी जो शीशे की चादरों जैसी थीं। लेखिका को बरफ़ काटने के लिए फावड़े का इस्तेमाल करना पड़ा और सख्ती से फावड़ा चलाना पड़ा ताकि बरफ़ कट जाए। उसने चलते हुए उन खतरनाक स्थलों पर अत्यंत सावधानी से कदम उठाया।
प्रश्न 4.
अंगदोरजी क्या सुनकर आनंदित हुए? उन्होंने लेखिका को क्या बताया?
उत्तर-
साउथकोल कैंप से अंगदोरजी के साथ लेखिका विपरीत परिस्थितियों में यात्रा करते हुए आगे बढ़ रही थी। वे दो घंटे से कम संमय में ही शिखर कैंप पर पहुँच गए। अंगदोरजी ने पीछे उससे मुड़कर देखा कहा कि क्या वह थक गई है। उसने जवाब दिया, ‘नहीं।” जिसे सुनकर वे बहुत अधिक आश्चर्यचकित और आनंदित हुए। उन्होंने कहा कि पहलेवाले दल ने शिखर कैंप पर पहुँचने में चार घंटे लगाए थे और यदि हम इसी गति से चलते रहे तो हम शिखर पर दोपहर एक बजे एक पहुँच जाएँगे।
प्रश्न 5.
लेखिका ने अंगदोरजी के प्रति किस तरह धन्यवाद ज्ञापित किया? इस पर उनकी प्रतिक्रिया क्या थी?
उत्तर-
ऐवरेस्ट के शिखर पर पहुँची भाव विभोर लेखिका ने ईश्वर और अपने माता-पिता के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के बाद उठी और अपने दोनों हाथ जोड़कर अपने रज्जु-नेता अंगदोरजी के प्रति आदर भाव से झुकी। अंगदोरजी जिन्होंने उसे प्रोत्साहित किया और उसे लक्ष्य तक पहुँचाया। लेखिका ने उन्हें बिना ऑक्सीजन के एवरेस्ट की दूसरी चढाई चढ़ने पर बधाई भी दी। उन्होंने गले से लगाया और उसके कानों में फुसफुसाए, “दीदी, तुमने अच्छी चढ़ाई की। मैं बहुत प्रसन्न हूँ।”
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